भारतीय दण्ड संहिता.pdf

NaimuddinSiddiqui2 9 views 184 slides Sep 02, 2022
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About This Presentation

भारत के लिए एक साधारण दण्ड संहिता का उपबन्ध करना समीचीन है। अतः यह निम्नलिखित रूप में अधिनियमित किया जाता है।

1. सं�...


Slide Content

भारतीय दण्ड संहिता, 1860
[ INDIAN PENAL CODE, 1860 ]
[ 1860 का अहिहियम संख्ांक 45 ]
भाग 1
[ 6 अक्टू बर 1860 ]
अध्याय 1
प्रस्ताविा
उद्देहिका - भारत के हिए एक सािारण दण्ड संहिता का उपबन्ध करिा समीचीि
िै। अतः यि हिम्नहिखित �प में अहिहियहमत हकया जाता िै।
1. संहिता का िाम और उसके प्रवतति का हवस्तार -
यि अहिहियम भारतीय दण्ड संहिता कििाएगा और इसका हवस्तार सम्पूणत भारत पर
िोगा। [The words "except the State of Jammu and Kashmir" omitted by Act 34
of 2019, s. 95 and the Fifth Schedule (w.e.f. 31-10- 2019)]
2. भारत के भीतर हकए गए अपरािों का दण्ड -
िर व्यखि इस संहिता के उपबन्धों के प्रहतकू ि िर कायत या िोप के हिए हजसका वि
भारत के भीतर दोषी िोगा, इसी संहिता के अिीि दण्डिीय िोगा अ�था ििीं।
3. भारत से परे हकए गए हकन्तु उसके भीतर हवहि के अिुसार हवचारणीय अपरािों
का दण्ड–
भारत से परे हकए गए अपराि के हिए जो कोई व्यखि हकसी भारतीय हवहि के
अिुसार हवचारण का पात्र िो, भारत से परे हकए गए हकसी कायत के हिए उससे इस
संहिता के उपबन्धों के अिुसार ऐसा बरता जाएगा मािो वि कायत भारत के भीतर
हकया गया था।
4. राज्यक्षेत्रातीत अपरािों पर संहिता का हवस्तार -
इस संहिता के उपबन्ध -
(1) भारत से बािर और परे हकसी स्थाि में भारत के हकसी िागररक द्वारा;
(2) भारत में रहजस्ट्रीकृ त हकसी पोत या हवमाि पर, चािे वि किीं भी िो हकसी व्यखि
द्वारा हकए गए हकसी अपराि को भी िागू िै।

(3) भारत में खस्थत कम्प्यूटर संस्थाि को िक्ष्य करके भारत के बािर और परे हकसी
स्थाि में अपराि काररत करिे वािे हकसी व्यखि के द्वारा हदये गये हकसी अपराि को
भी िागू िोगा।
स्पष्टीकरण- इस िारा में -
(क) "अपराि" ि� के अन्तगतत भारत से बािर हकया गया ऐसा िर कायत आता िै
जो यहद भारत में हकया जाता तो, इस संहिता के अिीि दण्डिीय िोता िै;
(ि) पद "कम्प्यूटर सािि” का विी अथत िोगा, जो उसे सूचिा प्रौ�ोहगकी अहिहियम,
2000 (2000 का 21) की यहद 2 की उपिारा (1) िण्ड (त) में उसे समिुदेहित िै।
दृष्टांत
क, जो भारत का िागररक िै उगाण्डा में ित्या करता िै वि भारत के हकसी स्थाि में,
जिााँ वि पाया जाए, ित्या के हिए हवचाररत और दोषहसद्ध हकया जा सकता िै.
5. कु छ हवहियों पर इस अहिहियम द्वारा प्रभाव ि डािा जािा — इस अहिहियम में की
कोई बात भारत सरकार की सेवा के आहिसरों, सैहिकों, िौसैहिकों या वायु सैहिकों
द्वारा हवद्रोि और अहभत्यजि को दखण्डत करिे वािे हकसी अहिहियम के उपबन्धों, या
हकसी हविेष या स्थािीय हवहि के उपबन्धों, पर प्रभाव ििीं डािेगी।
अध्याय 2
सािारण स्पष्टीकरण
[General Explanations]
6. संहिता में की पररभाषाओं का अपवादों के अध्यिीि समझा जािा -
इस संहिता में सवतत्र, अपराि की िर पररभाषा िर दण्ड उपबन्ध और, िर ऐसी पररभाषा
या दण्ड उपबन्ध का िर दष्टान्त,"सािारण अपवाद" िीषतक वािे अध्याय में अन्तहवतष्ट
अपवादों के अध्यिीि समझा जायेगा, चािे उि अपवादों को ऐसी पररभाषा, दण्ड उपबन्ध
या दृष्टान्त में दुिराया ि गया िो।
दृष्टान्त
(क) इस संहिता की वे िाराएाँ, हजिमें अपरािों की पररभाषाएाँ अन्तहवतष्ट िै, यि अहभव्यि
ििीं करती हक सात वषत से कम आयु का हििु ऐसे अपराि ििीं कर सकता, हकन्तु
पररभाषाएाँ उस सािारण अपवाद के अध्यिीि समझी जाती िैं हजसमें यि उपबखन्धत
कोई बात, जो सात वषत से कम आयु के हििु द्वारा की जाती िै, अपराि ििीं िै।
(ि) क, एक पुहिस आहिसर, वारण्ट के हबिा, य को, हजसिे ित्या की िै, पकड़ िेता
िै। यिााँ क सदोष परररोि के अपराि का दोषी ििीं िैं, क्ोंहक वि य को पकड़िे के
हिए हवहि द्वारा आबद्ध था, और इसहिए यि मामिा उस सािारण अपवाद के अन्तगतत

आ जाता िै, हजसमें यि उपबखन्धत िै हक “कोई बात अपराि ििीं िै जो हकसी ऐसे
व्यखि द्वारा की जाए जो उसे करिे के हिए हवहि द्वारा आबद्ध िो"।
7. एक बार स्पष्टीकृ त पद का भाव - िर पद, हजसका स्पष्टीकरण इस संहिता के हकसी
भाग में हकया गया िै, इस संहिता के िर भाग में उस स्पष्टीकरण के अिु�प िी प्रयोग
हकया गया िै।
8. हिंग - पुखलंग वाचक ि� जिााँ प्रयोग हकया गया िै, वे िर व्यखि के बारे में िागू
िैं, चािे िर िो या िारी।
9. वचि - जब तक हक संदभत से तत्प्रहतकू ि प्रतीत ि िो, एक वचि �ोतक ि�ों के
अन्तगतत बहुवचि आता िै, और बहुवचि �ोतक ि�ों के अन्तगतत एकवचि आता िै।
10. पु�ष, स्त्री -
"पु�ष" ि� हकसी भी आयु के मािव िर का ध्योत्तक िै; "स्त्री" ि� हकसी भी आयु
की मािव िारी का �ोत्तक िै।
11. "व्यखि” -
कोई भी कम्पिी या संगम, या व्यखि हिकाय चािे वि हिगहमत िो या ििीं, " व्यखि"
ि� के अन्तगतत आता िै।
12. "िोक" -
िोक का कोई भी वगत या कोई भी समुदाय "िोक" ि� के अन्तगतत आता िै।
13. क्वीि -
हवहि अिुकू िि आदेि, 1950 द्वारा हिरहसत।
14. "सरकार का सेवक" -
"सरकार का सेवक" ि� सरकार के प्राहिकार के द्वारा या अिीि, भारत के भीतर
उस �प में बिे रििे हदए गए, हियुि हकए गए, या हियोहजत हकए गए हकसी भी
आहिसर या सेवक के ध्योत्तक िै।
15. "हिहटि इखण्डया" की पररभाषा -
हवहि अिुकू िि आदेि, 1937 द्वारा हिरहसत.
16. "भारत सरकार" -
भारत सरकार (भारतीय हवहि अिुकू िि) आदेि, 1937 द्वारा हिरहसत ।

17. सरकार -
"सरकार" ि� के न्द्रीय सरकार या हकसी राज्य की सरकार का ध्योत्तक िै।
18. "भारत" -
"भारत" से ज�ू-क�ीर राज्य के हसवाय भारत का राज्य क्षेत्र अहभप्रेत िै।
19. "�ायािीि" -
"�ायािीि" ि� ि के वि िर ऐसे व्यखि का ध्योत्तक िै, जो पद �प से �ायािीि
अहभहित िो, हकन्तु उस िर व्यखि का भी ध्योत्तक िै, जो हकसी हवहि-कायतवािी में,
चािे वि हसहवि िो या दाखण्डक, अखन्तम हिणतय या ऐसा हिणतय, जो उसके हव�द्ध अपीि
ि िोिे पर अंहतम िो जाए या ऐसा हिणतय, जो हकसी अ� प्राहिकारी द्वारा पुष्ट हकए
जािे पर अखन्तम िो जाए, देिे के हिए हवहि द्वारा सिि हकया गया िो अथवा
जो उस व्यखि-हिकाय में से एक िो, जो व्यखि-हिकाय ऐसा हिणतय देिे के हिए हवहि
द्वारा सिि हकया गया िो।
दृष्टान्त
(क) सि् 1859 के अहिहियम 10 के अिीि हकसी वाद में अहिकाररता का प्रयोग करिे
वािा किेक्टर �ायािीि िै।
(ि) हकसी आरोप के सम्बन्ध में, हजसके हिए उसे जुमातिा या कारावास का दण्ड देिे
की िखि प्राप्त िै, चािे उसकी अपीि िोती िो या ि िोती िो, अहिकाररता का प्रयोग
करिे वािा महजस्ट्रेट �ायािीि िै।
(ग) मद्रास संहिता के सि् 1816 के हवहियम 7 के अिीि वादों का हवचारण करिे की
और अविारणा करिे की िखि रििे वािी पंचायत का सदस्य �ायािीि िै।
(घ) हकसी आरोप के सम्बन्ध में, हजिके हिए उसे के वि अ� �ायािय को हवचारणाथत
सुपुदत करिे की िखि प्राप्त िै, अहिकाररता का प्रयोग करिे वािा महजस्ट्रेट �ायािीि
ििीं िै।
20. "�ायािय" -
"�ायािय" ि� उस �ायािीि का, हजसे अके िे िी को �ाहयकतः कायत करिे के
हिए हवहि द्वारा सिि हकया गया िो, या उस �ायािीि हिकाय का, हजसे एक हिकाय
के �प में �ाहयकतः कायत करिे के हिए हवहि द्वारा सिि हकया गया िो, जबहक
ऐसा �ायािीि या �ायािीि हिकाय �ाहयकतः कायत कर रिा िै, ध्योत्तक िै।
दृष्टान्त

मद्रास संहिता के सि् 1816 के हवहियम 7 के अिीि कायत करिे वािी पंचायत हजसे
वादों का हवचारण करिे और अविारण करिे की िखि प्राप्त िै, �ायािय िै।
21. "िोक सेवक" -
"िोक सेवक" ि� उस व्यखि का ध्योत्तक िै जो एतखिि् पश्चात् हिम्नगत वणतिों में
से हकसी में आता िै, अथातत् -
दू सरा -- भारत की सेिा िौसेिा या वायुसेिा का िर आयुि आहिसर;
तीसरा - िर �ायािीि हजसके अन्तगतत ऐसा कोई भी व्यखि आता िै जो हकन्ीं �ाय
हिणातहयक कृ त्यों का चािे स्वयं या व्यखियों के हकसी हिकाय के सदस्य के �प में
हिवतिि करिे के हिए हवहि द्वारा िि हकया गया िो;
चौथा - �ायािय का िर आहिसर हजसके अन्तगतत समापक, ररसीवर या कहमश्नर आता
िै, हजसका ऐसे आहिसर के िाते यि कततव्य िो हक वि हवहि या तथ्य के हकसी
मामिे में अन्वेषण या ररपोटत करे, या कोई दस्तावेज बिाए, अहिप्रमाणीकृ त करे, या रिे,
या हकसी सम्पहत का भार सम्भािे या उस सम्पहत का व्ययि करे, या हकसी �ाहयक
आदेहिका का हिष्पादि करे, या कोई िपथ ग्रिण कराए या हिवतचि करे, या �ायािय
में व्यवस्था बिाए रिे और िर व्यखि, हजसे ऐसे कततव्यों में से हकन्ीं का पािि करिे
का प्राहिकार �ायािय द्वारा हविेष �प से हदया गया िो;
पांचवा - हकसी �ायािय या िोक-सेवक की सिायता करिे वािा िर जूरी सदस्य,
असेसर या पंचायत का सदस्य।
छटा - िर मध्यस्थ या अ� व्यखि, हजसको हकसी �ायािय द्वारा, या हकसी अ� सक्षम
िोक प्राहिकारी द्वारा कोई मामिा या हवषय, हवहिश्चय या ररपोटत के हिए हिदेहित हकया
गया िो।
सातवां - िर व्यखि जो हकसी ऐसे पद को िारण करता िो, हजसके आिार से वि
हकसी व्यखि को परररोि में करिे या रििे के हिए सिि िो।
आठवां - सरकार का िर आहिसर हजसका ऐसे आहिसर के िाते यि कततव्य िो हक
वि अपरािों का हिवारण करे, अपरािों की इहत्तिा दे, अपराहियों को �ाय के हिए
उपखस्थत करे, या िोक के स्वास्थ्य, क्षेम या सुहविा की संरक्षा करे।
िवां - िर आहिसर हजसका ऐसे आहिसर के िाते यि कततव्य िो हक वि सरकार
की ओर से हकसी सम्पहत्त को ग्रिण करे, प्राप्त करे, रिे, या व्यय करे, या सरकार की
ओर से कोई सवेक्षण, हििातरण या संहवदा करे, या हकसी राजस्व आदेहिका का हिष्पादि
करे या सरकार के िि सम्बन्धी हितों पर प्रभाव डाििे वािे हकसी मामिे में अन्वेषण
या ररपोटत करे या सरकार के िि सम्बन्धी हितों से सम्बखन्धत हकसी दस्तावेज को
बिाए, अहिप्रमाणीकृ त करे या रिे, या सरकार के िि-सम्बन्धी हितों की संरक्षा के
हिए हकसी हवहि के व्यहतक्रम को रोके।

दसवां - िर आहिसर, हजसका ऐसे आहिसर के िाते यि कततव्य िो हक वि हकसी
ग्राम, िगर या हजिे के हकसी िमतहिरपेक्ष सामा� प्रयोजि के हिए हकसी सम्पहत्त को
ग्रिण करे, प्राप्त करे, रिे, या व्यय करे, कोई सवोक्षण या हििातरण करे, या कोई रेट या
कर उद् गृिीत करे, या हकसी ग्राम, िगर या हजिे के िोगों के अहिकारों के अहभहिश्चयि
के हिए कोई दस्तावेज बिाए, अहिप्रमाणीकृ त करे या रिे।
ग्यारिवां - िर व्यखि जो कोई ऐसा पद िारण करता िो हजसके आिार से वि
हिवातचक िामाविी तैयार करिे, प्रकाहित करिे, बिाए रििे या पुिरीहक्षत करिे के
हिए या हिवातचि या हिवातचि के हकसी भाग को संचाहित करिे के हिए सिि िो;
बारिवां - िर व्यखि, जो –
(क) सरकार की सेवा या वेति में िो, या हकसी िोक-कततव्य के पािि के हिए
सरकार से िीस या कमीिि के �प में पाररश्रहमक पाता िो।
(ि) स्थािीय प्राहिकारी की, अथवा के न्द्र, प्रान्त या राज्य के अहिहियम के द्वारा
या अिीि स्थाहपत हिगम की अथवा कम्पिी अहिहियम, 1956 (1956 का 1) की िारा
617 में यथा पररभाहषत सरकारी कम्पिी की, सेवा या वेति में िो।
दृष्टान्त
िगरपाहिका आयुि िोक सेवक िै।
स्पष्टीकरण 1 - ऊपर के वणतिों में से हकसी में आिे वािे व्यखि िोक सेवक िैं, चािे वे
सरकार द्वारा हियुि हकए गए िों या ििीं।
स्पष्टीकरण 2 - जिााँ किीं "िोक सेवक" ि� आए िैं, वे उस िर व्यखि के सम्बन्ध में
समझे जायेंगे जो िोक सेवक के ओिदे को वास्तव में िारण हकए हुए िों, चािे उस
ओिदे को िारण करिे के उसके अहिकार में कै सी िी हवहिक त्रुहट िो।
स्पष्टीकरण 3 - "हिवातचि" ि� ऐसे हकसी हविायी, िगरपाहिका या अ� िोक प्राहिकारी
के िाते, चािे वि कै से िी स्व�प का िो, सदस्यों के वरणाथत हिवातचि का ध्योत्तक िै
हजसके हिए वरण करिे की पद्धहत हकसी हवहि के द्वारा या अिीि हिवातचि के �प
में हिहित की गई िो।
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राज्य संिोिि
राजस्थाि - भा० द० संहिता की िारा 21 राजस्थाि में यथा प्रयोज्य िण्ड बारिवााँ के
पश्चात् हिम्नहिखित िवीि िण्ड जोड़े जाएाँ गे, यथा -
तेरिवााँ - प्रत्येक व्यखि जो हकसी हवहि के अन्तगतत अिुमोहदत अथवा मा�ता प्राप्त
हकसी परीक्षा को सम्पाहदत करािे के हिए और उसकी देि-रेि करिे के हिए हकसी
िोक हिकाय द्वारा हियुि हकया गया या िगाया गया िै।

स्पष्टीकरण - अहभव्यखि िोक हिकाय में सख�हित िैं -
(क) हवश्वहव�ािय हिक्षा पररषद या अ� हिकाय चािे वि के न्द्र अथवा राज्य के
अन्तगतत स्थाहपत हुआ ओ अथवा भारतीय संहविाि के उपबन्धों द्वारा सरकार द्वारा
गहठत हकया गया िो।
(ि) "एक स्थािीय प्राहिकारी" [राजस्थाि अहि० सं० 4 सि् 1993 िारा 2 प्रभावी 11-
2-1993]
-----------------------------------------------------------------------------------------
22. "जंगम सम्पहत्त" -
"जंगम सम्पहत्त" ि�ों से यि आिहयत िै हक इिके अन्तगतत िर भााँहत की मूतत सम्पहत्त
आती िै, हकन्तु भूहम और वे चीजें, जो भूबद्ध िों या भूबद्ध हकसी चीज से स्थायी �प
से जकड़ी हुई िों, इिके अन्तगतत ििीं आती।
23. "सदोष अहभिाभ" -
"सदोष अहभिाभ" हवहि हव�द्ध साििों द्वारा ऐसी सम्पहत्त का अहभिाभ िै, हजसका वैि
�प से िकदार अहभिाभ प्राप्त करिे वािा व्यखि ि िो।
"सदोष िाहि" - "सदोष िाहि" हव�द्ध साििों द्वारा ऐसी सम्पहत्त की िाहि िै, हजसका
वैि �प से िकदार िाहि उठािे वािा व्यखि िो।
सदोष अहभिाभ प्राप्त करिा - सदोष िाहि उठािा - कोई व्यखि सदोष अहभिाभ
प्राप्त करता िै, यि तब किा जाता िै जब हक वि व्यखि सदोष रिे रिता िै तब
भी जब हक वि व्यखि सदोष अजति करता िै। कोई व्यखि सदोष िाहि उठाता िै,
यि तब किा जाता िै जबहक उसे हकसी सम्पहत से सदोष अिग रिा जाता िै और
तब भी जबहक उसे हकसी सम्पहत्त से सदोष वंहचत हकया जाता िै।
24. “बेईमािी से" -
जो कोई इस आिय से कोई कायत करता िै हक एक व्यखि को सदोष अहभिाभ काररत
करे या अ� व्यखि को सदोष िाहि काररत करे, वि उस कायत को “बेईमािी से" करता
िै, यि किा जाता िै।
25. “कपटपूवतक” -
कोई व्यखि हकसी बात को कपटपूवतक करता िै, यि किा जाता िै, यहद वि उस बात
को कपट करिे के आिय से करता िै, हकन्तु अ�था ििीं।
26. “हवश्वास करिे का कारण” -

कोई व्यखि हकसी बात के “हवश्वास करिे का कारण” रिता िै, यि तब किा जाता
िै, जब यि उस बात के हवश्वास करिे का पयातप्त िेतुक रिता िै, अ�था ििीं।
27. “पत्नी, हिहपक या सेवक के कब्जे में संपहत्त” -
जबहक संपहत्त हकसी व्यखि के हिहमत्त उस व्यखि की पत्नी, हिहपक या सेवक के कब्जे
में िै, तब वि इस संहिता के अथत के अन्तगतत उस व्यखि के कब्जे में िै।
स्पष्टीकरण -- हिहपक या सेवक के िाते अस्थायी �प से या हकसी हवहिष्ट अवसर
पर हियोहजत व्यखि इस िारा के अथत के अन्तगतत हिहपक या सेवक िै।
28. “कू टकरण” -
जो व्यखि एक चीज को दू सरी चीज के सदृि इस आिय से करता िै हक वि उस
सदृि से प्रवंचिा करे, या यि संभाव्य जािते हुए करता िै हक तद्द्वारा प्रवंचिा की
जाएगी, वि 'कू टकरण' करता िै, यि किा जाता िै।
स्पष्टीकरण 1- कू टकरण के हिए यि आव�क ििीं िै हक िकि ठीक वैसी िी िो।
स्पष्टीकरण 2- जबहक कोई व्यखि एक चीज को दू सरी चीज के सदृि कर दे और सदृि
ऐसा िै हक तद्द्वारा हकसी व्यखि को प्रवंचिा िो सकती िो, तो जब तक हक तत्प्रहतकू ि
साहबत ि हकया जाए, यि उपिारणा की जाएगी हक जो व्यखि एक चीज को दू सरी
चीज के इस प्रकार सदृि बिाता िै उसका आिय उस सदृि द्वारा प्रवंचिा करिे का
था या वि यि संभाव्य जािता था हक एतद्वारा प्रवंचिा की जाएगी।
29. “दस्तावेज” -
“दस्तावेज” ि� हकसी भी हवषय का �ोतक िै हजसको हकसी पदाथत पर अक्षरों, अंकों
या हचन्ों के सािि द्वारा, या उिमें एक से अहिक साििों द्वारा अहभव्यि या वहणतत
हकया गया िो जो उस हवषय के साक्ष्य के �प में उपयोग हकए जािे को आिहयत
िो या उपयोग हकया जा सके।
स्पष्टीकरण 1- यि तत्विीि िै हक हकस सािि द्वारा या हकस पदाथत पर अक्षर, अंक या
हचन् बिाए गए िैं या यि हक साक्ष्य हकसी �ायािय के हिए आिहयत िै या ििीं, या
उसमें उपयोग हकया जा सकता िै या ििीं।
दृष्टांत
हकसी संहवदा के हिबंििों को अहभव्यि करिे वािा िेि, जो उस संहवदा के साक्ष्य
के �प में उपयोग हकया जा सके, दस्तावेज िै।
बैंककार पर हदया गया चैक दस्तावेज िै।
मुख्तारिामा दस्तावेज िै।

मािहचत्र या रेिांक, हजसको साक्ष्य के �प में उपयोग में िािे का आिय िो या जो
उपयोग में िाया जा सके, दस्तावेज िै।
हजस िेि में हिदेि या अिुदेि अन्तहवतष्ठ िो, वि दस्तावेज िै।
स्पष्टीकरण 2 - अक्षरों, अंकों या हचन्ों से जो कु छ भी वाहणखज्यक या अ� प्रथा के
अिुसार व्याख्ा करिे पर अहभव्यि िोता िै, वि इस िारा के अथत के अन्तगतत ऐसे
अक्षरों, अंकों या हचन्ों से अहभव्यि हुआ समझा जाएगा, चािे वि वस्तुतः अहभव्यि
ि भी हकया गया िो।
दृष्टांत
क एक हवहिमयपत्र की पीठ पर, जो उसके आदेि के अिुसार देय िै, अपिा िाम हिि
देता िै। वाहणखज्यक प्रथा के अिुसार व्याख्ा करिे पर इस पृष्ठांकि का अथत िै हक
िारक को हवहिमयपत्र का भुगताि कर हदया जाए। पृष्ठांकि दस्तावेज िै और इसका
अथत उसी प्रकार से िगाया जािा चाहिए मािो िस्ताक्षर के ऊपर “िारक को भुगताि
करो” ि� या तत्प्रभाव वािे ि� हिि हदए गए िों।
29 क. इिेक्टराहिक अहभिेि -
“इिेक्टराहिक अहभिेि” ि�ों का विी अथत िोगा, जो उन्ें सूचिा प्रो�ोहगकी अहिहियम,
2000 की िारा 2 की उपिारा (1) के िण्ड (ि) में समिुदेहित हकया गया िै।
30. “मूल्यवाि प्रहतभूहत" -
“मूल्यवाि प्रहतभूहत' ि� उस दस्तावेज के �ोतक िैं, जो ऐसा दस्तावेज िै, या िोिा
तात्पहयतत िै, हजसके द्वारा कोई हवहिक अहिकार सृहजत, हवस्तृत, अन्तररत, हिबतखन्धत,
हिवातहपत, हकया जाए, छोड़ा जाए या हजसके द्वारा कोई व्यखि यि अहभस्वीकार करता
िै हक वि हवहिक दाहयत्व के अिीि िै, या अमुक हवहिक अहिकार ििीं रिता िै।
दृष्टांत
क एक हवहिमयपत्र की पीठ पर अपिा िाम हिि देता िै। इस पृष्ठांकि का प्रभाव
हकसी व्यखि को, जो उसका हवहिपूणत िारक िो जाए, उस हवहिमयपत्र पर का अहिकार
अन्तररत हकया जािा िै, इसहिए यि पृष्ठांकि “मूल्यवाि प्रहतभूहत" िै।
31. “हवि" -
"हवि" ि� हकसी भी वसीयती दस्तावेज का �ोतक िै।
32. कायों का हिदेि करिे वािे ि�ों के अन्तगतत अवैि िोप आता िै -
जब तक हक संदभत से तत्प्रहतकू ि आिय प्रस्तुत ि िो, इस संहिता के िर भाग में हकए
गए कायों का हिदेि करिे वािे ि�ों का हवस्तार अवैि िोपों पर भी िै।

33. "कायत”, “िोप" -
“कायत" ि� कायातविी का �ोतक उसी प्रकार िै हजस प्रकार एक कायत का; "िोप”
ि� िोपाविी का �ोतक उसी प्रकार िै हजस प्रकार एक िोप का।
34. सामा� आिय को अग्रसर करिे में कई व्यखियों द्वारा हकए गए कायत -
जबहक कोई आपराहिक कायत कई व्यखियों द्वारा अपिे सब के सामा� आिय को
अग्रसर करिे में हकया जाता िै, तब ऐसे व्यखियों में से िर व्यखि उस कायत के हिए
उसी प्रकार दाहयत्व के अिीि िै, मािो वि कायत अके िे उसी िे हकया िो।
35. जबहक ऐसा कायत इस कारण आपराहिक िै हक वि आपराहिक ज्ञाि या आिय
से हकया गया िै -
जब कभी कोई कायत, जो आपराहिक ज्ञाि या आिय से हकए जािे के कारण िी
आपराहिक िै, कई व्यखियों द्वारा हकया जाता िै, तब ऐसे व्यखियों में से िर व्यखि,
जो ऐसे ज्ञाि या आिय से उस कायत में सख�हित िोता िै, उस कायत के हिए उसी
प्रकार दाहयत्व के अिीि िै, मािो वि कायत उस ज्ञाि या आिय से अके िे उसी द्वारा
हकया गया िो।
36. अंितः कायत द्वारा और अंितः िोप द्वारा काररत पररणाम –
जिां किीं हकसी कायत द्वारा या हकसी िोप द्वारा हकसी पररणाम का काररत हकया
जािा या उस पररणाम को काररत करिे का प्रयत्न करिा अपराि िै, विां यि समझा
जािा िै हक उस पररणाम का अंितः कायत द्वारा और अंितः िोप द्वारा काररत हकया
जािा विी अपराि िै।
दृष्टांत
क अंितः य को भोजि देिे का अवैि �प से िोप करके, और अंितः य को पीटकर
सािय य की मृत्युकाररत करता िै। क िे ित्या की िै।
37. हकसी अपराि को गहठत करिे वािे कई कायों में से हकसी एक को करके
सियोग करिा -
जब हक कोई अपराि कई कायों द्वारा हकया जाता िै, तब जो कोई या तो अके िे या
हकसी अ� व्यखि के साथ सख�हित िोकर उि कायों में से कोई एक कायत करके
उस अपराि के हकए जािे में सािय सियोग करता िै, वि उस अपराि को करता िै।
दृष्टांत -
(क) क और ि पृथक्-पृथकू �प से और हवहभन्न समयों पर य को हवष की छोटी-
छोटी मात्राएं देकर उसकी ित्या करिे को सिमत िोते िैं। क और ि, य की ित्या
करिे के आिय से सिमहत के अिुसार य को हवष देते िैं। य इस प्रकार दी गई हवष
की कई मात्राओं के प्रभाव से मर जाता िै। यिां क और ि ित्या करिे में सािय

सियोग करते िैं और क्ोंहक उिमें से िर एक ऐसे कायत करता िै, हजससे मृत्यु काररत
िोती िै, वे दोिों इस अपराि के दोषी िैं, य�हप उिके कायत पृथक िैं।
(ि) कऔर ि संयुि जेिर िैं, और अपिी उस िैहसयत में वे एक कै दी य का बारी-
बारी से एक समय में घण्टे के हिए संरक्षण-भार रिते िैं। य को हदए जािे के प्रयोजि
से जो भोजि क और ि को हदया जाता िै, वि भोजि इस सािय से हक य की
मृत्युकाररत कर दी जाए, िर एक अपिी िाहजरी के काि में य को देिे का िोप करके
वि पररणाम अवैि �प से काररत करिे में जािते हुए सियोग करते िैं। य भूि से
मर जाता िै। क और ि दोिों य की ित्या के दोषी िैं।
(ग) एक जेिर क, एक कै दी य का संरक्षण भार रिता िै। क, य की मृत्यु काररत
करिे के आिय से, य को भोजि देिे का अवैि �प से िोप करता िै, हजसके
पररणामस्व�प य की िखि बहुत क्षीण िो जाती िै, हकन्तु यि क्षुिापीड़ि उसकी मृत्यु
काररत करिे के हिए पयातप्त ििीं िोता। क अपिे पद से च्युत कर हदया जाता िै और
ि उसका उत्तरवती िोता िै। क से दुस्संहि या सियोग हकए हबिा ि यि जािते हुए
हक ऐसा करिे से संभाव्य िै हक वि य की मृत्युकाररत कर दे, य को भोजि देिे का
अवैि �प से िोप करता िै। य भूि से मर जाता िै। ि ित्या का दोषी िै, हकन्तु क
िे ि से सियोग ििीं हकया, इसहिए क ित्या करिे के प्रयत्न का िी दोषी िै।
38. आपराहिक कायत में संपृि व्यखि हवहभन्न अपरािों के दोषी िो सकें गे -
जिां हक कई व्यखि हकसी आपराहिक कायत को करिे में िगे हुए या सम्पृि िैं, विां
वे उस कायत के आिार पर हवहभन्न अपरािों के दोषी िो सकें गे।
दृष्टांत
क गम्भीर प्रकोपि की ऐसी पररखस्थहतयों के अिीि य पर आक्रमण करता िै हक य
का उसके द्वारा वि हकया जािा के वि ऐसा आपराहिक मािव वि िै, जो ित्या की
कोहट में ििीं िोता िै। ि जो य से वैमिस्य रिता िै, उसका वि करिे के आिय से
और प्रकोपि से विीभूत ि िोते हुए य का वि करिे में क की सिायता करता िै।
यिां य�हप क और ि दोिों य की मृत्युकाररत करिे में िगे हुए िैं, ि ित्या का दोषी
िै और क के वि आपराहिक मािव वि का दोषी िै।
39. “स्वे�या” -
कोई व्यखि हकसी पररणाम को “स्वे�या" काररत करता िै, यि तब किा जाता िै,
जब वि उसे उि साििों द्वारा काररत करता िै, हजिके द्वारा उसे काररत करिा उसका
आिय था या उि साििों द्वारा काररत करता िै हजि साििों को काम में िाते समय
यि जािता था, या यि हवश्वास करिे का कारण रिता था हक उिसे उसका काररत
िोिा संभाव्य िै।
दृष्टांत

क िूट को सुकर बिािे के प्रयोजि से एक बड़े िगर के एक बसे हुए गृि में रात
को आग िगाता िै और इस प्रकार एक व्यखि की मृत्युकाररत कर देता िै। यिां क
का आिय भिे िी मृत्यु काररत करिे का ि रिा िो और वि दुखित भी िो हक
उसके कायत से मृत्युकाररत हुई िै तो भी यहद वि यि जािता था हक संभाव्य िै हक
वि मृत्युकाररत कर दे तो उसिे स्वे�या मृत्युकाररत की िै।
40. “अपराि” -
इस िारा के िण्ड 2 और 3 में वहणतत अध्यायों और िाराओं के हसवाय “अपराि” ि�
इस संहिता द्वारा दण्डिीय की गई हकसी बात का �ोतक िै।
अध्याय 4, अध्याय 5क और हिम्नहिखित िाराएं, अथातत् िारा 64, 65, 66, 67, 71, 109, ,
110, 112, 114, 115, 116, 117, 118, 119 और 120,187, 194, 195, 203, 211, 213, 214,
221, 222, 223, 224, 225, 327, 328, 329, 330, 331, 347, 348, 388, 389 और 445 में
“अपराि’ ि� इस संहिता के अिीि या एतखिि् पश्चात् यथापररभाहषत हविेष या
स्थािीय हवहि के अिीि दण्डिीय बात का �ोतक िै और िारा 141,176, 177, 201,
202, 212, 216 और 441 में "अपराि” ि� का अथत उस दिा में विी िै हजसमें हक
हविेष या स्थािीय हवहि के अिीि दण्डिीय बात ऐसी हवहि के अिीि छि मास या
उससे अहिक अवहि के कारावास से, चािे वि जुमातिे सहित िो या रहित, दण्डिीय िो

41. “हविेष हवहि" -
“हविेष हवहि” वि हवहि िै जो हकसी हवहिष्ट हवषय को िागू िो।
42. “स्थािीय हवहि” -
“स्थािीय हवहि” वि हवहि िै जो भारत के हकसी हवहिष्ट भाग को िी िागू िो।
43. “अवैि”, “करिे के हिए वैि �प से आबद्ध” -
“अवैि" ि� उस िर बात को िागू िै, जो अपराि िो, या जो हवहि द्वारा प्रहतहषद्ध िो,
या जो हसहवि कायतवािी के हिए आिार उत्पन्न करती िो; और कोई व्यखि उस बात
को "करिे के हिए वैि �प से आबद्ध” किा जाता िै हजसका िोप करिा उसके
हिए अवैि िै।
44. “क्षहत” -
“क्षहत” ि� हकसी प्रकार की अपिाहि का �ोतक िै, जो हकसी व्यखि के िरीर, मि,
ख्ाहत या संपहत्त को अवैि �प से काररत हुई िो।
45. “जीवि” -

जब तक हक संदभत से तत्प्रहतकू ि प्रतीत ि िो, “जीवि” ि� मािव के जीवि का
�ोतक िै।
46. “मृत्यु” -
जब तक हक संदभत से तत्प्रहतकू ि प्रतीत ि िो, “मृत्यु” ि� मािव की मृत्यु का �ोतक
िै।
47. “जीवजन्तु” -
“जीवजन्तु” ि� मािव से हभन्न हकसी जीविारी का �ोतक िै।
48. “जियाि” -
“जियाि” ि� हकसी चीज का �ोतक िै, जो मािवों के या संपहत्त के जि द्वारा
प्रविण के हिए बिाई गई िो।
49. “वषत”, “मास” -
जिां किीं “वषत” ि� या “मास' ि� का प्रयोग हकया गया िै विां यि समझा जािा
िै हक वषत या मास की गणिा हिहटि किैण्डर के अिुकू ि की जािी िै।
50. “िारा” -
“िारा' ि� इस संहिता के हकसी अध्याय के उि भागों में से हकसी एक का �ोतक
िै, जो हसरे पर िगे संख्ांकों द्वारा सुहभन्न हकए गए िैं।
51. “िपथ” -
“िपथ” के हिए हवहि द्वारा प्रहतस्थाहपत सत्यहिष्ठ प्रहतज्ञाि और ऐसी कोई घोषणा,
हजसका हकसी िोक-सेवक के समक्ष हकया जािा या �ायािय में या अ�त्र सबूत के
प्रयोजि के हिए उपयोग हकया जािा हवहि द्वारा अपेहक्षत या प्राहिकृ त िो, “िपथ” ि�
के अन्तगतत आती िै।
52. “सद्भावपूवतक” -
कोई बात “सद्भावपूवतक” की गई या हवश्वास की गई ििीं किी जाती जो स�क्
सतकत ता और ध्याि के हबिा की गई या हवश्वास की गई िो।
52 क. “संश्रय’ -
िारा 157 में के हसवाय और िारा 130 में विां के हसवाय जिां हक संश्रय संहश्रत व्यखि
की पत्नी या पहत द्वारा हदया गया िो ‘संश्रय' ि� के अंतगतत हकसी व्यखि को आश्रय,
भोजि, पेय, िि, वस्त्र, आयुि, गोिाबा�द या प्रविि के सािि देिा, या हकन्ीं साििों

से चािे वे उसी प्रकार के िों या ििीं, हजस प्रकार के इस िारा में पररगहणत िैं, हकसी
व्यखि की सिायता पकड़े जािे से बचिे के हिए करिा, आता िै।
अध्याय 3: दण्डों के हवषय में
53. “दण्ड” -
अपरािी इस संहिता के उपबंिों के अिीि हजि दण्डों से दण्डिीय िै, वे ये िैं
पििा - मृत्यु;
दू सरा - आजीवि कारावास;
तीसरा - हविोहपत
चौथा - कारावास, जो दो भााँहत का िै, अथातत्:-
(1) कहठि, अथातत् कठोर श्रम के साथ;
(2) सादा;
पााँचवााँ -- सम्पहत्त का समपिरण;
छटा -- जुमातिा।
53 क. - हिवातसि के प्रहत हिदेि का अथत िगािा -
(1) उपिारा (2) के और उपिारा (3) के उपबंिों के अध्यिीि हकसी अ� तत्समय
प्रवृहत्त हवहि में, या हकसी ऐसी हवहि या हकसी हिरहसत अहिहियहमहत के आिार पर
प्रभाविीि हकसी हिित या आदेि में “आजीवि हिवातसि” के प्रहत हिदेि का अथत
यि िगाया जायेगा, हक वि “आजीवि कारावास” के प्रहत हिदेि िै।
(2) िर मामिे में, हजसमें हक हकसी अवहि के हिए हिवातसि का दण्डादेि दण्ड प्रहक्रया
संहिता (संिोिि) अहिहियम, 1955 (1955 का 26) के प्रारंभ से पूवत हदया गया िै,
अपरािी से उसी प्रकार बरता जाएगा, मािो वि उस अवहि के हिए कहठि कारावास
के हिए दण्डाहदष्ट हकया गया िो।
(3) हकसी अ� तत्समय प्रवृत्त हवहि में हकसी अवहि के हिए हिवातसि या हकसी िघुतर
अवहि के हिए हिवातसि के प्रहत (चािे उसे कोई भी िाम हदया गया िो) कोई हिदेि
िुप्त कर हदया गया समझा जाएगा।
(4) हकसी अ� तत्समय प्रवृत्त हवहि में हिवातसि के प्रहत जो कोई हिदेि िो -
(क) यहद उस पद से आजीवि हिवातसि अहभप्रेत िै, तो उसका अथत आजीवि कारावास
के प्रहत हिदेि िोिा िगाया जाएगा;

(ि) यहद उस पद से हकसी िघुत्तर अवहि के हिए हिवातसि अहभप्रेत िै, तो यि समझा
जाएगा हक वि िुप्त कर हदया गया िै।
54. मृत्यु दण्डादेि का िघुकरण -
िर मामिे में, हजसमें मृत्यु का दण्डादेि हदया गया िो, उस दण्ड को अपरािी की
स�हत के हबिा भी समुहचत सरकार इस संहिता द्वारा उपबंहित हकसी अ� दण्ड में
िघुकृ त कर सके गी।
55. आजीवि कारावास के दण्डादेि का िघुकरण -
िर मामिे में, हजसमें आजीवि कारावास का दण्डादेि हदया गया िो, अपरािी की
स�हत के हबिा भी समुहचत सरकार उस दण्ड को ऐसी अवहि के हिए, जो चौदि वषत
से अहिक ि िो, दोिों में से हकसी भांहत के कारावास में िघुकृत कर सके गी।
55 क. “समुहचत सरकार” की पररभाषा -
िारा 54 और 55 में “समुहचत सरकार” पद से -
(क) उि मामिों में के न्द्रीय सरकार अहभप्रेत िै, हजिमें दण्डादेि मृत्यु का दण्डादेि िै,
या ऐसे हवषय से, हजस पर संघ की कायतपािि िखि का हवस्तार िै, संबंहित हकसी
हवहि के हव�द्ध अपराि के हिए िै; तथा
(ि) उि मामिों में उस राज्य की सरकार, हजसके अन्दर अपरािी दण्डाहदष्ट हुआ िै,
अहभप्रेत िै, जिां हक दण्डादेि (चािे मृत्यु का िो या ििीं) ऐसे हवषय से, हजस पर
राज्य की कायतपािि िखि का हवस्तार िै, संबंहित हकसी हवहि के हव�द्ध अपराि के
हिए िै।
56. यूरोहपयों तथा अमरीहकयों को कठोर श्रम कारावास का दण्डादेि दस वषत से
अहिक हकन्तु जो आजीवि कारावास से अहिक ि िो, दण्डादेि के संबंि में परन्तुक
-
दाखण्डक हवहि (मूिवंिीय हवभेदों का हिराकरण) अहिहियम, 1949 (1949 का 17) द्वारा
(6 अप्रैि, 1949 से) हिरहसत
57. दण्डावहियों की हभन्ने -
दण्डावहियों की हभन्नों की गणिा करिे में, आजीवि कारावास को बीस वषत के
कारावास के तुल्य हगिा जाएगा।
58. हिवातसि से दण्डाहदष्ट अपराहियों के साथ कै सा व्यविार हकया जाए जब तक वे
हिवातहसत ि कर हदए जाएं -
दण्ड प्रहक्रया संहिता (संिोिि) अहिहियम 1955 (1955 का 26) की िारा 117 और
अिुसूची द्वारा (1 जिवरी, 1956 से) हिरहसत.

