Micro teaching

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About This Presentation

Micro Teaching for B.Ed. Students


Slide Content

MICRO TEACHING सूक्ष्म शिक्षण 2 क्रेडिट- 60 घंटा 50 अंक डॉ.आदित्य चतुर्वेदी सहायक प्रोफेसर दूर शिक्षा

सूक्ष्म शिक्षण सूक्ष्म शिक्षण = शिक्षण कौशल विकास कार्यक्रम सूक्ष्म शिक्षण =व्यवहार तकनीकी (व्यवहार में परिवर्तन ) शिक्षण –अभ्यास से पूर्व का कार्यक्रम सूक्ष्म शिक्षण का प्रारम्भ 1961 में अमेरिका के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में हुआ । भारत में 1970 में बड़ौदा विश्वविद्यालय में सूक्ष्म शिक्षण प्रारम्भ हुआ ।

सूक्ष्म शिक्षण परिभाषा कम समय में कम छात्रों की कक्षा में किसी एक कौशल के विकास के लिए किया जाने वाला शिक्षण जिसमें शिक्षण के तुरन्त बाद पृष्ठ पोषण प्राप्त होता है ,जिसकी सहायता से शिक्षक अपने पाठ को संशोधित कर पुनः शिक्षण कार्य करता है ,और यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक वह कौशल जिसका शिक्षक शिक्षण कर रहा था पूर्ण विकसित न हो जाये

सूक्ष्म शिक्षण चक्र

सूक्ष्म शिक्षण की विशेषताएँ कक्षा में 5-10 छात्र /छात्राध्यापक 5-10 मिनिट शिक्षण पाठ एक ही संप्रत्यय या कौशल पर आधारित परिवेक्षक –प्राध्यापक या छात्राध्यापक पाठ के बाद पृष्ठ पोषण पृष्ठ पोषण से प्राप्त सुझावों के आधार पर पुनः पाठ योजना का निर्माण पुनः शिक्षण पुनः पृष्ठ पोषण एक बार में एक कौशल पर ध्यान दिया जाता हैं ।

शिक्षण कौशल मुख्य रूप से 22 शिक्षण कौशलों का निर्धारण किया गया है । शैक्षिक उद्देश लेखन विन्यास प्रेरण प्रश्न सहजता खोजपूर्ण प्रश्न उच्चस्तरीय प्रश्न विभिसारी प्रश्न मौन एवं अशाब्दिक संकेत

शिक्षण कौशल व्याख्या दृष्टांत कला व्याख्यान श्यामपट केए उपयोग दृश्य श्रव्य साधनों केए उपयोग संप्रेषण की पूर्णता पाठ गति प्रबलन

शिक्षण कौशल छात्र सहभागिता विस्तार उद्दीपन परिवर्तन छात्र व्यवहार अभिज्ञान नियोजित पुनरावृति पाठ समापन गृहकार्य देना कक्षा-प्रबंधन

आपको निम्न कौशलों पर सूक्ष्म पाठ योजना बनाना है प्रबलन कौशल ( Reinforcement ) श्याम पट लेखन ( Black Board Writing ) उद्दीपन परिवर्तन (Stimulus Variation ) दृष्टांत कौशल ( Illustrating with Examples ) व्याख्या कौशल ( S kill of Explaining )

प्रबलन कौशल ( Reinforcement ) शिक्षक का वह व्यवहार जिससे छात्रों को पाठ के विकास में भाग लेने हेतु प्रश्नों के सही उत्तर देने व सही विचार व्यक्त करने हेतु प्रोत्साहन प्राप्त हो प्रबलन कहलाता है । प्रबलन दो प्रकार का होता है । धनात्मक प्रबलन एवं नकारात्मक प्रबलन धनात्मक प्रबलन –अच्छा, शाबाश , हाँ-हाँ, ठीक है ,मुस्कराना , सिर हिलना आदि । नकारात्मक प्रबलन – नहीं ,ऐसा नहीं, नकारात्मक सिर हिलना प्रबलन दो प्रकार से और विभाजित कर सकते है

प्रबलन कौशल ( Reinforcement ) शाब्दिक प्रबलन एवं अशाब्दिक प्रबलन शाब्दिक प्रबलन - अच्छा, शाबाश , हाँ-हाँ, ठीक है ,नहीं ,ऐसा नहीं, अशाब्दिक प्रबलन - मुस्कराना , सिर हिलना हाथ से संकेत करना चेहरे के भाव द्वारा आदि ।

प्रबलन कौशल के घटक धनात्मक शाब्दिक प्रबलन धनात्मक अशाब्दिक प्रबलन नकारात्मक शाब्दिक प्रबलन नकारात्मक अशाब्दिक प्रबलन छात्रों के सही उत्तर दुहराना छात्रों के सही उत्तर श्यामपट पर लिखना अतिरिक्त शब्द संकेत प्रबलन का गलत उपयोग प्रबलन का अनुपयुक्त उपयोग

सूक्ष्म पाठ योजना का प्रारूप सूक्ष्म पाठ योजना क्रमांक- 1 शिक्षण कौशल – दिनांक - छात्राध्यापक का नाम - समय – कक्षा- प्रकरण- शिक्षक क्रिया छात्र क्रिया उपयोग मे आने वाला घटक अशोक ने कौन सा धर्म स्वीकार किया ? बहुत अच्छे बौद्ध धनात्मक शाब्दिक प्रबलन

अवलोकन तालिका शिक्षण कौशल – प्रबलन कौशल छात्राध्यापक का नाम - दीपक शर्मा कक्षा- 7 प्रकरण- सम्राट अशोक घटक आवृति धनात्मक शाब्दिक प्रबलन धनात्मक अशाब्दिक प्रबलन नकारात्मक शाब्दिक प्रबलन नकारात्मक अशाब्दिक प्रबलन छात्रों के सही उत्तर दुहराना छात्रों के सही उत्तर श्यामपट पर लिखना अतिरिक्त शब्द संकेत प्रबलन का गलत उपयोग प्रबलन का अनुपयुक्त उपयोग -------------------------------------------------------------------- II I II IIII II I II I I I ------------------------------------------------- अवलोकनकर्ता के हस्ताक्षर

धन्यवाद
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