class X cbse history ppt on Indian nationalism in hindi PART 1
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Language: none
Added: Dec 10, 2014
Slides: 33 pages
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भारत में राष्ट्रवादभारत में राष्ट्रवाद
1915-19311915-1931
H C SRIVASTAVA,JNV CHANDAULIH C SRIVASTAVA,JNV CHANDAULI
1757-1857 1757-1857 राष
रवाद की नींव
राष
रवाद की नींव
•अ
ंग्रेजी शासन के प्रतिति भारितियों का असंतिोष बढ़तिा जा रहा था
.कारण थ
े
-
•जीवन क
े हर केत्र मे अंग्रेजी हस्तिकेप
•भारतिीय क
ेत्रों पर कब्ज़ा
,िरयासतिों का अिधिग्रहण
•िकसानों और आदिदवािसयों का शोषण
•हस्तिकलाओं का पतिन और उद्योगों का िवनाश
•सामािजक और धिािम
रक जीवन मे हस्तिकेप
•१९वीं सदी म
े आदये प्रतशासिनक
,सामािजक श
ैिकक बदलाव
-
•नए कानूनों और प्रतशासन स
े भारति का एकीकरण
•नयी िशका और आदधिुनिनकतिा की हवा
•स्वति
ंत्रतिा की भावना
•इन सब न
े भारति मे राषरवाद की नींव रखी
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राष
रवाद
राष
रवाद
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अपन
े आदप को एक राषर के अधिार पर एक सूत्र मे बांधि लेतिे है
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•पिरणामपिरणामLo#i ns’k esa vusd jktuhfrd laxBuksa dk xBu fd;k Lo#i ns’k esa vusd jktuhfrd laxBuksa dk xBu fd;k
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भूमिमकाभूमिमका
•कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई.
•1885-1915 का समय राजनीतितक पाठशाला में
ककहरा सीतखने का था.
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कांग्रेस के प्रारंिभक नेताकांग्रेस के प्रारंिभक नेता
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प्रारंिभक नेताओं का योगदानप्रारंिभक नेताओं का योगदान
•भारतीतयों को राजनीतित का पाठ पढ़ाया.
•संगठन की शिक्ति से पिरिचित कराया.
•आने वाले राजनीतितक संघर्ष र्ष की पृष्ठभूमिम तैयार की.
•लेिकन जैसा िक उग्रवादीत नेता बाल गंगाधर ितलक
का कहना था,1885 से 1915 तक के संघर्ष र्ष के बारे
में,-
•“इतने वष ों तक हमने घर्ुटने टेक कर रkीत मांगीत और
बदले में हमें पत्थर िमले”
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1915-19311915-1931
प्रतथम चरणप्रतथम चरण
असहयोग तिक असहयोग तिक
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•1915 के बाद का युग गाँधीत युग के नाम से जाना
जाता है.
•गाँधीत जीत ने इस पूमरे काल में भारतीतय राष्ट्रीतय
आन्दोलन को िदशा दीत और संचिािलत िकया.
•गाँधीत जीत 1915 में दिक्षिण अफ्रीका से वापस भारत
आये.
•इस समय भारत में क्या पिरिस्थितयां थीत?
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बीसवीं सदी के प्रारंभिभिक वषों में भिारतीय बीसवीं सदी के प्रारंभिभिक वषों में भिारतीय
परिरिस्थितितपरिरिस्थितित
•प्रथितम िवश्वयुद्ध का असर-
•कीमतों में वृद्धिद्ध,करों में वृद्धिद्ध.
•आयकर नामक नए कर की शुरुआत,सीमा शुल्क में वृद्धिद्ध
की गयी.
•1913-18 के बीच कीमतें दोगुना हो चुकीं थिती.
•युद्ध के िलिए िसपरािहयों की जबरन भिरती की गयी थिती.
•1918-21 के बीच खराब फसलिों,फ्लिू की महामारी और
अकालि के वषर्ष थिते.
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नया नेता नयी िदशानया नेता नयी िदशा
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महात्मा गाँधीमहात्मा गाँधी
•1915 में महात्मा गाँधी भिारत लिौटे.
•दिक्षिण अफ्रीका में उन्होंने जनांभदोलिन का
सफलितापरूवर्षक नेतृद्धत्व िकया थिता.
•आन्दोलिन के नए तरीकों को उन्होंने दिक्षिण अफ्रीका में
सफलितापरूवर्षक आजमाया थिता.
•ये थिते- सत्याग्रह और अिहसा.