59. कारावास के बदिे हिवातसि -
[ दण्ड प्रहक्रया संहिता (संिोिि) अहिहियम, 1955 (1955 का 26) की िारा 117 और
अिुसूची द्वारा (1 जिवरी, 1956 से) हिरहसत ]
60. दण्डाहदष्ट कारावास के कहतपय मामिों में संपूणत कारावास या उसका कोई भाग
कहठि या सादा िो सके गा -
िर मामिे में, हजसमें अपरािी दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से दण्डिीय िै, वि
�ायािय, जो ऐसे अपरािी को दण्डादेि देगा, सक्षम िोगा हक दण्डादेि में यि हिहदतष्ट
करे हक ऐसा संपूणत कारावास कहठि िोगा, या यि हक ऐसा संपूणत कारावास सादा
िोगा, या यि हक ऐसे कारावास का कु छ भाग कहठि िोगा और िेष सादा।
61. संपहत्त के समपिरण का दण्डादेि -
भारतीय दण्ड संहिता के समपिरण का दण्डादेि भारतीय दण्ड संहिता (संिोिि)
अहिहियम, 1921 (1921 का 16) की िारा 4 द्वारा हिरहसत.
62. मृत्यु, हिवातसि या कारावास से दण्डिीय अपराहियों की बाबत संपहत्त का
समपिरण -
[भारतीय दण्ड संहिता (संिोिि) अहिहियम, 1921 (1921 का 16) की िारा 4 द्वारा
हिरहसत ]
63. जुमातिे की रकम -
जिां हक वि राहि अहभव्यि ििीं की गई िै हजतिी तक जुमातिा िो सकता िै, विां
अपरािी हजस रकम के जुमातिे का दायी िै, वि अमयातहदत िै हकन्तु अत्यहिक ििीं
िोगी।
64. जुमातिा ि देिे पर कारावास का दण्डादेि -
कारावास और जुमातिा दोिों से दण्डिीय अपराि के िर मामिे में; हजसमें अपरािी
कारावास सहित या रहित, जुमातिे से दण्डाहदष्ट हुआ िै, तथा कारावास या जुमातिे
अथवा के वि जुमातिे से दण्डिीय अपराि के िर मामिे में, हजसमें अपरािी जुमातिे से
दण्डाहदष्ट हुआ िै,
वि �ायािय, जो ऐसे अपरािी को दण्डाहदष्ट करेगा, सक्षम िोगा हक दण्डादेि द्वारा
हिदेि दे हक जुमातिा देिे में व्यहतक्रम िोिे की दिा में, अपरािी अमुक अवहि के हिए
कारावास भोगेगा जो कारावास उस अ� कारावास के अहतररि िोगा, हजसके हिए
वि दण्डाहदष्ट हुआ िै या हजससे वि दण्डादेि के िघुकरण पर दण्डिीय िै।
65. जबहक कारावास और जुमातिा दोिों आहदष्ट हकए जा सकते िैं, तब जुमातिा ि देिे
पर कारावास की अवहि -

यहद अपराि कारावास और जुमातिा दोिों से दण्डिीय िो, तो वि अवहि, हजसके हिए
जुमातिा देिे में व्यहतक्रम िोिे की दिा के हिए �ायािय अपरािी को कारावाहसत
करिे का हिदेि दे, कारावास की उस अवहि की एक-चौथाई से अहिक ि िोगी, जो
अपराि के हिए अहिकतम हियत िै।
66. जुमातिा ि देिे पर हकस भांहत का कारावास हदया जाए -
वि कारावास, हजसे �ायािय जुमातिा देिे में व्यहतक्रम िोिे की दिा के हिए अहिरोहपत
करे, ऐसा हकसी भांहत का िो सके गा, हजससे अपरािी को उस अपराि के हिए दण्डाहदष्ट
हकया जा सकता था।
67. जुमातिा ि देिे पर कारावास, जबहक अपराि के वि जुमातिे से दण्डिीय िो -
यहद अपराि के वि जुमातिे से दण्डिीय िो तो वि कारावास, हजसे �ायािय जुमातिा
देिे में व्यहतक्रम िोिे की दिा के हिए अहिरोहपत करे, सादा िोगा और वि अवहि,
हजसके हिए जुमातिा देिे में व्यहतक्रम िोिे की दिा के हिए �ायािय अपरािी को
कारावाहसत करिे का हिदेि दे; हिम्न मापमाि से अहिक ििीं िोगी, अथातत्,-
जबहक जुमातिे का पररमाण पचास �पए से अहिक ि िो तब दो मास से अिहिक
कोई अवहि,
तथा जबहक जुमातिे का पररमाण एक सौ �पए से अहिक ि िो तब चार मास से
अिहिक कोई अवहि,
तथा हकसी अ� दिा में छि मास से अिहिक कोई अवहि।
68. जुमातिा देिे पर कारावास का पयतवसाि िो जािा -
जुमातिा देिे में व्यहतक्रम िोिे की दिा के हिए अहिरोहपत कारावास तब पयतवहसत िो
जाएगा, जब वि जुमातिा या तो चुका हदया जाए या हवहि की प्रहक्रया द्वारा उद् गृिीत
कर हिया जाए।
69. जुमातिे के आिुपाहतक भाग के दे हदए जािे की दिा में कारावास का पयतवसाि
-
यहद जुमातिा देिे में व्यहतक्रम िोिे की दिा के हिए हियत की गई कारावास की अवहि
का अवसाि िोिे से पूवत जुमातिे का ऐसा अिुपात चुका हदया या उद् गृिीत कर हिया
जाए हक देिे में व्यहतक्रम िोिे पर कारावास की जो अवहि भोगी जा चुकी िो, वि
जुमातिे के तब तक ि चुकाए गए भाग के आिुपाहतक से कम ि िो तो कारावास
पयतवहसत िो जाएगा।
दृष्टांत -
क एक सौ �पए के जुमातिे और उसके देिे में व्यहतक्रम िोिे की दिा के हिए चार
मास के कारावास से दण्डाहदष्ट हकया गया िै। यिां, यहद कारावास के एक मास के

अवसाि से पूवत जुमातिे के पचित्तर �पए चुका हदए जाएं या उद् गृिीत कर हिए जाएं
तो प्रथम मास का अवसाि िोते िी क उ�ुि कर हदया जाएगा। यहद पचित्तर �पए
प्रथम मास के अवसाि पर या हकसी भी पश्चात्वती समय पर, जबहक क कारावास में
िै, चुका हदए या उद् गृिीत कर हिए जाएं, तो क तुरंत उ�ुि कर हदया जाएगा। यहद
कारावास के दो मास के अवसाि से पूवत जुमातिे के पचास �पए चुका हदये जाएं या
उद् गृिीत कर हिए जाएं, तो क दो मास पूरे िोते िी उ�ुि कर हदया जाएगा। यहद
पचास �पये उि दो मास के अवसाि पर या हकसी भी पश्चात्वती समय पर, जबहक क
कारावास में िै, चुका हदए जाएं या उद् गृिीत कर हिए जाएं, तो क तुरन्त उ�ुि कर
हदया जाएगा।
70. जुमातिे का छि वषत के भीतर या कारावास के दौराि में उद्ग्रिणीय िोिा -
संपहत्त को दाहयत्व से मृत्यु उ�ुि ििीं करती -
जुमातिा या उसका कोई भाग, जो चुकाया ि गया िो, दण्डादेि हदए जािे के पश्चात् छि
वषत के भीतर हकसी भी समय, और यहद अपरािी दण्डादेि के अिीि छि वषत से
अहिक के कारावास से दण्डिीय िो तो उस कािावहि के अवसाि से पूवत हकसी समय,
उद् गृिीत हकया जा सके गा, और अपरािी की मृत्यु हकसी भी संपहत्त को, जो उसकी
मृत्यु के पश्चात् उसके ऋणों के हिए वैि �प से दायी िो, इस दाहयत्व से उ�ुि ििीं
करती।
71. कई अपरािों से हमिकर बिे अपराि के हिए दण्ड की अवहि -
जिां हक कोई बात, जो अपराि िै, ऐसे भागों से, हजिमें का कोई भाग स्वयं अपराि िै,
हमिकर बिी िै, विां अपरािी अपिे ऐसे अपरािों में से एक से अहिक के दण्ड से
दखण्डत ि हकया जाएगा, जब तक हक ऐसा अहभव्यि �प से उपबंहित ि िो।
जिां हक कोई बात अपरािों को पररभाहषत या दंहडत करिे वािी हकसी तत्समय प्रवृत्त
हवहि की दो या अहिक पृथक् पररभाषाओं में आिे वािा अपराि िै, अथवा
जिां हक कई कायत, हजिमें से स्वयं एक से या स्वयं एकाहिक से अपराि गहठत िोता
िै, हमिकर हभन्न अपराि गहठत करते िैं;
विां अपरािी को उससे गु�त्तर दण्ड से दखण्डत ि हकया जाएगा, जो ऐसे अपरािों में
से हकसी भी एक के हिए वि �ायािय,जो उसका हवचारण करे,उसे दे सकता िो ।
दृष्टांत -
(क) क, य पर िाठी से पचास प्रिार करता िै। यिां, िो सकता िै हक क िे संपूणत
मारपीट द्वारा उि प्रिारों में से िर एक प्रिार द्वारा भी, हजिसे वि संपूणत मारपीट गहठत
िै, य को स्वे�या उपिहत काररत करिे का अपराि हकया िो। यहद क िर प्रिार के
हिए दण्डिीय िोता तो वि िर एक प्रिार के हिए एक वषत के हिसाब से पचास वषत
के हिए कारावाहसत हकया जा सकता था। हकन्तु वि संपूणत मारपीट के हिए के वि
एक िी दण्ड से दण्डिीय िै।

(ि) हकन्तु यहद उस समय जब क, य को पीट रिा िै, म िस्तक्षेप करता िै, और क,
म पर सािय प्रिार करता िै, तो यिां म पर हकया गया प्रिार उस कायत का भाग ििीं
िै, हजसके द्वारा क, य को स्वे�या उपिहत काररत करता िै, इसहिए क, य को स्वे�या
काररत की गई उपिहत के हिए एक दण्ड से और म पर हकए गए प्रिार के हिए दू सरे
दण्ड से दंडिीय िै।
72. कई अपरािों में से एक के दोषी व्यखि के हिए दण्ड जबहक हिणतय में यि
कहथत िै हक यि संदेि िै हक वि हकस अपराि का दोषी िै -
उि सब मामिों में, हजिमें यि हिणतय हदया जाता िै। हक कोई व्यखि उस हिणतय में
हवहिहदतष्ट कई अपरािों में से एक अपराि का दोषी िै, हकन्तु यि संदेिपूणत िै हक वि
उि अपरािों में से हकस अपराि का दोषी िै, यहद विी दण्ड सब अपरािों के हिए
उपबंहित ििीं िै तो वि अपरािी उस अपराि के हिए दंहडत हकया जाएगा, हजसके
हिए कम से कम दण्ड उपबंहित हकया गया िै।
73. एकांत परररोि -
जब कभी कोई व्यखि ऐसे अपराि के हिए दोषहसद्ध ठिराया जाता िै हजसके हिए
�ायािय को इस संहिता के अिीि उसे कहठि कारावास से दण्डाहदष्ट करिे की िखि
िै, तो �ायािय अपिे दण्डादेि द्वारा आदेि दे सके गा हक अपरािी को उस कारावास
के, हजसके हिए वि दण्डाहदष्ट हकया गया िै, हकसी भाग या भागों के हिए, जो कु ि
हमिाकर तीि मास से अहिक के ि िोंगे, हिम्न मापमाि के अिुसार एकांत परररोि में
रिा जाएगा, अथातत् -
यहद कारावास की अवहि छि मास से अहिक ि िो तो एक मास से अिहिक समय;
यहद कारावास की अवहि छि मास से अहिक िो और एक वषत से अहिक ि िो तो
दो मास से अिहिक समय;
यहद कारावास की अवहि एक वषत से अहिक िो तो तीि मास से अिहिक समय।
74. एकांत परररोि की अवहि -
एकांत परररोि के दण्डादेि के हिष्पादि में ऐसा परररोि हकसी भी दिा में एक बार
में चौदि हदि से अहिक ि िोगा, साथ िी ऐसे एकांत परररोि की कािावहियों के बीच
में उि कािावहियों से अ�ूि अंतराि िोगे और जब हदया गया कारावास तीि मास
से अहिक िो, तब हदए गए संपूणत कारावास के हकसी एक मास में एकांत परररोि सात
हदि से अहिक ि िोगा, साथ िी एकांत परररोि की कािावहियों के बीच में उन्ीं
कािावहियों से अ�ूि अंतराि िोंगे।
75. पूवत दोषहसखद्ध के पश्चात् अध्याय 12 या अध्याय 17 के अिीि कहतपय अपरािों के
हिए वहितत दण्ड -
जो कोई व्यखि -

(क) भारत में के हकसी �ायािय द्वारा इस संहिता के अध्याय 12 या अध्याय 17 के
अिीि तीि वषत या उससे अहिक की अवहि के हिए दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से दण्डिीय अपराि के हिए,दोषहसद्ध ठिराए जािे के पश्चात् उि दोिों
अध्यायों में से हकसी अध्याय के अिीि उतिी िी अवहि के हिए वैसे िी कारावास से
दण्डिीय हकसी अपराि का दोषी िो, तो वि िर ऐसे पश्चात्वती अपराि के हिए आजीवि
कारावास से या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक
की िो सके गी, दण्डिीय िोगा।
अध्याय 4 : सािारण अपवाद
76. हवहि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूि के कारण अपिे आपको हवहि द्वारा आबद्ध
िोिे का हवश्वास करिे वािे व्यखि द्वारा हकया गया कायत -
कोई बात अपराि ििीं िै, जो हकसी ऐसे व्यखि द्वारा की जाए जो उसे करिे के हिए
हवहि द्वारा आबद्ध िो या जो तथ्य की भूि के कारण, ि हक हवहि की भूि के कारण,
सद्भावपूवतक हवश्वास करता िो हक वि उसे करिे के हिए हवहि द्वारा आबद्ध िै।
दृष्टांत -
(क) हवहि के समादेिों के अिुवतति में अपिे वररष्ठ ऑहिसर के आदेि से एक सैहिक
क भीड़ पर गोिी चिाता िै। क िे कोई अपराि ििीं हकया।
(ि) �ायािय का ऑहिसर, क, म को हगरफ्तार करिे के हिए उस �ायािय द्वारा
आहदष्ट हकए जािे पर और स�क् जांच के पश्चात् यि हवश्वास करके हक य, म िै, य
को हगरफ्तार कर िेता िै। क िे कोई अपराि ििीं हकया।
77. �ाहयकतः कायत करते हुए �ायािीि का कायत -
कोई बात अपराि ििीं िै, जो �ाहयकतः कायत करते हुए �ायािीि द्वारा ऐसी हकसी
िखि के प्रयोग में की जाती िै, जो या हजसके बारे में उसे सद्भावपूवतक हवश्वास िै हक
वि उसे हवहि द्वारा दी गई िै।
78. �ायािय के हिणतय या आदेि के अिुसरण में हकया गया कायत -
कोई बात, जो �ायािय के हिणतय या आदेि के अिुसरण में की जाए या उसके द्वारा
अहिहदष्ट िो, यहद वि उस हिणतय या आदेि के प्रवृत्त रिते की जाए, अपराि ििीं िै,
चािे उस �ायािय को ऐसा हिणतय या आदेि देिे की अहिकाररता ि रिी िो, परन्तु
यि तब जब हक वि कायत करिे वािा व्यखि सद्भावपूवतक हवश्वास करता िो हक उस
�ायािय को वैसी अहिकाररता थी।
79. हवहि द्वारा �ायािुमत या तथ्य की भूि से अपिे को हवहि द्वारा �ायािुमत िोिे
का हवश्वास करिे वािे व्यखि द्वारा हकया गया कायत -

कोई बात अपराि ििीं िै, जो ऐसे व्यखि द्वारा की जाए, जो उसे करिे के हिए हवहि
द्वारा �ायािुमत िो, या तथ्य की भूि के कारण, ि हक हवहि की भूि के कारण,
सद्भावपूवतक हवश्वास करता िो हक वि उसे करिे के हिए हवहि द्वारा �ायािुमत िै।
दृष्टांत -
क, य को ऐसा करते देिता िै, जो क को ित्या प्रतीत िोता िै क सद्भावपूवतक काम में
िाए गए अपिे श्रेष्ठ हिणतय के अिुसार उस िखि को प्रयोग में िाते हुए, जो हवहि िे
ित्याकाररयों को उस कायत में पकड़िे के हिए समस्त व्यखियों को दे रिी िै, य को
उहचत प्राहिकाररयों के समक्ष िे जािे के हिए य को अहभगृिीत करता िै। क िे कोई
अपराि ििीं हकया िै चािे तत्पश्चात् असि बात यि हिकिे हक य आत्म-प्रहतरक्षा में
कायत कर रिा था।
80. हवहिपूणत कायत करिे में दुघतटिा -
कोई बात अपराि ििीं िै, जो दुघतटिा या दुभातग्य से और हकसी आपराहिक आिय या
ज्ञाि के हबिा हवहिपूणत प्रकार से हवहिपूणत साििों द्वारा और उहचत सतकत ता और
साविािी के साथ हवहिपूणत कायत करिे में िो जाती िै।
दृष्टांत -
क कु ल्हाड़ी से काम कर रिा िै; कु ल्हाड़ी का िि उसमें से हिकि कर उछि जाता
िै और हिकट िड़ा हुआ व्यखि उससे मारा जाता िै। यिां यहद क की ओर से उहचत
साविािी का कोई अभाव ििीं था तो उसका कायत मािी योग्य िै और अपराि ििीं
िै।
81. कायत, हजससे अपिाहि काररत िोिा संभाव्य िै, हकन्तु जो आपराहिक आिय के
हबिा और अ� अपिाहि के हिवारण के हिए हकया गया िै -
कोई बात के वि इस कारण अपराि ििीं िै हक वि यि जािते हुए की गई िै हक
उससे अपिाहि काररत िोिा संभाव्य िै, यहद वि अपिाहि काररत करिे के
हकसी आपराहिक आिय के हबिा और व्यखि या संपहत्त को अ� अपिाहि का हिवारण
या पररवजति करिे के प्रयोजि से सद्भावपूवतक की गई िो।
स्पष्टीकरण - ऐसे मामिे में यि तथ्य का प्रश्न िै हक हजस अपिाहि का हिवारण या
पररवजति हकया जािा िै। क्ा वि ऐसी प्रकृ हत की और इतिी आसन्न थी हक वि
कायत, हजससे यि जािते हुए हक उससे अपिाहि काररत िोिा संभाव्य िै, करिे की
जोखिम उठािा �ायािुमत या मािी योग्य था।
दृष्टांत -
(क) क, जो एक वाष्प जियाि का कप्ताि िै, अचािक और अपिे हकसी कसूर या
उपेक्षा के हबिा अपिे आपको ऐसी खस्थहत में पाता िै हक यहद उसिे जियाि का मागत
ििीं बदिा तो इससे पूवत हक वि अपिे जियाि को रोक सके वि बीस या तीस

याहत्रयों से भरी िाव ि को अहिवायततः टकराकर डुबो देगा, और हक अपिा मागत बदििे
से उसे के वि दो याहत्रयों वािी िाव ग को डुबोिे की जोखिम उठािी पड़ती िै। हजसको
वि संभवत: बचाकर हिकि जाए। यिााँ यहद क िाव ग को डुबोिे के आिय के हबिा
और ि के याहत्रयों के संकट का पररवजति करिे के प्रयोजि से सद्भावपूवतक अपिा
मागत बदि देता िै तो य�हप वि िाव ग को ऐसे कायत द्वारा टकराकर डुबो देता िै,
हजससे ऐसे पररणाम का उत्पन्न िोिा वि संभाव्य जािता था, तथाहप तथ्यतः यि पाया
जाता िै हक वि संकट हजसे पररवहजतत करिे का उसका आिय था, ऐसा था हजससे
िाव ग को डुबोिे की जोखिम उठािा मािी योग्य िै, तो वि हकसी अपराि का दोषी
ििीं िै।
(ि) क एक बड़े अहिकाण्ड के समय आग को िै ििे से रोकिे के हिए गृिों को हगरा
देता िै। वि इस कायत को मािव जीवि या संपहत्त को बचािे के आिय से सद्भाविापूवतक
करता िै। यिां, यहद यि पाया जाता िै हक हिवारण की जािे वािी अपिाहि इस प्रकृ हत
की और इतिी आसन्न थी हक क का कायत मािी योग्य िै तो क उस अपराि का दोषी
ििीं िै।
82. सात वषत से कम आयु के हििु का कायत -
कोई बात अपराि ििीं िै, जो सात वषत से कम आयु के हििु द्वारा की जाती िै।
83. सात वषत से ऊपर हकन्तु बारि वषत से कम आयु के अपररपक्व समझ के हििु
का कायत -
कोई बात अपराि ििीं िै, जो सात वषत से ऊपर और बारि वषत से कम आयु के ऐसे
हििु द्वारा की जाती िै हजसकी समझ इतिी पररपक्व ििीं हुई िै हक वि उस अवसर
पर अपिे आचरण की प्रकृ हत और पररणामों का हिणतय कर सके।
84. हवकृ तहचत्त व्यखि का कायत -
कोई बात अपराि ििीं िै जो ऐसे व्यखि द्वारा की जाती िै, जो उसे करते समय हचत्त-
हवकृ हत के कारण उस कायत की प्रकृ हत, या यि हक जो कु छ वि कर रिा िै वि
दोषपूणत या हवहि के प्रहतकू ि िै, जाििे में असमथत िै।
85. ऐसे व्यखि का कायत जो अपिी इ�ा के हव�द्ध मत्तता में िोिे के कारण हिणतय
पर पहुंचिे में असमथत िै -
कोई बात अपराि ििीं िै, जो ऐसे व्यखि द्वारा की जाती िै, जो उसे करते समय मत्तता
के कारण उस कायत की प्रकृ हत, या यि हक जो कु छ वि कर रिा िै वि दोषपूणत या
हवहि के प्रहतकू ि िै, जाििे में असमथत िै, परन्तु यि तब जबहक वि चीज, हजससे उसकी
मत्तता हुई थी, उसको अपिे ज्ञाि के हबिा या इ�ा के हव�द्ध दी गई थी।
86. हकसी व्यखि द्वारा, जो मत्तता में िै, हकया गया अपराि हजसमें हविेष आिय या
ज्ञाि का िोिा अपेहक्षत िै -

उि दिाओं में, जिां हक कोई हकया गया कायत अपराि ििीं िोता जब तक हक वि
हकसी हवहिष्ट ज्ञाि या आिय से ि हकया गया िो, कोई व्यखि जो वि कायत मत्तता
की िाित में करता िै, इस प्रकार बरते जािे के दाहयत्व के अिीि िोगा, मािो उसे
विी ज्ञाि था जो उसे िोता यहद वि मत्तता में ि िोता जब तक हक वि चीज, हजससे
उसे मत्तता हुई थी, उसे उसके ज्ञाि के हबिा या उसकी इ�ा के हव�द्ध ि दी गई
िो।
87. स�हत से हकया गया कायत हजससे मृत्यु या घोर उपिहत काररत करिे का आिय
ि िो और ि उसकी सम्भाव्यता का ज्ञाि िो -
कोई बात, जो मृत्यु या घोर उपिहत काररत करिे के आिय से ि की गई िो और
हजसके बारे में कतात को यि ज्ञात ि िो हक उससे मृत्यु या घोर उपिहत काररत िोिा
संभाव्य िै, हकसी ऐसी अपिाहि के कारण अपराि ििीं िै जो उस बात से अठारि वषत
से अहिक आयु के व्यखि को, हजसिे वि अपिाहि सिि करिे की चािे अहभव्यि
चािे हववहक्षत स�हत दे दी िो, काररत िो या काररत िोिा कतात द्वारा आिहयत िो
अथवा हजसके बारे में कतात को ज्ञात िो हक वि उपयुति जैसे हकसी व्यखि को, हजसिे
उस अपिाहि की जोखिम उठािे की स�हत दे दी िै, उस बात द्वारा काररत िोिी
संभाव्य िै
दृष्टांत -
क और य आमोदाथत आपस में पटेबाजी करिे को सिमत िोते िैं। इस सिमहत में
हकसी अपिाहि को, जो ऐसी पटेबाजी में िेि के हियम के हव�द्ध ि िोते हुए काररत
िो, उठािे की िर एक की स�हत हववहक्षत िै, और यहद के यथाहियम पटेबाजी करते
हुए य को उपिहत काररत कर देता िै, तो क कोई अपराि ििीं करता िै।
88. हकसी व्यखि के िायदे के हिए स�हत से सदभावपूवतक हकया गया कायत हजससे
मृत्यु काररत करिे का आिय ििीं िै -
कोई बात, जो मृत्यु काररत करिे के आिय से ि की गई िो, हकसी ऐसी अपिाहि के
कारण ििीं िै, जो उस बात से हकसी ऐसे व्यखि को, हजसके िायदे के हिए वि बात
सद्भावपूवतक की जाए और हजसिे उस अपिाहि को सििे, या उस अपिाहि की जोखिम
उठािे के हिए चािे अहभव्यि चािे हववहक्षत स�हत दे दी िो, काररत िो या काररत
करिे का कतात का आिय िो या काररत िोिे की संभाव्यता कतात को ज्ञात िै |
दृष्टांत -
क, एक िल्य हचहकत्सक यि जािते हुए हक एक हविेष िल्यकमत से य को, जो वेदिापूणत
व्याहि से ग्रस्त िै, मृत्यु काररत िोिे की संभाव्यता िै, हकन्तु य की मृत्युकाररत करिे का
आिय ि रिते हुए और सद्भाविापूवतक य के िायदे के आिय से, य की स�हत से,
य पर वि िल्यकमत करता िै। क िे कोई अपराि ििीं कया िै।
89. संरक्षक द्वारा या उसकी स�हत से हििु या उ�त्त व्यखि के िायदे के हिए
सद्भावपूवतक हकया गया कायत -

कोई बात, जो बारि वषत से कम आयु के या हवकृ तहचत्त व्यखि के िायदे के हिए
सद्भावपूवतक उसके संरक्षक के, या हवहिपूणत भारसािक हकसी दू सरे व्यखि के द्वारा, या
की अहभव्यि या हववहक्षत स�हत से की जाए, हकसी ऐसी अपिाहि के कारण, अपराि
ििीं िै जो उस बात से उस व्यखि को काररत िो, या काररत करिे का कतात का
आिय िो या काररत िोिे की सम्भाव्यता कतात को ज्ञात िो :
परन्तुक - परन्तु -
पििा - इस अपवाद का हवस्तार सािय मृत्युकाररत करिे या मृत्यु काररत करिे का
प्रयत्न करिे पर ि िोगा;
दू सरा - इस अपवाद का हवस्तार मृत्यु या घोर उपिहत के हिवारण के या हकसी घोर
रोग या अंगिैहथल्य से मुि करिे के प्रयोजि से हभन्न हकसी प्रयोजि के हिए हकसी
ऐसी बात के करिे पर ि िोगा हजसे करिे वािा व्यखि जािता िो हक उससे मृत्युकाररत
िोिा संभाव्य िै;
तीसरा - इस अपवाद का हवस्तार स्वे�या घोर उपिहत काररत करिे या घोर उपिहत
काररत करिे का प्रयत्न करिे पर ि िोगा जब तक हक वि मृत्यु या घोर उपिहत के
हिवारण के, या हकसी घोर रोग या अंगिैहथल्य से मुि करिे के प्रयोजि से ि की
गई िो;
चौथा - इस अपवाद का हवस्तार हकसी ऐसे अपराि के दुष्प्रेरण पर ि िोगा हजस
अपराि के हकए जािे पर इसका हवस्तार ििीं िै।
दृष्टांत -
क सद्भावपूवतक, अपिे हििु के िायदे के हिए अपिे हििु की स�हत के हबिा, यि
संभाव्य जािते हुए हक िल्यकमत से उस हििु की मृत्युकाररत िोगी, ि हक इस आिय
से हक उस हििु की मृत्युकाररत कर दे, िल्य हचहकत्सक द्वारा पथरी हिकिवािे के
हिए अपिे हििु की िल्यहक्रया करवाता िै। क का उद्दे� हििु को रोगमुि करािा
था, इसहिए वि इस अपवाद के अन्तगतत आता िै।
90. स�हत, हजसके संबंि में यि ज्ञात िो हक वि भय या भ्रम के अिीि दी गई िै
-
कोई स�हत ऐसी स�हत ििीं िै जैसी इस संहिता की हकसी िारा से आिहयत िै,
यहद वि स�हत हकसी व्यखि िे क्षहत, भय के अिीि या तथ्य के भ्रम के अिीि दी
िो, और यहद कायत करिे वािा व्यखि यि जािता िो या उसके पास हवश्वास करिे का
कारण िो हक ऐसे भय या भ्रम के पररणामस्व�प वि स�हत दी गई थी; अथवा
उ�त्त व्यखि की स�हत - यहद वि स�हत ऐसे व्यखि िे दी िो जो हचत्तहवकृ हत या
मत्तता के कारण उस बात की, हजसके हिए वि अपिी स�हत देता िै, प्रकृ हत और
पररणाम को समझिे में असमथत िो; अथवा

हििु की स�हत - जब तक हक संदभत से तत्प्रहतकू ि प्रतीत ि िो, यहद वि स�हत
ऐसे व्यखि िे दी िो जो बारि वषत से कम आयु का िै।
91. ऐसे कायों का अपवजति जो काररत अपिाहि के हबिा भी स्वतः अपराि िै -
िारा 87, 88 और 89 के अपवादों का हवस्तार उि कायों पर ििीं िै जो उस अपिाहि
के हबिा भी स्वतः अपराि िै जो उस व्यखि को, जो स�हत देता िै या हजसकी ओर
से स�हत दी जाती िै, उि कायों से काररत िो, या काररत हकए जािे का आिय िो,
या काररत िोिे की सम्भाव्यता ज्ञात िो।
दृष्टांत -
गभतपात करािा (जब तक हक वि उस स्त्री का जीवि बचािे के प्रयोजि से सद्भावपूवतक
काररत ि हकया गया िो) हकसी अपिाहि के हबिा भी, जो उससे उस स्त्री को काररत
िो या काररत करिे का आिय िो, स्वतः अपराि िै। इसहिए वि “ऐसी अपिाहि के
कारण" अपराि ििीं िै; और ऐसा गभतपात करािे की उस स्त्री की या उसके संरक्षक
की स�हत उस कायत को �ािुमत ििीं बिाती िै।
92. स�हत के हबिा हकसी व्यखि के िायदे के हिए सद्भावपूवतक हकया गया कायत -
कोई बात, जो हकसी व्यखि के िायदे के हिए सद्भावपूवतक य�हप उसकी स�हत के
हबिा, की गई िै, ऐसी हकसी अपिाहि के कारण, जो उस बात से उस व्यखि को काररत
िो जाए, अपराि ििीं िै, यहद पररखस्थहतयां ऐसी िों हक उस व्यखि के हिए यि असंभव
िो हक वि अपिी स�हत प्रकट करे या वि व्यखि स�हत देिे के हिए असमथत िो
और उसका कोई संरक्षक या उसका हवहिपूणत भारसािक कोई दू सरा व्यखि ि िो
हजससे ऐसे समय पर स�हत अहभप्राप्त करिा संभव िो हक वि बात िायदे के साथ
की जा सके ।
परन्तुक - परन्तु -
पििा - इस अपवाद का हवस्तार सािय मृत्युकाररत करिे या मृत्युकाररत करिे का
प्रयत्न करिे पर ि िोगा;
दू सरा - इस अपवाद का हवस्तार मृत्यु या घोर उपिहत के हिवारण के या हकसी घोर
रोग या अंगिैहथल्य से मुि करिे के प्रयोजि से हभन्न हकसी प्रयोजि के हिए हकसी
ऐसी बात के करिे पर ि िोगा, हजसे करिे वािा व्यखि जािता िो हक उससे मृत्यु
काररत िोिा संभाव्य िै;
तीसरा - इस अपवाद का हवस्तार मृत्यु या उपिहत के हिवारण के प्रयोजि से हभन्न
हकसी प्रयोजि के हिए स्वे�या उपिहत काररत करिे या उपिहत काररत करिे का
प्रयत्न करिे पर ि िोगा;
चौथा - इस अपवाद का हवस्तार हकसी ऐसे अपराि के दुष्प्रेरण पर ि िोगा हजस
अपराि के हकए जािे पर इसका हवस्तार ििीं िै।

दृष्टांत -
(क) य अपिे घोड़े से हगर गया और मूहछत त िो गया िै। क, एक िल्य हचहकत्सक का
यि हवचार िै हक य के कपाि पर िल्य हक्रया आव�क िै। क, य की मृत्यु करिे का
आिय ि रिते हुए, हकन्तु सद्भावपूवतक य के िायदे के हिए य के स्वयं हकसी हिणतय
पर पहुंचिे की िखि प्राप्त करिे से पूवत िी कपाि पर िल्यहक्रया करता िै। क िे
कोई अपराि ििीं हकया।
(ि) य को एक बाघ उठा िे जाता िै। यि जािते हुए हक संभाव्य िै हक गोिी िगिे
से य मर जाए, हकन्तु य का वि करिे का आिय ि रिते हुए और सद्भावपूवतक य के
िायदे के आिय से क उस बाघ पर गोिी चिाता िै। क की गोिी से य को मृत्युकारक
घाव िो जाता िै। क िे कोई अपराि ििीं हकया।
(ग) क, एक िल्य हचहकत्सक, यि देिता िै हक एक हििु की ऐसी दुघतटिा िो गई िै
हजसका प्राणांतक साहबत िोिा सम्भाव्य िै, यहद िल्यकमत तुरन्त ि कर हदया जाए।
इतिा समय ििीं िै हक उस हििु के संरक्षक से आवेदि हकया जा सके । क,
सद्भावपूवतक हििु के िायदे का आिय रिते हुए हििु के अ�था अिुिय करिे पर
भी िल्यकमत करता िै। क िे कोई अपराि ििीं हकया।
(घ) एक हििु य के साथ क एक जिते हुए गृि में िै। गृि के िीचे िोग एक कम्बि
ताि िेते िैं। क उस हििु को यि जािते हुए हक सम्भाव्य िै हक हगरिे से वि हििु
मर जाए हकन्तु उस हििु को मार डाििे का आिय ि रिते हुए और सद्भावपूवतक
उस हििु के िायदे के आिय से गृि-छत पर से िीचे हगरा देता िै। यिां, यहद हगरिे
से वि हििु मर भी जाता िै, तो भी क िे कोई अपराि ििीं हकया।
स्पष्टीकरण - के वि िि संबंिी िायदा वि िायदा ििीं िै, जो िारा 88, 89 और 92 के
भीतर आता िै।
93. सद्भावपूवतक दी गई संसूचिा -
सद्भावपूवतक दी गई संसूचिा उस अपिाहि के कारण अपराि ििीं िै, जो उस व्यखि
को िो हजसे वि दी गई िै, यहद वि उस व्यखि के िायदे के हिए दी गई िो।
दृष्टांत -
क, एक िल्य हचहकत्सक, एक रोगी को सद्भावपूवतक यि संसूहचत करता िै हक उसकी
राय में वि जीहवत ििीं रि सकता। इस आघात के पररणामस्व�प उस रोगी की मृत्यु
िो जाती िै। क िे कोई अपराि ििीं हकया िै, य�हप वि जािता था हक उस संसूचिा
से उस रोगी की मृत्यु काररत िोिा संभाव्य िै।
94. वि कायत हजसको करिे के हिए कोई व्यखि िमहकयों द्वारा हववि हकया गया िै
-

ित्या और मृत्यु से दण्डिीय उि अपरािों को जो राज्य के हव�द्ध िै, छोड़कर कोई
बात अपराि ििीं िै, जो ऐसे व्यखि द्वारा की जाए, जो उसे करिे के हिए ऐसी िमहकयों
से हववि हकया गया िो हजिसे उस बात को करते समय उसको युखियुि �प से
यि आिंका काररत िो गई िो हक अ�था पररणाम यि िोगा हक उस व्यखि की
तत्काि मृत्यु िो जाए।
परन्तु यि तब जबहक उस कायत को करिे वािे व्यखि िे अपिी िी इ�ा से या
तत्काि मृत्यु से कम अपिी अपिाहि की युखियुि आिंका से अपिे को उस खस्थहत
में ि डािा िो, हजसमें हक वि ऐसी मजबूरी के अिीि पड़ गया िै।
स्पष्टीकरण 1 - वि व्यखि, जो स्वयं अपिी इ�ा से, या पीटे जािे की िमकी के कारण,
डाकु ओं की टोिी में उिके िीि को जािते हुए सख�हित िो जाता िै, इस आिार पर
िी इस अपवाद का िायदा उठािे का िकदार ििीं हक वि अपिे साहथयों द्वारा ऐसी
बात करिे के हिए हववि हकया गया था जो हवहििा अपराि िै। |
स्पष्टीकरण 2 - डाकु ओं की एक टोिी द्वारा अहभगृिीत और तत्काि मृत्यु की िमकी
द्वारा हकसी बात के करिे के हिए जो हवहििा अपराि िै, हववि हकया गया व्यखि,
उदािरणाथत, एक िोिार, जो अपिे औजार िेकर एक गृि का द्वार तोड़िे को हववि
हकया जाता िै, हजससे डाकू उसमें प्रवेि कर सकें और उसे िूट सकें, इस अपवाद का
िायदा उठािे के हिए िकदार िै।
95. तु� अपिाहि काररत करिे वािा कायत -
कोई बात इस कारण से अपराि ििीं िै हक उससे कोई अपिाहि काररत िोती िै या
काररत की जािी आिहयत िै या काररत िोिे की संभाव्यता ज्ञात िै, यहद वि इतिी
तु� िै हक मामूिी समझ और स्वभाव वािा कोई व्यखि उसकी हिकायत ि करेगा।
प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार के हवषय में
96. प्राइवेट प्रहतरक्षा में की गई बातें -
कोई बात अपराि ििीं िै, जो प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार के प्रयोग में की जाती िै।
97. िरीर तथा संपहत्त की प्राइवेट प्रहतरक्षा का अहिकार -
िारा 99 में अन्तहवतष्ट हिबंििों के अध्यिीि, िर व्यखि को अहिकार िै हक वि -
पििा - मािव िरीर पर प्रभाव डाििे वािे हकसी अपराि के हव�द्ध अपिे िरीर और
हकसी अ� व्यखि के िरीर की प्रहतरक्षा करें;
दू सरा - हकसी ऐसे कायत के हव�द्ध, जो चोरी, िूट, ररहष्ट या आपराहिक अहतचार की
पररभाषा में आिे वािा अपराि िै, या जो चोरी, िूट, ररहष्ट या आपराहिक अहतचार करिे
का प्रयत्न िै अपिी या हकसी अ� व्यखि की, चािे जंगम, चािे स्थावर संपहत्त की
प्रहतरक्षा करे।

98. ऐसे व्यखि के कायत के हव�द्ध प्राइवेट प्रहतरक्षा का अहिकार जो हवकृ तहचत्त आहद
िो -
जबहक कोई कायत, जो अ�था कोई अपराि िोता, उस कायत को करिे वािे व्यखि के
बािकपि, समझ की पररपक्वता के अभाव, हचत्तहवकृ हत या मत्तता के कारण, या उस
व्यखि के हकसी भ्रम के कारण, वि अपराि ििीं िै, तब िर व्यखि उस कायत के
हव�द्ध प्राइवेट प्रहतरक्षा का विी अहिकार रिता िै, जो वि उस कायत के वैसा अपराि
िोिे की दिा में रिता।
दृष्टांत -
(क) य, पागिपि के असर में, क को जाि से मारिे का प्रयत्न करता िै। य हकसी
अपराि का दोषी ििीं िै। हकन्तु क को प्राइवेट प्रहतरक्षा का विी अहिकार िै, जो वि
य के स्वस्थहचत्त िोिे की दिा में रिता।
(ि) क राहत्र में एक ऐसे गृि में प्रवेि करता िै हजसमें प्रवेि करिे के हिए वि वैि
�प से िकदार िै। य, सद्भावपूवतक क को गृिभेदक समझकर, क पर आक्रमण करता
िै। यिां य इस भ्रम के अिीि क पर आक्रमण करके कोई अपराि ििीं करता िै,
हकन्तु क, य के हव�द्ध प्राइवेट प्रहतरक्षा का विी अहिकार रिता िै, जो वि तब रिता,
जब य उस भ्रम के अिीि कायत ि करता।
99. कायत, हजिके हव�द्ध प्राइवेट प्रहतरक्षा का कोई अहिकार ििीं िै -
यहद कोई कायत, हजससे मृत्यु या घोर उपिहत की आिंका युखियुि �प से काररत
ििीं िोती, सद्भावपूवतक अपिे पदाभास में कायत करते हुए िोक-सेवक द्वारा हकया जाता
िै या हकए जािे का प्रयत्न हकया जाता िै तो उस कायत के हव�द्ध प्राइवेट प्रहतरक्षा का
कोई अहिकार ििीं िै, चािे वि कायत हवहि अिुसार सवतथा �ायािुमत ि भी िो।
यहद कोई कायत, हजससे मृत्यु या घोर उपिहत की आिंका युखियुि �प से काररत
ििीं िोती, सद्भावपूवतक अपिे पदाभास में कायत करते हुए िोक-सेवक के हिदेि से
हकया जाता िै, या हकए जािे का प्रयत्न हकया जाता िै, तो उस कायत के हव�द्ध प्राइवेट
प्रहतरक्षा का कोई अहिकार ििीं िै, चािे वि हिदेि हवहि अिुसार सवतथा �ायिुमत ि
भी िो।
उि दिाओं में हजिमें संरक्षा के हिए िोक प्राहिकाररयों की सिायता प्राप्त करिे के
हिए समय िै, प्राइवेट प्रहतरक्षा का कोई अहिकार ििीं िै।
इस अहिकार के प्रयोग का हवस्तार - हकसी दिा में भी प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार
का हवस्तार उतिी अपिाहि से अहिक अपिाहि करिे पर ििीं िै, हजतिी प्रहतरक्षा के
प्रयोजि से करिी आव�क िै।
स्पष्टीकरण 1- कोई व्यखि हकसी िोक-सेवक द्वारा ऐसे िोक-सेवक के िाते हकए गए
या हकए जािे के हिए प्रयहतत, कायत के हव�द्ध प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार से वंहचत

ििीं िोता, जबहक वि यि ि जािता िो, या हवश्वास करिे का कारण ि रिता िो हक
उस कायत को करिे वािा व्यखि ऐसा िोक-सेवक िै।
स्पष्टीकरण 2 - कोई व्यखि हकसी िोक-सेवक के हिदेि से हकए गए, या हकए जािे के
हिए प्रयहतत, हकसी कायत के हव�द्ध प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार से वंहचत ििीं िोता,
जब तक हक वि यि ि जािता िो, या हवश्वास करिे का कारण ि रिता िो, हक उस
कायत को करिे वािा व्यखि ऐसे हिदेि से कायत कर रिा िै, या जब तक हक वि
व्यखि उस प्राहिकार का कथि ि कर दे, हजसके अिीि वि कायत कर रिा िै, या यहद
उसके पास हिखित प्राहिकार िै, तो जब तक हक वि ऐसे प्राहिकार को मांगे जािे पर
पेि ि कर दे।
100. िरीर की प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार का हवस्तार मृत्युकाररत करिे तक कब
िोता िै -
िरीर की प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार का हवस्तार, पूवतवती अंहतम िारा में वहणतत
हिबतििों के अिीि रिते हुए, िमिावर की स्वे�या मृत्यु काररत करिे या कोई अ�
अपिाहि काररत करिे तक िै, यहद वि अपराि, हजसके कारण उस अहिकार के प्रयोग
का अवसर आता िै, एतखिि् पश्चात् प्रगहणत भांहतयों में से हकसी भी भांहत का िै,
अथातत् :-
पििा - ऐसा िमिा हजससे युखियुि �प से यि आिंका काररत िो हक अ�था ऐसे
िमिे का पररणाम मृत्यु िोगा;
दू सरा - ऐसा िमिा हजससे युखियुि �प से यि आिंका काररत िो हक अ�था ऐसे
िमिे का पररणाम घोर उपिहत िोगा;
तीसरा - बिात्संग करिे के आिय से हकया गया िमिा;
चौथा - प्रकृ हत हव�द्ध काम-तृष्णा की तृखप्त के आिय से हकया गया िमिा;
पााँचवााँ - व्यपिरण या अपिरण करिे के आिय से हकया गया िमिा;
छठा - इस आिय से हकया गया िमिा हक हकसी व्यखि का ऐसी पररखस्थहतयों में
सदोष परररोि हकया जाए, हजिसे उसे युखियुि �प से यि आिंका काररत िो हक
वि अपिे को छु ड़वािे के हिए िोक प्राहिकाररयों की सिायता प्राप्त ििीं कर सके गा।
सातवां - अम्ल िें किे या देिे का कृ त्य, या अम्ल िें किे या देिे का प्रयास करिा
हजससे युखियुि �प से यि आिंका काररत िो हक ऐसे कृ त्य के पररणामस्व�प
अ�था घोर उपिहत काररत िोगी।
101. कब ऐसे अहिकार का हवस्तार मृत्यु से हभन्न कोई अपिाहि काररत करिे तक
का िोता िै -

यहद अपराि पूवतगामी अंहतम िारा में प्रगहणत भांहतयों में से हकसी भांहत का ििीं िै,
तो िरीर की प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार का हवस्तार िमिावर की मृत्यु स्वे�या
काररत करिे तक का ििीं िोता, हकन्तु इस अहिकार का हवस्तार िारा 99 में वहणतत
हिबंििों के अध्यिीि िमिावर की मृत्यु से हभन्न कोई अपिाहि स्वे�या काररत करिे
तक का िोता िै।
102. िरीर की प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार का प्रारंभ और बिा रििा -
िरीर की प्राइवेट प्रहतरक्षा का अहिकार उसी क्षण प्रारंभ िो जाता िै, जब अपराि
करिे के प्रयत्न या िमकी से िरीर के संकट की युखियुि आिंका पैदा िोती िै, चािे
वि अपराि हकया ि गया िो और वि तब तक बिा रिता िै जब तक िरीर के
संकट की ऐसी आिंका बिी रिती िै।
103. कब संपहत्त की प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार का हवस्तार मृत्युकाररत करिे तक
का िोता िै -
संपहत्त की प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार का हवस्तार, िारा 99 में वहणतत हिबतििों के
अध्यिीि दोषकतात की मृत्यु या अ� अपिाहि स्वे�या काररत करिे तक का िै, यहद
वि अपराि हजसके हकए जािे के, या हकए जािे के प्रयत्न के कारण उस अहिकार के
प्रयोग का अवसर आता िै एतखिि् पश्चात् प्रगहणत भांहतयों में से हकसी भी भांहत का
िै, अथातत् :-
पििा - िूट;
दू सरा - राहत्र गृि भेदि;
तीसरा - अहि द्वारा ररहष्ट, जो हकसी ऐसे हिमातण, तम्बू या जियाि को की गई िै, जो
मािव आवास के �प में या संपहत्त की अहभरक्षा के स्थाि के �प में उपयोग में िाया
जाता िै;
चौथा - चोरी, ररहष्ट या गृि अहतचार, जो ऐसी पररखस्थहतयों में हकया गया िै, हजिसे
युखियुि �प से यि आिंका काररत िो हक यहद प्राइवेट प्रहतरक्षा के ऐसे अहिकार
का प्रयोग ि हकया गया तो पररणाम मृत्यु या घोर उपिहत िोगा।
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राज्य संिोिि
उत्तरप्रदेि - िारा 103 में चौथे िण्ड के पश्चात् अग्रहिखित िण्ड जोड़ा जाएगा, यथा
:-
'पााँचवााँ - आग या ज्विििीि पदाथत द्वारा -

(क) िासि या हकसी स्थािीय प्राहिकारी या िासि के स्वाहमत्व या हियंत्रण में का
कोई हिगम के प्रयोजिों के हिए उपयोग की गई या उपयोग के हिए आिहयत हकसी
संपहत्त को, या
(ि) भारतीय रेि अहिहियम, 1880 की िारा 3 के िण्ड (4) में यथा पररभाहषत कोई
रेिवे या रेिवे स्ट्ोसत (हवहिहव�द्ध कब्जा) अहिहियम, 1955 में यथा पररभाहषत स्ट्ोसत
को, या
(ग). मोटर याि अहिहियम, 1939 की िारा 2 के िण्ड (33)* में यथा पररभाहषत कोई
पररविि वािि को, ररहष्ट पहुंचािा।''
[यू.पी. अहिहियम संख्ा 29 सि् 1970 की िारा 2, हदिांक 17-7-1970 से प्रभाविीि]
* अब देिें, मोटर याि अहिहियम, 1988 की िारा 2 का िण्ड (47) ।
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104. ऐसे अहिकार का हवस्तार मृत्यु से हभन्न कोई अपिाहि काररत करिे तक का
कब िोता िै -
यहद वि अपराि, हजसके हकए जािे या हजसके हकए जािे के प्रयत्न से प्राइवेट प्रहतरक्षा
के अहिकार के प्रयोग का अवसर आता िै, ऐसी चोरी, ररहष्ट या आपराहिक अहतचार िै,
जो पूवतगामी अंहतम िारा में प्रगहणत भांहतयों में से हकसी भांहत का ि िो, तो उस
अहिकार का हवस्तार स्वे�या मृत्यु काररत करिे तक का ििीं िोता, हकन्तु उसका
हवस्तार िारा 99 में वहणतत हिबतििों के अध्यिीि दोषकतात की मृत्यु से हभन्न कोई अपिाहि
स्वे�या काररत करिे तक का िोता िै।
105. संपहत्त की प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार का प्रारंभ और बिा रििा –
संपहत्त की प्राइवेट प्रहतरक्षा का अहिकार तब प्रारंभ िोता िै, जब संपहत्त के संकट की
युखियुि आिंका प्रारंभ िोती िै।
संपहत्त की प्राइवेट प्रहतरक्षा का अहिकार चोरी के हव�द्ध अपरािी के संपहत्त सहित
पहुंच से बािर िो जािे तक अथवा या तो िोक प्राहिकाररयों की सिायता अहभप्राप्त
कर िेिे या संपहत्त प्रत्युद्धत िो जािे तक बिा रिता िै।
संपहत्त की प्राइवेट प्रहतरक्षा का अहिकार िूट के हव�द्ध तब तक बिा रिता िै, जब
तक अपरािी हकसी व्यखि की मृत्यु या उपिहत, या सदोष अवरोि काररत करता रिता
या काररत करिे का प्रयत्न करता रिता िै, अथवा जब तक तत्काि मृत्यु का, या तत्काि
उपिहत का, या तत्काि वैयखिक अवरोि का, भय बिा रिता िै।
संपहत्त की प्राइवेट प्रहतरक्षा का अहिकार आपराहिकआतेचार या ररहष्ट के हव�द्ध तब
तक बिा रिता िै, जब तक अपरािी आपराहिक अहतचार या ररहष्ट करता रिता िै।

संपहत्त की प्राइवेट प्रहतरक्षा का अहिकार राहत्र गृिभेदि के हव�द्ध तब तक बिा रिता
िै, जब तक ऐसे गृिभेदि से आरंभ हुआ गृि अहतचार िोता रिता िै।
106. घातक िमिे के हव�द्ध प्राइवेट प्रहतरक्षा का अहिकार जबहक हिदोष व्यखि को
अपिाहि िोिे की जोखिम िै -
हजस िमिे से मृत्यु की आिंका युखियुि �प से काररत िोती िै उसके हव�द्ध
प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार का प्रयोग करिे में यहद प्रहतरक्षक ऐसी खस्थहत में िो हक
हिदोष व्यखि की अपिाहि की जोखिम के हबिा वि उस अहिकार का प्रयोग कायतसािक
�प से ि कर सकता िो तो उसके प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार का हवस्तार वि
जोखिम उठािे तक का िै।
दृष्टांत -
क, पर एक भीड़ द्वारा आक्रमण हकया जाता िै, जो उसकी ित्या करिे का प्रयत्न करती
िै। वि उस भीड़ पर गोिी चिाए हबिा प्राइवेट प्रहतरक्षा के अपिे अहिकार का प्रयोग
कायतसािक �प से ििीं कर सकता, और वि भीड़ में हमिे हुए छोटे-छोटे हििुओं
को अपिाहि करिे की जोखिम उठाए हबिा गोिी ििीं चिा सकता। यहद वि इस
प्रकार गोिी चिािे से उि हििुओं में से हकसी हििु को अपिाहि करे तो क कोई
अपराि ििीं करता।
अध्याय: 5 दुष्प्रेरण के हवषय में
107. हकसी बात का दुष्प्रेरण -
वि व्यखि हकसी बात के हकए जािे का दुष्प्रेरण करता िै, जो -
पििा - उस बात को करिे के हिए हकसी व्यखि को उकसाता िै; अथवा
दू सरा - उस बात को करिे के हिए हकसी षड़यंत्र में एक या अहिक अ� व्यखि या
व्यखियों के साथ सख�हित िोता िै, यहद उस षड़यंत्र के अिुसरण में, और उस बात
को करिे के उद्दे� से, कोई कायत या अवैि िोप घहटत िो जाए; अथवा
तीसरा - उस बात के हिए हकए जािे में हकसी कायत या अवैि िोप द्वारा सािय
सिायता करता िै।
स्पष्टीकरण 1- जो कोई व्यखि जािबूझकर दुव्यतपदेिि द्वारा, या ताखत्वक तथ्य, हजसे प्रकट
करिे के हिए वि आबद्ध िै, जािबूझकर हछपािे द्वारा, स्वे�या हकसी बात का हकया
जािा काररत या उपाप्त करता िै अथवा काररत या उपाप्त करिे का प्रयत्न करता िै,
वि उस बात का हकया जािा उकसाता िै, यि किा जाता िै।
दृष्टांत -

क एक िोक ऑहिसर, �ायािय के वारण्ट द्वारा य को पकड़िे के हिए प्राहिकृ त िै।
ि उस तथ्य को जािते हुए और यि भी जािते हुए हक ग, य ििीं िै, क को जािबूझकर
यि व्यपहदष्ट करता िै, हक ग, य िै और तद्द्वारा सािय के से ग को पकड़वाता िै।
यिां ि, ग के पकड़े जािे का उकसािे द्वारा दुष्प्रेरण करता िै।
स्पष्टीकरण 2 - जो कोई या तो हकसी कायत के हकए जािे से पूवत या हकए जािे के
समय, उस कायत के हकए जािे को सुकर बिािे के हिए कोई बात करता िै और
एतद्द्वारा उसके हकए जािे को सुकर बिाता िै वि उस कायत के करिे में सिायता
करता िै, यि किा जाता िै।
108. दुष्प्रेरक -
वि व्यखि अपराि का दुष्प्रेरण करता िै, जो अपराि के हकए जािे का दुष्प्रेरण करता
िै या ऐसे कायत के हकए जािे का दुष्प्रेरण करता िै, जो अपराि िोता, यहद वि कायत
अपराि करिे के हिए हवहि अिुसार समथत व्यखि द्वारा उसी आिय या ज्ञाि से, जो
दुष्प्रेरक का िै, हकया जाता।
स्पष्टीकरण 1 - हकसी कायत के अवैि िोप का दुष्प्रेरण अपराि की कोहट में आ सके गा,
चािे दुष्प्रेरक उस कायत को करिे के हिए स्वयं आबद्ध ि िो।
स्पष्टीकरण 2 - दुष्प्रेरण का अपराि गहठत िोिे के हिए यि आव�क ििीं िै हक
दुष्प्रेररत कायत हकया जाए या अपराि गहठत करिे के हिए अपेहक्षत प्रभाव काररत िो।
दृष्टांत -
(क) ग की ित्या करिे के हिए ि को क उकसाता िै। ि वैसा करिे से इंकार कर
देता िै। क ित्या करिे के हिए ि के दुष्प्रेरण का दोषी िै |
(ि) घ की ित्या करिे के हिए ि को क उकसाता िै। ि ऐसी उकसािट के
अिुसरण में घ को हवद्ध करता िै। घ का घाव अ�ा िो जाता िै। क ित्या करिे के
हिए ि को उकसािे का दोषी िै।
स्पष्टीकरण 3 -- यि आव�क ििीं िै हक दुष्प्रेररत व्यखि अपराि करिे के हिए हवहि
अिुसारसमथत िो, या उसका विी दू हषत आिय या ज्ञाि िो, जो दुष्प्रेरक का िै, या कोई
भी दू हषत आिय या ज्ञाि िो।
दृष्टांत -
(क) क दू हषत आिय से एक हििु या पागि को वि कायत करिे के हिए दुष्प्रेररत
करता िै, जो अपराि िोगा, यहद वि ऐसे व्यखि द्वारा हकया जाए जो कोई अपराि
करिे के हिए हवहि अिुसार समथत िै और विी आिय रिता िै जो हक क का िै।
यिां, चािे वि कायत हकया जाए, या ि हकया जाए, क अपराि के दुष्प्रेरण का दोषी िै।

(ि) य की ित्या करिे के आिय से ि को, जो सात वषत से कम आयु का हििु िै,
वि कायत करिे के हिए के उकसाता िै हजससे य की मृत्यु काररत िो जाती िै। ि
दुष्प्रेरण के पररणामस्व�प वि कायत क की अिुपखस्थहत में करता िै और उससे य की
मृत्यु काररत करता िै। यिां य�हप ि वि अपराि करिे के हिए हवहि अिुसार समथत
ििीं था तथाहप क उसी प्रकार से दण्डिीय िै, मािो ि वि अपराि करिे के हिए हवहि
अिुसार समथत िो और उसिे ित्या की िो, और इसहिए क मृत्युदण्ड से दण्डिीय िै।
(ग) ि को एक हिवास गृि में आग िगािे के हिए क उकसाता िै। ि अपिी
हचत्तहवकृ हत के पररणामस्व�प उस कायत की प्रकृ हत या यि हक वि जो कु छ कर रिा
िै वि दोषपूणत या हवहि के प्रहतकू ि िै जाििे में असमथत िोिे के कारण क के उकसािे
के पररणामस्व�प उस गृि में आग िगा देता िै। ि िे कोई अपराि ििीं हकया िै,
हकन्तु क एक हिवासगृि में आग िगािे के अपराि के दुष्प्रेरण का दोषी िै, और
उस अपराि के हिए उपबंहित दण्ड से दण्डिीय िै।
(घ) क चोरी करािे के आिय से य के कब्जे में से य की संपहत्त िेिे के हिए ि
को उकसाता िै। ि को यि हवश्वास करिे के हिए क उत्प्रेररत करता िै हक वि संपहत्त
क की िै। ि उस संपहत्त को इस हवश्वास से हक वि क की संपहत्त िै, य के कब्जे में
से सद्भावपूवतक िे िेता िै। ि इस भ्रम के अिीि कायत करते हुए, उसे बेईमािी से
ििीं िेता, और इसहिए चोरी ििीं करता, हकन्तु क चोरी के दुष्प्रेरण का दोषी िै,
और उसी दण्ड से दण्डिीय िै, मािो ि िे चोरी की िो।
स्पष्टीकरण 4 - अपराि का दुष्प्रेरण अपराि िोिे के कारण ऐसे दुष्प्रेरण का दुष्प्रेरण भी
अपराि िै।
दृष्टांत -
ग को य की ित्या करिे को उकसािे के हिए ि को क उकसाता िै। ि तद् िुकु ि
य की ित्या करिे के हिए ग को उकसाता िै और ि के उकसािे के पररणामस्व�प
ग उस अपराि को करता िै। ि अपिे अपराि के हिए ित्या के दण्ड से दण्डिीय
िै, और क िे उस अपराि को करिे के हिए ि को उकसाया, इसहिए क भी उसी
दण्ड से दण्डिीय िै।
स्पष्टीकरण 5 - षड़यंत्र द्वारा दुष्प्रेरण का अपराि करिे के हिए यि आव�क ििीं िै
हक दुष्प्रेरक उस अपराि को करिे वािे व्यखि के साथ हमिकर उस अपराि की
योजिा बिाए। यि पयातप्त िै हक उस षड़यंत्र में सख�हित िो हजसके अिुसरण में वि
अपराि हकया जाता िै।
दृष्टांत -
य को हवष देिे के हिए क एक योजिा ि से हमिकर बिाता िै। यि सिमहत िो
जाती िै हक क हवष देगा। ि तब यि वहणतत करते हुए ग को यि योजिा समझा देता
िै हक कोई तीसरा व्यखि हवष देगा, हकन्तु क का िाम ििीं िेता। ग हवष उपाप्त
करिे के हिए सिमत िो जाता िै, और उसे उपाप्त करके समझाए गए प्रकार से प्रयोग
में िािे के हिए ि को पररदत्त करता िै। क हवष देता िै, पररणामस्व�प य की मृत्यु

िो जाती िै। यिां य�हप क और ग िे हमिकर षड़यंत्र ििीं रचा िै, तो भी ग उस
षड़यंत्र से सख�हित रिा िै, हजसके अिुसरण में य की ित्या की गई िै। इसहिए ग
िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै और ित्या के हिए दण्ड से दण्डिीय िै।
108 क, भारत से बािर के अपरािों का भारत में दुष्प्रेरण -
वि व्यखि इस संहिता के अथत के अन्तगतत अपराि का दुष्प्रेरण करता िै, जो भारत से
बािर और उससे परे हकसी ऐसे कायत के हकए जािे का भारत में दुष्प्रेरण करता िै, जो
अपराि िोगा, यहद भारत में हकया जाए।
दृष्टांत -
क,भारत में ि को, जो गोवा में हवदेिी िै, गोवा में ित्या करिे के हिए उकसाता िै।
क ित्या के दुष्प्रेरण का दोषी िै।
109. दुष्प्रेरण का दण्ड, यहद दुष्प्रेररत कायत उसके पररणामस्व�प हकया जाए, और जिां
हक उसके दण्ड के हिए कोई अहभव्यि उपबंि ििीं िै -
जो कोई हकसी अपराि का दुष्प्रेरण करता िै, यहद दुष्प्रेररत कायत दुष्प्रेरण के
पररणामस्व�प हकया जाता िै, और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के हिए इस संहिता द्वारा
कोई अहभव्यि उपबंि ििीं हकया गया िै, तो वि उस दण्ड से दखण्डत हकया जाएगा,
जो उस अपराि के हिए उपबंहित िै।
स्पष्टीकरण - कोई कायत या अपराि दुष्प्रेरण के पररणामस्व�प हकया गया तब किा
जाता िै, जब वि उस उकसािट के पररणामस्व�प या उस षड़यंत्र के अिुसरण में या
उस सिायता से हकया जाता िै, हजससे दुष्प्रेरण गहठत िोता िै।
दृष्टांत -
(क) ि को, जो एक िोक-सेवक, िै ि के पदीय कृ त्यों के प्रयोग में क पर कु छ
अिुग्रि हदिािे के हिए इिाम के �प में क ररश्वत की प्रस्थापिा करता िै। ि वि
ररश्वत प्रहतगृिीत कर िेता िै। क िे िारा 161 में पररभाहषत अपराि का दुष्प्रेरण हकया
िै।
(ि) ि को हमथ्या साक्ष्य देिे के हिए क उकसाता िै। ि उस उकसािट के
पररणामस्व�प, वि अपराि करता िै। क उस अपराि के दुष्प्रेरण का दोषी िै, और
उसी दण्ड से दण्डिीय िै हजससे ि िै।
(ग) य को हवष देिे का षड़यंत्र क और ि रचते िैं। क उस षड़यंत्र के अिुसरण में
हवष उपाप्त करता िै और उसे ि को इसहिए पररदत्त करता िै हक वि उसे य को
दे। ि उस षड़यंत्र के अिुसरण में वि हवष क की अिुपखस्थहत में य को देता िै और
उसके द्वारा य की मृत्युकाररत कर देता िै। यिां ि, ित्या का दोषी िै। क षड़यंत्र द्वारा
उस अपराि के दुष्प्रेरण का दोषी िै, और वि ित्या के हिए दण्ड से दण्डिीय िै।

110. दुष्प्रेरण का दण्ड, यहद दुष्प्रेररत व्यखि दुष्प्रेरक के आिय से हभन्न आिय से
कायत करता िै -
जो कोई हकसी अपराि के हकए जािे का दुष्प्रेरण करता िै, यहद दुष्प्रेररत व्यखि िे
दुष्प्रेरक के आिय या ज्ञाि से हभन्न आिय या ज्ञाि से वि कायत हकया िो, तो वि
उसी दण्ड से दखण्डत हकया जाएगा, जो उस अपराि के हिए उपबंहित िै, जो हकया
जाता यहद वि कायत दुष्प्रेरक के िी आिय या ज्ञाि से, ि हक हकसी अ� आिय या
ज्ञाि से, हकया जाता।
111. दुष्प्रेरक का दाहयत्व जब एक कायत का दुष्प्रेरण हकया गया िै और उससे हभन्न
कायत हकया गया िै -
जबहक हकसी एक कायत का दुष्प्रेरण हकया जाता िै, और कोई हभन्न कायत हकया जाता
िै, तब दुष्प्रेरक उस हकए गए कायत के हिए उसी प्रकार से और उसी हवस्तार तक
दाहयत्व के अिीि िै, मािो उसिे सीिे उसी कायत का दुष्प्रेरण हकया िो :
परन्तुक - परन्तु यि तब जबहक हकया गया कायत दुष्प्रेरण का अहिसंभाव्य पररणाम था
और उस उकसािट के असर के अिीि या उस सिायता से या उस षड़यंत्र के
अिुसरण में हकया गया था हजससे वि दुष्प्रेरण गहठत िोता िै।
दृष्टांत -
(क) एक हििु को य के भोजि में हवष डाििे के हिए क उकसाता िै, और उस
प्रयोजि से उसे हवष पररदत्त करता िै। वि हििु उस उकसािट के पररणामस्व�प भूि
से म के भोजि में, जो य के भोजि के पास रिा हुआ िै, हवष डाि देता िै। यिां, यहद
वि हििु क के उकसािे के असर के अिीि उस कायत को कर रिा था, और हकया
गया कायत उि पररखस्थहतयों में उस दुष्प्रेरण का अहिसंभाव्य पररणाम िै, तो क उसी
प्रकार और उसी हवस्तार तक दाहयत्व के अिीि िै, मािो उसिे उस हििु को म के
भोजि में हवष डाििे के हिए उकसाया िो।
(ि) ि को य का गृि जिािे के हिए क उकसाता िै। ि उस गृि को आग िगा
देता िै और उसी समय विां संपहत्त की चोरी करता िै। क य�हप गृि जिािे के
दुष्प्रेरण का दोषी िै, हकन्तु चोरी के दुष्प्रेरण का दोषी ििीं िै; क्ोंहक वि चोरी एक
अिग कायत थी और उस गृि के जिािे का अहिसंभाव्य पररणाम ििीं थी।
(ग) ि और ग को बसे हुए गृि में अितराहत्र में िूट के प्रयोजि से भेदि करिे के
हिए क उकसाता िै, और उिको उस प्रयोजि के हिए आयुि देता िै। ि और ग वि
गृि भेदि करते िैं, और य द्वारा जो हिवाहसयों में से एक िै, प्रहतरोि हकए जािे पर, य
की ित्या कर देते िैं। यिां, यहद वि ित्या उस दुष्प्रेरण का अहिसंभाव्य पररणाम थी, तो
क ित्या के हिए उपबंहित दण्ड से दण्डिीय िै।
112. दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेररत कायत के हिए और हकए गए कायत के हिए आकहित दण्ड
से दण्डिीय िै -

यहद वि कायत, हजसके हिए दुष्प्रेरक अंहतम पूवतगामी िारा के अिुसार दाहयत्व के अिीि
िै, दुष्प्रेररत कायत के अहतररि हकया जाता िै और वि कोई सुहभन्न अपराि गहठत
करता िै, तो दुष्प्रेरक उि अपरािों में से िर एक के हिए दण्डिीय िै।
दृष्टांत -
ि को एक िोक-सेवक द्वारा हकए गए करस्थम् का बिपूवतक प्रहतरोि करिे के हिए
क उकसाता िै। ि पररणामस्व�प उस करस्थम का प्रहतरोि करता िै। प्रहतरोि करिे
में ि करस्थम का हिष्पादि करिे वािे ऑहिसर को स्वे�या घोर उपिहत काररत
करता िै। ि िे करस्थम् का प्रहतरोि करिे और स्वे�या घोर उपिहत काररत करिे
के दो अपराि हकए िैं। इसहिए ि दोिों अपरािों के हिए दण्डिीय िै, और यहद क
यि संभाव्य जािता था हक उस करस्थम का प्रहतरोि करिे में ि स्वे�या घोर उपिहत
काररत करेगा, तो क भी उिमें से िर एक अपराि के हिए दण्डिीय िोगा।
113. दुष्प्रेररत कायत से काररत उस प्रभाव के हिए दुष्प्रेरक का दाहयत्व जो दुष्प्रेरक
द्वारा आिहयत से हभन्न िो -
जबहक कायत का दुष्प्रेरण दुष्प्रेरक द्वारा हकसी हवहिष्ट प्रभाव को काररत करिे के आिय
से हकया जाता िै और दुष्प्रेरण के पररणामस्व�प हजस कायत के हिए दुष्प्रेरक दाहयत्व
के अिीि िै, वि कायत दुष्प्रेरक के द्वारा आिहयत प्रभाव से हभन्न प्रभाव काररत करता
िै तब दुष्प्रेरक काररत प्रभाव के हिए उसी प्रकार और उसी हवस्तार तक दाहयत्व के
अिीि िै, मािो उसिे उस कायत का दुष्प्रेरण उसी प्रभाव को काररत करिे के आिय
से हकया िो परन्तु यि तब जबहक वि यि जािता था हक दुष्प्रेररत कायत से यि प्रभाव
काररत िोिा संभाव्य िै।
दृष्टांत -
य को घोर उपिहत करिे के हिए ि को क उकसाता िै। ि उस उकसािट के
पररणामस्व�प य को घोर उपिहत काररत करता िै। पररणामतः य की मृत्यु िो जाती
िै। यिां, यहद क यि जािता था हक दुष्प्रेररत घोर उपिहत से मृत्यु काररत िोिा संभाव्य
िै, तो क ित्या के हिए उपबंहित दण्ड से दण्डिीय िै।
114. अपराि हकए जाते समय दुष्प्रेरक की उपखस्थहत -
जब कभी कोई व्यखि, जो अिुपखस्थत िोिे पर दुष्प्रेरक के िाते दण्डिीय िोता, उस
समय उपखस्थत िो जब वि कायत या अपराि हकया जाए, हजसके हिए वि दुष्प्रेरण के
पररणामस्व�प दण्डिीय िोता, तब यि समझा जाएगा हक उसिे ऐसा कायत या अपराि
हकया िै।
115. मृत्यु या आजीवि कारावास से दण्डिीय अपराि का दुष्प्रेरण -
यहद अपराि ििीं हकया जाता - जो कोई मृत्यु या आजीवि कारावास से दण्डिीय
अपराि हकए जािे का दुष्प्रेरण करेगा, यहद वि अपराि उस दुष्प्रेरण के पररणामस्व�प
ि हकया जाए, और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के हिए कोई अहभव्यि उपबंि इस संहिता

में ििीं हकया गया िै, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;
यहद अपिाहि करिे वािा कायत पररणामस्व�प हकया जाता िै - और यहद ऐसा कोई
कायत कर हदया जाए, हजसके हिए दुष्प्रेरक उस दुष्प्रेरण के पररणामस्व�प दाहयत्व के
अिीि िो और हजससे हक व्यखि को उपिहत काररत िो, तो दुष्प्रेरक दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि चौदि वषत तक की िो सके गी, दण्डिीय िोगा,
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
दृष्टांत -
ि को य की ित्या करिे के हिए कउकसाता िै। वि अपराि ििीं हकया जाता िै।
यहद य की ित्या ि कर देता. तो वि मृत्यु या आजीवि कारावास के दण्ड से दण्डिीय
िोता। इसहिए क कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दण्डिीय
िै और जुमातिे से भी दण्डिीय िै, और यहद दुष्प्रेरण के पररणामस्व�प य को कोई
उपिहत िो जाती िै, तो, वि कारावास से, हजसकी अवहि चौदि वषत तक की िो सके गी,
दण्डिीय िोगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
116. कारावास से दण्डिीय अपराि का दुष्प्रेरण - यहद अपराि ि हकया जाए -
जो कोई कारावास से दण्डिीय अपराि का दुष्प्रेरण करेगा यहद, वि अपराि उस
दुष्प्रेरण के पररणामस्व�प ि हकया जाए और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के हिए कोई
अहभव्यि उपबंि इस संहिता में ििीं हकया गया िै; तो वि उस अपराि के हिए
उपबंहित हकसी भांहत के कारावास से ऐसी अवहि के हिए, जो उस अपराि के हिए
उपबंहित दीघततम अवहि के एक-चौथाई भाग तक की िो सके गी, या ऐसे जुमातिे से,
जो उस अपराि के हिए उपबंहित िै, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
यहद दुष्प्रेरक या दुष्प्रेररत व्यखि ऐसा िोक-सेवक िै, हजसका कततव्य अपराि हिवाररत
करिा िो - और यहद दुष्प्रेरक या दुष्प्रेररत व्यखि ऐसा िोक-सेवक िो, हजसका कततव्य
ऐसे अपराि के हकए जािे को हिवाररत करिा िो, तो वि दुष्प्रेरक उस अपराि के
हिए उपबंहित हकसी भांहत के कारावास से ऐसी अवहि के हिए जो उस अपराि के
हिए उपबंहित दीघततम अवहि के आिे भाग तक की िो सके गी, या ऐसे जुमातिे से, जो
उस अपराि के हिए उपबंहित िै, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
दृष्टांत -
(क) ि को, जो एक िोक-सेवक िै, ि के पदीय कृ त्यों के प्रयोग में कअपिे प्रहत कु छ
अिुग्रि हदिािे के हिए इिाम के �प में ररश्वत की प्रस्थापिा करता िै। ि उस ररश्वत
को प्रहतगृिीत करिे से इंकार कर देता िै। क इस िारा के अिीि दण्डिीय िै।
(ि) हमथ्या साक्ष्य देिे के हिए ि को क उकसाता िै। यिां, यहद ि हमथ्या साक्ष्य ि
दे, तो भी क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै, और वि तदिुसार दण्डिीय
िै।

(ग) क, एक पुहिस ऑहिसर, हजसका कततव्य िूट को हिवाररत करिा िै, िूट हकए जािे
का दुष्प्रेरण करता िै। यिां, य�हप वि िूट ििीं की जाती, क उस अपराि के हिए
उपबंहित कारावास की दीघततम अवहि के आिे से, और जुमातिे से भी, दण्डिीय िै।
(घ) क द्वारा, जो एक पुहिस ऑहिसर िै, और हजसका कत्ततव्य िूट को हिवाररत करिा
िै, उस अपराि के हकए जािे का दुष्प्रेरण ि करता िै, यिां य�हप वि िूट ि की
जाए, ि िूट के अपराि के हिए उपबंहित कारावास की दीघततम अवहि के आिे से,
और जुमातिे से भी, दण्डिीय िै।
117. िोक सािारण द्वारा या दस से अहिक व्यखियों द्वारा अपराि हकए जािे का
दुष्प्रेरण -
जो कोई िोक सािारण द्वारा या दस से अहिक व्यखियों की हकसी भी संख्ा या वगत
द्वारा हकसी अपराि के हकए जािे का दुष्प्रेरण करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
दृष्टांत -
क, एक िोक स्थाि में एक प्लेकाडत हचपकाता िै, हजसमें एक पंथ को हजसमें दस से
अहिक सदस्य िैं, एक हवरोिी पंथ के सदस्यों पर, जबहक वे जुिूस हिकाििे में िगे
हुए िों, आक्रमण करिे के प्रयोजि से, हकसी हिहश्चत समय और स्थाि पर हमििे के
हिए उकसाया गया िै। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
118. मृत्यु या आजीवि कारावास से दण्डिीय अपराि करिे की पररकल्पिा को
हछपािा -
जो कोई मृत्यु या आजीवि कारावास से दण्डिीय अपराि का हकया जािा सुकर बिािे
के आिय से या सम्भाव्यतः तद्द्वारा सुकर बिाएगा यि जािते हुए;
ऐसे अपराि के हकए जािे की पररकल्पिा के अखस्तत्व को हकसी कायत या िोप द्वारा
या गूढ़िेिि के प्रयोग या जािकारी छु पािे के हकसी अ� उपाय द्वारा स्वे�या हछपाएगा
या ऐसी पररकल्पिा के बारे में ऐसा व्यपदेिि करेगा हजसका हमथ्या िोिा वि जािता
िै,
यहद अपराि कर हदया जाए - यहद अपराि ििीं हकया जाए - यहद ऐसा अपराि कर
हदया जाए, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत
तक की िो सके गी, अथवा यहद अपराि ि हकया जाए, तो वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
दोिों दिाओं में से िर एक में जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
दृष्टांत -

क यि जािते हुए हक ि स्थाि पर डकै ती पड़िे वािी िै, महजस्ट्रेट को यि हमथ्या
इहत्तिा देता िै हक डकै ती ग स्थाि पर, जो हवपरीत हदिा में िै, पड़िे वािी िै, और
इस आिय से हक एतद्द्वारा उस अपराि का हकया जािा सुकर बिाए महजस्ट्रेट को
भुिावा देता िै। डकै ती पररकल्पिा के अिुसरण में ि स्थाि पर पड़ती िै। क इस
िारा के अिीि दण्डिीय िै।
119. हकसी ऐसे अपराि के हकए जािे की पररकल्पिा का िोक-सेवक द्वारा हछपाया
जािा, हजसका हिवारण करिा उसका कततव्य िै -
जो कोई िोक-सेवक िोते हुए उस अपराि का हकया जािा, हजसका हिवारण करिा
ऐसे िोक- सेवक के िाते उसका कततव्य िै, सुकर बिािे के आिय से या संभाव्यतः
तद्वारा सुकर बिाएगा यि जािते हुए,
ऐसे अपराि के हकए जािे की पररकल्पिा के अखस्तत्व को हकसी कायत या िोप द्वारा
या गूढ़िेिि के प्रयोग या जािकारी छु पािे के हकसी अ� उपाय द्वारा स्वे�या
हछपाएगा या ऐसी पररकल्पिा के बारे में ऐसा व्यपदेिि करेगा हजसका हमथ्या िोिा
वि जािता िै,
यहद अपराि कर हदया जाए - यहद ऐसा अपराि कर हदया जाए, तो वि उस अपराि
के हिए उपबंहित हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि ऐसे कारावास की
दीघततम अवहि से आिी तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो उस अपराि के हिए
उपबंहित िै, या दोिों से;
यहद अपराि मृत्यु आहद से दण्डिीय िै - अथवा यहद वि अपराि मृत्यु या आजीवि
कारावास से दण्डिीय िो, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी।
यहद अपराि ििीं हकया जाए - अथवा यहद वि अपराि ििीं हकया जाए, तो वि उस
अपराि के हिए उपबंहित हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि ऐसे कारावास
की दीघततम अवहि की एक चौथाई तक की िो सके गी या ऐसे जुमातिे से, जो उस
अपराि के हिए उपबंहित िै, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा
दृष्टांत -
क, एक पुहिस ऑहिसर, िूट हकए जािे से संबंहित सब पररकल्पिाओं की, जो उसको
ज्ञात िो जाए, इहत्तिा देिे के हिए वैि �प से आबद्ध िोते हुए और यि जािते हुए
हक ि िूट करिे की पररकल्पिा बिा रिा िै, उस अपराि के हकए जािे को सुकर
बिािे के आिय से ऐसी इहत्तिा देिे का िोप करता िै। यिां क िे ि की पररकल्पिा
के अखस्तत्व को एक अवैि िोप द्वारा हछपाया िै, और वि इस िारा के उपबंि के
अिुसार दण्डिीय िै।
120. कारावास से दण्डिीय अपराि करिे की पररकल्पिा को हछपािा -

जो कोई उस अपराि का हकया जािा, जो कारावास से दण्डिीय िै, सुकर बिािे के
आिय से या संभाव्यतः तद्द्वारा सुकर बिाएगा, यि जािते हुए;
ऐसे अपराि के हकए जािे की पररकल्पिा के अखस्तत्व को हकसी कायत या अवैि िोप
द्वारा स्वे�या हछपाएगा या ऐसी पररकल्पिा के बारे में ऐसा व्यपदेिि करेगा, हजसका
हमथ्या िोिा वि जािता िै,
यहद अपराि कर हदया जाए - यहद अपराि ििीं हकया जाए - यहद ऐसा अपराि कर
हदया जाए, तो वि उस अपराि के हिए उपबंहित भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
ऐसे कारावास की दीघततम अवहि की एक चौथाई तक की िो सके गी और यहद वि
अपराि ििीं हकया जाए, तो वि ऐसे कारावास से, हजसकी अवहि ऐसे कारावास की
दीघततम अवहि के आठवें भाग तक की िो सके गी, या ऐसे जुमातिे से, जो उस अपराि
के हिए उपबंहित िै, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
अध्याय 5 क: आपराहिक षडयंत्र
120 क, आपराहिक षड़यंत्र की पररभाषा -
जबहक दो या अहिक व्यखि -
(1) कोई अवैि कायत, अथवा
(2) कोई ऐसा कायत, जो अवैि ििीं िै, अवैि साििों द्वारा, करिे या करवािे को सिमत
िोते िैं, तब ऐसी सिमहत आपराहिक षड़यंत्र कििाती िै।
परन्तु हकसी अपराि को करिे की सिमहत के हसवाय कोई सिमहत आपराहिक षड़यंत्र
तब तक ि िोगी, जब तक हक सिमहत के अिावा कोई कायत उसके अिुसरण में उस
सिमहत के एक या अहिक पक्षकारों द्वारा ििीं कर हदया जाता।
स्पष्टीकरण - यि तत्विीि िै हक अवैि कायत ऐसी सिमहत का चरम उद्दे� िै या उस
उद्दे� का आिुषंहगक मात्र िै।
120 ि. आपराहिक षड़यंत्र का दण्ड -
(1) जो कोई मृत्यु, आजीवि कारावास या दो वषत या उससे अहिक अवहि के कहठि
कारावास से दण्डिीय अपराि करिे के आपराहिक षड़यंत्र में िरीक िोगा, यहद ऐसे
षड़यंत्र के दण्ड के हिए इस संहिता में कोई अहभव्यि उपबंि ििीं िै, तो वि उसी
प्रकार दखण्डत हकया जाएगा, मािो उसिे ऐसे अपराि का दुष्प्रेरण हकया था।
(2) जो कोई पूवोि �प से दण्डिीय अपराि को करिे के आपराहिक षड़यंत्र से हभन्न
हकसी आपराहिक षड़यंत्र में िरीक िोगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि छि मास से अहिक की ििीं िोगी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत
हकया जाएगा।
अध्याय 6: राज्य के हव�द्ध अपरािो के हवषय में

121. भारत सरकार के हव�द्ध युद्ध करिा या युद्ध करिे का प्रयत्न करिा या युद्ध
करिे का दुष्प्रेरण करिा -
जो कोई भारत सरकार के हव�द्ध युद्ध करेगा, या ऐसा युद्ध करिे का प्रयत्न करेगा या
ऐसा युद्ध करिे का दुष्प्रेरण करेगा, वि मृत्यु या आजीवि कारावास से दखण्डत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
दृष्टांत -
क भारत सरकार के हव�द्ध हवप्लव में सख�हित िोता िै। क िे इस िारा में पररभाहषत
अपराि हकया िै।
121 क, िारा 121 द्वारा दण्डिीय अपरािों को करिे का षड़यंत्र -
जो कोई िारा 121 द्वारा दण्डिीय अपरािों में से कोई अपराि करिे के हिए भारत
के भीतर या बािर षड़यंत्र करेगा, या के न्द्रीय सरकार को या हकसी राज्यों की सरकार
को आपराहिक बि द्वारा या आपराहिक बि के प्रदिति द्वारा आतंहकत करिे का षड़यंत्र
करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा |
स्पष्टीकरण - इस िारा के अिीि षड़यंत्र गहठत िोिे के हिए यि आव�क ििीं िै
हक उसके अिुसरण में कोई कायत या अवैि िोप घहटत हुआ िो।
122. भारत सरकार के हव�द्ध युद्ध करिे के आिय से आयुि आहद संग्रि करिा -
जो कोई भारत सरकार के हव�द्ध या तो युद्ध करिे, या युद्ध करिे की तैयारी करिे
के आिय से पु�ष, आयुि या गोिाबा�द संग्रि करेगा, या अ�था युद्ध करिे की
तैयारी करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से भांहत के कारावास से हजसकी
अवहि दस वषत से अहिक की ििीं िोगी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमािे से भी
दण्डिीय िोगा।
123. युद्ध करिे की पररकल्पिा को सुकर बिािे के आिय से हछपािा -
जो कोई भारत सरकार के हव�द्ध युद्ध करिे की पररकल्पिा के अखस्तत्वों को हकसी
कायत द्वारा, या हकसी अवैि िोप द्वारा, इस आिय से हक इस प्रकार हछपािे के द्वारा
ऐसे युद्ध करिे को सुकर बिाए, या यि संभाव्य जािते हुए हक इस प्रकार हछपािे के
द्वारा ऐसे युद्ध करिे को सुकर बिाएगा, हछपाएगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी, दण्डिीय िोगा।
124. हकसी हवहिपूणत िखि का प्रयोग करिे के हिए हववि करिे या उसका प्रयोग
अवरोहित करिे के आिय से राष्टरपहत, राज्यपाि आहद पर िमिा करिा -

जो कोई भारत के राष्टरपहत या हकसी राज्य के राज्यपाि को ऐसे राष्टरपहत या राज्यपाि
की हवहिपूणत िखियों में से हकसी िखि का हकसी प्रकार प्रयोग करिे के हिए या
प्रयोग करिे से हवरत रििे के हिए उत्प्रेररत करिे या हववि करिे के आिय से,
ऐसे राष्टरपहत या राज्यपाि पर िमिा करेगा या उसका सदोष अवरोि करेगा, या सदोष
अवरोि करिे का प्रयत्न करेगा या उसे आपराहिक बि द्वारा या आपराहिक बि के
प्रदिति द्वारा आतंहकत करेगा या ऐसे आतंहकत करिे का प्रयत्न करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो
सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी, दण्डिीय िोगा।
124 क. राजद्रोि -
जो कोई बोिे गए या हििे गए ि�ों द्वारा या संके तों द्वारा, या दृ��पण द्वारा या
अ�था भारत में हवहि द्वारा स्थाहपत सरकार के प्रहत घृणा या अवमाि पैदा करेगा, या
पैदा करिे का प्रयत्न करेगा, अप्रीहत प्रदीप्त करेगा या प्रदीप्त करिे का प्रयत्न करेगा,
वि आजीवि कारावास से, हजसमें जुमातिा जोड़ा जा सके गा या तीि वषत तक के
कारावास से हजसमें जुमातिा जोड़ा जा सके गा, या जुमातिे से दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण 1 - “अप्रीहत" पद के अन्तगतत अभखि और ित्रुता की समस्त भाविाएं आती
िैं।
स्पष्टीकरण 2 - घृणा, अवमाि या अप्रीहत को प्रदीप्त हकए हबिा या प्रदीप्त करिे का
प्रयत्न हकए हबिा, सरकार के कामों के प्रहत हवहिपूणत साििों द्वारा उिको पररवहततत
करािे की दृहष्ट से अिुमोदि प्रकट करिे वािी टीका हटप्पहणयां इस िारा के अिीि
अपराि ििीं िैं।
स्पष्टीकरण 3 - घृणा, अवमाि या अप्रीहत को प्रदीप्त हकए हबिा या प्रदीप्त करिे का
प्रयत्न हकए हबिा सरकार की प्रिासहिक या अ� हक्रया के प्रहत अिुमोदि प्रकट करिे
वािी टीका हटप्पहणयााँ इस िारा के अिीि अपराि गहठत ििीं करती।
125. भारत सरकार से मैत्री संबंि रििे वािी हकसी एहियाई िखि के हव�द्ध युद्ध
करिा -
जो कोई भारत सरकार से मैत्री का या िांहत का संबंि रििे वािी हकसी एहियाई
िखि की सरकार के हव�द्ध युद्ध करेगा, या ऐसा युद्ध करिे का प्रयत्न करेगा, या ऐसा
युद्ध करिे के हिए दुष्प्रेरण करेगा, वि आजीवि कारावास से, हजसमें जुमातिा जोड़ा जा
सके गा, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की
िो सके गी, हजसमें जुमातिा जोड़ा जा सके गा, या जुमातिे से दखण्डत हकया जाएगा।
126. भारत सरकार के साथ िांहत का संबंि रििे वािी िखि के राज्यक्षेत्र में
िूटपाट करिा -

जो कोई भारत सरकार से मैत्री का या िांहत का संबंि रििे वािी हकसी िखि के
राज्यक्षेत्र में िूटपाट करेगा, या िूटपाट करिे की तैयारी करेगा, वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा
और वि जुमातिे से और ऐसी िूटपाट करिे के हिए उपयोग में िाई गई या उपयोग
में िाई जािे के हिए आिहयत, या ऐसी िूटपाट द्वारा अहजतत संपहत्त के समपिरण से
भी दण्डिीय िोगा।
127. िारा 125 और 126 में वहणतत युद्ध या िूटपाट द्वारा िी गई संपहत्त प्राप्त करिा -
जो कोई हकसी संपहत्त को यि जािते हुए प्राप्त करेगा हक वि िारा 125 और 126 में
वहणतत अपरािों में से हकसी के हकए जािे में िी गई िै, वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से और इस प्रकार प्राप्त की गई संपहत्त के समपिरण से भी दण्डिीय िोगा।
128. िोक-सेवक का स्वे�या राजकै दी या युद्धकै दी को हिकि भागिे देिा -
जो कोई िोक-सेवक िोते हुए और हकसी राजकै दी या युद्धकै दी को अहभरक्षा में रिते
हुए, स्वे�या ऐसे कै दी को हकसी ऐसे स्थाि से हजसमें ऐसा कै दी परर�द्ध िै, हिकि
भागिे देगा, वि आजीवि कारावास से या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी,
दण्डिीय िोगा।
129. उपेक्षा से िोक-सेवक का ऐसे कै दी का हिकि भागिा सिि करिा -
जो कोई िोकसेवक िोते हुए और हकसी राजकै दी या युद्धकै दी की अहभरक्षा में रिते
हुए उपेक्षा में ऐसे कै दी को हकसी ऐसे परररोि स्थाि से हजस में ऐसा कै दी परर�द्ध
िै, हिकि भागिा सिि करेगा, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की
िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी, दण्डिीय िोगा।
130. ऐसे कै दी के हिकि भागिे में सिायता देिा, उसे छु ड़ािा या संश्रय देिा -
जो कोई जािते हुए हकसी राजकै दी या युद्धकै दी को हवहिपूणत अहभरक्षा से हिकि
भागिे में मदद या सिायता देगा, या हकसी ऐसे कै दी को छु ड़ाएगा या छु ड़ािे का प्रयत्न
करेगा, या हकसी ऐसे कै दी को, जो हवहिपूणत अहभरक्षा से हिकि भागा िै, संश्रय देगा
या हछपाएगा या ऐसे कै दी के हिर से पकड़े जािे का प्रहतरोि करेगा या करिे का
प्रयत्न करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - कोई राजकै दी या युद्धकै दी, हजसे अपिे पैरोि पर भारत में कहतपय सीमाओं
के भीतर यथे� हवचरण की अिुज्ञा िै, हवहिपूणत अहभरक्षा से हिकि भागा िै, यि तब
किा जाता िै, जब वि उि सीमाओं से परे चिा जाता िै, हजिके भीतर उसे यथे�
हवचरण की अिुज्ञा िै।