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सत्याग्रहसत्याग्रह
•"सत्याग्रह' का मूलि अथितर्ष है सत्य के प्रित आग्रह। अन्याय का सवर्षथिता िवरोध करते हुए
अन्यायी के प्रित वैरभिाव न रखना, सत्याग्रह का मूलि लिक्षिण है। हमें सत्य का परालिन
करते हुए िनभिर्षयतापरूवर्षक मृद्धत्य का वरण करना चािहए और मरते मरते भिी िजसके
िवरुद्ध सत्याग्रह कर रहे है, उसके प्रित वैरभिाव या क्रोध नहीं करना चािहए।'
•"सत्याग्रह' में अपरने िवरोधी के प्रित िहसा के िलिए कोई स्थितान नहीं है। धैयर्ष एवंभ
सहानुभिूित से िवरोधी को उसकी गलिती से मुक्त करना चािहए, क्योंिक जो एक को
सत्य प्रतीत होता है, वहीं दूसरे को गलित िदखाई दे सकता है। धैयर्ष का तात्परयर्ष कष्टसहन
से है। इसिलिए इस िसद्धांभत का अथितर्ष हो गया, "िवरोधी को कष्ट अथितवा परीड़ा देकर नहीं,
बिल्क स्वयंभ कष्ट उठाकर सत्य का रक्षिण।‘
•गांभधी जी ने लिाड र्ष इंभटर के सामने सत्याग्रह की संभिक्षिप्त व्याख्या इस प्रकार की थिती-"यह
ऐसा आंभदोलिन है जो परूरी तरह सच्चाई परर कायम है और िहसा के उपरायों के एवज में
चलिाया जा रहा।'
अिहसा सत्याग्रह दशर्षन का सबसे महत्वपरूणर्ष तत्व है
,
क्योंिक
सत्य तक परहुँचने और उन परर िटके रहने का एकमात उपराय अिहसा ही है।
और गांभधी जी के ही शबदों में
"
अिहसा िकसी को चोट न परहुँचाने की
नकारात्मक
(िनगेिटव)
वृद्धितमात नहीं है
,
बिल्क वह सिक्रय प्रेम की
‘
िवधायक वृद्धित है।
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अिहसाअिहसा
•मै स्वयंभ को एक व्यावहािरक आदशर्षवादी मानता हूंभ। अिहसा का धमर्ष केवलि
ऋषिषयों और संभतों के िलिए नहीं है। यह सामान्य लिोगों के िलिए भिी है। अिहसा
उसी प्रकार से मानवों का िनयम है िजस प्रकार से िहसा परशुओं का िनयम है।
परशु की आत्मा सुप्तावस्थिता में होती है और वह केवलि शारीिरक शिक्त के िनयम
को ही जानता है। मानव की गिरमा एक उच्चतर िनयम आत्मा के बलि का िनयम
के परालिन की अपरेक्षिा करती है...
•मै केवलि एक मागर्ष जानता हूंभ - अिहसा का मागर्ष। िहसा का मागर्ष मेरी प्रकृद्धित के
िवरुद्ध है। मै िहसा का पराठ परढाने वालिी शिक्त को बढाना नहीं चाहता... मेरी
आस्थिता मुझे आश्वस्त करती है िक ईश्वर बेसहारों का सहारा है, और वह संभकट
में सहायता तभिी करता है जब व्यिक्त स्वयंभ को उसकी दया परर छोड देता है।
इसी आस्थिता के कारण मै यह आशा लिगाए बैठा हूंभ िक एक-न-एक िदन वह मुझे
ऐसा मागर्ष िदखाएगा िजस परर चलिने का आग्रह मै अपरने देशवािसयों से
िवश्वासपरूवर्षक कर सकूंभगा।
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भिारत में गाँधी जी के प्रारंभिभिक आन्दोलिनभिारत में गाँधी जी के प्रारंभिभिक आन्दोलिन
•1916-चम्परारण,नीलि की खेती के िवरुद्ध
•1917-खेड़ा,गुजरात,अकालि के कारण टैक्स नहीं देने
के िलिए.
•1918-अहमदाबाद,िमलि मजदूरों का
आन्दोलिन,बेहतर तनख्वाह और अच्छी कायर्ष िस्थितितयों
के िलिए.
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रौलेटरौलेट,,असहयोग और िखिलाफतअसहयोग और िखिलाफत
•1919-रौलेट एक्ट पािरत होता है.
•इस काले कानून में राजनिनितक गितिविधिधियों को
कुचलने और राजनिनितक बंदिदियों को िबना मुक़दिमा
चलाये दिो विधष र्ष तक की कैदि की व्यविधस्था थी.
•इस के िखिलाफ महात्मा गाँधिी ने ६ अप्रैल से हड़ताल
का आविधाहन िकया.
•दिेश में हड़तालों की शुरुआत,अन्ग्रेजनो द्वारा दिमन.
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•१० अप्रैल को अमृतसर में एक जनुलूस पर पुिलस ने
गोली चलाई.
•उपद्रविध बढ़ा,अमृतसर में माशर्षल ला लागू.
•जननरल डायर ने कमान संदभाली.
•१३ अप्रैल १९१९
•जनिलयाँविधाला बाग हत्याकांदड
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अंदग्रेजनों द्वारा दिमनअंदग्रेजनों द्वारा दिमन
•जननरल डायर सत्याग्रिहयों के जनेहन में एक दिहशत और
िविधस्मय का भाविध पैदिा करना चाहता था.
•जनिलयाँविधाला बाग की खिबर ने लोगो में गुस्सा भडकाया,
तो सरकार ने भी दिमन का रास्ता अपनाया.