अध्याय 7:
सेिा िोसेिा और वायुसेिा से सम्बंहित अपरािो के हवषय में
131. हवद्रोि का दुष्प्रेरण या हकसी सैहिक, िौसेहिक या वायुसैहिक को कततव्य से
हवचहित करिे का प्रयत्न करिा -
जो कोई भारत सरकार की सेिा, िौसेिा या वायुसेिा के हकसी ऑहिसर, सैहिक,
िौसैहिक या वायुसैहिक द्वारा हवद्रोि हकए जािे का दुष्प्रेरण करेगा, या हकसी ऐसे
ऑहिसर, सैहिक, िौसैहिक या वायुसैहिकों को उसकी राजहिष्ठा या उसके कत्ततव्य से
हवचहित करिे का प्रयत्न करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - इस िारा में “ऑहिसर”, “सैहिक”, िौसैहिक और “वायुसैहिक” ि�ों के
अन्तगतत कोई भी व्यखि आता िै, जो यथाखस्थहत, आमी एक्ट, सेिा अहिहियम, 1950
(1950 का 46), िेवि हडहसखप्लि एक्ट, इंहडयि िेवी (हडहसखप्लि) एक्ट, 1934 (1934 का
34) एयरिोसत एक्ट या वायुसेिा अहिहियम, 1950 (1950 का 45) के अध्यिीि िो ।
132. हवद्रोि का दुष्प्रेरण, यहद उसके पररणामस्व�प हवद्रोि हकया जाए -
जो कोई भारत सरकार की सेिा, िौसैिा या वायुसेिा के हकसी ऑहिसर, सैहिक,
िौसैहिक या वायुसैहिक द्वारा हवद्रोि हकए जािे का दुष्प्रेरण करेगा, यहद उस दुष्प्रेरण के
पररणामस्व�प हवद्रोि िो.जाए, तो वि मृत्यु से, या आजीवि कारावास से, या दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
133. सैहिक, िौसैहिक या वायुसैहिक द्वारा अपिे वररष्ठ ऑहिसर पर जबहक वि
ऑहिसर अपिे पद हिष्पादि में िो, िमिे का दुष्प्रेरण -
जो कोई भारत सरकार की सेिा, िौसेिा या वायुसेिा के हकसी ऑहिसर, सैहिक,
िौसैहिक या वायुसैहिकों द्वारा हकसी वररष्ठ ऑहिसर पर, जबहक वि ऑहिसर अपिे
पद हिष्पादि में िो, िमिे का दुष्प्रेरण करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से
भी, दण्डिीय िोगा।
134. ऐसे िमिे का दुष्प्रेरण, यहद िमिा हकया जाए -
जो कोई भारत सरकार की सेिा, िौसेिा या वायुसेिा के ऑहिसर, सैहिक, िौसैहिक, या
वायुसैहिकों द्वारा हकसी वररष्ठ ऑहिसर पर, जबहक वि ऑहिसर अपिे पद हिष्पादि
में िो, िमिे का दुष्प्रेरण करेगा, यहद ऐसा िमिा उस दुष्प्रेरण के पररणास्व�प हकया
जाए, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक
की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी, दण्डिीय िोगा।

135. सैहिक, िौसैहिक या वायुसैहिक द्वारा अहभत्यजि का दुष्प्रेरण -
जो कोई भारत सरकार की सेिा, िौसेिा या वायुसेिा के हकसी ऑहिसर, सैहिक,
िौसैहिक या वायुसैहिक द्वारा अहभत्यजि हकए जािे का दुष्प्रेरण करेगा, वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से,
या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
136. अहभत्याजक को संश्रय देिा -
जो कोई हसवाय एतखिि् पश्चात् यथा अपवाहदत के यि जािते हुए या यि हवश्वास
करिे का कारण रिते हुए हक भारत सरकार की सेिा, िौसेिा या वायुसेिा के हकसी
ऑहिसर, सैहिक, िौसेहिक या वायुसैहिकों िे अहभत्यजि हकया िै, ऐसे ऑहिसर, सैहिक,
िौसैहिक या वायुसैहिकों को संश्रय देगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया
जाएगा।
अपवाद - इस उपबंि का हवस्तार उस मामिे पर ििीं िै, हजसमें पत्नी द्वारा अपिे पहत
को संश्रय हदया जाता िै।
137. मास्ट्र की उपेक्षा से हकसी वाहणखज्यक जियाि पर हछपा हुआ अहभत्याजक -
हकसी ऐसे वाहणखज्यक जियाि का, हजस पर भारत सरकार की सेिा, िौसेिा या वायुसेिा
का कोई अहभत्याजक हछपा हुआ िो, मास्ट्र या भारसािक व्यखि, य�हप वि ऐसे
हछपिे के संबंि में अिहभज्ञ िो, ऐसी िाखस्त से दण्डिीय िोगा जो पांच सौ �पए से
अहिक ििीं िोगी, यहद उसे ऐसे हछपिे का ज्ञाि िो सकता था, हकन्तु के वि इस कारण
ििीं हुआ हक ऐसे मास्ट्र या भारसािक व्यखि के िाते उसके कत्ततव्य में कु छ उपेक्षा
हुई या उस जियाि पर अिुिासि का कु छ अभाव था।
138. सैहिक, िौसैहिक या वायुसैहिक द्वारा अििीिता के कायत का दुष्प्रेरण -
जो कोई ऐसी बात का दुष्प्रेरण करेगा हजसे हक वि भारत सरकार की सेिा, िौसेिा
या वायुसेिा के हकसी ऑहिसर, सैहिक, िौसैहिक या वायुसैहिकों द्वारा अििीिता का
कायत जािता िो, यहद अििीिता का ऐसा कायत उस दुष्प्रेरण के पररणामस्व�प हकया
जाए, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
138 क. पूवोि िाराओं का भारतीय सामुहद्रक सेवा को िागू िोिा -
[1887 के अहिहियम सं. 14 की िारा 79 द्वारा अन्त: स्थाहपत तथा संिोिि अहिहियम,
1934 (1934 का 35) की िारा 2 तथा अिुसूची द्वारा हिरहसत]
139. कु छ अहिहियमों के अध्यिीि व्यखि -

कोई व्यखि जो आमी एक्ट, सेिा अहिहियम, 1950 (1950 का 46), िेवि हडहसखप्लि एक्ट,
इंहडयि िेवी (हडहसखप्लि) एक्ट, 1934 (1934 का 34), एयर िोसत एक्ट या वायुसेिा
अहिहियम, 1950 (1950 का 45) के अध्यिीि िै, इस अध्याय में पररभाहषत अपरािों में से
हकसी के हिए इस संहिता के अिीि दण्डिीय ििीं िै।
140. सैहिक, िौसैहिक या वायुसैहिक द्वारा उपयोग में िाई जािे वािी पोिाक पिििा
या टोकि िारण करिा -
जो कोई भारत सरकार की सै�, िाहवक या वायुसेिा का सैहिक, िौसैहिक या
वायुसैहिक ि िोते हुए, इस आिय से हक यि हवश्वास हकया जाए हक वि ऐसा सैहिक,
िौसैहिक या वायुसैहिक िै, ऐसी कोई पोषाक पििेगा या ऐसा टोकि िारण करेगा जो
ऐसे सैहिक, िौसैहिक या वायुसैहिकों द्वारा उपयोग में िाई जािे वािी पोषाक या टोकि
के सदृि िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि मास
तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का िो सके गा, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
अध्याय 8: िोक प्रिांहत के हव�द्ध अपरािो के हवषय में
141. हवहिहव�द्ध जमाव -
पांच या अहिक व्यखियों का जमाव “हवहिहव�द्ध जमाव” किा जाता िै, यहद उि
व्यखियों का, हजिसे वि जमाव गहठत हुआ िै, सामा� उद्दे� िो -
पििा - के न्द्रीय सरकार को, या हकसी राज्य सरकार को, या संसद को या हकसी राज्य
के हविाि मण्डि, को या हकसी िोक-सेवक को, जबहक वि ऐसे िोक-सेवक की
हवहिपूणत िखि का प्रयोग कर रिा िो, आपराहिक बि द्वारा या आपराहिक बि के
प्रदिति द्वारा, आतंहकत करिा, अथवा
दू सरा - हकसी हवहि के, या हकसी वैि आदेहिका के, हिष्पादि का प्रहतरोि करिा,
अथवा
तीसरा - हकसी ररहष्ट या आपराहिक अहतचार या अ� अपराि का करिा, अथवा
चौथा - हकसी व्यखि पर आपराहिक बि द्वारा या आपराहिक बि के प्रदिति द्वारा,
हकसी संपहत्त का कब्जा िेिा या अहभप्राप्त करिा या हकसी व्यखि को हकसी मागत के
अहिकार के उपभोग से, या जि का उपभोग करिे के अहिकार या अ� अमूतत अहिकार
से हजसका वि कब्जा रिता िो, या उपभोग करता िो, वंहचत करिा या हकसी अहिकार
या अिुहमत अहिकार को प्रवहततत करािा, अथवा
पााँचवा - आपराहिक बि द्वारा या आपराहिक बि के प्रदिति द्वारा, हकसी व्यखि को
वि करिे के हिए, हजसे करिे के हिए वि वैि �प से आबद्ध ि िो या उसका िोप
करिे के हिए, हजसे करिे का वि वैि �प से िकदार िो, हववि करिा।

स्पष्टीकरण - कोई जमाव, जो इकट्ठा िोते समय हवहिहव�द्ध ििीं था, बाद को हवहिहव�द्ध
जमाव िो सके गा।
142. हवहिहव�द्ध जमाव का सदस्य िोिा -
जो कोई उि तथ्यों से पररहचत िोते हुए, जो हकसी जमाव को हवहिहव�द्ध जमाव बिाते
िैं, उस जमाव में सािय सख�हित िोता िै या उसमें बिा रिता िै, वि हवहिहव�द्ध
जमाव का सदस्य िै, यि किा जाता िै।
143. दण्ड -
जो कोई हवहिहव�द्ध जमाव का सदस्य िोगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत
हकया जाएगा।
144. घातक आयुिों से सखित िोकर हवहिहव�द्ध जमाव में सख�हित िोिा -
जो कोई हकसी घातक आयुि से, या हकसी ऐसी चीज से, हजससे आक्रमण आयुि के
�प में उपयोग हकए जािे पर मृत्यु काररत िोिी संभाव्य िै, सखित िोते हुए हकसी
हवहिहव�द्ध जमाव का सदस्य िोगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
145. हकसी हवहिहव�द्ध जमाव में यि जािते हुए हक उसके हबिर जािे का समादेि
दे हदया गया िै, सख�हित िोिा या उसमें बिे रििा -
जो कोई हकसी हवहिहव�द्ध जमाव में यि जािते हुए हक ऐसे हवहिहव�द्ध जमाव को
हबिर जािे का समादेि हवहि द्वारा हवहित प्रकार से हदया गया िै, सख�हित िोगा, या
बिा रिेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
146. बल्वा करिा -
जब कभी हवहिहव�द्ध जमाव द्वारा या उसके हकसी सदस्य द्वारा ऐसे जमाव के सामा�
उद्दे� को अग्रसर करिे में बि या हिंसा का प्रयोग हकया जाता िै तब ऐसे जमाव
का िर सदस्य बल्वा करिे के अपराि का दोषी िोगा।
147. बल्वा करिे के हिए दण्ड -
जो कोई बल्वा करिे का दोषी िोगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि एवं छत्तीसगढ़ - �ायािय की अिुमहत से, उस व्यखि द्वारा िमिीय हजसके
हव�द्ध अपराि काररत करते समय बि या हिंसा प्रयुि की गई िै, परन्तु यि हक
अहभयुि हकसी अ� अिमिीय अपराि का आरोपी ििीं िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम सं. 17 सि् 1999 की िारा 3 (21-5-1999 से प्रभाविीि) ।]
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148. घातक आयुि से सखित िोकर बल्वा करिा -
जो कोई घातक आयुि से, या हकसी ऐसी चीज से हजससे आक्रामक आयुि के �प में
उपयोग हकए जािे पर मृत्यु काररत िोिी संभाव्य िो, सखित िोते हुए बल्वा करिे का
दोषी िोगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
------------------------------------------------------------------------------
राज्य संिोिि

मध्यप्रदेि एवं छत्तीसगढ़ - �ायािय की अिुमहत से, उस व्यखि द्वारा िमिीय हजसके
हव�द्ध अपराि काररत करते समय बि या हिंसा प्रयुि की गई िै, परन्तु यि हक
अहभयुि हकसी अ� अिमिीय अपराि का आरोपी ििीं िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम सं. 17 सि् 1999 की िारा 3३ (21-5-1999 से प्रभाविीि) |]
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149. हवहिहव�द्ध जमाव का िर सदस्य, सामा� उद्दे� को अग्रसर करिे में हकए गए
अपराि का दोषी -
यहद हवहिहव�द्ध जमाव के हकसी सदस्य द्वारा उस जमाव के सामा� उद्दे� को अग्रसर
करिे में अपराि हकया जाता िै, या कोई ऐसा अपराि हकया जाता िै, हजसका हकया
जािा उस जमाव के सदस्य उस उद्दे� को अग्रसर करिे में संभाव्य जािते थे, तो िर
व्यखि, जो उस अपराि के हकए जािे के समय उस जमाव का सदस्य िै, उस अपराि
का दोषी िोगा।
150. हवहिहव�द्ध जमाव में सख�हित करिे के हिए व्यखियों का भाड़े पर िेिा या
भाड़े पर िेिे के प्रहत मौिािुकू िता -
जो कोई हकसी व्यखि को हकसी हवहिहव�द्ध जमाव में सख�हित िोिे या उसका सदस्य
बििे के हिए भाड़े पर िेगा या वचिबद्ध या हियोहजत करेगा या भाड़े पर हिए जािे
का वचिबद्ध या हियोहजत करिे का संप्रवतति करेगा या उसके प्रहत मौिािुकू ि बिा
रिेगा, वि ऐसे हवहिहव�द्ध जमाव के सदस्य के �प में, और हकसी ऐसे व्यखि द्वारा

ऐसे हवहिहव�द्ध जमाव के सदस्य के िाते ऐसे भाड़े पर िेिे, वचिबद्ध या हियोजि के
अिुसरण में हकए गए हकसी भी अपराि के हिए उसी प्रकार दण्डिीय िोगा, मािो वि
ऐसे हवहिहव�द्ध जमाव का सदस्य रिा था या ऐसा अपराि उसिे स्वयं हकया था।
151. पांच या अहिक व्यखियों के जमाव को हबिर जािे का समादेि हदए जािे के
पश्चात् उसमें जािते हुए सख�हित िोिा या बिे रििा -
जो कोई पांच या अहिक व्यखियों के हकसी जमाव में, हजससे िोक िांहत में हवघ्न
काररत िोिा संभाव्य िो, ऐसे जमाव को हबिर जािे का समादेि हवहिपूवतक दे हदए
जािे पर, जािते हुए सख�हित िोगा या बिा रिेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण - यहद वि जमाव िारा 141 के अथत के अन्तगतत हवहिहव�द्ध जमाव िो, तो
अपरािी िारा 145 के अिीि दण्डिीय िोगा।
152. िोक-सेवक जब बल्वा इत्याहद को दबा रिा िो, तब उस पर िमिा करिा या
उसे बाहित करिा -
जो कोई ऐसे हकसी िोक-सेवक पर, जो हवहिहव�द्ध जमाव के हबिरिे का, या बल्वे
या दंगे को दबािे का प्रयास ऐसे िोक-सेवक के िाते अपिे कततव्य के हिवतिि में कर
रिा िो, िमिा करेगा या उसको िमिे की िमकी देगा या उसके काम में बािा डािेगा
या बािा डाििे का प्रयत्न करेगा या ऐसे िोक-सेवक पर आपराहिक बि का प्रयोग
करेगा या करिे की िमकी देगा, या करिे का प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों
से, दखण्डत हकया जाएगा।
153. बल्वा करािे के आिय से स्वैररता से प्रकोपि देिा -
यहद बल्वा हकया जाए - यहद बल्वा ि हकया जाए - जो कोई अवैि बात के करिे द्वारा
हकसी व्यखि को पररद्वेष से या स्वैररता से प्रकोहपत इस आिय से या यि संभाव्य
जािते हुए करेगा हक ऐसे प्रकोपि के पहणामस्व�प बल्वे का अपराि हकया जाएगा;
यहद ऐसे प्रकोपि, के पररणामस्व�प बल्वे का अपराि हकया जाए तो वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से
या दोिों से, और यहद बल्वे का अपराि ि हकया जाए, तो वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों
से, दखण्डत हकया जाएगा।
153 क. िमत, मूिवंि, ज�स्थाि, हिवास स्थाि, भाषा इत्याहद के आिारों पर हवहभन्न
समूिों के बीच ित्रुता का संप्रवतति और सौिादत बिे रििे पर प्रहतकू ि प्रभाव डाििे
वािे कायत करिा -
(1) जो कोई -

(क) बोिे गए या हििे गए ि�ों द्वारा या संके तों द्वारा या दृ��पणों द्वारा या अ�था
हवहभन्न िाहमतक, मूिवंिीय या भाषाई या प्रादेहिक समूिों, जाहतयों या समुदायों के बीच
असौिादत अथवा ित्रुता, घृणा या वैमिस्य की भाविाएं, िमत, मूिवंि, ज�स्थाि, हिवास
स्थाि, भाषा, जाहत या समुदाय के आिारों पर या अ� हकसी भी आिार पर संप्रवहततत
करेगा या संप्रवहततत करिे का प्रयत्न करेगा, अथवा
(ि) कोई ऐसा कायत करेगा, जो हवहभन्न िाहमतक, मूिवंिीय, भाषाई या प्रादेहिक समूिों
या जाहतयों या समुदायों के बीच सौिादत बिे रििे पर प्रहतकू ि प्रभाव डाििे वािा िै
और जो िोक-प्रिांहत में हवघ्न डािता िै, या हजससे उसमें हवघ्न पड़िा संभाव्य िो, अथवा
(ग) कोई ऐसा अभ्यास, आंदोिि, कवायद या अ� वैसा िी हक्रयाकिाप इस आिय से
संचाहित करेगा हक ऐसे हक्रयाकिाप में भाग िेिे वािे व्यखि हकसी िाहमतक, मूिवंिीय,
भाषाई या प्रादेहिक समूि या जाहत या समुदाय के हव�द्ध आपराहिक बि या हिंसा
का प्रयोग करे या प्रयोग करिे के हिए प्रहिहक्षत हकए जाएं गे या यि संभाव्य जािते
हुए संचाहित करेगा हक ऐसे हक्रयाकिाप में भाग ििे वािे व्यखि हकसी िाहमतक,
मूिवंिीय, भाषाई या प्रादेहिक समूि या जाहत या समुदाय के हव�द्ध आपराहिक बि
या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करिे के हिए प्रहिहक्षत हकए जाएं गे अथवा ऐसे
हक्रया-किाप में इस आिय से भाग िेगा हक हकसी िाहमतक, मूिवंिीय, भाषाई या
प्रादेहिक समूि या जाहत या समुदाय के हव�द्ध आपराहिक बि या हिंसा का प्रयोग
करेंगे या प्रयोग करिे के हिए प्रहिहक्षत हकया जाए, यि संभाव्य जािते हुए भाग िेगा
हक ऐसे हक्रयाकिाप में भाग िेिे वािे व्यखि हकसी िाहमतक, मूिवंिीय, भाषाई या
प्रादेहिक समूि या जाहत या समुदाय के हव�द्ध आपराहिक बि या हिंसा का प्रयोग
करेंगे या प्रयोग करिे के हिए प्रहिहक्षत हकए जाएं गे और ऐसे हक्रया-किाप से ऐसी
िाहमतक, मूिवंिीय, भाषाई या प्रादेहिक समूि या जाहत या समुदाय के सदस्यों के बीच,
चािे हकसी भी कारण से भय या संत्रास या असुरक्षा की भाविा उत्पन्न िोती िै या
उत्पन्न िोिी संभाव्य िै,
वि कारावास से हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों
से,दखण्डत हकया जाएगा।
(2) पूजा के स्थाि आहद में हकया गया अपराि - जो कोई उपिारा (1) में हवहिहदतष्ट
अपराि हकसी पूजा के स्थाि में या हकसी जमाव में, जो िाहमतक पूजा या िाहमतक कमत
करिे में िगा हुआ िो, करेगा, वि कारावास से जो पांच वषत तक का िो सके गा, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी, दण्डिीय िोगा।
153 - क क. हकसी जुिूस में जािबूझकर आयुि िे जािे या हकसी सामूहिक हडर ि या
सामूहिक प्रहिक्षण का आयुि सहित संचािि या आयोजि करिा या उसमें भाग िेिे
के हिये दण्ड -
जो कोई हकसी सावतजहिक स्थाि में, दण्ड प्रहक्रया संहिता, 1973 (1974 का 2) की िारा
144-क के अिीि जारी की गई हकसी िोक सूचिा या हकए गए हकसी आदेि के
उलंघि में हकसी जुिूस में जािबूझकर आयुि िे जाता िै या सामूहिक हडर ि या
सामूहिक प्रहिक्षण या आयुि सहित जािबूझकर संचािि, आयोजि करता िै और उसमें

भाग िेता िै तो वि कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी और
जुमहि से, जो दो िजार �पए तक का िो सके गा दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण - “आयुि” से अपराि या बचाव के हिए िहथयार के �प में हडजाइि की
गई या अपिाई गई हकसी भी प्रकार की कोई वस्तु अहभप्रेत िै और इसके अन्तगतत
अहि िस्त्र, िुकीिी िार वािा िहथयार, िाठी, डण्डा और छड़ी भी िै ।
153 ि. राष्टरीय अिण्डता पर प्रहतकू ि प्रभाव डाििे वािे िांछि, प्राख्ाि -
(1) जो कोई बोिे गए या हििे गए ि�ों द्वारा या संके तों द्वारा या दृ��पणों द्वारा
या अ�था -
(क) ऐसा कोई िांछि िगाएगा या प्रकाहित करेगा हक हकसी वगत के व्यखि इस
कारण से हक वे हकसी िाहमतक, मूिवंिीय, भाषाई या प्रादेहिक समूि या जाहत या
समुदाय के सदस्य िैं, हवहि द्वारा स्थाहपत भारत के संहविाि के प्रहत स�ी श्रद्धा और
हिष्ठा ििीं रि सकते या भारत की प्रभुता और अिंडता की मयातदा ििीं बिाए रि
सकते, अथवा
(ि) यि प्राख्ाि करेगा, परामित देगा, सिाि देगा, प्रचार करेगा या प्रकाहित करेगा हक
हकसी वगत के व्यखियों को इस कारण से हक वे हकसी िाहमतक, मूिवंिीय, भाषाई या
प्रादेहिक समूि या जाहत या समुदाय के सदस्य िैं, भारत के िागररक के �प में उिके
अहिकार ि हदए जाएं या उन्ें उिसे वंहचत हकया जाए, अथवा
(ग) हकसी वगत के व्यखियों की बाध्यता के संबंि में इस कारण हक वे हकसी िाहमतक,
मूिवंिीय, भाषाई या प्रादेहिक समूि या जाहत या समुदाय के सदस्य िैं, कोई प्राख्ाि
करेगा, परामित देगा, अहभवाक् करेगा या अपीि करेगा अथवा प्रकाहित करेगा और ऐसे
प्राख्ाि, परामित, अहभवाक् या अपीि से ऐसे सदस्यों तथा अ� व्यखियों के बीच
असामंजस्य, अथवा ित्रुता या घृणा या वैमिस्य की भाविाएं उत्पन्न िोती िैं या उत्पन्न
िोिी संभाव्य िैं,
वि कारावास से, जो तीि वषत तक का िो सके गा, या जुमातिे से, अथवा दोिों से, दखण्डत
हकया जाएगा।
(2) जो कोई उपिारा (1) में हवहिहदतष्ट कोई अपराि हकसी उपासिा स्थि में या िाहमतक
उपासिा अथवा िाहमतक कमत करिे में िगे हुए हकसी जमाव में करेगा वि कारावास
से, जो पांच वषत तक का िो सके गा, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
154. उस भूहम का स्वामी या अहिभोगी, हजस पर हवहिहव�द्ध जमाव हकया गया िै -
जब कभी कोई हवहिहव�द्ध जमाव या बल्वा िो, तब हजस भूहम पर ऐसा हवहिहव�द्ध
जमाव िो या ऐसा बल्वा हकया जाए, उसका स्वामी या अहिभोगी और ऐसी भूहम में
हित रििे वािा या हित रििे का दावा करिे वािा व्यखि एक िजार �पए से
अिहिक जुमातिे से दण्डिीय िोगा, यहद वि या उसका अहभकतात या प्रबंिक यि जािते

हुए हक ऐसा अपराि हकया जा रिा िै या हकया जा चुका िै या इस बात का हवश्वास
करिे का कारण रिते हुए हक ऐसे अपराि का हकया जािा संभाव्य िै उस बात को
अपिी िखि-भर िीघ्रतम सूचिा हिकटतम पुहिस थािे के प्रिाि ऑहिसर को ि दे
या ि दें और उस दिा में, हजसमें हक उसे या उन्ें यि हवश्वास करिे का कारण िो
हक यि िगभग हकया िी जािे वािा िै, अपिी िखि-भर सब हवहिपूणत साििों का
उपयोग उसका हिवारण करिे के हिए ििीं करता या करते और उसके िो जािे पर
अपिी िखि भर सब हवहिपूणत साििों का उस हवहिहव�द्ध जमाव को हबिरिे या
बल्वे को दबािे के हिए उपयोग ििीं करता या करते।
155. उस व्यखि का दाहयत्व, हजसके िायदे के हिए बल्वा हकया जाता िै -
जब कभी हकसी ऐसे व्यखि के िायदे के हिए या उसकी ओर से बल्वा हकया जाए,
जो हकसी भूहम का, हजसके हवषय में ऐसा बल्वा िो, स्वामी या अहिभोगी िो या जो
ऐसी भूहम में या बल्वे को पैदा करिे वािे हकसी हववादग्रस्त हवषय में कोई हित रििे
का दावा करता िो या जो उससे कोई िायदा प्रहतगृिीत कर या पा चुका िो, तब ऐसा
व्यखि, जुमातिे से दण्डिीय िोगा, यहद वि या उसका अहभकतात या प्रबंिक इस बात का
हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक ऐसा बल्वा हकया जािा संभाव्य था, या हक हजस
हवहिहव�द्ध जमाव द्वारा ऐसा बल्वा हकया गया था, वि जमाव हकया जािा संभाव्य था,
अपिी िखिभर सब हवहिपूणत साििों का ऐसे जमाव या बल्वे का हकया जािा हिवाररत
करिे के हिए और उसे दबािे और हबिरिे के हिए उपयोग ििीं करता या करते।
156. उस स्वामी या अहिभोगी के अहभकतात का दाहयत्व, हजसके िायदे के हिए बल्वा
हकया जाता िै -
जब कभी ऐसे व्यखि के िायदे के हिए या ऐसे व्यखि की ओर से बल्वा हकया जाए,
जो हकसी भूहम का, हजसके हवषय में ऐसा बल्वा िो, स्वामी िो या अहिभोगी िो या जो
ऐसी भूहम में या बल्वे के पैदा करिे वािी हकसी हववादग्रस्त हवषय में कोई हित रििे
का दावा करता िो या जो उससे कोई िायदा प्रहतगृिीत कर या पा चुका िो,
तब उस व्यखि का अहभकतात या प्रबंिक जुमातिे से दण्डिीय िोगा, यहद ऐसा अहभकतात
या प्रबंिक वि हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक ऐसे बल्वे का हकया जािा
संभाव्य था या हक हजस हवहिहव�द्ध जमाव द्वारा ऐसा बल्वा हकया गया था उसका
हकया जािा संभाव्य था, अपिी िखि-भर सब हवहिपूणत साििों का ऐसे बल्वे या जमाव
का हकया जािा हिवाररत करिे के हिए और उसको दबािे और हबिरिे के हिए
उपयोग ििीं करता या करते।
157. हवहिहव�द्ध जमाव के हिए भाड़े पर िाए गए व्यखियों को संश्रय देिा -
जो कोई अपिे अहिभोग या भारसािि, या हियंत्रण के अिीि हकसी गृि या पररसर में
हकन्ीं व्यखियों को, यि जािते हुए हक वे व्यखि हवहिहव�द्ध जमाव में सख�हित िोिे
या सदस्य बििे के हिए भाड़े पर िाए गए, वचिबद्ध या हियोहजत हकए गए िैं या
भाड़े पर िाए जािे, वचिबद्ध या हियोहजत हकए जािे वािे िैं, संश्रय देगा, आिे देगा या
सख�हित करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास
तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।

158. हवहिहव�द्ध जमाव या बल्वे में भाग िेिे के हिए भाड़े पर जािा -
जो कोई िारा 141 में हवहिहदतष्ट कायों में से हकसी को करिे के हिए या करिे में
सिायता देिे के हिए वचिबद्ध हकया या भाड़े पर हिया जाएगा या भाड़े पर हिए जािे
या वचिबद्ध हकए जािे के हिए अपिी प्रस्थापिा करेगा या प्रयत्न करेगा, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
या सिस्त्र चििा - तथा जो कोई पूवोि प्रकार से वचिबद्ध िोिे या भाड़े पर हिए
जािे पर, हकसी घातक आयुि से या ऐसी हकसी चीज से, हजससे आक्रामक आयुि के
�प में उपयोग हकए जािे पर मृत्यु काररत िोिी संभाव्य िै, सखित िोकर चिेगा या
सखित चििे के हिए वचिबद्ध िोगा या अपिी प्रस्थापिा करेगा, वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या
दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
159. दंगा -
जबहक दो या अहिक व्यखि िोकस्थाि में िड़कर िोक िांहत में हवघ्न डािते िैं, तब
यि किा जाता िै हक वे दंगा करते िैं।
160. दंगा करिे के हिए दण्ड -
जो कोई दंगा करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक
मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक सौ �पये तक का िो सके गा, या दोिों
से, दखण्डत हकया जाएगा।
अध्याय 9: िोक-सेवकों द्वारा या उिसे संबंहित अपरािों के हवषय में
161 से 165क - भ्रष्टाचार हिवारण अहिहियम, 1988 (1988 का 49) की िारा 31 द्वारा
हिरहसत |
166. िोक-सेवक, जो हकसी व्यखि को क्षहत काररत करिे के आिय से हवहि की
अवज्ञा करता िै -
जो कोई िोक सेवक िोते हुए हवहि के हकसी ऐसे हिदेि की जो उस ढंग के बारे में
िो हजस ढंग से िोकसेवक के िाते उसे आचरण करिा िै जािते हुए अवज्ञा इस
आिय से या यि संभाव्य जािते हुए करेगा हक ऐसी अवज्ञा से वि हकसी व्यखि को
क्षहत काररत करेगा, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी,
या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
दृष्टांत
क, जो एक ऑहिसर िै, और �ायािय द्वारा य के पक्ष में दी गई हडक्री की तुहष्ट के
हिए हिष्पादि में संपहत्त िेिे के हिए हवहि द्वारा हिदेहित िै, यि ज्ञाि रिते हुए हक

यि संभाव्य िै हक तद्द्वारा वि य को क्षहत काररत करेगा, जािते हुए हवहि के उस
हिदेि की अवज्ञा करता िै। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।

166 क. िोक सेवक, जो हवहि के अिीि के हिदेि की अवज्ञा करता िै -
जो कोई िोक सेवक िोते हुए :-
(क) हवहि के हकसी ऐसे हिदेि की, जो उसको हकसी अपराि या हकसी अ� मामिे
में अन्वेषण के प्रयोजि के हिए, हकसी व्यखि की हकसी स्थाि पर उपखस्थहत की अपेक्षा
हकए जािे से प्रहतहषद्ध करता िै, जािते हुए अवज्ञा करता िै; या
(ि) हकसी ऐसी रीहत को, हजसमें वि ऐसा अन्वेषण करेगा, हवहियहमत करिे वािी हवहि
के हकसी अ� हिदेि की, हकसी व्यखि पर प्रहतकू ि प्रभाव डाििे के हिए, जािते हुए
अवज्ञा करता िै; या
(ग) दण्ड प्रहक्रया संहिता, 1973 (1974 का 2) की िारा 154 की उपिारा (1) के अिीि,
िारा 326क, िारा 326ि, िारा 354, िारा 354ि, िारा 370, िारा 370क, िारा 376, "
िारा 376 कि, िारा 376 ि, िारा 376 ग, िारा 376 घ, िारा 376 घक, िारा 376 घि"
[हक्रहमिि िॉ (संिोिि) अहिहियम, 2018, हदिांक – 11 अगस्त 2018 द्वारा
प्रहतस्थाहपत], िारा 376ङ या िारा 509 के अिीि दंडिीय संज्ञेय अपराि के संबंि में
उसे दी गई हकसी सूचिा को िेिबद्ध करिे में असिि रिता िै,
वि कठोर कारावास से, हजसकी अवहि छि मास से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो दो
वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया। जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
166 ि. पीहड़त का उपचार ि करिे के हिए दंड -
जो कोई ऐसे हकसी िोक या प्रायवेट अस्पताि का, चािे वि के न्द्रीय सरकार, राज्य
सरकार, स्थािीय हिकाय या हकसी अ� व्यखि द्वारा चिाया जा रिा िो, भारसािक
िोते हुए दण्ड प्रहक्रया संहिता, 1973 (1974 का 2) की िारा 357ग के उपबंिों का उलंघि
करेगा, वि कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी या जुमातिे से या
दोिों से, दंहडत हकया जाएगा।
166 B - Punishment for non-treatment of victim
Whoever, being in charge of a hospital, public or private, whether run by the
Central Government, the State Government, local bodies or any other person,
contravenes the provisions of section 357 C of the Code of Criminal Procedure,
1973 (2 of 1974), shall be punished with imprisonment for a term which may
extend to one year or with fine or with both.
167. िोक-सेवक, जो क्षहत काररत करिे के आिय से अिुद्ध दस्तावेज रचता िै -

जो कोई िोक-सेवक िोते हुए और ऐसे िोक-सेवक के िाते हकसी दस्तावेज या
इिेक्टराहिक अहभिेि की रचिा या अिुवाद का भार विि करते हुए उस दस्तावेज या
इिेक्टराहिक अहभिेि का हवहिमातण, रचिा या अिुवाद ऐसे प्रकार से हजसे वि जािता
िो या हवश्वास करता िो हक अिुद्ध िै, इस आिय से या संभाव्य जािते हुए करेगा हक
एतद्वारा वि हकसी व्यखि को क्षहत काररत करे, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
168. िोक-सेवक, जो हवहिहव�द्ध �प से व्यापार में िगता िै -
जो कोई िोक-सेवक िोते हुए और ऐसे िोक-सेवक के िाते इस बात के हिए वैि
�प से आबद्ध िोते हुए हक वि व्यापार में ि िगे, व्यापार में िगेगा, वि सादा कारावास
से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
169. िोक-सेवक जो हवहिहव�द्ध �प से संपहत्त क्रय करता िै या उसके हिए बोिी
िगाता िै -
जो कोई िोक-सेवक िोते हुए और ऐसे िोक-सेवक के िाते इस बात के हिए वैि
�प से आबद्ध िोते हुए हक वि अमुक संपहत्त को ि तो क्रय करे और ि उसके हिए
बोिी िगाए, या तो अपिे हिज के िाम में या हकसी दू सरे के िाम में, अथवा दू सरों के
साथ संयुि �प से, या अंिों में, उस संपहत्त को क्रय करेगा, या उसके हिए बोिी
िगाएगा, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा, और यहद वि संपहत्त क्रय कर िी गई िै, तो वि
अहिहृत कर िी जाएगी।
170. िोक-सेवक का प्रहत�पण -
जो कोई हकसी हवहिष्ट पद को िोक-सेवक के िाते िारण करिे का अपदेि यि
जािते हुए करेगा हक वि ऐसा पद िारण ििीं करता िै या ऐसा पद िारण करिे
वािे हकसी अ� व्यखि का छ� �पण करेगा और ऐसे बिावटी �प में ऐसे पदाभास
से कोई कायत करेगा या करिे का प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
171. कपटपूणत आिय से िोक-सेवक के उपयोग की पोिाक पिििा या टोकि को
िारण करिा -
जो कोई िोक-सेवकों के हकसी िास वगत का ि िोते हुए, इस आिय से हक यि
हवश्वास हकया जाए, या इस ज्ञाि से हक संभाव्य िै हक यि हवश्वास हकया जाए हक वि
िोक-सेवकों के उस वगत का िै, िोक-सेवकों के उस वगत द्वारा उपयोग में िाई जािे
वािी पोिाक के सदृि पोिाक पििेगा या टोकि के सदृि कोई टोकि िारण करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि मास तक की िो

सके गी, या जुमातिे से, जो दो सौ �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
अध्याय 9-क: हिवातचि सम्बन्धी अपरािों के हवषय में
171 क. "अभ्यथी" “हिवातचि अहिकार' पररभाहषत -
इस अध्याय के प्रयोजिों के हिए -
(क) “अभ्यथी" से वि व्यखि अहभप्रेत िै जो हकसी हिवातचि में अभ्यथी के �प में
िामहिहदतष्ट हकया गया िै;
(ि) “हिवातचि अहिकार” से हकसी हिवातचि में अभ्यथी के �प में िड़े िोिे या िड़े
ि िोिे या अभ्यथतिा से अपिा िाम वापस िेिे या मत देिे या मत देिे से हवरत रििे
का हकसी व्यखि का अहिकार अहभप्रेत िै।
171 ि. ररश्वत -
(1) जो कोई -
(i) हकसी व्यखि को इस उद्दे� से पररतोषण देता िै हक वि उस व्यखि को या हकसी
अ� व्यखि को हकसी हिवातचि अहिकार का प्रयोग करिे के हिए उत्प्रेररत करे या
हकसी व्यखि को इसहिए इिाम दे हक उसिे ऐसे अहिकार का प्रयोग हकया िै: अथवा
(ii) स्वयं अपिे हिए या हकसी अ� व्यखि के हिए कोई पररतोषण ऐसे हकसी अहिकार
को प्रयोग में िािे के हिए या हकसी अ� व्यखि को ऐसे हकसी अहिकार को प्रयोग
में िािे के हिए उत्प्रेररत करिे या उत्प्रेररत करिे का प्रयत्न करिे के हिए इिाम के
�प में प्रहतगृिीत करता िै, वि ररश्वत का अपराि करता िै:
परन्तु िोक िीहत की घोषणा या िोक कायतवािी का वचि इस िारा के अिीि अपराि
ि िोगा।
(2) जो व्यखि पररतोषण देिे की प्रस्थापिा करता िै या देिे को सिमत िोता िै या
उपाप्त करिे की प्रस्थापिा या प्रयत्न करता िै, यि समझा जाएगा हक वि पररतोषण
देता िै।
(3) जो व्यखि पररतोषण अहभप्राप्त करता िै या प्रहतगृिीत करिे को सिमत िोता िै या
अहभप्राप्त करिे का प्रयत्न करता िै, यि समझा जाएगा हक वि पररतोषण प्रहतगृिीत
करता िै और जो व्यखि वि बात करिे के हिए हजसे करिे का उसका आिय ििीं
िै, िेतु स्व�प, या जो बात उसिे ििीं की िै उसे करिे के हिए इिाम के �प में
पररतोषण प्रहतगृिीत करता िै, यि समझा जाएगा हक उसिे पररतोषण को इिाम के
�प में प्रहतगृिीत हकया िै।
171 ग. हिवातचिों में अस�क् असर डाििा -

(1) जो कोई हकसी हिवातचि अहिकार के हिबाति प्रयोग में स्वे�या िस्तक्षेप करता िै
या िस्तक्षेप करिे का प्रयत्न करता िै, वि हिवातचि में अस�क् असर डाििे का
अपराि करता िै।
(2) उपिारा (1) के उपबंिों की व्यापकता पर प्रहतकू ि प्रभाव डािे हबिा जो कोई -
(क) हकसी अभ्यथी या मतदाता को, या हकसी ऐसे व्यखि को हजससे अभ्यथी या
मतदाता हितबद्ध िै, हकसी प्रकार की क्षहत करिे की िमकी देता िै, अथवा
(ि) हकसी अभ्यथी या मतदाता को यि हवश्वास करिे के हिए उत्प्रेररत करता िै या
उत्प्रेररत करिे का प्रयत्न करता िै हक वि या कोई ऐसा व्यखि, हजससे वि हितबद्ध िै,
दैवीय अप्रसाद या आध्याखत्मक पररहिन्दा का भाजि िो जाएगा, या बिा हदया जाएगा,
यि समझा जाएगा हक वि उपिारा (1) के अथत के अन्तगतत ऐसे अभ्यथी या मतदाता
के हिवातचि अहिकार के हिबाति प्रयोग में िस्तक्षेप करता िै।
(3) िोकिीहत की घोषणा या िोक कायतवािी का वचि या हकसी वैि अहिकार का
प्रयोग मात्र, जो हकसी हिवातचि अहिकार में िस्तक्षेप करिे के आिय के हबिा िै, इस
िारा के अथत के अन्तगतत िस्तक्षेप करिा ििीं समझा जाएगा।
171 घ. हिवातचिों में प्रहत�पण -
जो कोई हकसी हिवातचि में हकसी अ� व्यखि के िाम से, चािे वि जीहवत िो या मृत,
या हकसी कखल्पत िाम से, मतपत्र के हिए आवेदि करता या मत देता िै, या ऐसे
हिवातचि में एक बार मत दे चुकिे के पश्चात् उसी हिवातचि में अपिे िाम के मतपत्र
के हिए आवेदि करता िै, और जो कोई हकसी व्यखि द्वारा हकसी ऐसे प्रकार से
मतदाि को दुष्प्रेररत करता िै, उपाप्त करता िै या उपाप्त करिे का प्रयत्न करता िै,
वि हिवातचि में प्रहत�पण का अपराि करता िै।
परन्तु यि तब जबहक, इस िारा में का कु छ भी, उस व्यखि को िागू ििीं िोगा, हजसको
तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहि के तित, हकसी मतदाता के हिए, परोक्षी के �प में, मतदाि
करिे के हिए प्राहिकृ त हकया गया िै, जिां तक, वि ऐसे मतदाता के हिए एक परोक्षी
के �प में मतदाि करता िै।
171 ङ, ररश्वत के हिए दण्ड -
जो कोई ररश्वत का अपराि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा: परन्तु
सत्कार के �प में ररश्वत के वि जुमातिे से िी दखण्डत की जाएगी।
स्पष्टीकरण - “सत्कार” से ररश्वत का वि �प अहभप्रेत िै जो पररतोषण,िा�, पेय,
मिोरंजि या रसद के �प में िै।
171 च. हिवातचि में अस�क् असर डाििे या प्रहत�पण के हिए दण्ड -

जो कोई हकसी हिवातचि में अस�क् असर डाििे या प्रहत�पण का अपराि करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो
सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
171 छ, हिवातचि के हसिहसिे में हमथ्या कथि -
जो कोई हिवातचि के पररणाम पर प्रभाव डाििे के आिय से हकसी अभ्यथी के
वैयखिक िीि या आचरण के संबंि में तथ्य का कथि तात्पहयतत िोिे वािा कोई ऐसा
कथि करेगा या प्रकाहित करेगा, जो हमथ्या िै, और हजसका हमथ्या िोिा वि जािता
या हवश्वास करता िै अथवा हजसके सत्य िोिे का वि हवश्वास ििीं करता िै, वि जुमातिे
से दखण्डत हकया जाएगा।
171 ज. हिवातचि के हसिहसिे में अवैि संदाय -
जो कोई हकसी अभ्यथी के सािारण या हविेष हिखित प्राहिकार के हबिा ऐसे अभ्यथी
का हिवातचि अग्रसर करिे या हिवातचि करा देिे के हिए कोई सावतजहिक सभा करिे
में या हकसी हवज्ञापि, पररपत्र या प्रकािि पर या हकसी भी अ� ढंग से व्यय करेगा
या करिा प्राहिकृ त करेगा, वि जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का िो सके गा, दखण्डत
हकया जाएगा:
परन्तु यहद कोई व्यखि, हजसिे प्राहिकार के हबिा कोई ऐसे व्यय हकए िों, जो कु ि
हमिाकर दस �पए से अहिक ि िों, उस तारीि से हजस तारीि को ऐसे व्यय हकए
गए िों, दस हदि के भीतर उस अभ्यथी का हिखित अिुमोदि अहभप्राप्त कर िे, तो
यि समझा जाएगा हक उसिे ऐसे व्यय उस अभ्यथी के प्राहिकार से हकए िैं।
171 झ. हिवातचि िेिा रििे में असििता -
जो कोई हकसी तत्समय प्रवृत्त हवहि द्वारा या हवहि का रििे वािे हकसी हियम द्वारा
इसके हिए अपेहक्षत िोते हुए हक वि हिवातचि में या हिवातचि के संबंि में हकए गए
व्ययों िेिा रिे, ऐसा िेिा रििे में असिि रिेगा, वि जुमातिे से, जो पांच सौ �पए
तक का िो सके गा, दखण्डत हकया जाएगा।
अध्याय 10: िोक सेवको के हवहिपूणत प्राहिकार के अवमाि के हवषय में
172. समिों की तामीि या अ� कायतवािी से बचिे के हिए िरार िो जािा -
जो कोई हकसी ऐसे िोक-सेवक द्वारा हिकािे गए समि, सूचिा या आदेि की तामीि
से बचिे के हिए िरार िो जाएगा, जो ऐसे िोकसेवक के िाते ऐसे समि, सूचिा या
आदेि को हिकाििे के हिए वैि �प से सक्षम िो, वि सादा कारावास से, हजसकी
अवहि एक मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का िो
सके गा, या दोिों से,
अथवा यहद समि या सूचिा या आदेि हकसी �ायािय में स्वयं या अहभकतात द्वारा
िाहजर िोिे के हिए, या दस्तावेज अथवा इिेक्टराहिक अहभिेि पेि करिे के हिए िो,

तो वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से,
जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
173. समि की तामीि का या अ� कायतवािी का या उसके प्रकािि का हिवारण
करिा -
जो कोई हकसी िोक-सेवक द्वारा जो िोक-सेवक उस िाते कोई समि, सूचिा या
आदेि हिकाििे के हिए वैि �प से सक्षम िो हिकािे गए समि, सूचिा या आदेि
की तामीि अपिे पर या हकसी अ� व्यखि पर िोिा हकसी प्रकार सािय हिवाररत
करेगा,
अथवा हकसी ऐसे समि, सूचिा या आदेि का हकसी स्थाि में हवहिपूवतक िगाया जािा
सािय हिवाररत करेगा,
अथवा हकसी ऐसे समि, सूचिा या आदेि को हकसी ऐसे स्थाि से, जिां हक वि
हवहिपूवतक िगाया हुआ िै, सािय िटाएगा,
अथवा हकसी ऐसे िोक-सेवक के प्राहिकारािीि की जािे वािी हकसी उद् घोषणा का
हवहिपूवतक हकया जािा सािय हिवाररत करेगा, जो ऐसे िोक-सेवक के िाते ऐसी
उद् घोषणा का हकया जािा हिहदतष्ट करिे के हिए वैि �प से सक्षम िो, वि सादा
कारावास से, हजसकी अवहि एक मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ
�पए तक का िो सके गा, या दोिों से,
अथवा यहद समि, सूचिा, आदेि या उद् घोषणा हकसी �ायािय में स्वयं या अहभकतात
द्वारा िाहजर िोिे के हिए या दस्तावेज अथवा इिेक्टराहिक अहभिेि पेि करिे के हिए
िो, तो वि सादा कारावास से हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
174. िोक-सेवक का आदेि ि मािकर गैर िाहजर रििा -
जो कोई हकसी िोक-सेवक द्वारा हिकािे गए उस समि, सूचिा, आदेि या उद् घोषणा
के पािि में, हजसे ऐसे िोक-सेवक के िाते हिकाििे के हिए वि वैि �प से सक्षम
िो, हकसी हिहश्चत स्थाि और समय पर स्वयं या अहभकतात द्वारा िाहजर िोिे के हिए
वैि �प से आबद्ध िोते हुए,
उस स्थाि या समय पर िाहजर िोिे का सािय िोप करेगा, या उस स्थाि से, जिां
िाहजर िोिे के हिए वि आबद्ध िै, उस समय से पूवत चिा जाएगा, हजस समय चिा
जािा उसके हिए हवहिपूणत िोता, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि एक मास तक
की िो सके गी या जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का िो सके गा, या दोिों से,
अथवा यहद समि, सूचिा, आदेि या उद् घोषणा हकसी �ायािय में स्वयं या हकसी
अहभकतात द्वारा िाहजर िोिे के हिए िै, तो वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि छि
मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।

दृष्टांत -
(क) क किकत्ता उ� �ायािय द्वारा हिकािे गए समि के पािि में उस �ायािय
के समक्ष उपसंजात िोिे के हिए वैि �प से आबद्ध िोते हुए, उपसंजात िोिे में सािय
िोप करता िै। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
(ि) क हजिा �ायािीि द्वारा हिकािे गए समि के पािि में उस हजिा �ायािीि
के समक्ष साक्षी के �प में उपसंजात िोिे के हिए वैि �प से आबद्ध िोते हुए
उपसंजात िोिे में सािय िोप करता िै। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया
िै।
174 क.1974 के अहिहियम 2 की िारा 82 के अिीि हकसी उद् घोषणा के उत्तर में
गैरिाह़िरी -
जो कोई दण्ड प्रहक्रया संहिता, 1973 (1974 का 2) की िारा 82 की उपिारा (1) के अिीि
प्रकाहित हकसी उद् घोषणा की अपेक्षािुसार हवहिहदतष्ट समय पर िाहजर िोिे में असिि
रिता िै, तो वि कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी या जुमातिे
से या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा और जिााँ उस िारा की उपिारा (4) के अिीि
कोई ऐसी घोषणा की गई िै हजसमें उसे उद् घोहषत अपरािी के �प में घोहषत हकया
गया िै, विााँ वि कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे का भी दायी िोगा।
175. दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि पेि करिे के हिए वैि �प से आबद्ध व्यखि
का िोक-सेवक को पेि करिे का िोप -
जो कोई हकसी िोक-सेवक को, ऐसे िोक-सेवक के िाते हकसी दस्तावेज या इिेक्टराहिक
अहभिेि को पेि करिे या पररदत्त करिे के हिए वैि �प से आबद्ध िोते हुए, उसको
इस प्रकार पेि करिे या पररदत्त करिे का सािय िोप करेगा, वि सादा कारावास से,
हजसकी अवहि एक मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का
िो सके गा, या दोिों से,
अथवा यहद वि दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि हकसी �ायािय में पेि या पररदत्त
की जािी िो, तो वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी,
या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
दृष्टांत -
क, जो एक हजिा �ायािय के समक्ष दस्तावेज पेि करिे के हिए वैि �प से आबद्ध
िै, उसको पेि करिे का सािय िोप करता िै। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि
हकया िै।
176. सूचिा या इहत्तिा देिे के हिए वैि �प से आबद्ध व्यखि द्वारा िोक-सेवक को
सूचिा या इहत्तिा देिे का िोप -

जो कोई हकसी िोक-सेवक को, ऐसे िोक-सेवक के िाते हकसी हवषय पर कोई सूचिा
देिे या इहत्तिा देिे के हिए वैि �प से आबद्ध िोते हुए, हवहि द्वारा अपेहक्षत प्रकार
से और समय पर ऐसी सूचिा या इहत्तिा देिे का सािय िोप करेगा, वि सादा
कारावास से, हजसकी अवहि एक मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ
�पए तक का िो सके गा, या दोिों से;
अथवा यहद दी जािे के हिए अपेहक्षत सूचिा या इहत्तिा हकसी अपराि के हकए जािे
के हवषय में िो, या हकसी अपराि के हकए जािे का हिवारण करिे के प्रयोजि से या
हकसी अपरािी को पकड़िे के हिए अपेहक्षत िो, तो वि सादा कारावास से, हजसकी
अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो
सके गा, या दोिों से;
अथवा यहद दी जािे के हिए अपेहक्षत सूचिा या इहत्तिा दण्ड प्रहक्रया संहिता, 1898
(1898 का 5) की िारा 565 की उपिारा (1) के अिीि हदए गए आदेि द्वारा अपेहक्षत
िै, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की
िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत
हकया जाएगा।
177. हमथ्या इहत्तिा देिा -
जो कोई हकसी िोक-सेवक को ऐसे िोक-सेवक के िाते हकसी हवषय पर इहत्तिा देिे
के हिए वैि �प से आबद्ध िोते हुए उस हवषय पर स�ी इहत्तिा के �प में ऐसी
इहत्तिा देगा हजसका हमथ्या िोिा वि जािता िै या हजसके हमथ्या िोिे का हवश्वास
करिे का कारण उसके पास िै, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से,
अथवा यहद वि इहत्तिा, हजसे देिे के हिए, वि वैि �प से आबद्ध िो, कोई अपराि
हकए जािे के हवषय में िो, या हकसी अपराि के हकए जािे का हिवारण करिे के
प्रयोजि से, या हकसी अपरािी को पकड़िे के हिए अपेहक्षत िो, तो वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से,
या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
दृष्टांत -
(क) क, एक भूिारक, यि जािते हुए हक उसकी भू-संपदा की सीमाओं के अन्दर एक
ित्या की गई िै, उस हजिे के महजस्ट्रेट को जािबूझकर यि हमथ्या इहत्तिा देता िै हक
मृत्यु सांप के काटिे के पररणामस्व�प दुघतटिा से हुई िै। क इस िारा में पररभाहषत
अपराि का दोषी िै।
(ि) क, जो ग्राम चौकीदार िै, यि जािते हुए हक अिजािे िोगों का एक बड़ा हगरोि
य के गृि में, जो पड़ोस के गााँव का हिवासी एक ििी व्यापारी िै, डकै ती करिे के हिए
उसके गांव से िोकर गया और बंगाि संहिता, [1821 के हवहियम 3] की िारा 7 के
िण्ड 5 के अिीि हिकटतम थािे के ऑहिसर को उपरोि घटिा की इहत्तिा िीघ्र
और ठीक समय पर देिे के हिए आबद्ध िोते हुए पुहिस ऑहिसर को जािबूझकर यि

हमथ्या इहत्तिा देता िै हक संहदग्धिीि िोगों का एक हगरोि हकसी हभन्न हदिा में खस्थत
एक दू रस्थ स्थाि पर डकै ती करिे के हिए गांव से िोकर गया िै। यिां क, इस िारा
के दू सरे भाग में पररभाहषत अपराि का दोषी िै।
स्पष्टीकरण - िारा 176 में और इस िारा में, “अपराि” ि� के अन्तगतत भारत से बािर
हकसी स्थाि पर हकया गया कोई ऐसा कायत आता िै, जो यहद भारत में हकया जाता, तो
हिम्नहिखित िारा अथातत् 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 402,
435, 436, 449, 450, 457, 458,459 और 460 में से हकसी िारा के अिीि दण्डिीय
िोता और “अपरािी' ि� के अन्तगतत कोई भी ऐसा व्यखि आता िै, जो कोई ऐसा
कायत करिे का दोषी अहभकहथत िो ।
178. िपथ या प्रहतज्ञाि से इन्कार करिा जबहक िोक-सेवक द्वारा वि वैसा करिे के
हिए स�क् �प से अपेहक्षत हकया जाए -
जो कोई सत्य कथि करिे के हिए िपथ या प्रहतज्ञाि द्वारा अपिे आप को आबद्ध
करिे से इंकार करेगा, जबहक उससे अपिे को इस प्रकार आबद्ध करिे की अपेक्षा
ऐसे िोक-सेवक द्वारा की जाए जो यि अपेक्षा करिे के हिए वैि �प से सक्षम िो
हक वि व्यखि इस प्रकार अपिे को आबद्ध करे, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि
छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा,
या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
179. प्रश्न करिे के हिए प्राहिकृ त िोक-सेवक का उत्तर देिे से इंकार करिा -
जो कोई हकसी िोक-सेवक से हकसी हवषय पर सत्य कथि करिे के हिए वैि �प
से आबद्ध िोते हुए, ऐसे िोक-सेवक की वैि िखियों के प्रयोग में उस िोक-सेवक
द्वारा उस हवषय के बारे में उससे पूछे गए हकसी प्रश्न का उत्तर देिे से इंकार करेगा,
वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो
एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
180. कथि पर िस्ताक्षर करिे से इंकार -
जो कोई अपिे द्वारा हकए गए हकसी कथि पर िस्ताक्षर करिे को ऐसे िोक-सेवक
द्वारा अपेक्षा हकए जािे पर, जो उससे यि अपेक्षा करिे के हिए वैि �प से सक्षम िो
हक वि उस कथि पर िस्ताक्षर करे, उस कथि पर िस्ताक्षर करिे से इंकार करेगा,
वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि तीि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो
पांच सौ �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
181. िपथ हदिािे या प्रहतज्ञाि करािे के हिए प्राहिकृ त िोक-सेवक के, या व्यखि के
समक्ष िपथ या प्रहतज्ञाि पर हमथ्या कथि -
जो कोई हकसी िोक-सेवक या हकसी अ� व्यखि से, जो ऐसे िपथ हदिािे या
प्रहतज्ञाि देिे के हिए हवहि द्वारा प्राहिकृ त िो, हकसी हवषय पर सत्य कथि करिे के
हिए िपथ या प्रहतज्ञाि द्वारा वैि �प से आबद्ध िोते हुए ऐसे िोक-सेवक या यथापूवोि
अ� व्यखि से उस हवषय के संबंि में कोई ऐसा कथि करेगा, जो हमथ्या िै, और

हजसके हमथ्या िोिे का या तो उसे ज्ञाि िै, या हवश्वास िै या हजसके सत्य िोिे का उसे
हवश्वास ििीं िै, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
182. इस आिय से हमथ्या इहत्तिा देिा हक िोक-सेवक अपिी हवहिपूणत िखि का
उपयोग दू सरे व्यखि को क्षहत करिे के हिए करे -
जो कोई हकसी िोक-सेवक को कोई ऐसी इहत्तिा, हजसके हमथ्या िोिे का उसे ज्ञाि
या हवश्वास िै, इस आिय से देगा हक वि उस िोक-सेवक को प्रेररत करे या यि
संभाव्य जािते हुए देगा हक वि उसको एतद्द्वारा प्रेररत करेगा हक वि िोक-सेवक -
(क) कोई ऐसी बात करे या करिे का िोप करे हजसे वि िोक-सेवक, यहद उसे उस
संबंि में, हजसके बारे में ऐसी इहत्तिा दी गई िै, तथ्यों की सिी खस्थहत का पता िोता
तो ि करता या करिे का िोप ि करता, अथवा
(ि) ऐसे िोक-सेवक की हवहिपूणत िखि का उपयोग करे हजस उपयोग से हकसी
व्यखि को क्षहत या क्षोभ िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो
सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
दृष्टांत -
(क) क एक महजस्ट्रेट को यि इहत्तिा देता िै हक य एक पुहिस ऑहिसर, जो ऐसे
महजस्ट्रेट का अिीिस्थ िै, कततव्य पािि में उपेक्षा या अवचार का दोषी िै, यि जािते
हुए देता िै हक ऐसी इहत्तिा हमथ्या िै, और यि संभाव्य िै हक उस इहत्तिा से वि
महजस्ट्रेट य को पदच्युत कर देगा क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
(ि) क एक िोक-सेवक को यि हमथ्या इहत्तिा देता िै हक य के पास गुप्त स्थाि में
हवहिहषद्ध िमक िै। वि इहत्तिा यि जािते हुए देता िै हक ऐसी इहत्तिा हमथ्या िै, और
यि जािते हुए देता िै हक यि संभाव्य िै हक उस इहत्तिा के पररणामस्व�प य के
पररसर की तिािी िी जाएगी, हजससे य को क्षोभ िोगा। क िे इस िारा में पररभाहषत
अपराि हकया िै
(ग) एक पुहिसजि को क यि हमथ्या इहत्तिा देता िै हक एक हवहिष्ट ग्राम के पास
उस पर िमिा हकया गया िै और उसे िूट हिया गया िै। वि अपिे पर िमिावर के
�प में हकसी व्यखि का िाम ििीं िेता।
हकन्तु वि जािता िै हक यि संभाव्य िै हक इस इहत्तिा के पररणामस्व�प पुहिस उस
ग्राम में जााँच करेगी और तिाहियााँ िेगी, हजससे ग्रामवाहसयों या उिमें से कु छ को
क्षोभ िोगा। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
183. िोक-सेवक के हवहिपूणत प्राहिकार द्वारा संपहत्त हिए जािे का प्रहतरोि -

जो कोई हकसी िोक-सेवक के हवहिपूणत प्राहिकार द्वारा हकसी संपहत्त के िे हिए जािे
का प्रहतरोि यि जािते हुए या यि हवश्वास करिे का कारण रिते हुए करेगा हक वि
ऐसा िोक-सेवक िै, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि
मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पये तक का िो सके गा, या
दोिों से दंहडत हकया जाएगा।
184. िोक-सेवक के प्राहिकार द्वारा हवक्रय के हिए प्रस्थाहपत की गई सम्पहत्त के
हवक्रय में बािा उपखस्थत करिा -
जो कोई ऐसी हकसी सम्पहत्त के हवक्रय में, जो ऐसे िोक-सेवक के िाते हकसी िोकसेवक
के हवहिपूणत प्राहिकार द्वारा हवक्रय के हिये प्रस्थाहपत की गई िो, सािय बािा डािेगा,
वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक मास तक की िो
सके गी, या जुमातिे से, जो पााँच सौ �पये तक का िो सके गा, या दोिों से दखण्डत, हकया
जाएगा।
185. िोक सेवक के प्राहिकार द्वारा हवक्रय के हिए प्रस्थाहपत की गई सम्पहत्त का
अवैि क्रय या उसके हिए अवैि बोिी िगािा -
जो कोई सम्पहत्त के हकसी ऐसे हवक्रय में, जो िोक-सेवक के िाते िोकसेवक के
हवहिपूणत प्राहिकार द्वारा िो रिा िो, हकसी ऐसे व्यखि के हिहमत्त चािे वि व्यखि वि
स्वयं िो, या कोई अ� िो, हकसी संपहत्त का क्रय करेगा या हकसी संपहत्त के हिए बोिी
िगाएगा, हजसके बारे में वि जािता िो हक वि व्यखि उस हवक्रय में उस सम्पहत्त के
क्रय करिे के बारे में हकसी हवहिक असमथतता के अिीि िै या ऐसी सम्पहत्त के हिए
यि आिय रिकर बोिी िगाएगा हक ऐसी बोिी िगािे से हजि बाध्यताओं के अिीि
वि अपिे आप को डािता िै उन्ें उसे पूरा ििीं करिा िै, वि दोिों में से हकसी भााँहत
के कारावास से, हजसकी अवहि एक मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो दो सौ
�पये तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
186. िोक-सेवक के िोक-कृ त्यों के हिवतिि में बािा डाििा -
जो कोई हकसी िोक-सेवक के िोक कृ त्यों के हिवतिि में स्वे�या बािा डािेगा, वि
दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि मास तक की िो सके गी,
या जुमातिे से, जो पााँच सौ �पये तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि एवं छत्तीसगढ़ - िारा 186 के तित अपराि संज्ञेय िै | [देिें अहिसूचिा
क्रमांक 33205- एि. क्र. 6-59-74-t-XX1 हदिांक 19-11-1975। म.प्र. राजपत्र, भाग 1,
हदिांक 12-3-1976 पृष्ठ 473 पर प्रकाहित।]
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187. िोक-सेवक की सिायता करिे का िोप, जबहक सिायता देिे के हिए हवहि
द्वारा आबद्ध िो -
जो कोई हकसी िोक-सेवक को, उसके िोक कततव्य के हिष्पादि में सिायता देिे या
पहुाँचािे के हिए हवहि द्वारा आबद्ध िोते हुए, ऐसी सिायता देिे का सािय िोप करेगा,
वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि एक मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो
दो सौ �पये तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा;
और यहद ऐसी सिायता की मांग उससे ऐसे िोक-सेवक द्वारा, जो ऐसी मांग करिे के
हिए वैि �प से सक्षम िो, �ायािय द्वारा वैि �प से हिकािी गई हकसी आदेहिका
के हिष्पादि के, या अपराि के हकए जािे का हिवारण करिे के, या बल्वे या दंगे को
दबािे के, या ऐसे व्यखि को, हजस पर अपराि का आरोप िै या जो अपराि का या
हवहिपूणत अहभरक्षा से हिकि भागिे का दोषी िै, पकड़िे के प्रयोजिों से की जाए, तो
वि सादा कारावास से हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो
पााँच सौ �पये तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
188. िोक-सेवक द्वारा स�क् �प से प्रख्ाहपत आदेि की अवज्ञा -
जो कोई यि जािते हुए हक वि ऐसे िोक-सेवक द्वारा प्रख्ाहपत हकसी आदेि से, जो
ऐसे आदेि को प्रख्ाहपत करिे के हिए हवहिपूवतक सिि िै, कोई कायत करिे से
हवरत रििे के हिए या अपिे कब्जे में की, या अपिे प्रबन्धािीि, हकसी सम्पहत्त के बारे
में कोई हविेष व्यवस्था करिे के हिए हिहदतष्ट हकया गया िै, ऐसे हिदेि की अवज्ञा
करेगा,
यहद ऐसी अवज्ञा हवहिपूवतक हियोहजत हकन्ीं व्यखियों को बािा, क्षोभ या क्षहत, अथवा
बािा, क्षोभ या क्षहत की जोखिम,काररत करे, या काररत करिे की प्रवृहत्त रिती िो, तो
वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि एक मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो
दो सौ �पये तक का िो सके गा, या दोिों से,दखण्डत हकया जाएगा,
और यहद ऐसी अवज्ञा मािव जीवि, स्वास्थ्य, या क्षेम को संकट काररत करे, या काररत
करिे की प्रवृहत्त रिती िो, या बल्वा या दंगा काररत करती िो, या काररत करिे की
प्रवृहत्त रिती िो, तो वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसके अवहि छि
मास तक की िो सके गी या जुमातिे से, जो एक िजार �पये तक का िो सके गा, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण - यि आव�क ििीं िै हक अपरािी का आिय अपिािी उत्पन्न करिे का
िो या उसके ध्याि में यि िो हक उसकी अवज्ञा करिे से अपिािी िोिा संभाव्य िै।
यि पयातप्त िै हक हजस आदेि की वि अवज्ञा करता िै उस आदेि का उसे ज्ञाि िै,
और यि भी ज्ञाि िै हक उसके अवज्ञा करिे से अपिािी उत्पन्न िोती या िोिी संभाव्य
िै।
दृष्टांत -

एक आदेि, हजसमें यि हिदेि िै हक अमुक िाहमतक जुिूस अमुक सड़क से िोकर ि
हिकिे, ऐसे िोक-सेवक द्वारा प्रख्ाहपत हकया जाता िै, जो ऐसे आदेि प्रख्ाहपत करिे
के हिए हवहिपूवतक सिि िै। क जािते हुए उस आदेि की अवज्ञा करता िै, और
तद्वारा बल्वे का संकट काररत करता िै। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया
िै।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि एवं छत्तीसगढ़ - िारा 188 के तित अपराि अजमाितीय िै। [देिें अहिसूचिा
क्रमांक 33207-एि. क्र. 6-59-74-बी- XXI हदिांक 19-11-1975, म.प्र. राजपत्र, भाग
1, हदिांक 12-3-1976 पृष्ठ 473 पर प्रकाहित ।]
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189. िोक-सेवक को क्षहत करिे की िमकी -
जो कोई हकसी िोक-सेवक को या ऐसे हकसी व्यखि को हजससे उस िोक-सेवक के
हितबद्ध िोिे का उसे हवश्वास िो, इस प्रयोजि से क्षहत की कोई िमकी देगा हक उस
िोक-सेवक को उत्प्रेररत हकया जाए हक वि ऐसे िोक-सेवक के कृ त्यों के प्रयोग से
संसि कोई कायत करे, या करिे से प्रहवरत रिे, या करिे में हविम्ब करे, वि दोिों में
से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि एवं छत्तीसगढ़ - िारा 189 के तित अपराि संज्ञेय िै। [देिें अहिसूचिा क्रमांक
33205-एि. क्र. 6-59-74-B-XXI हदिांक 19-11-1975. म.प्र. राजपत्र, भाग 1, हदिांक
12-3- 1976 पृष्ठ 473 पर प्रकाहित] |
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190. िोक-सेवक से संरक्षा के हिए आवेदि करिे से हवरत रििे के हिए हकसी
व्यखि को उत्प्रेररत करिे के हिए क्षहत की िमकी -
जो कोई हकसी व्यखि को इस प्रयोजि से क्षहत की कोई िमकी देगा हक वि उस
व्यखि को उत्प्रेररत करे हक वि हकसी क्षहत से संरक्षा के हिए कोई वैि आवेदि हकसी
ऐसे िोक-सेवक से करिे से हवरत रिे या प्रहतहवरत रिे जो ऐसे िोक-सेवक के िाते
ऐसी संरक्षा करिे या करािे के हिए वैि �प से सिि िो, वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।

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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि एवं छत्तीसगढ़ - िारा 190 के तित अपराि संज्ञेय िै। [देिें अहिसूचिा
क्रमांक 33205-एि. क्र. 6-59-74-B-XXI हदिांक 19-11-1975। म.प्र. राजपत्र, भाग 1,
हदिांक 12-3-1976 पृष्ठ 473 पर प्रकाहित ।]
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अध्याय 11: हमथ्या साक्ष्य और िोक �ाय के हव�द्ध अपरािो के हवषय में
191. हमथ्या साक्ष्य देिा -
जो कोई िपथ द्वारा या हवहि के हकसी अहभव्यि उपबंि द्वारा सत्य कथि करिे के
हिए वैि �प से आबद्ध िोते हुए, या हकसी हवषय पर घोषणा करिे के हिए हवहि
द्वारा आबद्ध िोते हुए, ऐसा कोई कथि करेगा, जो हमथ्या िै, और या तो हजसके हमथ्या
िोिे का उसे ज्ञाि या हवश्वास िै, या हजसके सत्य िोिे का उसे हवश्वास ििीं िै, वि
हमथ्या साक्ष्य देता िै, यि किा जाता िै।
स्पष्टीकरण 1- कोई कथि चािे वि मौखिक िो, या अ�था हकया गया िो, इस िारा के
अथत के अन्तगतत आता िै।
स्पष्टीकरण 2 - अिुप्रमाहणत करिे वािे व्यखि के अपिे हवश्वास के बारे में हमथ्या कथि
इस िारा के अथत के अन्तगतत आता िै और कोई व्यखि यि कििे से हक उसे उस
बात का हवश्वास िै, हजस बात का उसे हवश्वास ििीं िै तथा यि कििे से हक वि उस
बात को जािता िै हजस बात को वि ििीं जािता, हमथ्या साक्ष्य देिे का दोषी िो
सके गा।
दृष्टांत -
(क) क एक �ायसंगत दावे के समथति में, जो य के हव�द्ध ि के एक िजार �पए
के हिए िै, हवचारण के समय िपथ पर हमथ्या कथि करता िै हक उसिे य को ि के
दावे का �ायसंगत िोिा स्वीकार करते हुए सुिा था। क िे हमथ्या साक्ष्य हदया िै।
(ि) क सत्य कथि करिे के हिए िपथ द्वारा आबद्ध िोते हुए कथि करता िै हक
वि अमुक िस्ताक्षर के संबंि में यि हवश्वास करता िै हक वि य का िस्तिेि िै,
जबहक वि उसके य का िस्तिेि िोिे का हवश्वास ििीं करता िै। यिां क वि कथि
करता िै, हजसका हमथ्या िोिा वि जािता िै, और इसहिए हमथ्या साक्ष्य देता िै।
(ग) य के िस्तिेि के सािारण स्व�प को जािते हुए क यि कथि करता िै हक
अमुक िस्ताक्षर के संबंि में उसका यि हवश्वास िै हक वि य का िस्तिेि िै; क उसके
ऐसा िोिे का हवश्वास सद्भावपूवतक करता िै। यिां, क का कथि के वि अपिे हवश्वास
के संबंि में िै, और उसके हवश्वास के संबंि में सत्य िै, और इसहिए य�हप वि िस्ताक्षर
य का िस्तिेि ि भी िो, क िे हमथ्या साक्ष्य ििीं हदया िै।

(घ) क िपथ द्वारा सत्य कथि करिे के हिए आबद्ध िोते हुए यि कथि करता िै
हक वि यि जािता िै हक ये एक हवहिष्ट हदि एक हवहिष्ट स्थाि में था, जबहक वि
उस हवषय में कु छ भी ििीं जािता। क हमथ्या साक्ष्य देता िै, चािे बतिाए हुए हदि य
उस स्थाि पर रिा िो या ििीं।
(ङ) क एक दुभाहषया या अिुवादक हकसी कथि या दस्तावेज के, हजसका यथाथत
भाषान्तरण या अिुवाद करिे के हिए वि िपथ द्वारा आबद्ध िै, ऐसे भाषांतरण या
अिुवाद को, जो यथाथत भाषान्तरण या अिुवाद ििीं िै और हजसके यथाथत िोिे का वि
हवश्वास ििीं करता, यथाथत भाषांतरण या अिुवाद के �प में देता या प्रमाहणत करता िै।
क िे हमथ्या साक्ष्य हदया िै।
192. हमथ्या साक्ष्य गढ़िा -
जो कोई इस आिय से हकसी पररखस्थहत को अखस्तत्व में िाता िै, या हकसी पुस्तक या
अहभिेि में या इिेक्टराहिक अहभिेि में कोई हमथ्या, प्रहवहष्ट करता िै, या हमथ्या कथि
अन्तहवतष्ट करिे वािी कोई दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि रचता िै हक ऐसी
पररखस्थहत, हमथ्या प्रहवहष्ट या हमथ्या कथि �ाहयक कायतवािी में, या ऐसी हकसी कायतवािी
में, जो िोक-सेवक के समक्ष उसके िाते या मध्यस्थ के समक्ष हवहि द्वारा की जाती
िै, साक्ष्य में दहितत िो और हक इस प्रकार साक्ष्य में दहितत िोिे पर ऐसी पररखस्थहत,
हमथ्या प्रहवहष्ट या हमथ्या कथि के कारण कोई व्यखि, हजसे ऐसी कायतवािी में साक्ष्य
के आिार पर राय कायम करिी िै, ऐसी कायतवािी के पररणाम के हिए ताखत्वक हकसी
बात के संबंि में गित राय बिा, वि हमथ्या साक्ष्य गढ़ता िै, यि किा जाता िै।
दृष्टांत -
(क) क एक बक्स में, जो य का िै, इस आिय से आभूषण रिता िै हक वे उस बक्स
में पाए जाए और इस पररखस्थहत से य चोरी के हिए दोषहसखद्ध ठिराया जाए िे हमथ्या
साक्ष्य गढ़ा िै।
(ि) क अपिी दुकाि की बिी में एक हमथ्या प्रहवहष्ट इस प्रयोजि से करता िै हक
वि �ायािय में सम्पोषक साक्ष्य के �प में काम में िाई जाए क िे हमथ्या साक्ष्य गढ़ा
िै।
(ग) य को एक आपराहिक षड़यंत्र के हिए दोषहसद्ध ठिराया जािे के आिय से क
एक पत्र य के िस्तिेि की अिुकृ हत करके हििता िै, हजससे यि तात्पहयतत िै हक य
िे उसे ऐसे आपराहिक षड़यंत्र के सि अपरािी को संबोहित हकया िै और उस पत्र
को ऐसे स्थाि पर रिा देता िै हजसके संबंि में वि यि जािता िै हक पुहिस ऑहिसर
संभाव्यतः उस स्थाि की तिािी िेंगे । क िे हमथ्या साक्ष्य गढ़ा िै।
193. हमथ्या साक्ष्य के हिए दण्ड -
जो कोई सािय हकसी �ाहयक कायतवािी के हकसी प्रक्रम में हमथ्या साक्ष्य देगा या
हकसी �ाहयक कायतवािी के हकसी प्रक्रम में उपयोग में िाए जािे के प्रयोजि से, हमथ्या
साक्ष्य गढ़ेगा वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक

की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा, और जो कोई
हकसी अ� मामिे में सािय हमथ्या देगा या गढ़ेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण 1 - सेिा �ायािय के समक्ष हवचारणीय �ाहयक कायतवािी िै।
स्पष्टीकरण 2 - �ायािय के समक्ष कायतवािी प्रारंभ िोिे के पूवत जो हवहि द्वारा हिहदतष्ट
अन्वेषण िोता िै, वि �ाहयक कायतवािी का एक प्रक्रम िै, चािे वि अन्वेषण हकसी
�ायािय के सामिे ि भी िो।
दृष्टांत -
यि अहभहिश्चय करिे के प्रयोजि से हक क्ा य को हवचारण के हिए सुपुदत हकया जािा
चाहिए, महजस्ट्रेट के समक्ष जांच में क िपथ पर कथि करता िै, हजसका वि हमथ्या
िोिा जािता िै। यि जांच �ाहयक कायतवािी का एक प्रक्रम िै, इसहिए क िे हमथ्या
साक्ष्य हदया िै।
स्पष्टीकरण 3 - �ायािय द्वारा हवहि के अिुसार हिहदतष्ट और �ायािय के प्राहिकार के
अिीि संचाहित अन्वेषण �ाहयक कायतवािी का एक प्रक्रम िै, चािे वि अन्वेषण हकसी
�ायािय के सामिे ि भी िो।
दृष्टांत -
संबंहित स्थाि पर जाकर भूहम की सीमाओं को अहभहिहश्चत करिे के हिए �ायािय
द्वारा प्रहतहियुि ऑहिसर के समक्ष जांच में क िपथ पर कथि करता िै हजसका
हमथ्या िोिा वि जािता िै। यि जांच �ाहयक कायतवािी का एक प्रक्रम िै, इसहिए क
िे हमथ्या साक्ष्य हदया िै।
194. मृत्यु से दण्डिीय अपराि के हिए दोषहसद्ध करािे के आिय से हमथ्या साक्ष्य
देिा या गढ़िा -
जो कोई भारत में तत्समय प्रवृत्त हवहि के द्वारा मृत्यु से दण्डिीय अपराि के हिए हकसी
व्यखि को दोषहसद्ध करािे के आिय से या सम्भवतः तद्द्वारा दोषहसद्ध कराएगा, यि
जािते हुए हमथ्या साक्ष्य देगा या गढ़ेगा वि आजीवि कारावास से, या कहठि कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा;
यहद हिदोष व्यखि एतद्द्वारा दोषहसद्ध हकया जाए और उसे िांसी दी जाए - और यहद
हकसी हिदोष व्यखि को ऐसे हमथ्या साक्ष्य के पररणामस्व�प दोषहसद्ध हकया जाए, और
उसे िांसी दे दी जाए, तो उस व्यखि को, जो ऐसा हमथ्या साक्ष्य देगा, या तो मृत्युदण्ड
या एतखिि् पूवत वहणतत दण्ड हदया जाएगा।

195. आजीवि कारावास या कारावास से दण्डिीय अपराि के हिए दोषहसद्ध करािे
के आिय से हमथ्या साक्ष्य देिा या गढ़िा -
जो कोई इस आिय से या यि संभाव्य जािते हुए हक एतद्द्वारा वि हकसी व्यखि को
ऐसे अपराि के हिए, जो भारत में तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहि द्वारा मृत्यु से दण्डिीय ि
िो हकन्तु आजीवि कारावास या सात वषत या उससे अहिक की अवहि के कारावास से
दण्डिीय िो, दोषहसद्ध कराए, हमथ्या साक्ष्य देगा या गढ़ेगा, वि वैसे िी दखण्डत हकया
जाएगा जैसे वि व्यखि दण्डिीय िोता जो उस अपराि के हिए दोषहसद्ध िोता।
दृष्टांत -
क �ायािय के समक्ष इस आिय से हमथ्या साक्ष्य देता िै हक एतद्द्वारा य डकै ती के
हिए दोषहसद्ध हकया जाए। डकै ती का दण्ड जुमातिा सहित या रहित, आजीवि
कारावास या ऐसा कहठि कारावास िै, जो दस वषत तक की अवहि का िो सकता िै।
क इसहिए जुमातिे सहित या रहित आजीवि कारावास या कारावास से दण्डिीय िै।
195 क. हकसी व्यखि को हमथ्या साक्ष्य देिे के हिए िमकािा -
जो कोई, हकसी दू सरे व्यखि को, उसके िरीर, ख्ाहत या संपहत्त को अथवा ऐसे
व्यखि के िरीर या ख्ाहत को, हजसमें वि व्यखि हितबद्ध िै, यि काररत करिे के
आिय से कोई क्षहत करिे की िमकी देता िै, हक वि व्यखि हमथ्या साक्ष्य दे तो वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी
या जुमातिे से या दोिों से दंहडत हकया जाएगा; और
यहद कोई हिदोष व्यखि ऐसे हमथ्या साक्ष्य के पररणामस्व�प मृत्यु से या सात वषत से
अहिक के कारावास से दोषहसद्ध और दंडाहदष्ट हकया जाता िै तो ऐसा व्यखि, जो
िमकी देता िै, उसी दंड से दंहडत हकया जाएगा और उसी रीहत में और उसी सीमा
तक दंडाहदष्ट हकया जाएगा जैसे हिदोष व्यखि दंहडत और दंडाहदष्ट हकया गया िै।
196. उस साक्ष्य को काम में िािा हजसका हमथ्या िोिा ज्ञात िै -
जो कोई हकसी साक्ष्य को, हजसका हमथ्या िोिा या गढ़ा िोिा वि जािता िै, स�े या
असिी साक्ष्य के �प में भ्रष्टतापूवतक उपयोग में िाएगा, या उपयोग में िािे का प्रयत्न
करेगा, वि ऐसे दखण्डत हकया जाएगा मािो उसिे हमथ्या साक्ष्य हदया िो या गढ़ा िो।
197. हमथ्या प्रमाण पत्र जारी करिा या िस्ताक्षररत करिा -
जो कोई ऐसा प्रमाण पत्र, हजसका हदया जािा या िस्ताक्षररत हकया जािा हवहि द्वारा
अपेहक्षत िो, या जो हकसी ऐसे तथ्य से संबंहित िो हजसका वैसा प्रमाण-पत्र हवहि द्वारा
साक्ष्य में ग्राह्य िो, यि जािते हुए या हवश्वास करते हुए हक वि हकसी ताखत्वक बात के
बारे में हमथ्या िै, वैसा प्रमाण-पत्र जारी करेगा या िस्ताक्षररत करेगा, वि उसी प्रकार
दखण्डत हकया जाएगा, मािो उसिे हमथ्या साक्ष्य हदया िो।
198. प्रमाण पत्र हजसका हमथ्या िोिा ज्ञात िै स�े के �प में काम में िािा -

जो कोई हकसी ऐसे प्रमाण पत्र को यि जािते हुए हक वि हकसी ताखत्वक बात के
संबंि में हमथ्या िै, स�े प्रमाण पत्र के �प में भ्रष्टतापूवतक उपयोग में िाएगा या उपयोग
में िािे का प्रयत्न करेगा, वि ऐसे दखण्डत हकया जाएगा, मािो उसिे हमथ्या साक्ष्य हदया
िो।
199. ऐसी घोषणा में, जो साक्ष्य के �प में हवहि द्वारा िी जा सके, हकया गया हमथ्या
कथि -
जो कोई अपिे द्वारा की गई या िस्ताक्षररत हकसी घोषणा में, हजसको हकसी तथ्य के
साक्ष्य के �प में िेिे के हिए कोई �ायािय, या कोई िोक-सेवक या अ� व्यखि
हवहि द्वारा आबद्ध या प्राहिकृ त िो कोई ऐसा कथि करेगा, जो हकसी ऐसी बात के
संबंि में, जो उस उद्दे� के हिए ताखत्वक िो हजसके हिए वि घोषणा की जाए या
उपयोग में िाई जाए, हमथ्या िै, और हजसके हमथ्या िोिे का उसे ज्ञाि या हवश्वास िै, या
हजसके सत्य िोिे का उसे हवश्वास ििीं िै, वि उसी प्रकार दखण्डत हकया जाएगा, मािो
उसिे हमथ्या साक्ष्य हदया िो।
200. ऐसी घोषणा का हमथ्या िोिा जािते हुए स�ी के �प में काम में िािा –
जो कोई हकसी ऐसी घोषणा को, यि जािते हुए हक वि हकसी ताखत्वक बात के संबंि
में हमथ्या िै, भ्रष्टतापूवतक स�ी के �प में उपयोग में िाएगा, या उपयोग में िािे का
प्रयत्न करेगा, वि उसी प्रकार दखण्डत हकया जाएगा, मािो उसिे हमथ्या साक्ष्य हदया िो।
स्पष्टीकरण - कोई घोषणा, जो के वि हकसी अप्र�हपता के आिार पर अग्राह्य िै, िारा
199 और िारा 200 के अथत के अन्तगतत घोषणा िै।
201. अपराि के साक्ष्य का हविोपि, या अपरािी को प्रहत�ाहदत करिे के हिए हमथ्या
इहत्तिा देिा -
जो कोई यि जािते हुए, या यि हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक कोई अपराि
हकया गया िै, उस अपराि के हकए जािे के हकसी साक्ष्य का हविोप इस आिय से
काररत करेगा हक अपरािी को वैि दण्ड से प्रहत�ाहदत करे या उस आिय से उस
अपराि से संबंहित कोई ऐसी इहत्तिा देगा, हजसके हमथ्या िोिे का उसे ज्ञाि या हवश्वास
िै।
यहद अपराि मृत्यु से दण्डिीय िो - यहद वि अपराि हजसके हकए जािे का उसे ज्ञाि
या हवश्वास िै, मृत्यु से दण्डिीय िो, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से
हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा;
यहद आजीवि कारावास से दण्डिीय िो - और यहद वि अपराि आजीवि कारावास
से, या ऐसे कारावास से, जो दस वषत तक का िो सके गा, दण्डिीय िो, तो वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;

यहद दस वषत से कम के कारावास से दण्डिीय िो - और यहद वि अपराि ऐसे
कारावास से उतिी अवहि के हिए दण्डिीय िो, जो दस वषत तक की ि िो, तो वि
उस अपराि के हिए उपबंहित भांहत के कारावास से उतिी अवहि के हिए, जो उस
अपराि के हिए उपबंहित कारावास की दीघततम अवहि की एक-चौथाई तक िो सके गी
या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
दृष्टांत -
क यि जािते हुए हक ि िे य की ित्या की िै ि को दण्ड से प्रहत�ाहदत करिे के
आिय से मृत िरीर को हछपािे में ि की सिायता करता िै। क सात वषत के हिए
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, और जुमातिे से भी दण्डिीय िै।
202. इहत्तिा देिे के हिए आबद्ध व्यखि द्वारा अपराि की इहत्तिा देिे का सािय
िोप -
जो कोई यि जािते हुए या यि हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक कोई अपराि
हकया गया िै, उस अपराि के बारे में कोई इहत्तिा हजसे देिे के हिए वि वैि �प से
आबद्ध िो, देिे का सािय िोप करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
203. हकए गए अपराि के हवषय में हमथ्या इहत्तिा देिा -
जो कोई यि जािते हुए, या यि हवश्वास करिे का कारण रिते हुए, हक कोई अपराि
हकया गया िै उस अपराि के बारे में कोई ऐसी इहत्तिा देगा, हजसके हमथ्या िोिे का
उसे ज्ञाि या हवश्वास िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से या दोिों से, दखण्डत या जाएगा।
स्पष्टीकरण - िारा 201 और 202 में और इस िारा में “अपराि' ि� के अन्तगतत भारत
के बािर हकसी स्थाि पर हकया गया कोई भी ऐसा कायत आता िै, जो यहद भारत में
हकया जाता तो हिम्नहिखित िारा अथातत् 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397,
398, 399, 402, 435, 436, 449, 450, 457, 458,459 तथा 460 में से हकसी भी िारा के
अिीि दण्डिीय िोता ।
204. साक्ष्य के �प में हकसी दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि का पेि हकया जािा
हिवाररत करिे के हिए उसको िष्ट करिा -
जो कोई हकसी ऐसे दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेिों को हछपाएगा या िष्ट करेगा
हजसे हकसी �ायािय में या ऐसी कायतवािी में, जो हकसी िोक-सेवक के समक्ष उसकी
वैसी िैहसयत में हवहिपूवतक की गई िै, साक्ष्य के �प में पेि करिे के हिए उसे
हवहिपूवतक हववि हकया जा सके, या पूवोि �ायािय या िोक-सेवक के समक्ष साक्ष्य
के �प में पेि हकए जािे या उपयोग में िाए जािे से हिवाररत करिे के आिय से,
या उस प्रयोजि के हिए उस दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि, को पेि करिे को
उसे हवहिपूवतक समहित या अपेहक्षत हकए जािे के पश्चात् ऐसी संपूणत दस्तावेज या