•जनमीन पर नाक रगड़ना,सड़क पर िघिसट कर चलना और
कोड़े मारना जनैसी सजनायें आम हो गयी.
•गाँधिी जनी ने आन्दिोलन विधापस ले िलया.कैसर ए िहन्दि की
उपािधि लौटा दिी.
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िखिलाफतिखिलाफत
•प्रथम िविधश्वयुद्ध में तुकी की िब्रिटेन के हाथों हार हो
चुकी थी.
•सेविधेरेस की संदिधि से अंदग्रेजनों ने खिलीफा के अिधिकार
सीिमत कर िदिये,और उसके कई क्षेत्रो को छीन िलया.
•अंदग्रेजनों द्वारा खिलीफा के साथ िकये गए इस
अपमानजननक व्यविधहार के िविधरुद्ध भारत में िखिलाफत
आन्दिोलन की शुरुआत हुई.
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िखिलाफत के नेता और महात्मा गाँधिी के िलए िखिलाफत के नेता और महात्मा गाँधिी के िलए
अविधसरअविधसर
•माचर्ष 1919 में बम्बई में िखिलाफत सिमित का गठन.
•मोहम्मदि अली और शौकत अली प्रमुखि नेता थे.
•महात्मा गाँधिी ने इसमें िहदिुओं और मुसलमानों को
साथ लाने और राष्ट्रविधादिी आन्दिोलन साथ साथ चलाने
का सुनहरा मौका दिेखिा.
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असहयोगअसहयोग
•िसतम्बर 1920 कांदग्रेस का कलकत्ता अिधिविधेशन-
िखिलाफत और स्विधराजन के िलए असहयोग आन्दिोलन
शुरू करने का प्रस्ताविध.
•िदिसंदबर 1920 कांदग्रेस का नागपुर अिधिविधेशन-जननविधरी
1921 से असहयोग शुरू करने का फैसला.
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असहयोग आन्दिोलन असहयोग आन्दिोलन 1921-221921-22
•िविधिभन्न क्षेत्रों में आन्दिोलन के िभन्न िभन्न रूप रहे.
•िफर भी दिो बातें समान थी-
•बिहष्कार और स्विधदिेशी.
•साथ ही अटूट लगन
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शहरों में आन्दोलनशहरों में आन्दोलन
•मध्यवर्ग र्ग की िहस्सेदारी.
•बहिहष्कार,
•िपिकेिटिंग
•स्वर्देशी को बहढ़ावर्ा
•लेिकन कुछ समय बहाद आन्दोलन ढीला पिड़ने लग ा.
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ग ावर्ों में आन्दोलनग ावर्ों में आन्दोलन
•अवर्ध में सन्यासी बहाबहा रामचंद्र का नेतृत्वर् था.
•यहाँ आन्दोलन तालुकेदारों और जमीदारों के िखिलाफ
था.
•1920 में नेहरु जी ने अवर्ध का दौरा िकया अक्टिंूबहर
1920 में अवर्ध िकसान सभा का ग ठन हुआ.
•.
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आन्ध्रप्रद
ेश
आन्ध्रप्रद
ेश
•1920 आन्ध्र प्रदेश की ग ुडैम पिहािड़यो में ग ुिरल्ला
आन्दोलन फ़ैल ग या
•अल्लूरी सीताराम राजू इसके नेता थे,
•ये िहसा के जिरये आज़ादी की वर्कालत करते थे.
•साथ ही महात्मा ग ाँधी के ग ुण ग ाते थे.
•1924 में राजू को फांसी दे दी ग यी.
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बहाग ानों में आन्दोलन का मतलबहबहाग ानों में आन्दोलन का मतलबह
•बहाग ान के मजदूर वर्हां कैदी की तरह रहते थे.
•उन्होंने असहयोग आन्दोलन के बहारे में सुना तो उन्हें
लग ा िक ग ाँधी राज आ ग या है.
•उन्हें अबह आज़ादी िमल जायेग ी,और ग ावर्ं में ज़मीं भी.
•वर्े बहाग ान छोड़ कर अपिने घरों िक ओर चल िदए.रास्ते
में पिकडे ग ए,पिीटिंे ग ए और वर्ापिस लाए ग ए.
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चौरी चौरा और असहयोग की वर्ापिसीचौरी चौरा और असहयोग की वर्ापिसी
•असहयोग आन्दोलन फैलता जा रहा था और साथ ही
िहसा भी बहढ़ रही थी.
•फरवर्री 1922 चौरी चौरा िक घटिंना ने ग ाँधी जी को
िनणर्गय लेने में मदद की और उन्होंने आन्दोलन वर्ापिस
लेने की घोषणा कर दी.
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प्रशप्रश
•अचानक असहयोग आन्दोलन स्थिग त होने पिर लोग ों
में क्या प्रितिक्रिया हुई होग ी?
•अवर्ध के िकसानो के िलए असहयोग का क्या अथर्ग था?
•िखिलाफत क्या था?
•खिेड़ा की क्या समस्या थी?
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