इिेक्टराहिक अहभिेि को, या उसके हकसी भाग को हमटाएगा, या ऐसा बिाएगा, जो पढ़ा
ि जा सके, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
205. वाद या अहभयोजि में हकसी कायत या कायतवािी के प्रयोजि से हमथ्या प्रहत�पण
-
जो कोई हकसी दू सरे का हमथ्या प्रहत�पण करेगा और ऐसे िरे हुए �प में हकसी वाद
या आपराहिक अहभयोजि में कोई स्वीकृ हत या कथि करेगा, या दावे की संस्वीकृ हत
करेगा, या कोई आदेहिका हिकिवाएगा या जमाितदार या प्रहतभू बिेगा, या कोई भी
अ� कायत करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के करावास से, हजसकी अवहि तीि वषत
तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
206. संपहत्त को समपिरण हकए जािे में या हिष्पादि में अहभगृिीत हकए जािे से
हिवाररत करिे के हिए उसे कपटपूवतक िटािा या हछपािा -
जो कोई हकसी संपहत्त को, या उसमें के हकसी हित को इस आिय से कपटपूवतक
िटाएगा, हछपाएगा या हकसी व्यखि को अन्तररत या पररदत्त करेगा, हक तदुद्वारा वि उस
संपहत्त या उसमें के हकसी हित का ऐसे दण्डादेि के अिीि जो �ायािय या हकसी
अ� सक्षम प्राहिकारी द्वारा सुिाया जा चुका िै या हजसके बारे में वि जािता िै हक
�ायािय या अ� सक्षम प्राहिकारी द्वारा उसका सुिाया जािा संभाव्य िै, समपिरण के
�प में या जुमातिे के चुकािे के हिए हिया जािा या ऐसी हडक्री या आदेि के हिष्पादि
में, जो हसहवि वाद में �ायािय द्वारा हदया गया िो या हजसके बारे में वि जािता िै
हक हसहवि वाद में �ायािय द्वारा उसका सुिाया जािा संभाव्य िै, हिया जािा हिवाररत
करे, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो
सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
207. संपहत्त पर उसके समपिरण हकए जािे में या हिष्पादि में अहभगृिीत हकए जािे
से हिवाररत करिे के हिए कपटपूवतक दावा -
जो कोई हकसी संपहत्त को, या उसमें के हकसी हित को, यि जािते हुए हक ऐसी संपहत्त
या हित पर उसका कोई अहिकार या अहिकारपूणत दावा ििीं िै, कपटपूवतक प्रहतगृिीत
करेगा, प्राप्त करेगा, या उस पर दावा करेगा अथवा हकसी संपहत्त या उसमें हकसी हित
पर हकसी अहिकार के बारे में इस आिय से प्रवंचिा करेगा हक तद्द्वारा वि उस
संपहत्त या उसमें के हित का ऐसे दण्डादेि के अिीि, जो �ायािय या हकसी अ�
सक्षम प्राहिकारी द्वारा सुिाया जा चुका िै या, हजसके बारे में वि जािता िै हक
�ायािय या हकसी अ� सक्षम प्राहिकारी द्वारा उसका सुिाया जािा संभाव्य िै,
समपिरण के �प में या जुमातिे के चुकािे के हिये हिया जािा, या ऐसी हडक्री या आदेि
के हिष्पादि में, जो हसहवि वाद में �ायािय द्वारा हदया गया िो, या हजसके बारे में
वि जािता िै हक हसहवि वाद में �ायािय द्वारा उसका हदया जािा संभाव्य िै, हिया
जािा हिवाररत करे, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो
वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
208. ऐसी राहि के हिए जो िोध्य ि िो कपटपूवतक हडक्री िोिे देिा सिि करिा -

जो कोई हकसी व्यखि के बाद में ऐसी राहि के हिए, जो ऐसे व्यखि को िोध्य ि िो
या िोध्य राहि से अहिक िो, या हकसी ऐसी संपहत्त या संपहत्त में के हित के हिए,
हजसका ऐसा व्यखि िकदार ि िो, अपिे हव�द्ध कोई हडक्री या आदेि कपटपूवतक
पाररत करवाएगा, या पाररत हकया जािा सिि करेगा अथवा हकसी हडक्री या आदेि
को उसके तुष्ट कर हदए जािे के पश्चात् या हकसी ऐसी बात के हिए, हजसके हवषय में
उस हडक्री या आदेि की तुहष्ट कर दी गई िो, अपिे हव�द्ध कपटपूवतक हिष्पाहदत
करवाएगा या हकया जािा सिि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
दृष्टांत -
य के हव�द्ध एक वाद क संखस्थत करता िै। य यि संभाव्य जािते हुए हक क उसके
हव�द्ध हडक्री अहभप्राप्त कर िेगा, ि के वाद में, हजसका उसके हव�द्ध कोई �ायसंगत
दावा ििीं िै, अहिक रकम के हिए अपिे हव�द्ध हिणतय हकया जािा इसहिए कपटपूवतक
सिि करता िै हक ि स्वयं अपिे हिए या य के िायदे के हिए य की संपहत्त के
हकसी ऐसे हवक्रय के आगमों का अंि ग्रिण करे, जो क की हडक्री के अिीि हकया
जाए। य िे इस िारा के अिीि अपराि हकया िै।
209. बेईमािी से �ायािय में हमथ्या दावा करिा -
जो कोई कपटपूवतक या बेईमािी से या हकसी व्यखि को क्षहत या क्षोभ काररत करिे
के आिय से �ायािय में कोई ऐसा दावा करेगा, हजसका हमथ्या िोिा वि जािता िो,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
210. ऐसी राहि के हिए जो िोध्य ििीं िै कपटपूवतक हडक्री अहभप्राप्त करिा -
जो कोई हकसी व्यखि के हव�द्ध ऐसी राहि के हिए, जो िोध्य ि िो, या जो िोध्य
राहि से अहिक िो, या हकसी संपहत्त या संपहत्त में के हित के हिए, हजसका वि िकदार
ि िो, हडक्री या आदेि कपटपूवतक अहभप्राप्त कर िेगा या हकसी हडक्री या आदेि को,
उसके तुष्ट कर हदए जािे के पश्चात् या ऐसी बात के हिए, हजसके हवषय में उस हडक्री
या आदेि की तुहष्ट कर दी गई िो, हकसी व्यखि के हव�द्ध कपटपूवतक हिष्पाहदत
करवाएगा या अपिे िाम में कपटपूवतक ऐसा कोई कायत हकया जािा सिि करेगा या
हकए जािे की अिुज्ञा देगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
211. क्षहत करिे के आिय से अपराि का हमथ्या आरोप -
जो कोई हकसी व्यखि को यि जािते हुए हक उस व्यखि के हव�द्ध ऐसी कायतवािी
या आरोप के हिए कोई �ायसंगत या हवहिपूणत आिार ििीं िै क्षहत काररत करिे के
आिय से उस व्यखि के हव�द्ध कोई दाखण्डक कायतवािी संखस्थत करेगा या करवाएगा
या उस व्यखि पर हमथ्या आरोप िगाएगा हक उसिे अपराि हकया िै वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से,

या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा; तथा यहद ऐसा दाखण्डक कायतवािी मृत्यु, आजीवि
कारावास या सात वषत या उससे अहिक के कारावास से दण्डिीय अपराि के हमथ्या
आरोप पर संखस्थत की जाए, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
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राज्य संिोिि
छत्तीसगढ़ - िारा 211 में हि�हिखित परन्तुक अंत:स्थाहपत हकया जाए, अथातत् :-
परन्तु यि हक, यहद ऐसी दांहडक कायतवािी िारा 354, िारा 354क, िारा 354ि, िारा
354ग, िारा 354घ, िारा 3545, िारा 376ि, िारा 376ग, िारा 376च, िारा 509, िारा
509क या िारा 509ि से दंडिीय अपराि के हमथ्या आरोप पर संखस्थत की जाए, तो
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से जो तीि वषत से कम का ििीं िोगा परन्तु जो
पांच वषत तक का िो सके गा और जुमहि से भी दंडिीय िोगा।''
देिे दण्ड हवहि (छ.ग. संिोिि) अहिहियम, 2013 (क्र. 25 सि् 2015), िारा 2
(हदिांक 21-7-2015 से प्रभाविीि) । छ.ग. राजपत्र (असािारण) हदिांक 21-7-2015
पृष्ठ 777-778(9) पर प्रकाहित ।]
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212. अपरािी को संश्रय देिा -
जबहक कोई अपराि हकया जा चुका िो, तब जो कोई हकसी ऐसे व्यखि को, हजसके
बारे में वि जािता िो या हवश्वास करिे का कारण रिता िो हक वि अपरािी िै, वैि
दण्ड से प्रहत�ाहदत करिे के आिय से संश्रय देगा या हछपाएगा;
यहद अपराि मृत्यु से दण्डिीय िो - यहद वि अपराि मृत्यु से दण्डिीय िो तो वि दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा; |
यहद अपराि आजीवि कारावास से या कारावास से दण्डिीय िो - और यहद वि
अपराि आजीवि कारावास से, या दस वषत तक के कारावास से, दण्डिीय िो, तो वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;
और यहद वि अपराि एक वषत तक, ि हक दस वषत तक के कारावास से दण्डिीय िो,
तो वि उसे अपराि के हिए उपबंहित भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि उस
अपराि के हिए उपबंहित कारावास की दीघततम अवहि की एक चौथाई तक की िो
सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा। इस िारा में “अपराि' के
अन्तगतत भारत से बािर हकसी स्थाि पर हकया गया ऐसा कायत आता िै, जो यहद भारत
में हकया जाता तो हिम्नहिखित िारा अथातत्, 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396,

397, 398, 399, 402, 435, 436,449, 450, 457,458,459 और 460 में से हकसी िारा के
अिीि दण्डिीय िोता और िर एक ऐसा कायत इस िारा के प्रयोजिों के हिए ऐसे
दण्डिीय समझा जाएगा, मािो अहभयुि व्यखि उसे भारत में करिे का दोषी था।
अपवाद - इस उपबंि का हवस्तार हकसी ऐसे मामिे पर ििीं िै हजसमें अपरािी को
संश्रय देिा या हछपािा उसके पहत या पत्नी द्वारा िो।
दृष्टांत -
क यि जािते हुए हक ि िे डकै ती की िै, ि को वैि दण्ड से प्रहत�ाहदत करिे के
हिए जािते हुए हछपा िेता िै। यिां ि आजीवि कारावास से दण्डिीय िै, क तीि वषत
से अिहिक अवहि के हिए दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से दण्डिीय िै और
जुमातिे से भी दण्डिीय िै।
213. अपरािी को दण्ड से प्रहत�ाहदत करिे के हिए उपिार आहद िेिा -
जो कोई अपिे या हकसी अ� व्यखि के हिए कोई पररतोषण या अपिे या हकसी
अ� व्यखि के हिए हकसी संपहत्त का प्रत्यास्थापि, हकसी अपराि के हछपािे के हिए
या हकसी व्यखि को हकसी अपराि के हिए वैि दण्ड से प्रहत�ाहदत करिे के हिए,
या हकसी व्यखि के हव�द्ध वैि दण्ड हदिािे के प्रयोजि से उसके हव�द्ध की जािे
वािी कायतवािी ि करिे के हिए, प्रहतिि प्रहतगृिीत करेगा या अहभप्राप्त करिे का
प्रयत्न करेगा या प्रहतगृिीत करिे के हिए करार करेगा,
यहद अपराि मृत्यु से दण्डिीय िो - यहद वि अपराि मृत्यु से दण्डिीय िो, तो वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;
यहद आजीवि कारावास या कारावास से दण्डिीय िो - तथा यहद वि अपराि आजीवि
कारावास या दस वषत तक के कारावास से दण्डिीय िो तो वि दोिों में से हकसी
भांहत कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा,
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;
तथा यहद वि अपराि दस वषत से कम तक के कारावास से दण्डिीय िो, तो वि उस
अपराि के हिए उपबंहित भांहत के कारावास से इतिी अवहि के हिए, जो उस अपराि
के हिए उपबंहित कारावास की दीघततम अवहि की एक चौथाई-तक की िो सके गी या
जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
214. अपरािी के प्रहत�ादि के प्रहतििस्व�प उपिार की प्रस्थापिा या संपहत्त का
प्रत्यावतति -
जो कोई हकसी व्यखि को कोई अपराि उस व्यखि द्वारा हछपाए जािे के हिए या
उस व्यखि द्वारा हकसी व्यखि को हकसी अपराि के हिए वैि दण्ड से प्रहत�ाहदत
हकए जािे के हिए या उस व्यखि द्वारा हकसी व्यखि को वैि दण्ड हदिािे के प्रयोजि
से उसके हव�द्ध की जािे वािी कायतवािी ि की जािे के हिए प्रहतििस्व�प कोई

पररतोषण देगा या हदिाएगा या देिे या हदिािे की प्रस्थापिा या करार करेगा, या कोई
संपहत्त प्रत्यावहततत करेगा या कराएगा।
यहद अपराि मृत्यु से दण्डिीय िो - यहद वि अपराि मृत्यु से दण्डिीय िो, तो वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
यहद आजीवि कारावास या कारावास से दण्डिीय िो - तथा यहद वि अपराि आजीवि
कारावास से या दस वषत तक के कारावास से दण्डिीय िो, तो वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा,
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;
तथा यहद वि अपराि दस वषत से कम के कारावास से दण्डिीय िो, तो वि उस
अपराि के हिए उपबंहित भांहत के कारावास से इतिी अवहि के हिए, जो उस अपराि
के हिए उपबंहित कारावास की दीघततम अवहि की एक चौथाई तक की िो सके गी या
जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
अपवाद - िारा 213 और िारा 214 के उपबंिों का हवस्तार हकसी ऐसे मामिे पर ििीं
िै, हजसमें हक अपराि का िमि हवहिपूवतक हकया जा सकता िै।
215. चोरी की संपहत्त इत्याहद के वापस िेिे में सिायता करिे के हिए उपिार िेिा
-
जो कोई हकसी व्यखि की हकसी ऐसी जंगम संपहत्त के वापस करा िेिे में, हजससे इस
संहिता के अिीि दण्डिीय हकसी अपराि द्वारा वि व्यखि वंहचत कर हदया गया िो,
सिायता करिे के बिािे या सिायता करिे की बाबत कोई पररतोषण िेगा या िेिे का
करार करेगा या िेिे को सिमत िोगा, वि, जब तक हक अपिी िखि में के सब
साििों को अपरािी को पकड़वािे के हिए और अपराि के हिए दोषहसद्ध करािे के
हिए उपयोग में ि िाए, दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो
वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
216. ऐसे अपरािी को संश्रय देिा, जो अहभरक्षा से हिकि भागा िै या हजसको
पकड़िे का आदेि हदया जा चुका िै -
जब हकसी अपराि के हिए दोषहसद्ध या आरोहपत व्यखि उस अपराि के हिए वैि
अहभरक्षा में िोते हुए ऐसी अहभरक्षा से हिकि भागे;
अथवा जब कभी कोई िोक-सेवक ऐसे िोक-सेवक की हवहिपूणत िखियों का प्रयोग
करते हुए हकसी अपराि के हिए हकसी व्यखि को पकड़िे का आदेि दे, तब जो कोई
ऐसे हिकि भागिे को या पकड़े जािे के आदेि को जािते हुए, उस व्यखि को पकड़ा
जािा हिवाररत करिे के आिय से उसे संश्रय देगा या हछपाएगा, वि हिम्नहिखित प्रकार
से दखण्डत हकया जाएगा, अथातत् -

यहद अपराि मृत्यु से दण्डिीय िो - यहद वि अपराि, हजसके हिए वि व्यखि अहभरक्षा
में था या पकड़े जािे के हिए आदेहित िै, मृत्यु से दण्डिीय िो, तो वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया
जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;
यहद आजीवि कारावास या कारावास से दण्डिीय िो - यहद वि अपराि आजीवि
कारावास से या दस वषत तक के कारावास से दण्डिीय िो, तो वि जुमातिे सहित या
रहित दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो
सके गी, दखण्डत हकया जाएगा;
तथा यहद वि अपराि ऐसे कारावास से दण्डिीय िो, जो एक वषत तक का, ि हक दस
वषत तक का िो सकता िै, तो वि उस अपराि के हिए उपबंहित भांहत के कारावास
से हजसकी अवहि उस अपराि के हिए उपबंहित कारावास की दीघततम अवहि की एक
चौथाई तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
इस िारा में अपराि के अन्तगतत कोई भी ऐसा कायत या िोप भी आता िै, हजसका
कोई व्यखि भारत से बािर दोषी िोिा अहभकहथत िो, जो यहद वि भारत में उसका
दोषी िोता, तो अपराि के �प में दण्डिीय िोता और हजसके हिए वि प्रत्यपतण से
संबंहित हकसी हवहि के अिीि या अ�था भारत में पकड़े जािे या अहभरक्षा में हि�द्ध
हकए जािे के दाहयत्व के अिीि िो, और िर ऐसा कायत या िोप इस िारा के प्रयोजिों
के हिए ऐसे दण्डिीय समझा जाएगा, मािो अहभयुि व्यखि भारत में उसका दोषी
हुआ था।
अपवाद - इस उपबंि का हवस्तार ऐसे मामिे पर ििीं िै, हजसमें संश्रय देिा या हछपािा
पकड़े जािे वािे व्यखि के पहत या पत्नी द्वारा िो।
216 क. िुटेरों या डाकु ओं को संश्रय देिे के हिए िाखस्त -
जो कोई यि जािते हुए या हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक कोई व्यखि िूट
या डकै ती िाि िी में करिे वािे िैं या िाि िी में िूट या डकै ती कर चुके िैं, उिको
या उिमें से हकसी को, ऐसी िूट या डकै ती का हकया जािा सुकर बिािे के, या उिको
या उिमें से हकसी को दण्ड से प्रहत�ाहदत करिे के आिय से संश्रय देगा, वि कहठि
कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - इस िारा के प्रयोजिों के हिए यि तत्विीि िै हक िूट या डकै ती भारत में
करिी आिहयत िै या की जा चुकी िै, या भारत से बािर।
अपवाद - इस उपबंि का हवस्तार, ऐसे मामिे पर ििीं िै, हजसमें संश्रय देिा या हछपािा
अपरािी के पहत या पत्नी द्वारा िो.
216 ि. िारा 212 और िारा 216क में “संश्रय” की पररभाषा -
भारतीय दण्ड संहिता (संिोिि) अहिहियम, 1942 (1942 का 8) की िारा 3 द्वारा हिरहसत

217. िोक-सेवक द्वारा हकसी व्यखि को दण्ड से या हकसी संपहत्त को समपिरण से
बचािे के आिय से हवहि के हिदेि की अवज्ञा -
जो कोई िोक-सेवक िोते हुए हवहि के ऐसे हकसी हिदेि की, जो उस संबंि में िो
हक उससे ऐसे िोक-सेवक के िाते हकस ढंग का आचरण करिा चाहिए, जािते हुए
अवज्ञा हकसी व्यखि को वैि दण्ड से बचािे के आिय से या संभाव्यतः तद्द्वारा
बचाएगा यि जािते हुए अथवा उतिे दण्ड की अपेक्षा, हजससे वि दण्डिीय िै, तद्द्वारा
कम दण्ड हदिवाएगा यि संभाव्य जािते हुए अथवा हकसी संपहत्त को ऐसे समपिरण
या हकसी भार से, हजसके हिए वि संपहत्त हवहि के द्वारा दाहयत्व के अिीि िै बचािे
के आिय से या संभाव्यतः तद्द्वारा बचाएगा यि जािते हुए करेगा, वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से,
या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
218. हकसी व्यखि को दण्ड से या हकसी संपहत्त को समपिरण से बचािे के आिय
से िोकसेवक द्वारा अिुद्ध अहभिेि या िेि की रचिा -
जो कोई िोक-सेवक िोते हुए और ऐसे िोक-सेवक के िाते कोई अहभिेि या अ�
िेि तैयार करिे का भार रिते हुए, उस अहभिेि या िेि की इस प्रकार से रचिा,
हजसे वि जािता िै हक अिुद्ध िै िोक को या हकसी व्यखि को िाहि या क्षहत काररत
करिे के आिय से या संभाव्यतः तद्द्वारा काररत करेगा यि जािते हुए अथवा हकसी
व्यखि को वैि दण्ड से बचािे के आिय से या संभाव्यतः तद्द्वारा बचाएगा यि जािते
हुए अथवा हकसी संपहत्त के ऐसे समपिरण या अ� भार से, हजसके दाहयत्व के अिीि
वि संपहत्त हवहि के अिुसार िै, बचािे के आिय से या संभाव्यतः तद्द्वारा बचाएगा यि
जािते हुए करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत
तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
219. �ाहयक कायतवािी में हवहि के प्रहतकू ि ररपोटत आहद का िोक-सेवक द्वारा
भ्रष्टतापूवतक हकया जािा -
जो कोई िोक-सेवक िोते हुए, �ाहयक कायतवािी के हकसी प्रक्रम में कोई ररपोटत,
आदेि, अहिमत या हवहिश्चय हजसका हवहि के प्रहतकू ि िोिा वि जािता िो, भ्रष्टतापूवतक
या हवद्वेषपूवतक देगा, या सुिाएगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि सात वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
220. प्राहिकार वािे व्यखि द्वारा जो यि जािता िै हक वि हवहि के प्रहतकू ि कायत
कर रिा िै हवचारण के हिए या परररोि करिे के हिए सुपुदतगी -
जो कोई हकसी ऐसे पद पर िोते हुए, हजससे व्यखियों को हवचारण या परररोि के हिए
सुपुदतगी करिे का, या व्यखियों को परररोि में रििे का उसे वैि प्राहिकार िो हकसी
व्यखि को उस प्राहिकार के प्रयोग में यि जािते हुए भ्रष्टतापूवतक या हवद्वेषपूवतक
हवचारण या परररोि के हिए सुपुदत करेगा या परररोि में रिेगा हक ऐसा करिे में वि
हवहि के प्रहतकू ि कायत कर रिा िै, वि दोिों में से हकसी के भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी. या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया
जाएगा।

221. पकड़िे के हिए आबद्ध िोक-सेवक द्वारा पकड़िे का सािय िोप -
जो कोई ऐसा िोकसेवक िोते हुए, जो हकसी अपराि के हिए आरोहपत या पकड़े जािे
के दाहयत्व के अिीि हकसी व्यखि को पकड़िे या परररोि में रििे के हिए िोक-
सेवक के िाते वैि�प से आबद्ध िै, ऐसे व्यखि को पकड़िे का सािय िोप करेगा
या ऐसे परररोि में से ऐसे व्यखि का हिकि भागिा सािय सिि करेगा या ऐसे
व्यखि के हिकि भागिे में या हिकि भागिे के हिए प्रयत्न करिे में सािय मदद
करेगा, वि हिम्नहिखित �प से दखण्डत हकया जाएगा, अथातत् :-
यहद परर�द्ध व्यखि या जो व्यखि पकड़ा जािा चाहिए था वि मृत्यु से दण्डिीय
अपराि के हिए आरोहपत या पकड़े जािे के दाहयत्व के अिीि िो, तो वि जुमातिे सहित
या रहित दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की
िो सके गी, अथवा यहद परर�द्ध व्यखि या जो व्यखि पकड़ा जािा चाहिए था वि
आजीवि कारावास या दस वषत तक की अवहि के कारावास से दण्डिीय अपराि के
हिए आरोहपत या पकड़े जािे के दाहयत्व के अिीि िो, तो वि जुमातिे सहित या रहित
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी,
अथवा
यहद परर�द्ध व्यखि या जो पकड़ा जािा चाहिए था वि दस वषत से कम की अवहि
के हिए कारावास से दण्डिीय अपराि के हिए आरोहपत या पकड़े जािे के दाहयत्व
के अिीि िो, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत
तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से।
222. दण्डादेि के अिीि या हवहिपूवतक सुपुदत हकए गए व्यखि को पकड़िे के हिए
आबद्ध िोक-सेवक द्वारा पकड़िे का सािय िोप -
जो कोई ऐसा िोक-सेवक िोते हुए, जो हकसी अपराि के हिए �ायािय के दण्डादेि
के अिीि या अहभरक्षा में रिे जािे के हिए हवहिपूवतक सुपुदत हकए गए हकसी व्यखि
को पकड़िे या परररोि में रििे के हिए ऐसे िोक-सेवक के िाते वैि �प से आबद्ध
िै, ऐसे व्यखि को पकड़िे का सािय िोप करेगा, या ऐसे परररोि में से सािय ऐसे
व्यखि का हिकि भागिा सिि करेगा या ऐसे व्यखि के हिकि भागिे में या हिकि
भागिे के हिए प्रयत्न करिे में सािय मदद करेगा, वि हिम्नहिखित �प से दखण्डत
हकया जाएगा, अथातत् :-
यहद परर�द्ध व्यखि या जो व्यखि पकड़ा जािा चाहिए था, वि मृत्यु दण्डादेि के
अिीि िो, तो वि जुमातिे सहित या रहित आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि चौदि वषत तक की िो सके गी; अथवा
यहद परर�द्ध व्यखि या जो व्यखि पकड़ा जािा चाहिए था वि �ायािय के दण्डादेि
से, या ऐसे दण्डादेि से िघुकरण के आिार पर आजीवि कारावास या दस वषत तक
की या उससे अहिक की अवहि के हिए कारावास के अध्यिीि िो, तो वि जुमातिे
सहित या रहित, दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से हजसकी अवहि सात वषत तक
की िो सके गी, अथवा

यहद परर�द्ध व्यखि या जो व्यखि पकड़ा जािा चाहिए था वि �ायािय के दण्डादेि
से दस वषत से कम की अवहि के हिए कारावास के अध्यिीि िो या यहद वि व्यखि
अहभरक्षा में रिे जािे के हिए हवहिपूवतक सुपुदत हकया गया िो, तो वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से।
223. िोक-सेवक द्वारा उपेक्षा से परररोि या अहभरक्षा में से हिकि भागिा सिि
करिा -
जो कोई ऐसा िोक-सेवक िोते हुए, जो अपराि के हिए आरोहपत या दोषहसद्ध या
अहभरक्षा में रिे जािे के हिए हवहिपूवतक सुपुदत हकए गए हकसी व्यखि को परररोि में
रििे के हिए ऐसे िोक-सेवक के िाते वैि �प से आबद्ध िो, ऐसे व्यखि का परररोि
में से हिकि भागिा उपेक्षा से सिि करेगा, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि दो
वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
224. हकसी व्यखि द्वारा हवहि के अिुसार अपिे पकड़े जािे में प्रहतरोि या बािा -
जो कोई हकसी ऐसे अपराि के हिए, हजसका उस पर आरोप िो, या हजसके हिए वि
दोषहसद्ध हकया गया िो, हवहि के अिुसार अपिे पकड़े जािे में सािय प्रहतरोि करेगा,
या अवैि बािा डािेगा, या हकसी अहभरक्षा से, हजसमें वि हकसी ऐसे अपराि के हिए
हवहिपूवतक हि�द्ध िो, हिकि भागेगा, या हिकि भागिे का प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से,
या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण - इस िारा में उपबंहित दण्ड उस दण्ड के अहतररि िै हजससे वि व्यखि,
हजसे पकड़ा जािा िो, या अहभरक्षा में हि�द्ध रिा जािा िो, उस अपराि के हिए
दण्डिीय था, हजसका उस पर आरोप िगाया गया था या हजसके हिए वि दोषहसद्ध
हकया गया था।
225. हकसी अ� व्यखि के हवहि के अिुसार पकड़े जािे में प्रहतरोि या बािा -
जो कोई हकसी अपराि के हिए हकसी दू सरे व्यखि के हवहि के अिुसार पकड़े जािे
में सािय प्रहतरोि करेगा या अवैि बािा डािेगा, या हकसी दू सरे व्यखि को हकसी ऐसी
अहभरक्षा से, हजसमें वि व्यखि हकसी अपराि के हिए हवहिपूवतक हि�द्ध िो, सािय
छु ड़ाएगा या छु ड़ािे का प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से
हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया
जाएगा;
अथवा यहद उस व्यखि पर, हजसे पकड़ा जािा, िो या जो छु ड़ाया गया िो, या हजसके
छु ड़ािे का प्रयत्न हकया गया िो, आजीवि कारावास, से या दस वषत तक की अवहि के
कारावास से, दण्डिीय अपराि का आरोप िो या वि उसके हिए पकड़े जािे के दाहयत्व
के अिीि िो, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से हजसकी अवहि तीि वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;

अथवा यहद उस व्यखि पर, हजसे पकड़ा जािा िो या जो छु ड़ाया गया िो, या हजसके
छु ड़ािे का प्रयत्न हकया गया िो, मृत्यु दण्ड से दण्डिीय अपराि का आरोप िो या वि
उसके हिए पकड़े जािे के दाहयत्व के अिीि िो तो, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
अथवा यहद वि व्यखि हजसे पकड़ा जािा िो या जो छु ड़ाया गया िो, या हजसके छु ड़ािे
का प्रयत्न हकया गया िो, हकसी �ायािय के दण्डादेि के अिीि, या वि ऐसे दण्डादेि
के िघुकरण के आिार पर आजीवि कारावास या दस वषत या उससे अहिक अवहि के
कारावास से दण्डिीय िो, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
अथवा यहद वि व्यखि, हजसे पकड़ा जािा िो, या जो छु ड़ाया गया िो या हजसके छु ड़ािे
का प्रयत्न हकया गया िो, मृत्यु दण्डादेि के अिीि िो, तो वि आजीवि कारावास से,
या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, इतिी अवहि के हिए जो दस वषत से
अिहिक िै, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
225 क, उि दिाओं में हजिके हिए अ�था उपबंि ििीं िै िोक-सेवक द्वारा पकड़िे
का िोप या हिकि भागिा सिि करिा -
जो कोई ऐसा िोक-सेवक िोते हुए जो हकसी व्यखि को पकड़िे या परररोि में रििे
के हिए िोक-सेवक के िाते वैि �प से आबद्ध िो उस व्यखि को हकसी ऐसी दिा
में, हजसके हिए िारा 221, िारा 222 या िारा 223 अथवा हकसी अ� तत्समय प्रवृत्त हवहि
में कोई उपबंि ििीं िै, पकड़िे का िोप करेगा या परररोि में से हिकि भागिा सिि
करेगा -
(क) यहद वि ऐसा सािय करेगा, तो वि दोिों में से, हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, तथा
(ि) यहद वि ऐसा उपेक्षापूवतक करेगा तो वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि दो
वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
225 ि. अ�था अिुपबंहित दिाओं में हवहिपूवतक पकड़िे में प्रहतरोि या बािा या
हिकि भागिा या छु ड़ािा -
जो कोई स्वयं अपिे या हकसी अ� व्यखि के हवहिपूवतक पकड़े जािे में सािय कोई
प्रहतरोि करेगा या अवैि बािा डािेगा या हकसी अहभरक्षा में से, हजसमें वि हवहिपूवतक
हि�द्ध िो, हिकि भागेगा या हिकि भागिे का प्रयत्न करेगा या हकसी अ� व्यखि को
ऐसी अहभरक्षा में से, हजसमें वि व्यखि हवहिपूवतक हि�द्ध िो, छु ड़ाएगा या छु ड़ािे का
प्रयत्न करेगा, वि हकसी ऐसी दिा में, हजसके हिए िारा 224 या िारा 225 या हकसी अ�
तत्समय प्रवृत्त हवहि में उपबंि ििीं िै, दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।

226. हिवातसि से हवहिहव�द्ध वापसी -
दण्ड प्रहक्रया संहिता (संिोिि) अहिहियम, 1955 (1955 का 26) की िारा 117 और
अिुसूची द्वारा (1 जिवरी, 1956) से हिरहसत ।
227. दण्ड के पररिार की ितत का अहतक्रमण -
जो कोई दण्ड का सितत पररिार प्रहतगृिीत कर िेिे पर हकसी ितत का हजस पर ऐसा
पररिार हदया गया था, जािते हुए अहतक्रमण करेगा, यहद वि उस दण्ड का, हजसके हिए
वि मूितः दण्डाहदष्ट हकया गया था, कोई भाग पििे िी ि भोग चुका िो, तो वि दण्ड
से और यहद वि उस दण्ड का कोई भाग भोग चुका िो, तो वि उस दण्ड के उतिे
भाग से, हजतिे को वि पििे िी ि भोग चुका िो, दखण्डत हकया जाएगा।
228. �ाहयक कायतवािी में बैठे हुए, िोक-सेवक का सािय अपमाि या उसके कायत
में हवघ्न -
जो कोई हकसी िोक-सेवक का उस समय, जबहक ऐसा िोक-सेवक �ाहयक कायतवािी
के हकसी प्रक्रम में बैठा हुआ िो, सािय कोई अपमाि करेगा या उसके कायत में कोई
हवघ्न डािेगा, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या
जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि एवं छत्तीसगढ़ - िारा 228 के तित अपराि संज्ञेय िै। [देिें अहिसूचिा क्रमांक
3320 5-एि. क्र. 6-59-74-B-XXI हदिांक 19-11-1975। म.प्र. राजपत्र, भाग 1, हदिांक
12-3-1976 पृष्ठ 473 पर प्रकाहित]
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228 क, कहतपय अपरािों आहद से पीहड़त व्यखि की पिचाि का प्रकटीकरण -
(1) जो कोई हकसी िाम या अ� बात को, हजससे हकसी ऐसे व्यखि की (हजसे िारा
में इसके पश्चात् पीहड़त व्यखि किा गया िै) पिचाि िो सकती िै, हजसके हव�द्ध िारा
376, " िारा 376क, िारा 376 कि, िारा 376 ि, िारा 376 ग, िारा 376 घ, िारा 376
घक, िारा 376 घि" [हक्रहमिि िॉ (संिोिि) अहिहियम, 2018, हदिांक – 11 अगस्त
2018 द्वारा प्रहतस्थाहपत] या िारा 376ङ के अिीि हकसी अपराि का हकया जािा
अहभकहथत िै या हकया गया पाया गया िै, मुहद्रत या प्रकाहित करेगा वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।

(2) उपिारा (1) की हकसी भी बात का हवस्तार हकसी िाम या अ� बात के मुद्रण या
प्रकािि पर, यहद उससे पीहड़त व्यखि की पिचाि िो सकती िै, तब ििीं िोता िै जब
ऐसा मुद्रण या प्रकािि -
(क) पुहिस थािे के भारसािक अहिकारी के या ऐसे अपराि का अन्वेषण करिे वािे
पुहिस अहिकारी के, जो ऐसे अन्वेषण के प्रयोजि के हिए सद्भावपूवतक कायत करता िै,
द्वारा या उसके हिखित आदेि के अिीि हकया जाता िै; या
(ि) पीहड़त व्यखि द्वारा या उसके हिखित प्राहिकार से हकया जाता िै; या
(ग) जिां पीहड़त व्यखि की मृत्यु िो चुकी िै अथवा वि अवयस्क या हवकृ तहचत्त िै
विां, पीहड़त व्यखि के हिकट संबंिी द्वारा या उसके हिखित प्राहिकार से हकया जाता
िै:
परन्तु हिकट संबंिी द्वारा कोई ऐसा प्राहिकार हकसी मा�ता प्राप्त कल्याण संस्था या
संगठि के अध्यक्ष या सहचव से, चािे उसका जो भी िाम िो, हभन्न हकसी अ� व्यखि
को ििीं हदया जाएगा।
स्पष्टीकरण - इस उपिारा के प्रयोजिों के हिए, मा�ता प्राप्त कल्याण संस्था या संगठि
से के न्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा इस उपिारा के प्रयोजिों के हिए मा�ता प्राप्त कोई
समाज कल्याण संस्था या संगठि अहभप्रेत िै।
(3) जो कोई उपिारा (1) में हिहदतष्ट हकसी अपराि की बाबत हकसी �ायािय के समक्ष
हकसी कायतवािी के संबंि में कोई बात, उस �ायािय की पूवत अिुज्ञा के हबिा मुहद्रत
या प्रकाहित करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो
वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - हकसी उ� �ायािय या उ�तम �ायािय के हिणतय का मुद्रण या
प्रकािि इस िारा के अथत में अपराि की कोहट में ििीं आता िै।
229. जूरी सदस्य या असेसर का प्रहत�पण -
जो कोई हकसी मामिे में प्रहत�पण द्वारा या अ�था अपिे को यि जािते हुए जूरी
सदस्य या असेसर के �प में ताहिकांहकत, पेिहित या गृिीतिपथ सािय कराएगा या
िोिे देगा जािते हुए सिि करेगा हक वि इस प्रकार ताहिकांहकत, पेिहित या गृिीतिपथ
िोिे का हवहि द्वारा िकदार ििीं िै या यि जािते हुए हक वि इस प्रकार ताहिकांहकत,
पेिहित या गृिीतिपथ हवहि के प्रहतकू ि हुआ िै ऐसे जूरी में या ऐसे असेसर के �प
में स्वे�या सेवा करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
229 क. जमाित या बंि पत्र पर छोड़े गए व्यखि द्वारा �ायािय में िाहजर िोिे में
असििता -

जो कोई, हकसी अपराि से आरोहपत हकए जािे पर और जमाित पर या अपिे बन्धपत्र
पर छोड़ हदए जािे पर जमाित या बन्धपत्र के हिबन्धिों के अिुसार �ायािय में
पयातप्त कारणों के हबिा िाहजर िोिे में (वि साहबत करिे का भार उस पर िोगा)
असिि रिेगा वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत
तक की िो सके गी या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण - इस िारा के अिीि दण्ड -
(क) उस दण्ड के अहतररि िै, हजसके हिए अपरािी उस अपराि के हिए हजसके
हिए उसे आरोहपत हकया गया िै, दोषहसखद्ध पर दायी िोगा; और
(ि) �ायािय की बन्धपत्र के समपिरण का आदेि करिे की िखि पर प्रहतकू ि
प्रभाव डाििे वािा ििीं िै।
अध्याय 12
हसक्को और सरकारी स्ट्ाम्पो से सम्बंहित अपरािो के हवषय में
230. 'हसक्का' की पररभाषा -
हसक्का, तत्समय िि के �प में उपयोग में िाई जा रिी और इस प्रकार उपयोग में
िाए जािे के हिए हकसी राज्य या संपूणत प्रभुत्वसंपन्न िखि के प्राहिकार द्वारा, स्ट्ांहपत
और प्रचाहित िातु िै।
भारतीय हसक्का - भारतीय हसक्का िि के �प में उपयोग में िाए जािे के हिए भारत
सरकार के प्राहिकार द्वारा स्ट्ांहपत और प्रचाहित िातु िै; और इस प्रकार स्ट्ांहपत और
प्रचाहित िातु इस अध्याय के प्रयोजिों के हिए भारतीय हसक्का बिी रिेगी, य�हप िि
के �प में उसका उपयोग में िाया जािा बंद िो गया िो।
दृष्टांत -
(क) कौहड़यााँ हसक्के ििीं िैं।
(ि) अस्ट्ांहपत तांबे के टुकड़े, य�हप िि के �प में उपयोग में िाए जाते िैं हसक्के
ििीं िैं।
(ग) पदक हसक्के ििीं िैं, क्ोंहक वे िि के �प में उपयोग में िाए जािे के हिए
आिहयत ििीं िैं।
(घ) हजस हसक्के का िाम कं पिी �पया िै, वि भारतीय हसक्का िै।
(ङ) “ि�िाबाद �पया” जो िि के �प में भारत सरकार के प्राहिकार के अिीि
पििे कभी उपयोग में िाया जाता था, भारतीय हसक्का िै, य�हप वि अब इस प्रकार
उपयोग में ििीं िाया जाता िै।

231. हसक्के का कू टकरण -
जो कोई हसक्के का कू टकरण करेगा या जािते हुए हसक्के के कू टकरण की प्रहक्रया
के हकसी भाग को करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - जो व्यखि असिी हसक्के को हकसी हभन्न हसक्के के जैसा हदििाई देिे
वािा इस आिय से बिाता िै हक प्रवंचिा की जाए या यि संभाव्य जािते हुए बिाता
िै हक एतद्द्वारा प्रवंचिा की जाएगी, वि यि अपराि करता िै।
232. भारतीय हसक्के का कू टकरण -
जो कोई भारतीय हसक्के का कू टकरण करेगा या जािते हुए भारतीय हसक्के के कू टकरण
की प्रहक्रया के हकसी भाग को करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
233. हसक्के के कू टकरण के हिए उपकरण बिािा या बेचिा -
जो कोई हकसी डाई या उपकरण को हसक्के के कू टकरण के हिए उपयोग में िाए
जािे के प्रयोजि, से या यि जािते हुए या यि हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक
वि हसक्के के कू टकरण में उपयोग में िाए जािे के हिए आिहयत िै, बिाएगा या
सुिारेगा या बिािे या सुिारिे की प्रहक्रया के हकसी भाग को करेगा, अथवा िरीदेगा,
बेचेगा या व्ययहित करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
234. भारतीय हसक्के के कू टकरण के हिए उपकरण बिािा या बेचिा -
जो कोई हकसी डाई या उपकरण को भारतीय हसक्के के कू टकरण के हिए उपयोग में
िाए जािे के प्रयोजि से, या यि जािते हुए या यि हवश्वास करिे का कारण रिते हुए
हक वि भारतीय हसक्के के कू टकरण में उपयोग में िाए जािे के हिए आिहयत िै,
बिाएगा या सुिारेगा, या बिािे या सुिारिे की प्रहक्रया के हकसी भाग को करेगा अथवा
िरीदेगा, बेचेगा या व्ययहित करेगा वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
235. हसक्के के कू टकरण के हिए उपकरण या सामग्री उपयोग में िािे के प्रयोजि से
उसे कब्जे में रििा -
जो कोई हकसी उपकरण या सामग्री को हसक्के के कू टकरण में उपयोग में िाए जािे
के प्रयोजि से या यि जािते हुए या यि हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक वि
उस प्रयोजि के हिए उपयोग में िाए जािे के हिए आिहयत िै, अपिे कब्जे में रिेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो
सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;

यहद भारतीय हसक्का िो - और यहद कू टकरण हकया जािे वािा हसक्का भारतीय
हसक्का िो, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
236. भारत से बािर हसक्के के कू टकरण का भारत में दुष्प्रेरण -
जो कोई भारत में िोते हुए भारत से बािर हसक्के के कू टकरण का दुष्प्रेरण करेगा, वि
ऐसे दखण्डत हकया जाएगा, मािो उसिे ऐसे हसक्के के कू टकरण का दुष्प्रेरण भारत में
हकया िो।
237. कू टकृ त हसक्के का आयात या हियातत -
जो कोई हकसी कू टकृ त हसक्के का यि जािते हुए या हवश्वास करिे का कारण रिते
हुए हक वि कू टकृ त िै, भारत में आयात करेगा या भारत से हियातत करेगा, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
238. भारतीय हसक्के की कू टकृ हतयों का आयात या हियातत -
जो कोई हकसी कू टकृ त हसक्के को, यि जािते हुए या हवश्वास करिे का कारण रिते
हुए हक वि भारतीय हसक्के की कू टकृ हत िै, भारत में आयात करेगा या भारत से हियातत
करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा ।
239. हसक्के का पररदाि हजसका कू टकृ त िोिा कब्जे में आिे के समय ज्ञात था -
जो कोई अपिे पास कोई ऐसा कू टकृ त हसक्का िोते हुए हजसे वि उस समय, जब वि
उसके कब्जे में आया था, जािता था हक वि कू टकृ त िै, कपटपूवतक, या इस आिय से
हक कपट हकया जाए, उसे हकसी व्यखि को पररदत्त करेगा या हकसी व्यखि को उसे
िेिे के हिए उत्प्रेररत करिे का प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि पांच वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा।
240. उस भारतीय हसक्के का पररदाि हजसका कू टकृ त िोिा कब्जे में आिे के समय
ज्ञात था -
जो कोई अपिे पास कोई ऐसा कू टकृत हसक्का िोते हुए, जो भारतीय हसक्के की कू टकृ हत
िो और हजसे वि उस समय, जब वि उसके कब्जे में आया था, जािता था हक वि
भारतीय हसक्के की कु टकृ हत िै, कपटपूवतक, या इस आिय से हक कपट हकया जाए,
उसे हकसी व्यखि को पररदत्त करेगा या हकसी व्यखि को उसे िेिे के हिए उत्प्रेररत
करिे का प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।

241. हकसी हसक्के का असिी हसक्के के �प में पररदाि, हजसका पररदाि करिे वािा
उस समय जब वि उसके कब्जे में पििी बार आया था, कू टकृ त िोिा ििीं जािता
था -
जो कोई हकसी दू सरे व्यखि को कोई ऐसा कू टकृ त हसक्का, हजसका कू टकृ त िोिा वि
जािता िो, हकन्तु हजसका वि उस समय, जब उसिे उसे अपिे कब्जे में हिया, कू टकृ त
िोिा ििीं जािता था, असिी हसक्के के �प में पररदाि करेगा या हकसी दू सरे व्यखि
को उसे असिी हसक्के के �प में िेिे के हिए उत्प्रेररत करिे का प्रयत्न करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी,
या इतिे जुमातिे से, जो कू टकृ त हसक्के के मूल्य के दस गुिे तक का िो सके गा, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
दृष्टांत -
क, एक हसक्काकार, अपिे सि-अपरािी ि को कू टकृ त कं पिी के �पये चिािे के हिए
पररदत्त करता िै। ि उि �पयों को हसक्का चिािे वािे एक दू सरे व्यखि ग को बेच
देता िै, जो उन्ें कू टकृ त जािते हुए िरीदता िै। ग उि �पयों को घ को, जो उिको
कू टकृ त ि जािते हुए प्राप्त करता िै, माि के बदिे दे देता िै। घ को �पए प्राप्त िोिे
के पश्चात् यि पता चिता िै हक वे �पए कू टकृ त िैं, और वि उिको इस प्रकार चिाता
िै, मािो वे असिी िों। यिां घ के वि इस िारा के अिीि दण्डिीय िै, हकन्तु ि और
ग, यथाखस्थहत, िारा 239 या 240 के अिीि दण्डिीय िै।
242. कू टकृ त हसक्के पर ऐसे व्यखि का कब्जा जो उस समय उसका कू टकृ त िोिा
जािता था, जब वि उसके कब्जे में आया था -
जो कोई ऐसे कू टकृ त हसक्के को, हजसे वि उस समय, जब वि हसक्का उसके कब्जे में
आया था, जािता था हक वि कू टकृ त िै, कपटपूवतक या इस आिय से हक कपट हकया
जाए, कब्जे में रिेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि
वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
243. भारतीय हसक्के पर ऐसे व्यखि का कब्जा जो उसका कू टकृ त िोिा उस समय
जािता था जब वि उसके कब्जे में आया था -
जो कोई ऐसे कू टकृ त हसक्के को, जो भारतीय हसक्के की कू टकृ हत िै और हजसे वि
उस समय, जब वि हसक्का उसके कब्जे में आया था, जािता था हक वि भारतीय
हसक्के की कू टकृ हत िै, कपटपूवतक या इस आिय से हक कपट हकया जाए, कब्जे में
रिेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की
िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
244. टकसाि में हियोहजत व्यखि द्वारा हसक्के का उस वजि का या हमश्रण से हभन्न
काररत हकया जािा जो हवहि द्वारा हियत िै -
जो कोई भारत में हवहिपूवतक स्थाहपत हकसी टकसाि में से हियोहजत िोते हुए इस
आिय से कोई कायत करेगा, या उस कायत का िोप करेगा, हजसे करिे के हिए वि वैि

�प से आबद्ध िो, हक उस टकसाि से प्रचाहित कोई हसक्का हवहि द्वारा हियत वजि
या हमश्रण से हभन्न वजि या हमश्रण का काररत िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
245. टकसाि से हसक्का बिािे का उपकरण हवहिहव�द्ध �प से िेिा -
जो कोई भारत में हवहिपूवतक स्थाहपत हकसी टकसाि में से हसक्का बिािे के हकसी
औजार या उपकरण को हवहिपूणत प्राहिकार के हबिा बािर हिकाि िाएगा, वि दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
246. कपटपूवतक या बेईमािी से हसक्के का वजि कम करिा या हमश्रण पररवहततत
करिा -
जो कोई कपटपूवतक या बेईमािी से हकसी हसक्के पर कोई ऐसी हक्रया करेगा, हजससे
उस हसक्के का वजि कम िो जाए, या उसका हमश्रण पररवहततत िो जाए, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - वि व्यखि, जो हसक्के के हकसी भाग को िुरच कर हिकाि देता िै, और
उस गढ्ढे में कोई अ� वस्तु भर देता िै, उस हसक्के का हमश्रण पररवहततत करता िै।
247. कपटपूवतक या बेईमािी से भारतीय हसक्के का वजि कम करिा या हमश्रण
पररवहततत करिा -
जो कोई कपटपूवतक या बेईमािी से हकसी भारतीय हसक्के पर कोई ऐसी हक्रया करेगा
हजससे उस हसक्के का वजि कम िो जाए या उसका हमश्रण पररवहततत िो जाए, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
248. इस आिय से हकसी हसक्के का �प पररवहततत करिा हक वि हभन्न प्रकार के
हसक्के के �प में चि जाए -
जो कोई हकसी हसक्के पर इस आिय से हक वि हसक्का हभन्न प्रकार के हसक्के के
�प में चि जाए, कोई ऐसी हक्रया करेगा, हजससे उस हसक्के का �प पररवहततत िो
जाए, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की
िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
249. इस आिय से भारतीय हसक्के का �प पररवहततत करिा हक वि हभन्न प्रकार के
हसक्के के �प में चि जाए -
जो कोई हकसी भारतीय हसक्के पर इस आिय से हक वि हसक्का हभन्न प्रकार के
हसक्के के �प में चि जाए, कोई ऐसी हक्रया करेगा हजससे उस हसक्के का �प

पररवहततत िो जाए, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात
वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
250. ऐसे हसक्के का पररदाि जो इस ज्ञाि के साथ कब्जे में आया िो हक उसे
पररवहततत हकया गया िै -
जो कोई हकसी ऐसे हसक्के को कब्जे में रिते हुए, हजसके बारे में िारा 246 या 248 में
पररभाहषत अपराि हकया गया िो, और हजसके बारे में उस समय, जब यि हसक्का
उसके कब्जे में आया था, वि यि जािता था हक ऐसा अपराि उसके बारे में हकया
गया िै, कपटपूवतक या इस आिय से हक कपट हकया जाए, हकसी अ� व्यखि को वि
हसक्का पररदत्त करेगा, या हकसी अ� व्यखि को उसे िेिे के हिए उत्प्रेररत करिे का
प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत तक
की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
251. भारतीय हसक्के का पररदाि जो इस ज्ञाि के साथ कब्जे में आया िो हक उसे
पररवहततत हकया गया िै -
जो कोई हकसी ऐसे हसक्के को कब्जे में रिते हुए, हजसके बारे में िारा 247 या 249 में
पररभाहषत अपराि हकया गया िो, और हजसके बारे में उस समय, जब वि हसक्का
उसके कब्जे में आया था, वि यि जािता था हक ऐसा अपराि उसके बारे में हकया
गया िै, कपटपूवतक, या इस आिय से हक कपट हकया जाए, हकसी अ� व्यखि को वि
हसक्का पररदत्त करेगा या हकसी अ� व्यखि को उसे िेिे के हिए उत्प्रेररत करिे का
प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक
की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
252. ऐसे व्यखि द्वारा हसक्के पर कब्जा जो उसका पररवहततत िोिा उस समय जािता
था जब वि उसके कब्जे में आया -
जो कोई कपटपूवतक, या इस आिय से हक कपट हकया जाए, ऐसे हसक्के को कब्जे में
रिेगा, हजसके बारे में िारा 246 या 248 में से हकसी में पररभाहषत अपराि हकया गया
िो और जो उस समय, जब वि हसक्का उसके कब्जे में आया था, यि जािता था हक
उस हसक्के के बारे में ऐसा अपराि हकया गया िै, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
253. ऐसे व्यखि द्वारा भारतीय हसक्के पर कब्जा जो उसका पररवहततत िोिा उस
समय जािता था जब वि उसके कब्जे में आया -
जो कोई कपटपूवतक, या इस आिय से हक कपट हकया जाए, ऐसे हसक्के को कब्जे में
रिेगा, हजसके बारे में िारा 247 या 249 में से हकसी में पररभाहषत अपराि हकया गया
िो और जो उस समय, जब वि हसक्का उसके कब्जे में आया था, यि जािता था हक
उस हसक्के के बारे में ऐसा अपराि हकया गया िै, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।

254. हसक्के का असिी हसक्के के �प में पररदाि हजसका पररदाि करिे वािा उस
समय जब वि उसके कब्जे में पििी बार आया था, पररवहततत िोिा ििीं जािता था
-
जो कोई हकसी दू सरे व्यखि को कोई हसक्का, हजसके बारे में वि जािता िो हक कोई
ऐसी हक्रया, जैसी िारा 246, 247,248, या 249 में वहणतत िै, की जा चुकी िै, हकन्तु हजसके
बारे में वि उस समय, जब उसिे उसे अपिे कब्जे में हिया था, यि ि जािता था हक
उस पर ऐसी हक्रया कर दी गई िै, असिी के �प में, या हजस प्रकार का वि िै उससे
हभन्न प्रकार के हसक्के के �प में, पररदत्त करेगा या असिी के �प में, या हजस प्रकार
का वि िै उससे हभन्न प्रकार के हसक्के के �प में, हकसी व्यखि को उसे िेिे के हिए
उत्प्रेररत करिे का प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या इतिे जुमातिे से, जो उस हसक्के की कीमत के
दस गुिे तक का िो सके गा हजसके बदिे में पररवहततत हसक्का चिाया गया िो या
चिािे का प्रयत्न हकया गया िो, दखण्डत हकया जाएगा।
255. सरकारी स्ट्ाम्प का कू टकरण -
जो कोई सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजि के हिए प्रचाहित हकसी स्ट्ाम्प का कू टकरण
करेगा या जािते हुए उसके कू टकरण की प्रहक्रया के हकसी भाग को करेगा, वि
आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस
वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - वि व्यखि इस अपराि को करता िै, जो एक अहभिाि के हकसी असिी
स्ट्ाम्प को हभन्न अहभिाि के असिी स्ट्ाम्प के समाि हदिाई देिे वािा बिा कर
कू टकरण करता िै।
256. सरकारी स्ट्ाम्प के कू टकरण के हिए उपकरण या सामग्री कब्जे में रििा -
जो कोई सरकार के द्वारा राजस्व के प्रयोजि के हिए प्रचाहित हकसी स्ट्ाम्प के
कू टकरण के हिए उपयोग में िाए जािे के प्रयोजि से, या यि जािते हुए या यि
हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक वि ऐसे कू टकरण के हिए उपयोग में िाए
जािे के हिए आिहयत िै, कोई उपकरण या सामग्री अपिे कब्जे में रिेगा, वि दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
257. सरकारी स्ट्ाम्प के कू टकरण के हिए उपकरण बिािा या बेचिा -
जो कोई, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजि के हिए प्रचाहित हकसी स्ट्ाम्प के कू टकरण
के हिए उपयोग में िाए जािे के प्रयोजि से, या यि जािते हुए या हवश्वास करिे का
कारण रिते हुए हक वि ऐसे कू टकरण के हिए उपयोग में िाए जािे के हिए आिहयत
िै, कोई उपकरण बिाएगा या बिािे की प्रहक्रया के हकसी भाग को करेगा या ऐसे
हकसी उपकरण को िरीदेगा, या बेचेगा, या व्यहित करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।

258, कू टकृ त सरकारी स्ट्ाम्प का हवक्रय -
जो कोई हकसी स्ट्ाम्प को यि जािते हुए या यि हवश्वास करिे को कारण रिते हुए
बेचेगा या बेचिे की प्रस्थापिा करेगा हक वि सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजि के हिए
प्रचाहित हकसी स्ट्ाम्प की कू टकृ हत िै, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा।
259. सरकारी कू टकृ त स्ट्ाम्प को कब्जे में रििा -
जो कोई असिी स्ट्ाम्प के �प में उपयोग में िािे के या व्ययि करिे के आिय से,
या इसहिए हक वि असिी स्ट्ाम्प के �प में उपयोग में िाया जा सके, हकसी ऐसे
स्ट्ाम्प को अपिे कब्जे में रिेगा, हजसे वि जािता िै हक वि सरकार द्वारा राजस्व के
प्रयोजि के हिए प्रचाहित स्ट्ाम्प की कू टकृ हत िै वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
260. हकसी सरकारी स्ट्ाम्प को, कू टकृ त जािते हुए उसे असिी स्ट्ाम्प के �प में
उपयोग में िािा -
जो कोई हकसी ऐसे स्ट्ाम्प को, हजसे वि जािता िै हक वि सरकार द्वारा राजस्व के
प्रयोजि के हिए प्रचाहित स्ट्ाम्प की कू टकृ हत िै, असिी स्ट्ाम्प के �प में उपयोग में
िाएगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की
िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
261. इस आिय से हक सरकार को िाहि काररत िो, उस पदाथत पर से हजस पर
सरकारी स्ट्ाम्प िगा हुआ िै, िेि हमटािा या दस्तावेज से वि स्ट्ाम्प िटािा जो
उसके हिए उपयोग में िाया गया िै -
जो कोई कपट पूवतक, या इस आिय से हक सरकार को िाहि काररत हक जाए, हकसी
पदाथत पर से, हजस पर सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजि के हिए प्रचाहित कोई स्ट्ाम्प
िगा हुआ िो, हकसी िेि या दस्तावेज को, हजसके हिए ऐसा स्ट्ाम्प उपयोग में िाया
गया िो, िटाएगा या हमटाएगा या हकसी िेि या दस्तावेज पर से उस िेि या दस्तावेज
के हिए उपयोग में िाया गया स्ट्ाम्प इसहिए िटाएगा हक ऐसा स्ट्ाम्प हकसी हभन्न
िेि या दस्तावेज के हिए उपयोग में िाया जाए, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से
दखण्डत हकया जाएगा।
262. ऐसे सरकारी स्ट्ाम्प का उपयोग हजसके बारे में ज्ञात िै हक उसका पििे
उपयोग िो चुका िै -
जो कोई कपट पूवतक या इस आिय से हक सरकार को िाहि काररत की जाए, सरकार
द्वारा राजस्व के प्रयोजि के हिए प्रचाहित हकसी स्ट्ाम्प को, हजसके बारे में वि जािता
िै हक वि स्ट्ाम्प उससे पििे उपयोग में िाया जा चुका िै, हकसी प्रयोजि के हिए

उपयोग में िाएगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत
तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
263. स्ट्ाम्प के उपयोग हकए जा चुकिे के �ोतक हचन् का छीिकर हमटािा -
जो कोई कपटपूवतक, या इस आिय से हक सरकार को िाहि काररत की जाए, सरकार
द्वारा राजस्व के प्रयोजि के हिए प्रचाहित स्ट्ाम्प पर से उस हचन् को छीिकर हमटाएगा
या िटाएगा, जो ऐसे स्ट्ाम्प पर यि �ोति करिे के प्रयोजि से हक वि उपयोग में
िाया जा चुका िै, िगा हुआ या छाहपत िो या ऐसे हकसी स्ट्ाम्प को, हजस पर से ऐसा
हचन् हमटाया या िटाया गया िो, जािते हुए अपिे कब्जे में रिेगा या बेचेगा या व्ययहित
करेगा, या ऐसे हकसी स्ट्ाम्प को, जो वि जािता िै हक उपयोग में िाया जा चुका िै,
बेचेगा या व्ययहित करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
263 क, बिावटी स्ट्ांपों का प्रहतषेि -
(1) जो कोई हकसी बिावटी स्ट्ाम्प को -
(क) बिाएगा, जािते हुए चिाएगा, उसका व्यौिार करेगा या उसका हवक्रय करेगा या
उसे डाक संबंिी हकसी प्रयोजि के हिए जािते हुए उपयोग में िाएगा, अथवा
(ि) हकसी हवहिपूणत प्रहतिेतु के हबिा अपिे कब्जे में रिेगा, अथवा
(ग) बिािे की हकसी डाई, पट्टी, उपकरण या सामहग्रयों को बिाएगा, या हकसी हवहिपूणत
प्रहतिेतु के हबिा अपिे कब्जे में रिेगा, वि जुमातिे से, जो दो सौ �पए तक का िो
सके गा, दखण्डत हकया जाएगा।
(2) कोई ऐसा स्ट्ाम्प, कोई बिावटी स्ट्ाम्प, बिािे की डाई, पट्टी, उपकरण या सामहग्रयां,
जो हकसी व्यखि के कब्जे में िों, अहभगृिीत की जा सकें गी, और अहभगृिीत की जाए
तो समपहृत कर िी जाएं गी।
(3) इस िारा में “बिावटी स्ट्ाम्प” से ऐसा कोई स्ट्ाम्प अहभप्रेत िै, हजससे यि हमथ्या
�प से तात्पयतत िो हक सरकार िे डाक मिसूि की दर से �ोति के प्रयोजि से उसे
प्रचाहित हकया िै या जो सरकार द्वारा उस प्रयोजि से प्रचाहित हकसी स्ट्ाम्प की,
कागज पर या अ�था, अिुहिहप, अिुकृ हत या सम�पण िो।
(4) इस िारा में और िारा 255 से िेकर िारा 263 तक में भी, हजिमें ये दोिों िाराएं
भी समाहवष्ट िैं, सरकार ि� के अन्तगतत, जब भी वि डाक मिसूि की दर के �ोति
के प्रयोजि से प्रचाहित हकए गए हकसी स्ट्ाम्प के संसगत या हिदेिि में उपयोग हकया
गया िै, िारा 17 में हकसी बात के िोते हुए भी, वि या वे व्यखि समझे जाएं गे जो
भारत के हकसी भाग में और िर मजेस्ट्ी की डोहमहियिों के हकसी भाग में, या हकसी
हवदेि में भी, कायतपाहिका सरकार का प्रिासि चिािे के हिए हवहि द्वारा प्राहिकृ त
िों।

अध्याय 13: बाटो और मापों से सम्बंहित अपरािों के हवषय में
264. तोििे के हिए िोटे उपकरणों का कपटपूवतक उपयोग -
जो कोई तोििे के हिए ऐसे हकसी उपकरण का, हजसका िोटा िोिा वि जािता िै,
कपटपूवतक उपयोग करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
265. िोटे बाट या माप का कपटपूवतक उपयोग -
जो कोई हकसी िोटे बाट का या िंबाई या िाररता के हकसी िोटे माप का कपटपूवतक
उपयोग करेगा, या हकसी बाट का, या िंबाई या िाररता के हकसी माप का या उससे
हभन्न बाट या माप के �प में कपटपूवतक उपयोग करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
266. िोटे बाट या माप को कब्जे में रििा -
जो कोई तोििे के ऐसे हकसी उपकरण या बाट को, या िंबाई या िाररता के हकसी
माप को, हजसका िोटा िोिा वि जािता िै, इस आिय से कब्जे में रिेगा हक उसे
कपटपूवतक उपयोग में िाया जाए वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
267. िोटे बाट या माप का बिािा या बेचिा -
जो कोई तोििे के ऐसे हकसी उपकरण या बाट को या िंबाई या िाररता के ऐसे
हकसी माप को, हजसका िोटा िोिा वि जािता िै, इसहिए हक उसका िरे की तरि
उपयोग हकया जाए, या यि संभाव्य जािते हुए हक उसका िरे की तरि उपयोग हकया
जाए, बिाएगा, बेचेगा या व्ययहित करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
अध्याय 14: िोक स्वास्थ्य, क्षेम, सुहविा, हिष्टता और सदाचार पर प्रभाव डाििे वािे
अपरािों के हवषय में
268. िोक �ूसेंस -
वि व्यखि िोक �ूसेंस का दोषी िै, जो कोई ऐसा कायत करता िै, या हकसी ऐसे अवैि
िोप का दोषी िै, हजससे िोक को या जिसािारण को जो आसपास में रिते िों या
आसपास की संपहत्त पर अहिभोग रिते िों, कोई सामा� क्षहत, संकट या क्षोभ काररत
िो या हजसमें उि व्यखियों का हजन्ें हकसी िोक अहिकार को उपयोग में िािे का
मौका पड़े, क्षहत, बािा, संकट या क्षोभ काररत िोिा अव�ंभावी िो।
कोई सामा� �ूसेंस इस आिार पर मािी योग्य ििीं िै, हक उससे कु छ सुहविा या
भिाई काररत िोती िै।

269. उपेक्षापूणत कायत हजससे जीवि के हिए संकटपूणत रोग का संक्रम िै ििा संभाव्य
िो -
जो कोई हवहि हव�द्ध �प से या उपेक्षा से ऐसा कायत करेगा, हजससे हक, और हजससे
वि जािता या हवश्वास करिे का कारण रिता िो हक, जीवि के हिए संकटपूणत हकसी
रोग का संक्रम िै ििा संभाव्य िै, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
270. पररद्वेषपूणत कायत हजससे जीवि के हिए संकटपूणत रोग का संक्रम िै ििा संभाव्य
िो -
जो कोई पररद्वेष से ऐसा कोई कायत करेगा हजससे हक, और हजससे वि जािता या
हवश्वास करिे का कारण रिता िो, हक जीवि के हिए संकटपूणत हकसी रोग का संक्रम
िै ििा संभाव्य िै, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत
तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों में से, दखण्डत हकया जाएगा।
271. करन्तीि के हियम की अवज्ञा -
जो कोई हकसी जियाि को करंतीि की खस्थहत में रिे जािे के, या करंतीि की खस्थहत
वािे जियािों का हकिारे से या अ� जियािों से समागम हवहियहमत करिे के, या
ऐसे स्थािों के, जिां कोई संक्रामक रोग िै ि रिा िो और अ� स्थािों के बीच समागम
हवहियहमत करिे के हिए सरकार द्वारा बिाए गए और प्रख्ाहपत हकसी हियम को
जािते हुए, अवज्ञा करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
272. हवक्रय के हिए आिहयत िा� या पेय का अपहमश्रण -
जो कोई हकसी िािे या पीिे की वस्तु को इस आिय से हक वि ऐसी वस्तु के िा�
या पेय के �प में बेचे या यि संभाव्य जािते हुए हक वि िा� या पेय के �प में
बेची जाएगी, ऐसे अपहमहश्रत करेगा हक ऐसी वस्तु िा� या पेय के �प में अपायकर
बि जाए, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से
दखण्डत हकया जाएगा।
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राज्य संिोिि
उत्तरप्रदेि - िाराओं 272, 273, 274, 275 एवं 276 में ि�ों “वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से हजसकी अवहि 6 माि तक की िो सके गी या जुमातिे से जो एक िजार
�पए तक का िो सके गा या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा” के स्थाि पर अग्रहिखित
प्रहतस्थाहपत हकया जाएगा, अथातत् :-
“आजीवि कारावास से दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे के भी दाहयत्वािीि िोगा:

परन्तु यि हक पयातप्त कारणों से हजिका उलेि हिणतय में हकया जाएगा, �ायािय ऐसे
कारावास का दण्डादेि अहिरोहपत कर सके गा, जो हक आजीवि कारावास से कम िो।”
देिें उत्तरप्रदेि अहिहियम संख्ांक 47 सि् 1975 की िारा 3 (हदिांक 15-9-1975 से
प्रभाविीि)
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273. अपायकर िा� या पेय का हवक्रय -
जो कोई हकसी ऐसी वस्तु को, जो अपायकर कर दी गई िो, या िो गई िो, या िािे-
पीिे के हिए अिुपयुि दिा में िो, यि जािते हुए या यि हवश्वास करिे का कारण
रिते हुए हक वि िा� या पेय के �प में अपायकर िै, िा� या पेय के �प में
बेचेगा, या बेचिे की प्रस्थापिा करेगा या बेचिे के हिए अहभदहितत करेगा, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों में से, दखण्डत हकया जाएगा।
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राज्य संिोिि
उत्तरप्रदेि - देिे िारा 272 के अिीि |
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274. औषहियों का अपहमश्रण -
जो कोई हकसी औषहि या भेषजीय हिहमतहत में अपहमश्रण इस आिय से हक या यि
संभाव्य जािते हुए हक वि हकसी औषिीय प्रयोजि के हिए ऐसे बेची जाएगी या
उपयोग की जाएगी, मािो उसमें ऐसा अपहमश्रण ि हुआ िो, ऐसे प्रकार से करेगा हक
उस औषहि या भेषजीय हिहमतहत की प्रभावकाररता कम िो जाए, हक्रया बदि जाए या
वि अपायकर िो जाए, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
छि मास तक की िो सके गी,
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राज्य संिोिि
उत्तरप्रदेि - देिे िारा 272 के अिीि |
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275. अपहमहश्रत औषहियों का हवक्रय -
जो कोई यि जािते हुए हक हकसी औषहि या भेषजीय हिहमतहत में इस प्रकार से
अपहमश्रण हकया गया िै हक उसकी प्रभावकाररता कम िो गई या उसकी हक्रया बदि

गई िै, या वि अपायकर बि गई िै, उसे बेचेगा या बेचिे की प्रस्थापिा करेगा, या बेचिे
के हिए अहभदहितत करेगा, या हकसी औषिािय से औषिीय प्रयोजिों के हिए उसे
अिपोहमहश्रत के तौर पर देगा या उसका अपहमहश्रत िोिा ि जाििे वािे व्यखि द्वारा
औषिीय प्रयोजिों के हिए उसका उपयोग काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक
िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों में से, दखण्डत हकया जाएगा।
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राज्य संिोिि
उत्तरप्रदेि - देिे िारा 272 के अिीि |
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276. औषहि का हभन्न औषहि या हिहमतहत के तौर पर हवक्रय -
जो कोई हकसी औषहि या भेषजीय हिहमतहत को, हभन्न औषहि या भेषजीय हिहमतहत की
तौर पर जािते हुए बेचेगा या बेचिे की प्रस्थापिा करेगा या बेचिे के हिए अहभदहितत
करेगा या औषिीय प्रयोजिों के हिए औषिािय से देगा, वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि छः मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक
िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
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राज्य संिोिि
उत्तरप्रदेि - देिे िारा 272 के अिीि |
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277. िोक जि स्त्रोत या जिािय का जि किुहषत करिा -
जो कोई िोक जि-स्त्रोत या जिािय के जि को स्वे�या इस प्रकार भ्रष्ट या किुहषत
करेगा हक वि उस प्रयोजि के हिए, हजसके हिए वि मामूिी तौर पर उपयोग में आता
िो, कम उपयोगी िो जाए, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
तीि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का िो सके गा, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
278. वायुमण्डि को स्वास्थ्य के हिए अपायकर बिािा -
जो कोई हकसी स्थाि के वायुमंडि को स्वे�या इस प्रकार दू हषत करेगा हक वि
जिसािारण के स्वास्थ्य के हिए जो पड़ोस में हिवास या कारबार करते िों, या िोक
मागत से आते जाते िों, अपायकर बि जाए, वि जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का
िो सके गा, दखण्डत हकया जायेगा

279. िोक मागत पर उताविेपि से वािि चिािा या िांकिा -
जो कोई हकसी िोक मागत पर ऐसे उताविेपि या उपेक्षा से कोई वािि चिाएगा या
सवार िोकर िांके गा हजससे मािव जीवि संकटापन्न िो जाए, या हकसी अ� व्यखि
को उपिहत या क्षहत काररत िोिा संभाव्य िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए
तक का िो सके गा, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
280. जियाि का उताविेपि से चिािा -
जो कोई हकसी जियाि को ऐसे उताविेपि या उपेक्षा से चिाएगा हजससे मािव जीवि
संकटापन्न िो जाए या हकसी अ� व्यखि को उपिहत या क्षहत काररत िो या िोिा
संभाव्य िो, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पये तक का िो सके गा, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
281. भ्रामक, प्रकाि हचन् या बोये का प्रदिति -
जो कोई हकसी भ्रामक प्रकाि हचन् या बोये का प्रदिति इस आिय से, या यि संभाव्य
जािते हुए करेगा, हक ऐसा प्रदिति हकसी िौपररवािक को मागत भ्रष्ट कर देगा, वि दोिों
में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, या
जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जा सके गा।
282. अक्षेमकर या अहत िदे हुए जियाि में भाड़े के हिए जिमागत से हकसी व्यखि
का प्रविण -
जो कोई हकसी व्यखि को हकसी जियाि में जि मागत से, जािते हुए या उपेक्षापूवतक
भाड़े पर तब प्रविण करेगा, या कराएगा जब वि जियाि ऐसी दिा में िो या इतिा
िदा हुआ िो हजससे उस व्यखि का जीवि संकटापन्न िो सकता िो, वि दोिों में से
हकसी भााँहत के कारावास से ,हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, जो एक िजार �पये तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
283. िोक मागत या िौपररविि पथ में संकट या बािा -
जो कोई हकसी कायत को कर के या अपिे कब्जे में की, या अपिे भार सािि के
अिीि हकसी, संपहत्त की व्यवस्था करिे का िोप करिे द्वारा हकसी िोक मागत या
िौपररविि के िोक पथ में हकसी व्यखि को संकट, बािा या क्षहत काररत करेगा, वि
जुमातिे से, जो दो सौ �पए तक का िो सके गा, दखण्डत हकया जाएगा।
284. हवषैिे पदाथत के संबंि में उपेक्षापूणत आचरण -
जो कोई हकसी हवषैिे पदाथत से कोई कायत ऐसे उताविेपि या उपेक्षा से करेगा, हजससे
मािव जीवि संकटापन्न िो जाए, या हजससे हकसी व्यखि को, उपिहत या क्षहत काररत
िोिा संभाव्य िो, या अपिे कब्जे में के हकसी हवषैिे पदाथत की ऐसी व्यवस्था करिे

का, जो ऐसे हवषैिे पदाथत से मािव जीवि को हकसी अहिसंभाव्य संकट से बचािे के
हिए पयातप्त िो, जािते हुए, या उपेक्षापूवतक िोप करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार
�पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
285. अहि या ज्विििीि पदाथत के संबंि में उपेक्षापूणत आचरण -
जो कोई अहि या हकसी ज्विििीि पदाथत से कोई कायत ऐसे उताविेपि या उपेक्षा से
करेगा, हजससे मािव जीवि संकटापन्न िो जाए, या हजससे हकसी अ� व्यखि को
उपिहत या क्षहत काररत िोिा संभाव्य िो अथवा अपिे कब्जे में की अहि या हकसी
ज्विििीि पदाथत की ऐसी व्यवस्था करिे का, जो ऐसी अहि या ज्विििीि पदाथत से
मािव जीवि को हकसी अहिसंभाव्य संकट से बचािे के हिए पयातप्त िो, जािते हुए या
उपेक्षापूवतक िोप करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा,
या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
286. हवस्फोटक पदाथत के बारे में उपेक्षापूणत आचरण -
जो कोई हकसी हवस्फोटक पदाथत से, कोई कायत ऐसे उताविेपि या उपेक्षा से करेगा,
हजससे मािव जीवि संकटापन्न िो जाए, या हजससे हकसी अ� व्यखि को उपिहत या
क्षहत काररत िोिा संभाव्य िो, अथवा अपिे कब्जे में के हकसी हवस्फोटक पदाथत की
ऐसे व्यवस्था करिे का जैसी ऐसे पदाथत से मािव जीवि को अहिसंभाव्य संकट से
बचािे के हिए पयातप्त िो, जािते हुए या उपेक्षापूवतक िोप करेगा, वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो
एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
287. मिीिरी के संबंि में उपेक्षापूणत आचरण -
जो कोई हकसी मिीिरी से कोई कायत ऐसे उताविेपि या उपेक्षा से करेगा, हजससे
मािव जीवि संकटापन्न िो जाए या हजससे हकसी अ� व्यखि को उपिहत या क्षहत
काररत िोिा संभाव्य िो, अथवा अपिे कब्जे में की या अपिी देिरेि के अिीि की
हकसी मिीिरी की ऐसी व्यवस्था करिे का जो, ऐसी मिीिरी से मािव जीवि को
हकसी अहिसंभाव्य संकट से बचािे के हिए पयातप्त िो, जािते हुए या उपेक्षापूवतक िोप
करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की
िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत
हकया जाएगा।
288. हकसी हिमातण को हगरािे या उसकी मर�त करिे के संबंि में उपेक्षापूणत
आचरण -
जो कोई हकसी हिमातण को हगरािे या उसकी मर�त करिे में उस हिमातण की ऐसी
व्यवस्था करिे का, जो उस हिमातण के या उसके हकसी भाग के हगरिे से मािव जीवि
को हकसी अहिसंभाव्य संकट से बचािे के हिए पयातप्त िो, जािते हुए या उपेक्षापूवतक
िोप करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक

की िो सके गी. या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
289. जीवजन्तु के संबंि में उपेक्षापूणत आचरण -
जो कोई अपिे कब्जे में के हकसी जीवजन्तु के संबंि में ऐसी व्यवस्था करिे का, जो
ऐसे जीव जंतु से मािव जीवि को हकसी अहिसंभाव्य संकट या घोर उपिहत के हकसी
अहिसंभाव्य संकट से बचािे के हिए पयातप्त िो, जािते हुए या उपेक्षापूवतक िोप करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मांस तक की िो
सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
290. अ�था अिुपबंहित मामिों में िोक �ूसेंस के हिए दण्ड -
जो कोई हकसी ऐसे मामिे में िोक �ूसेंस करेगा जो इस संहिता द्वारा अ�था दण्डिीय
ििीं िै, वि जुमातिे से, जो दो सौ �पए तक का िो सके गा, दखण्डत हकया जाएगा।
291. �ूसेंस बंद करिे के व्यादेि के पश्चात उसका चािू रििा -
जो कोई हकसी िोक सेवक द्वारा, हजसको हकसी �ूसेंस की पुिरावृहत्त ि करिे या उसे
चािू ि रििे के हिए व्यादेि प्रचाहित करिे का प्राहिकार िो, ऐसे व्याहदष्ट हकए जािे
पर, हकसी िोक �ूसेंस की पुिरावृहत्त करेगा, या उसे चािू रिेगा, वि सादा कारावास
से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत
हकया जाएगा।
292. अश्लीि पुस्तकों आहद का हवक्रय आहद -
(1) उपिारा (2) के प्रयोजिाथत हकसी पुस्तक, पुखस्तका, कागज, िेि, रेिाहचत्र, रंग हचत्र,
�पण, आकृ हत या अ� वस्तु को अश्लीि समझा जाएगा यहद वि कामोद्दीपक िै या
कामुक व्यखियों के हिए �हचकर िै, या उसका या (जिां उसमें दो या अहिक सुहभन्न
मदें समाहवष्ट िैं विां) उसकी हकसी मद का प्रभाव, समग्र�प से हवचार करिे पर, ऐसा
िै जो उि व्यखियों को दुराचारी तथा भ्रष्ट बिाए हजिके द्वारा उसमें अन्तहवतष्ट या
सहन्नहवष्ट हवषय का पढ़ा जािा, देिा जािा या सुिा जािा सभी सुसंगत पररखस्थहतयों
को ध्याि में रिते हुए संभाव्य िै।
(2) जो कोई -
(क) हकसी अश्लीि पुस्तक, पुखस्तका, कागज, रेिाहचत्र, रंगहचत्र, �पण, या आकृ हत या
हकसी भी अ� अश्लीि वस्तु को चािे वि कु छ भी िो, बेचेगा, भाड़े पर देगा, हवतररत
करेगा, िोक प्रदहितत करेगा, या उसको हकसी भी प्रकार पररचाहित करेगा, या उसे
हवक्रय, भाड़े, हवतरण, िोक प्रदिति या पररचािि के प्रयोजिों के हिए रचेगा, उत्पाहदत
करेगा, या अपिे कब्जे में रिेगा, अथवा

(ि) हकसी अश्लीि वस्तु का आयात या हियातत या प्रविण पूवोि प्रयोजिों में से
हकसी प्रयोजि के हिए करेगा या यि जािते हुए, या यि हवश्वास करिे का कारण रिते
हुए करेगा हक ऐसी वस्तु बेची, भाड़े पर दी, हवतररत या िोक प्रदहितत, या हकसी प्रकार
से पररचाहित की जाएगी, अथवा
(ग) हकसी ऐसे कारबार में भाग िेगा या उससे िाभ प्राप्त करेगा, हजस कारबार में
वि यि जािता िै या यि हवश्वास करिे का कारण रिता िै, हक कोई ऐसी अश्लीि
वस्तुएं पूवोि प्रयोजिों में से हकसी प्रयोजि के हिए रची जाती, उत्पाहदत की जाती,
क्रय की जाती, रिी जाती, आयात की जाती, हियातत की जाती, प्रविण की जाती, िोक
प्रदहितत की जाती या हकसी भी प्रकार से पररचाहित की जाती िै, अथवा
(घ) यि हवज्ञाहपत करेगा या हकन्ीं साििों द्वारा चािे वे कु छ भी िों यि ज्ञात कराएगा
हक कोई व्यखि हकसी ऐसे कायत में, जो इस िारा के अिीि अपराि िै, िगा हुआ िै,
या िगिे के हिए तैयार िै, या यि हक कोई ऐसी अश्लीि वस्तु हकसी व्यखि से या
हकसी व्यखि के द्वारा प्राप्त की जा सकती िै, अथवा
(ङ) हकसी ऐसे कायत को जो इस िारा के अिीि अपराि िै, करिे की प्रस्थापिा
करेगा या करिे का प्रयत्न करेगा,
प्रथम दोषहसखद्ध पर दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत
तक की िो सके गी, और जुमातिे से, जो दो िजार �पए तक का िो सके गा, तथा हद्वतीय
या पश्चातवती दोषहसखद्ध की दिा में दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि पांच वषत तक की िो सके गी, और जुमातिे से भी जो पांच िजार �पए तक का
िो सके गा दखण्डत हकया जाएगा।
अपवाद - इस िारा का हवस्तार हिम्नहिखित पर ि िोगा -
(क) कोई ऐसी पुस्तक, पुखस्तका, कागज, िेि, रेिाहचत्र, रंगहचत्र, �पण या आकृ हत -
(i) हजसका प्रकािि िोकहित में िोिे के कारण इस आिार पर �ायोहचत साहबत िो
गया िै हक ऐसी पुस्तक, पुखस्तका, कागज, िेि, रेिाहचत्र, रंगहचत्र, �पण या आकृ हत हवज्ञाि,
साहित्य, किा या हव�ा या सवतजि संबंिी अ� उद्दे�ों के हित में िै, अथवा
(ii) जो सद्भावपूवतक िाहमतक प्रयोजिों के हिए रिी या उपयोग में िाई जाती िै;
(ि) कोई ऐसा �पण जो -
(i) प्राचीि संिारक तथा पुरातत्वीय स्थि और अविेष अहिहियम, 1958 (1958 का 24)
के अथत में प्राचीि संिारक पर या उसमें, अथवा
(ii) हकसी मंहदर पर या उसमें या मूहततयों के प्रविण के उपयोग में िाए जािे वािे या
हकसी िाहमतक प्रयोजि के हिए रिे या उपयोग में िाए जािे वािे हकसी रथ पर, तहक्षत,
उत्कीणत, रंगहचहत्रत या अ�था �हपत िों।

293. त�ण व्यखि को अश्लीि वस्तुओं का हवक्रय आहद -
जो कोई बीस वषत से कम आयु के हकसी व्यखि को कोई ऐसी अश्लीि वस्तु, जो
अंहतम पूवतगामी िारा में हिहदतष्ट िै, बेचेगा, भाड़े पर देगा, हवतरण करेगा, प्रदहितत करेगा
या पररचाहित करेगा या ऐसा करिे की प्रस्थापिा या प्रयत्न करेगा, प्रथम दोषहसखद्ध पर
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी,
और जुमातिे से, जो दो िजार �पए तक का िो सके गा, तथा हद्वतीय या पश्चात्वती
दोषहसखद्ध की दिा में दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात
वषत तक की िो सके गी और जुमातिे से भी, जो पांच िजार �पए तक का िो सके गा,
दखण्डत हकया जाएगा।
294. अश्लीि कायत और गािे --
जो कोई -
(क) हकसी िोक स्थाि में कोई अश्लीि कायत करेगा, अथवा
(ि) हकसी िोक स्थाि में या उसके समीप कोई अश्लीि गािे, पवांड़े या ि� गाएगा,
सुिाएगा या उ�ाररत करेगा, हजससे दू सरों को क्षोभ िोता िो, वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि एवं छत्तीसगढ़ - �ायािय की अिुमहत से, उस व्यखि द्वारा िमिीय हजसके
हव�द्ध अश्लीि कृ त्य हकये गये िैं या अश्लीि ि� प्रयुि हुए िैं।
[देिें म.प्र. अहिहियम सं. 17 सि् 1999 की िारा 3 (21-5- 1999 से प्रभाविीि) ।]
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294 क. िाटरी कायातिय रििा -
जो कोई ऐसी िाटरी, जो ि तो राज्य िाटरी िो और ि तत्संबंहित राज्य सरकार द्वारा
प्राहिकृ त िाटरी िो, हिकाििे के प्रयोजि के हिए कोई कायातिय या स्थाि रिे दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो सके गी, या
जुमातिे से या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा;
तथा जो कोई ऐसी िाटरी में हकसी हटकट, िाट, संख्ांक या आकृ हत को हिकाििे से
संबंहित या िागू िोिे वािी हकसी घटिा या पररखस्थहत पर हकसी व्यखि के िायदे के
हिए हकसी राहि को देिे की, या हकसी माि के पररदाि की, या हकसी बात को करिे
की, या हकसी बात से प्रहवरत रििे की कोई प्रस्थापिा प्रकाहित करेगा, वि जुमातिे से,
जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, दखण्डत हकया जाएगा।

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राज्य संिोिि
उत्तरप्रदेि - िारा 294क हविोहपत |
[देिें उत्तरप्रदेि अहिहियम संख्ांक 24 सि् 1995 की िारा 11]
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अध्याय 15: िमत से सम्बंहित अपरािों के हवषय में
295. हकसी वगत के िमत का अपमाि करिे के आिय से उपासिा के स्थाि को क्षहत
करिा या अपहवत्र करिा -
जो कोई हकसी उपासिा के स्थाि को या व्यखियों के हकसी वगत द्वारा पहवत्र मािी
गई हकसी वस्तु को िष्ट, िुकसाि ग्रस्त या अपहवत्र इस आिय से करेगा हक हकसी
वगत के िमत का तद्द्वारा अपमाि हकया जाए, या यि संभाव्य जािते हुए करेगा हक
व्यखियों का कोई वगत ऐसे िाि, िुकसाि या अपहवत्र हकए जािे को अपिे िमत के
प्रहत अपमाि समझेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो
वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
295 क, हवमहितत और हवद्वेषपूणत कायत जो हकसी वगत के िमत या िाहमतक हवश्वासों का
अपमाि करके उसकी िाहमतक भाविाओं को आित करिे के आिय से हकए गए िों
-
जो कोई भारत के िागररकों के हकसी वगत की िाहमतक भाविाओं को आित करिे के
हवमहितत और हवद्वेषपूणत आिय से उस वगत के िमत या िाहमतक हवश्वासों का अपमाि,
उ�ाररत या हिखित ि�ों द्वारा या संके तों द्वारा या दृ��पणों द्वारा या अ�था करेगा
या करिे का प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
296. िाहमतक जमाव में हवघ्न करिा -
जो कोई िाहमतक उपासिा या िाहमतक संस्कारों में वैि �प से िगे हुए हकसी जमाव
में स्वे�या हवघ्न काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
297. कहिस्तािों आहद में अहतचार करिा -
जो कोई हकसी उपासिा स्थाि में, या हकसी कहिस्ताि पर या अन्त्येहष्ट हक्रयाओं के
हिए या मृतकों के अविेषों के हिए हिक्षेप स्थाि के �प में पृथक रिे गए हकसी
स्थाि में अहतचार या हकसी मािव िव की अविेििा या अन्त्येहष्ट संस्कारों के हिए
एकहत्रत हकन्ीं व्यखियों को हवघ्न काररत, इस आिय से करेगा हक हकसी व्यखि की
भाविाओं को ठे स पहुंचाए या हकसी व्यखि के िमत का अपमाि करे, या यि संभाव्य

जािते हुए करेगा हक तद्द्वारा हकसी व्यखि की भाविाओं को ठे स पहुंचेगी, या हकसी
व्यखि के िमत का अपमाि िोगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
298. िाहमतक भाविाओं को ठे स पहुंचािे के हवमहितत आिय से ि� उ�ाररत करिा
आहद -
जो कोई हकसी व्यखि की िाहमतक भाविाओं को ठे स पहुंचािे के हवमहितत आिय से
उसकी श्रवणगोचरता में कोई ि� उ�ाररत करेगा या कोई ध्वहि करेगा या उसकी
दृहष्टगोचरता में कोई अंगहवक्षेप करेगा, या कोई वस्तु रिेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
अध्याय 16: मािव िरीर पर प्रभाव डाििे वािे अपरािों हवषय में
जीवि के हिए संकटकारी अपरािों के हवषय में
299. आपराहिक मािव वि -
जो कोई मृत्यु काररत करिे के आिय से, या ऐसी िारीररक क्षहत काररत करिे के
आिय से हजससे मृत्यु काररत िो जािा संभाव्य िो, या यि ज्ञाि रिते हुए हक यि
संभाव्य िै हक वि उस कायत से मृत्यु काररत कर दे, कोई कायत करके मृत्यु काररत कर
देता िै, वि आपराहिक मािव वि का अपराि करता िै।
दृष्टांत -
(क) क एक गड्डे पर िकहड़यां और घास इस आिय से हबछाता िै हक तद्द्वारा मृत्यु
काररत करे या यि ज्ञाि रिते हुए हबछाता िै हक संभाव्य िै हक तद्द्वारा मृत्यु काररत
िो। य यि हवश्वास करते हुए हक वि भूहम सुदृढ़ िै उस पर चिता िै, उसमें हगर पड़ता
िै और मारा जाता िै। क िे आपराहिक मािव वि का अपराि हकया िै।
(ि) क यि जािता िै हक य एक झाड़ी के पीछे िै। ि यि ििीं जािता। य की
मृत्यु करिे के आिय से या यि जािते हुए हक उससे य की मृत्यु काररत िोिा संभाव्य
िै, ि को उस झाड़ी पर गोिी चिािे के हिए क उत्प्रेररत करता िै। ि गोिी चिाता
िै और य को मार डािता िै। यिां, यि िो सकता िै हक ि हकसी भी अपराि का
दोषी ि िो, हकन्तु क िे आपराहिक मािव वि का अपराि हकया िै।
(ग) क एक मुगे को मार डाििे और उसे चुरा िेिे के आिय से उस पर गोिी
चिाकर ि को, जो एक झाड़ी के पीछे िै, मार डािता िै, हकन्तु क यि ििीं जािता
था हक ि विां िै। यिां य�हप क हवहिहव�द्ध कायत कर रिा था, तथाहप वि आपराहिक
मािव वि का दोषी ििीं िै क्ोंहक उसका आिय ि को मार डाििे का, या कोई
ऐसा कायत करके, हजससे मृत्यु काररत करिा वि संभाव्य जािता िो, मृत्यु काररत करिे
का ििीं था।

स्पष्टीकरण 1 - वि व्यखि, जो हकसी दू सरे व्यखि को, जो हकसी हवकार, रोग या
अंगिैहथल्य से ग्रस्त िै, िारीररक क्षहत काररत करता िै और तद्द्वारा उस दू सरे व्यखि
की मृत्यु त्वररत कर देता िै, उसकी मृत्यु काररत करता िै, यि समझा जाएगा।
स्पष्टीकरण 2 - जिां हक िारीररक क्षहत से मृत्यु काररत की गई िो, विां हजस व्यखि
िे, ऐसी िारीररक क्षहत काररत की िो, उसिे वि मृत्यु काररत की िै, यि समझा जाएगा,
य�हप उहचत उपचार और कौिि पूणत हचहकत्सा करिे से वि मृत्यु रोकी जा सकती
थी।
स्पष्टीकरण 3 - मां के गभत में खस्थत हकसी हििु की मृत्यु काररत करिा मािव वि ििीं
िै। हकन्तु हकसी जीहवत हििु की मृत्यु काररत करिा आपराहिक मािव वि की कोहट
में आ सके गा, यहद उस हििु का कोई भाग बािर हिकि आया िो, य�हप उस हििु
िे श्वास ि िी िो या वि पूणततः उत्पन्न ि हुआ िो।
300. ित्या -
एतखिि् पश्चात् अपवाहदत दिाओं को छोड़कर आपराहिक मािव वि ित्या िै, यहद वि
कायत, हजसके द्वारा मृत्यु काररत की गई िो, मृत्यु काररत करिे के आिय से हकया गया
िो, अथवा
दू सरा - यहद वि ऐसी िारीररक क्षहत काररत करिे के आिय से हकया गया िो हजससे
अपरािी जािता िो हक उस व्यखि की मृत्यु काररत करिा संभाव्य िै, हजसको वि
अपिाहि काररत की गई िै, अथवा
तीसरा - यहद वि हकसी व्यखि को िारीररक क्षहत काररत करिे के आिय से हकया
गया िो और वि िारीररक क्षहत, हजसके काररत करिे का आिय िो, प्रकृ हत के मामूिी
अिुक्रम में मृत्यु काररत करिे के हिए पयातप्त िो, अथवा
चौथा- यहद कायत करिे वािा व्यखि यि जािता िो हक वि कायत इतिा आसन्नसंकट
िै हक पूरी अहि संभाव्यता िै हक वि मृत्यु काररत कर िी देगा या ऐसी िारीररक
क्षहत काररत कर िी देगा हजससे मृत्यु काररत िोिा संभाव्य िै, और वि मृत्यु काररत
करिे या पूवोि �प की क्षहत काररत करिे की जोखिम उठािे के हिए हकसी प्रहतिेतु
के हबिा ऐसा कायत करे।
दृष्टांत -
(क) य को मार डाििे के आिय से क उस पर गोिी चिाता िै, पररणामस्व�प य
मर जाता िै। क ित्या करता िै।
(ि) क यि जािते हुए हक य ऐसे रोग से ग्रस्त िै हक संभाव्य िै हक एक प्रिार
उसकी मृत्यु काररत कर दे, िारीररक क्षहत काररत करिे के आिय से उस पर आघात
करता िै। य उस प्रिार के पररणामस्व�प मर जाता िै। क ित्या का दोषी िै, य�हप
वि प्रिार हकसी अ�े स्वस्थ व्यखि की मृत्यु करिे के हिए प्रकृ हत के मामूिी अिुक्रम
में पयातप्त ि िोता हकन्तु यहद क, यि ि जािते हुए हक य हकसी रोग से ग्रस्त िै, उस

पर ऐसा प्रिार करता िै, हजससे कोई अ�ा स्वस्थ व्यखि प्रकृ हत के मामूिी अिुक्रम में
ि मरता, तो यिां, क य�हप िारीररक क्षहत काररत करिे का उसका आिय िो, ित्या का
दोषी ििीं िै, यहद उसका आिय मृत्यु काररत करिे का या ऐसी िारीररक क्षहत काररत
करिे का ििीं था, हजससे प्रकृ हत के मामूिी अिुक्रम में मृत्यु काररत िो जाए।
(ग) य को तिवार या िाठी से ऐसा घाव क सािय करता िै, जो प्रकृ हत के मामूिी
अिुक्रम में हकसी मिुष्य की मृत्यु काररत करिे के हिए पयातप्त िै। पररणामस्व�प य
की मृत्यु काररत िो जाती िै, यिां क ित्या का दोषी िै, य�हप उसका आिय य की
मृत्यु काररत करिे का ि रिा िो।
(घ) क हकसी प्रहतिेतु के हबिा व्यखियों के एक समूि पर भरी हुई तोप चिाता िै
और उिमें से एक का वि कर देता िै। क ित्या का दोषी िै, य�हप हकसी हवहिष्ट
व्यखि की मृत्यु काररत करिे की उसकी पूवतहचखन्तत पररकल्पिा ि रिी िो।
अपवाद 1 -
आपराहिक मािव वि कब ित्या ििीं िै - आपराहिक मािव वि ित्या ििीं िै, यहद
अपरािी उस समय जबहक वि गंभीर और अचािक प्रकोपि से आत्म-संयम की िखि
से वंहचत िो, उस व्यखि की हजसिे हक वि प्रकोपि हदया था, मृत्युकाररत करे या हकसी
अ� व्यखि की मृत्यु भूि या दुघतटिावि काररत करे ऊपर का अपवाद हिम्नहिखित
परन्तुकों के अध्यिीि िै -
पििा - यि हक वि प्रकोपि हकसी व्यखि का वि करिे या अपिाहि करिे के हिए
अपरािी द्वारा प्रहतिेतु के �प में ईखित ि िो या स्वे�या प्रकोहपत ि िो।
दुसरा - यि हक वि प्रकोपि हकसी ऐसी बात द्वारा ि हदया गया िो जो हवहि के
पािि में या िोक सेवक द्वारा ऐसे िोक सेवक की िखियों के हवहिपूणत प्रयोग में, की
गई िो।
तीसरा - यि हक वि प्रकोपि हकसी ऐसी बात द्वारा ि हदया गया िो, जो प्राइवेट
प्रहतरक्षा के अहिकार के हवहिपूणत प्रयोग में की गई िो।
स्पष्टीकरण - प्रकोपि इतिा गंभीर और अचािक था या ििीं हक अपराि को ित्या की
कोहट में जािे से बचा दे, यि तथ्य का प्रश्न िै।
दृष्टांत -
(क) य द्वारा हकए गए प्रकोपि के कारण प्रदीप्त आवेि के असर में म का, जो य का
हििु िै, क सािय वि करता िै। यि ित्या िै, क्ोंहक प्रकोपि उस हििु द्वारा ििीं
हदया गया था और उस हििु की मृत्यु उस प्रकोपि से हकए गए कायत को करिे में
दुघतटिा या दुभातग्य से ििीं हुई िै।
(ि) क को म गंभीर और अचािक प्रकोपि देता िै। क इस प्रकोपि से म पर हपस्तौि
चिाता िै, हजसमें ि तो उसका आिय य का, जो समीप िी िै हकन्तु दृहष्ट से बािर िै,

वि करिे का िै, और ि वि यि जािता िै हक संभाव्य िै हक वि य का वि कर दे।
क, य का वि करता िै। यिां क िे ित्या ििीं की िै, हकन्तु के वि आपराहिक मािव
वि हकया िै।
(ग) य द्वारा जो, एक बेहिि िै, क हवहिपूवतक हगरफ्तार हकया जाता िै। उस हगरफ्तारी
के कारण क को अचािक और तीव्र आवेि आ जाता िै और वि य का वि कर देता
िै। यि ित्या िै, क्ोंहक प्रकोपि ऐसी बात द्वारा हदया गया था, जो एक िोक सेवक
द्वारा उसकी िखि के प्रयोग में की गई थी।
(घ) य के समक्ष, जो एक महजस्ट्रेट िै, साक्षी के �प में क उपसंजात िोता िै। य यि
किता िै हक वि क के अहभसाक्ष्य के एक ि� पर भी हवश्वास ििीं करता और यि
हक क िे िपथभंग हकया िै। क को इि ि�ों से अचािक आवेि आ जाता िै और
वि य का वि कर देता िै। यि ित्या िै।
(ङ) य की िाक िींचिे का प्रयत्न क करता िै। य प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार के
प्रयोग में ऐसा करिे से रोकिे के हिए क को पकड़ िेता िै। पररणामस्व�प क को
अचािक और तीव्र आवेि आ जाता िै और वि य का वि कर देता िै। यि ित्या िै,
क्ोंहक प्रकोपि ऐसी बात द्वारा हदया गया था जो प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार के
प्रयोग में की गई थी।
(च) ि पर य आघात करता िै। ि को इस प्रकोपि से तीव्र क्रोि आ जाता िै। क,
जो हिकट िी िड़ा हुआ िै, ि के क्रोि का िाभ उठािे और उससे य का वि करािे
के आिय से उसके िाथ में एक छु री उस प्रयोजि के हिए दे देता िै। ि उस छु री
से य का वि कर देता िै। यिां ि िे चािे के वि आपराहिक मािव वि िी हकया िो,
हकन्तु क ित्या का दोषी िै।
अपवाद 2 - आपराहिक मािव वि ित्या ििीं िै, यहद अपरािी, िरीर या संपहत्त की
प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार को सद्भावपूवतक प्रयोग में िाते हुए हवहि द्वारा उसे दी
गई िखि का अहतक्रमण कर दे, और पूवतहचन्ति हबिा और ऐसी प्रहतरक्षा के प्रयोजि
से हजतिी अपिाहि करिा आव�क िो उससे अहिक अपिाहि करिे के हकसी आिय
के हबिा उस व्यखि की मृत्यु काररत कर दे हजसके हव�द्ध वि प्रहतरक्षा का ऐसा
अहिकार प्रयोग में िा रिा िो क को चाबुक मारिे का प्रयत्न य करता िै, हकन्तु इस
प्रकार ििीं हक क को घोर उपिहत काररत िो। क एक हपस्तौि हिकाि िेता िै। य
िमिे को चािू रिता िै। क सद्भावपूवतक यि हवश्वास करते हुए हक वि अपिे को
चाबुक िगाए जािे से हकसी अ� सािि द्वारा ििीं बचा सकता िै, गोिी से य का
वि कर देता िै। क िे ित्या ििीं की िै, हकन्तु के वि आपराहिक मािव वि हकया िै।
अपवाद 3 - आपराहिक मािव वि ित्या ििीं िै, यहद अपरािी ऐसा िोक सेवक िोते
हुए, या ऐसे िोक सेवक को मदद देते हुए, जो िोक �ाय की अग्रसरता में कायत कर
रिा िै, उसे हवहि द्वारा दी गई िखि से आगे बढ़ जाए, और कोई ऐसा कायत करके
हजसे वि हवहिपूणत और ऐसे िोक सेवक के िाते उसके कत्ततव्य के स�क हिवतिि के
हिए आव�क िोिे का सद्भावपूवतक हवश्वास करता िै, और उस व्यखि के प्रहत, हजसकी
हक मृत्युकाररत की गई िै, वैमिस्य के हबिा मृत्यु काररत करे।

अपवाद 4 - आपराहिक मािव वि ित्या ििीं िै, यहद वि मािव वि अचािक झगड़ा
जहित आवेि की तीव्रता में हुई अचािक िड़ाई में पूवतहचन्ति हबिा और अपरािी द्वारा
अिुहचत िाभ उठाए हबिा या क्रू रतापूणत या अप्राहयक रीहत से कायत हकए हबिा हकया
गया िो।
स्पष्टीकरण - ऐसी दिाओं में यि तत्विीि िै हक कौि पक्ष प्रकोपि देता िै या पििा
िमिा करता िै।
अपवाद 5 - आपराहिक मािव वि ित्या ििीं िै, यहद वि व्यखि हजसकी मृत्यु काररत
की जाए, अठारि वषत से अहिक आयु का िोते हुए, अपिी स�हत से मृत्यु िोिा सिि
करे, या मृत्यु की जोखिम उठाए।
दृष्टांत -
य को, जो अठारि वषत से कम आयु का िै, उकसाकर क उससे स्वे�या आत्मित्या
करवाता िै। यिां कम उम्र िोिे के कारण य अपिी मृत्यु के हिए स�हत देिे में
असमथत था, इसहिए क िे ित्या का दुष्प्रेरण हकया िै।
301. हजस व्यखि की मृत्यु काररत करिे का आिय था उससे हभन्न व्यखि की मृत्यु
करके आपराहिक मािव वि -
यहद कोई व्यखि कोई ऐसी बात करिे द्वारा, हजससे उसका आिय मृत्यु काररत करिा
िो, या हजससे वि जािता िो हक मृत्यु काररत िोिा संभाव्य िै, हकसी व्यखि की मृत्यु
काररत करके, हजसकी मृत्यु काररत करिे का ि तो उसका आिय िो और ि वि यि
संभाव्य जािता िो हक वि उसकी मृत्यु काररत करेगा, आपराहिक मािव वि करे, तो
अपरािी द्वारा हकया गया आपराहिक मािव वि उस भांहत का िोगा हजस भांहत का
वि िोता, यहद वि उस व्यखि की मृत्यु काररत करता हजसकी मृत्यु काररत करिा
उसके द्वारा आिहयत था या वि जािता था हक उस द्वारा उसकी मृत्यु काररत िोिा
संभाव्य िै।
302. ित्या के हिए दण्ड -
जो कोई ित्या करेगा, वि मृत्यु या आजीवि कारावास से दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
303. आजीवि हसद्धदोष द्वारा ित्या के हिए दण्ड -
जो कोई आजीवि कारावास के दण्डादेि के अिीि िोते हुए ित्या करेगा, वि मृत्यु से
दखण्डत हकया जाएगा।
304. ित्या की कोहट में ि आिे वािे आपराहिक मािव वि के हिए दण्ड -
जो कोई ऐसा आपराहिक मािव वि करेगा, जो ित्या की कोहट में ििीं आता िै, यहद
वि कायत हजसके द्वारा मृत्यु काररत की गई िै, मृत्यु या ऐसी िारीररक क्षहत, हजससे

मृत्यु िोिा संभाव्य िै, काररत करिे के आिय से हकया जाए, तो वि आजीवि
कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक
की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा;
अथवा यहद वि कायत इस ज्ञाि के साथ हक उससे मृत्यु काररत करिा संभाव्य िै, हकन्तु
मृत्यु या ऐसी िारीररक क्षहत, हजससे मृत्यु काररत करिा संभाव्य िै, काररत करिे के
हकसी आिय के हबिा हकया जाए, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
304 क. उपेक्षा द्वारा मृत्यु काररत करिा -
जो कोई उताविेपि के या उपेक्षापूणत हकसी ऐसे कायत से हकसी व्यखि की मृत्यु काररत
करेगा, जो आपराहिक मािव वि की कोहट में ििीं आता, वि दोिों में से हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
304 ि. दिेज मृत्यु -
(1) जिां हकसी स्त्री की मृत्यु हकसी दाि या िारीररक क्षहत द्वारा काररत की जाती िै
या उसके हववाि के सात वषत के भीतर सामा� पररखस्थहतयों से अ�था िो जाती िै
और यि दहितत हकया जाता िै हक उसकी मृत्यु के कु छ पूवत उसके पहत िे या उसके
पहत के िातेदार िे, दिेज की हकसी मांग के हिए, या उसके संबंि में, उसके साथ क्रू रता
की थी, या उसे तंग हकया था विां ऐसी मृत्यु को “दिेज मृत्यु” किा जाएगा, और ऐसा
पहत या िातेदार उसकी मृत्यु काररत करिे वािा समझा जायेगा।
स्पष्टीकरण - इस उपिारा के प्रयोजिों के हिए "दिेज का विी अथत िै जो दिेज प्रहतषेि
अहिहियम, 1961 (1961 का 28) की िारा 2 में िै।
(2) जो कोई दिेज मृत्यु काररत करेगा वि कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत से
कम की ििीं िोगी हकन्तु जो आजीवि कारावास तक की िो सके गी, दखण्डत हकया
जाएगा।
305. हििु या उ�त्त व्यखि की आत्मित्या का दुष्प्रेरण -
यहद कोई अठारि वषत से कम आयु का व्यखि, कोई उ�त्त व्यखि, कोई हवपयतस्त हचत्त
व्यखि, कोई जड़ व्यखि, या कोई व्यखि, जो मत्तता की अवस्था में िै, आत्मित्या कर
िे तो जो कोई ऐसी आत्मित्या के हकए जािे का दुष्प्रेरण करेगा, वि मृत्यु या आजीवि
कारावास या कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत से अहिक की ि िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
306. आत्मित्या का दुष्प्रेरण -

यहद कोई व्यखि आत्मित्या करे, तो जो कोई ऐसी आत्मित्या का दुष्प्रेरण करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
307. ित्या करिे का प्रयत्न -
जो कोई हकसी कायत को ऐसे आिय या ज्ञाि से और ऐसी पररखस्थहतयों में करेगा हक
यहद वि उस कायत द्वारा मृत्यु काररत कर देता िै तो वि ित्या का दोषी िोता, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा, और यहद ऐसे कायत द्वारा हकसी
व्यखि को उपिहत काररत िो जाए, तो वि अपरािी या तो आजीवि कारावास से या
ऐसे दण्ड से दण्डिीय िोगा, जैसा एतखििपूवत वहणतत िै।
आजीवि हसद्धदोष द्वारा प्रयत्न - जबहक इस िारा में वहणतत अपराि करिे वािा कोई
व्यखि आजीवि कारावास के दण्डादेि के अिीि िो, तब यहद उपिहत काररत हुई िो,
तो वि मृत्यु से दखण्डत हकया जा सके गा।
दृष्टांत -
(क) य का वि करिे के आिय से क उस पर ऐसी पररखस्थहतयों में गोिी चिाता िै
हक यहद मृत्यु िो जाती, तो क ित्या का दोषी िोता क इस िारा के अिीि दण्डिीय
िै।
(ि) क कोमि वयस के हििु की मृत्यु करिे के आिय से उसे एक हिजति स्थाि में
अरहक्षत छोड़ देता िै क िे इस िारा द्वारा पररभाहषत अपराि हकया िै, य�हप
पररणामस्व�प उस हििु की मृत्यु ििीं िोती।
(ग) य की ित्या का आिय रिते हुए क एक बंदू क िरीदता िै और उसको भरता
िै। क िे अभी तक अपराि ििीं हकया िै। य पर क बंदू क चिाता िै। उसिे इस िारा
में पररभाहषत अपराि हकया िै, और यहद इस प्रकार गोिी मारकर वि य को घायि
कर देता िै, तो वि इस िारा के प्रथम पैरे के हपछिे भाग द्वारा उपबंहित दण्ड से
दण्डिीय िै।
(घ) हवष द्वारा य की ित्या करिे का आिय रिते हुए क हवष िरीदता िै, और उसे
उस भोजि में हमिा देता िै, जो क के अपिे पास रिता िै; क िे इस िारा में पररभाहषत
अपराि अभी तक ििीं हकया िै। क उस भोजि को य की मेज पर रिता िै, या
उसको य की मेज पर रििे के हिए य के सेवकों को पररदत्त करता िै। क िे इस
िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
308. आपराहिक मािव वि करिे का प्रयत्न -
जो कोई हकसी कायत को ऐसे आिय या ज्ञाि से और ऐसी पररखस्थहतयों में करेगा हक
यहद उस कायत से वि मृत्यु काररत कर देता, तो वि ित्या की कोहट में ि आिे वािे
आपराहिक मािव वि का दोषी िोता, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,

हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा; और यहद ऐसे कायत द्वारा हकसी व्यखि को उपिहत िो जाए, तो वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
दृष्टांत -
क गंभीर और अचािक प्रकोपि पर, ऐसी पररखस्थहतयों में, य पर हपस्तौि चिाता िै हक
यहद तद्द्वारा वि मृत्यु काररत कर देता तो वि ित्या की कोहट में ि आिे वािे
आपराहिक मािव वि का दोषी िोता। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै
309. आत्मित्या करिे का प्रयत्न -
जो कोई आत्मित्या करिे का प्रयत्न करेगा, और उस अपराि के करिे के हिए कोई
कायत करेगा वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या
जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
310. ठग -
जो कोई इस अहिहियम के पाररत िोिे के पश्चात् हकसी समय ित्या द्वारा या ित्या
सहित िूट या हििुओं की चोरी करिे के प्रयोजि के हिए अ� व्यखि या अ�
व्यखियों से अभ्यासत: सियुि रिता िै, वि ठग िै।
311. दण्ड -
जो कोई ठग िोगा, वि आजीवि कारावास से दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा।
गभतपात काररत करिे, अजात हििुओं को क्षहत काररत करिे,
हििुओं को अरहक्षत छोड़िे और ज� हछपािे के हवषय में
312. गभतपात काररत करिा -
जो कोई गभतवती स्त्री का स्वे�या गभतपात काररत करेगा, यहद ऐसा गभतपात उस स्त्री
का जीवि बचािे के प्रयोजि से सद्भावपूवतक, काररत ि हकया जाए तो वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा, और यहद वि स्त्री स्पन्दि-गभात िो, तो वि दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - जो स्त्री स्वयं अपिा गभतपात काररत करती िै, वि इस िारा के अन्तगतत
आती िै।
313. स्त्री की स�हत के हबिा गभतपात काररत करिा -

जो कोई उस स्त्री की स�हत के हबिा, चािे वि स्त्री स्पन्दि-गभात िो या ििीं, पूवतवती
अंहतम िारा में पररभाहषत अपराि करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
314. गभतपात काररत करिे के आिय से हकए गए कायों द्वारा काररत मृत्यु -
जो कोई गभतवती स्त्री का गभतपात काररत करिे के आिय से कोई ऐसा कायत करेगा,
हजससे ऐसी स्त्री की मृत्यु काररत िो जाए, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा;
यहद वि कायत स्त्री की स�हत के हबिा हकया जाए - और यहद वि कायत उस स्त्री
की स�हत के हबिा हकया जाए, तो वि आजीवि कारावास से या ऊपर बताए हुए दण्ड
से, दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण - इस अपराि के हिए यि आव�क ििीं िै हक अपरािी जािता िो हक
उस कायत से मृत्यु काररत करिा संभाव्य िै।
315. हििु का जीहवत पैदा िोिा रोकिे या ज� के पश्चात् उसकी मृत्यु काररत करिे
के आिय से हकया गया कायत -
जो कोई हकसी हििु के ज� से पूवत कोई कायत इस आिय से करेगा हक उस हििु
का जीहवत पैदा िोिा तद्द्वारा रोका जाए या ज� के पश्चात् तद्द्वारा उसकी मृत्यु
काररत िो जाए, और ऐसे कायत से उस हििु का जीहवत पैदा िोिा रोके गा, या उसके
ज� के पश्चात् उसकी मृत्यु काररत कर देगा, यहद वि कायत माता के जीवि को बचािे
के प्रयोजि से सद्भावपूवतक ििीं हकया गया िो, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
316. ऐसे कायत द्वारा जो आपराहिक मािव वि की कोहट में आता िै, हकसी सजीव
अजात हििु की मृत्यु काररत करिा -
जो कोई ऐसा कोई कायत ऐसी पररखस्थहतयों में करेगा हक यहद वि तद्द्वारा मृत्यु काररत
कर देता, तो वि आपराहिक मािव वि का दोषी िोता और ऐसे कायत द्वारा हकसी
सजीव अजात हििु की मृत्यु काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जायेगा, और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा।
दृष्टांत -
क यि संभाव्य जािते हुए हक वि गभतवती स्त्री की मृत्यु काररत कर दे, ऐसा कायत
करता िै, हजससे यहद उससे उस स्त्री की मृत्यु काररत िो जाती, तो वि आपराहिक
मािव वि की कोहट में आता। उस स्त्री को क्षहत िोती िै, हकन्तु उसकी मृत्यु ििीं

िोती, हकन्तु तद्द्वारा उस अजात सजीव हििु की मृत्यु िो जाती िै, जो उसके गभत में
िै। क इस िारा में पररभाहषत अपराि का दोषी िै।
317. हििु के हपता या माता या उसकी देिरेि रििे वािे व्यखि द्वारा बारि वषत
से कम आयु के हििु का अरहक्षत डाि हदया जािा और पररत्याग -
जो कोई बारि वषत से कम आयु के हििु का हपता या माता िोते हुए, या ऐसे हििु
की देिरेि का भार रिते हुए, ऐसे हििु का पूणतत: पररत्याग करिे के आिय से उस
हििु को हकसी स्थाि में अरहक्षत डाि देगा या छोड़ देगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत
के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों
से, दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण - यहद हििु अरहक्षत डाि हदए जािे के पररणामस्व�प मर जाए, तो,
यथाखस्थहत, ित्या या आपराहिक मािव वि के हिए अपरािी का हवचारण हिवाररत
करिा इस िारा से आिहयत ििीं िै।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 317 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय '' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 41 म.प्र. राजपत्र
(असािारण ) हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित |]
-------------------------------------------------------
318. मृत िरीर के गुप्त व्ययि द्वारा ज� हछपािा -
जो कोई हकसी हििु के मृत िरीर को गुप्त �प से गाड़कर या अ�था उसका व्ययि
करके चािे ऐसे हििु की मृत्यु उसके ज� से पूवत या पश्चात् या ज� के दौराि में
हुई िो, ऐसे हििु के ज� को सािय हछपाएगा या हछपािे का प्रयास करेगा, वि दोिों
में से हकसी भााँहत के कारावास से,हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा
----------------------------------------------------------------------
राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 318 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय '' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4 म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2608 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित |]
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उपिहत के हवषय में
319. उपिहत -
जो कोई हकसी व्यखि को िारीररक पीड़ा, रोग या अंग िैहथल्य काररत करता िै, वि
उपिहत करता िै, यि किा जाता िै।
320. घोर उपिहत -
उपिहत की के वि िीचे हििी हकिें “घोर” कििाती िैं -
पििी - पुंसत्विरण।
दू सरा - दोिों में से हकसी भी िेत्र की दृहष्ट का स्थायी हव�ेद।
तीसरा - दोिों में से हकसी भी काि की श्रवण िखि का स्थायी हव�ेद।
चौथा - हकसी भी अंग या जोड़ का हव�ेद।
पााँचवााँ - हकसी भी अंग या जोड़ की िखियों का िाि या स्थायी िास।
छठा - हसर या चेिरे का स्थायी हवद्रूपीकरण।
सातवााँ - अखस्थ या दााँत का भंग या हवसंिाि।
आठवााँ - कोई उपिहत जो जीवि को संकटापन्न करती िै या हजसके कारण उपित
व्यखि बीस हदि तक तीव्र िारीररक पीड़ा में रिता िै या अपिे मामूिी कामकाज को
करिे के हिए असमथत रिता िै।
321. स्वे�या उपिहत काररत करिा -
जो कोई हकसी कायत को इस आिय से करता िै हक तद्द्वारा हकसी व्यखि को उपिहत
काररत करे या इस ज्ञाि के साथ करता िै हक यि संभाव्य िै हक वि तद्द्वारा हकसी
व्यखि को उपिहत काररत करे और तद्द्वारा हकसी व्यखि को उपिहत काररत करता
िै, वि स्वे�या उपिहत करता िै, यि किा जाता िै।
322. स्वे�या घोर उपिहत काररत करिा -
जो कोई स्वे�या उपिहत काररत करता िै, यहद वि उपिहत, हजसे काररत करिे का
उसका आिय िै या हजसे वि जािता िै हक उसके द्वारा उसका हकया जािा संभाव्य
िै घोर उपिहत िै और यहद वि उपिहत, जो वि काररत करता िै, घोर उपिहत िो, तो
वि “स्वे�या घोर उपिहत करता िै, यि किा जाता िै।
स्पष्टीकरण - कोई व्यखि स्वे�या घोर उपिहत काररत करता िै, यि ििीं किा जाता
िै हसवाय जबहक वि घोर उपिहत काररत करता िै और घोर उपिहत काररत करिे का

उसका आिय िो या घोर उपिहत काररत िोिा वि संभाव्य जािता िो। हकन्तु यहद
वि यि आिय रिते हुए या यि संभाव्य जािते हुए हक वि हकसी एक हकि की
घोर उपिहत काररत कर दे वास्तव में दू सरी िी हकि की घोर उपिहत काररत करता
िै तो वि स्वे�या घोर उपिहत काररत करता िै, यि किा जाता िै।
दृष्टांत -
क, यि आिय रिते हुए या यि संभाव्य जािते हुए हक वि य के चेिरे को स्थायी
�प से हवद्रूहपत कर दे, य के चेिरे पर प्रिार करता िै हजससे य का चेिरा स्थायी
�प से हवद्रूहपत तो ििीं िोता, हकन्तु हजससे य को बीस हदि तक तीव्र िारीररक पीड़ा
काररत िोती िै। क िे स्वे�या घोर उपिहत काररत की िै।
323. स्वे�या उपिहत काररत करिे के हिए दण्ड -
उस दिा के हसवाय, हजसके हिए िारा 334 में उपबंि िै, जो कोई स्वे�या उपिहत
काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत
तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पये तक का िो सके गा, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
324. ितरिाक आयुिों या साििों द्वारा स्वे�या उपिहत काररत करिा -
उस दिा के हसवाय हजसके हिए िारा 334 में उपबंि िै, जो कोई असि, वेिि या
काटिे के हकसी उपकरण द्वारा या हकसी ऐसे उपकरण द्वारा जो यहद आक्रामक आयुि
के तौर पर उपयोग में िाया जाए, तो उससे मृत्यु काररत िोिा संभाव्य िै या अहि या
हकसी तप्त पदाथत द्वारा, या हकसी हवष या हकसी संक्षारक पदाथत द्वारा या हकसी
हवस्फोटक पदाथत द्वारा या हकसी ऐसे पदाथत द्वारा, हजसका श्वास में जािा या हिगििा
या रि में पहुाँचिा मािव िरीर के हिए िाहिकारक िै, या हकसी जीवजन्तु द्वारा
स्वे�या उपिहत काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी
अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
325. स्वे�या घोर उपिहत काररत करिे के हिए दण्ड -
उस दिा के हसवाय, हजसके हिए िारा 335 में उपबन्ध िै, जो कोई स्वे�या घोर उपिहत
काररत करेगा , वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
326. ितरिाक आयुिों या साििों द्वारा स्वे�या घोर उपिहत काररत करिा -
उस दिा के हसवाय, हजसके हिए िारा 335 में उपबंि िै, जो कोई असि, वेिि या काटिे
के हकसी उपकरण द्वारा या हकसी ऐसे उपकरण द्वारा, जो यहद आक्रामक आयुि के
तौर पर उपयोग में िाया जाए तो उससे मृत्यु काररत िोिा संभाव्य िै, या अहि या
हकसी तप्त पदाथत द्वारा, या हकसी हवष या संक्षारक पदाथत द्वारा, या हकसी हवस्फोटक
पदाथत द्वारा, या हकसी ऐसे पदाथत द्वारा, हजसका श्वास में जािा या हिगििा या रि में
पहुंचिा मािव िरीर के हिए िाहिकारक िै, या हकसी जीवजन्तु द्वारा स्वे�या घोर

उपिहत काररत करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 326 के अिीि अपराि “'सत्र �ायािय '' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 41 म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 117-158 पर प्रकाहित । ]
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326 क. अम्ल, आहद का प्रयोग करके स्वे�या घोर उपिहत काररत करिा -
जो कोई हकसी व्यखि के िरीर के हकसी भाग या हकन्ीं भागों को उस व्यखि पर
अम्ल िें ककर या उसे अम्ल देकर या हकन्ीं अ� साििों का, ऐसा काररत करिे के
आिय या ज्ञाि से हक यि संभाव्य िै हक वि ऐसी क्षहत या उपिहत काररत करे, प्रयोग
करके स्थायी या आंहिक िुकसाि काररत करता िै या अंगहवकार करता िै या जिाता
िै या हवकिांग बिाता िै या हवद्रूहपत करता िै या हि:िि बिाता िै या घोर उपिहत
काररत करता िै, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत
से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो आजीवि कारावास तक की िो सके गी, दंहडत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा :
परन्तु ऐसा जुमातिा पीहड़त के उपचार के हचहकत्सीय िचे को पूरा करिे के हिए
�ायोहचत और युखियुि िोगा:
परन्तु यि और हक इस िारा के अिीि अहिरोहपत कोई जुमातिा पीहड़त को संदत्त
हकया जाएगा।
326 ि. स्वे�या अम्ल िेंकिा या िें किे का प्रयत्न करिा -
जो कोई, हकसी व्यखि को स्थायी या आंहिक िुकसाि काररत करिे या उसका
अंगहवकार करिे या जिािे या हवकिांग बिािे या हवद्रूहपत करिे या हि:िि बिािे
या घोर उपिहत काररत करिे के आिय से उस व्यखि पर अम्ल िें कता िै या िें किे
का प्रयत्न करता िै या हकसी व्यखि को अम्ल देता िै या अम्ल देिे का प्रयत्न करता
िै या हकसी अ� सािि का उपयोग करिे का प्रयत्न करता िै, वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो सात
वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
स्पष्टीकरण 1.- िारा 326क और इस िारा के प्रयोजिों के हिए “अम्ल' में कोई ऐसा
पदाथत सख�हित िै , जो ऐसे अम्लीय या संक्षारक स्व�प या ज्विि प्रकृ हत का िै, जो

ऐसी िारीररक क्षहत करिे योग्य िै, हजससे क्षतहचह्न बि जाते िैं या हवद्रूपता या अस्थायी
या स्थायी हि:ििता िो जाती िै।
स्पष्टीकरण 2.- िारा 326क और इस िारा के प्रयोजिों के हिए स्थायी या आंहिक
िुकसाि या अंगहवकार का अपररवततिीय िोिा आव�क ििीं िोगा।
327. सम्पहत्त उद्दाहपत करिे के हिए या अवैि कायत करािे को मजबूर करिे के हिए
स्वे�या उपिहत काररत करिा -
जो कोई इस प्रयोजि से स्वे�या काररत करेगा हक उपित व्यखि से, या उससे हितबद्ध
हकसी व्यखि से, कोई संपहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत उद्दाहपत की जाए, या उपित व्यखि
को या उससे हितबद्ध हकसी व्यखि को कोई ऐसी बात, जो अवैि िो, या हजससे हकसी
अपराि का हकया जािा सुकर िोता िै, करिे के हिए मजबूर हकया जाए, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
328. अपराि करिे के आिय से हवष इत्याहद द्वारा उपिहत काररत करिा -
जो कोई इस आिय से हक हकसी व्यखि को उपिहत काररत की जाए या अपराि
करिे के, या हकए जािे को सुकर बिािे के आिय से, या यि संभाव्य जािते हुए हक
वि तद्द्वारा उपिहत काररत करेगा, कोई हवष या जहड़माकारी, ििा करिे वािी या
अस्वास्थ्यकर औषहि या अ� चीज उस व्यखि को देगा या उसके द्वारा हिया जािा
काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
329. संपहत्त उद्दाहपत करिे के हिए या अवैि कायत करािे को मजबूर करिे के हिए
स्वे�या घोर उपिहत काररत करिा -
जो कोई इस प्रयोजि से स्वे�या घोर उपिहत काररत करेगा हक उपित व्यखि से या
उससे हितबद्ध हकसी व्यखि से कोई संपहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत उद्दाहपत की जाए,
या उपित व्यखि को या उससे हितबद्ध हकसी व्यखि को कोई बात, जो ऐसी वैि िो
या हजससे हकसी अपराि का हकया जािा सुकर िोता िो, करिे के हिए मजबूर हकया
जाए, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
330. संस्वीकृ हत उद्दाहपत करिे या हववि करके संपहत्त का प्रत्यावतति करािे के हिए
स्वे�या उपिहत काररत करिा -
जो कोई इस प्रयोजि से स्वे�या उपिहत काररत करेगा हक उपित व्यखि से या उससे
हितबद्ध हकसी व्यखि से कोई संस्वीकृ हत या कोई जािकारी, हजससे हकसी अपराि
अथवा अवचार का पता चि सके, उद्दाहपत की जाए, अथवा उपित व्यखि या उससे
हितबद्ध व्यखि को मजबूर हकया जाए हक वि कोई संपहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत
प्रत्यावहततत करे, या करवाए, या हकसी दावे या मााँग की पुहष्ट, या ऐसी जािकारी दे,

हजससे हकसी सम्पहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत का प्रत्यावतति कराया जा सके, वि दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
दृष्टांत -
(क) क, एक पुहिस ऑहिसर, य को यि संस्वीकृ हत करिे को हक उसिे अपराि हकया
िै उत्प्रेररत करिे के हिए यातिा देता िै। क इस िारा के अिीि अपराि का दोषी िै।
(ि) क, एक पुहिस ऑहिसर, यि बतिािे को हक अमुक चुराई हुई संपहत्त किााँ रिी
िै उत्प्रेररत करिे के हिए ि को यातिा देता िै। क इस िारा के अिीि अपराि का
दोषी िै।
(ग) क, एक राजस्व ऑहिसर, राजस्व की वि बकाया, जो य द्वारा िोध्य िै, देिे को य
को हववि करिे के हिए उसे यातिा देता िै। क इस िारा के अिीि अपराि का
दोषी िै।
(घ) क, एक जमींदार, भाटक देिे को हववि करिे के हिए अपिी एक रैयत को यातिा
देता िै। क इस िारा के अिीि अपराि का दोषी िै।
331. संस्वीकृ हत उद्दाहपत करिे के हिए या हववि करके संपहत्त का प्रत्यावतति करािे
के हिए स्वे�या घोर उपिहत काररत करिा -
जो कोई इस प्रयोजि से स्वे�या घोर उपिहत काररत करेगा हक उपित व्यखि से या
उससे हितबद्ध हकसी व्यखि से कोई संस्वीकृ हत या कोई जािकारी, हजससे हकसी
अपराि अथवा अवचार का पता चि सके, उद्दाहपत की जाए, अथवा उपित व्यखि या
उससे हितबद्ध व्यखि को मजबूर हकया जाए हक वि कोई संपहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत
प्रत्यावहततत करे या करवाए, या हकसी दावे या मांग की पुहष्ट करे, या ऐसी जािकारी दे,
हजससे हकसी संपहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत का प्रत्यावतति कराया जा सके, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
332. िोक सेवक को अपिे कततव्य से भयोपरत करिे के हिए स्वे�या उपिहत
काररत करिा -
जो कोई हकसी ऐसे व्यखि को, जो िोक सेवक िो, उस समय जब वि वैसे िोक सेवक
के िाते अपिे कततव्य का हिवतिि कर रिा िो अथवा इस आिय से हक उस व्यखि
को या हकसी अ� िोक सेवक को, वैसे िोक सेवक के िाते उसके अपिे कततव्य के
हिवतिि से हिवाररत या भयोपरत करे अथवा वैसे िोक सेवक के िाते उस व्यखि द्वारा
अपिे कततव्य के हवहिपूणत हिवतिि में की गई या हकए जािे के हिए प्रयहतत हकसी बात
के पररणामस्व�प स्वे�या उपिहत काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के
कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों
से दखण्डत हकया जाएगा।

333. िोक सेवक को अपिे कततव्यों से भयोपरत करिे के हिए स्वे�या घोर उपिहत
काररत करिा -
जो कोई हकसी ऐसे व्यखि को, जो िोक सेवक िो, उस समय जब वि वैसे िोक सेवक
के िाते अपिे कततव्य का हिवतिि कर रिा िो अथवा इस आिय से हक उस व्यखि
को, या हकसी अ� िोक सेवक को, िोक सेवक के िाते उसके अपिे कततव्य के हिवतिि
से हिवाररत करे या भयोपरत करे, अथवा वैसे िोक सेवक के िाते उस व्यखि द्वारा
अपिे कततव्य के हवहिपूणत हिवतिि में की गई या हकए जािे के हिए प्रयहतत हकसी बात
के पररणामस्व�प स्वे�या घोर उपिहत काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
334. प्रकोपि पर स्वे�या उपिहत काररत करिा -
जो कोई गंभीर और अचािक प्रकोपि पर स्वे�या उपिहत काररत करेगा, यहद ि तो
उसका आिय उस व्यखि से हभन्न, हजसिे प्रकोपि हदया था, हकसी व्यखि को उपिहत
काररत करिे का िो और ि वि अपिे द्वारा ऐसी उपिहत काररत हकया जािा संभाव्य
जािता िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक मास तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का िो सके गा, या दोिों से दखण्डत
हकया जाएगा।
335. प्रकोपि पर स्वे�या घोर उपिहत काररत करिा -
जो कोई गंभीर और अचािक प्रकोपि पर स्वे�या घोर उपिहत काररत करेगा, यहद ि
तो उसका आिय उस व्यखि से हभन्न, हजसिे प्रकोपि हदया था, हकसी व्यखि को घोर
उपिहत काररत करिे का िो और ि वि अपिे द्वारा ऐसी उपिहत काररत हकया जािा
संभाव्य जािता िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि चार
वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो दो िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों
से, दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण - अंहतम दो िाराएं उन्ीं परन्तुकों के अध्यिीि िैं, हजिके अध्यिीि िारा
300 का अपवाद 1 िै।
336, कायत हजससे दू सरों का जीवि या वैयखिक क्षेम संकटापन्न िो -
जो कोई इतिे उताविेपि या उपेक्षा से कोई कायत करेगा हक उससे मािव जीवि या
दू सरों का वैयखिक क्षेम संकटापन्न िोता िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि तीि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो ढाई सौ �पए तक
का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
337. ऐसे कायत द्वारा उपिहत काररत करिा, हजससे दू सरों का जीवि या वैयखिक क्षेम
संकटापन्न िो जाए -

जो कोई ऐसे उताविेपि या उपेक्षा से कोई कायत करिे द्वारा, हजससे मािव जीवि या
दू सरों का वैयखिक क्षेम संकटापन्न िो जाए, हकसी व्यखि को उपिहत काररत करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि छि मास तक की िो
सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
338. ऐसे कायत द्वारा घोर उपिहत काररत करिा हजससे दू सरों का जीवि या वैयखिक
क्षेम संकटापन्न िो जाए -
जो कोई ऐसे उताविेपि या उपेक्षा से कायत करिे द्वारा, हजससे मािव जीवि या दू सरों
का वैयखिक क्षेम संकटापन्न िो जाए, हकसी व्यखि को घोर उपिहत काररत करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी,
या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक का िो सके गा, या दोिों से दखण्डत हकया
जाएगा।
सदोष अवरोि और सदोष परररोि के हवषय में
339. सदोष अवरोि -
जो कोई हकसी व्यखि को स्वे�या ऐसे बािा डािता िै हक उस व्यखि को उस हदिा
में, हजसमें उस व्यखि को जािे का अहिकार िै, जािे से हिवाररत कर दे, वि उस
व्यखि का सदोष अवरोि करता िै, यि किा जाता िै।
अपवाद - भूहम के या जि के हकसी प्राइवेट मागत में बािा डाििा हजसके संबंि में
हकसी व्यखि को सद्भावपूवतक हवश्वास िै हक विां बािा डाििे का उसे हवहिपूणत
अहिकार िै, इस िारा के अथत के अन्तगतत अपराि ििीं िै।
दृष्टांत -
क एक मागत में, हजससे िोकर जािे का य का अहिकार िै, सद्भावपूवतक यि हवश्वास ि
रिते हुए हक उसको मागत रोकिे का अहिकार प्राप्त िै, बािा डािता िै। य जािे से
तद्द्वारा रोक हदया जाता िै। क, य का सदोष अवरोि करता िै।
340. सदोष परररोि -
जो कोई हकसी व्यखि का इस प्रकार सदोष अवरोि करता िै, हक उस व्यखि को
हिहश्चत पररसीमा से परे जािे से हिवाररत कर दे, वि उस व्यखि का सदोष परररोि
करता िै, यि किा जाता िै।
दृष्टांत -
(क) य को दीवार से हघरे हुए स्थाि में प्रवेि कराकर क उसमें तािा िगा देता िै।
इस प्रकार य दीवार की पररसीमा से परे हकसी भी हदिा में ििीं जा सकता। क िे य
का सदोष परररोि हकया िै।

(ि) क एक भवि के बािर जािे के द्वारों पर बन्दू किारी मिुष्यों को बैठा देता िै
और य से कि देता िै हक यहद य भवि के बािर जािे का प्रयत्न करेगा, तो वे य को
गोिी मार देंगे। क िे य का सदोष परररोि हकया िै।
341. सदोष अवरोि के हिए दण्ड -
जो कोई हकसी व्यखि का सदोष अवरोि करेगा, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि
एक मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का िो सके गा, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
342. सदोष परररोि के हिए दण्ड -
जो कोई हकसी व्यखि का सदोष परररोि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार
�पए तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
343. तीि या अहिक हदिों के हिए सदोष परररोि -
जो कोई हकसी व्यखि का सदोष परररोि तीि या अहिक हदिों के हिए करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी,
या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
344. दस या अहिक हदिों के हिए सदोष परररोि -
जो कोई हकसी व्यखि का सदोष परररोि दस या अहिक हदिों के हिए करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
345. ऐसे व्यखि का सदोष परररोि हजसके छोड़िे के हिए ररट हिकि चुका िै -
जो कोई यि जािते हुए हकसी व्यखि को सदोष परररोि में रिेगा हक उस व्यखि को
छोड़िे के हिए ररट स�क् �प से हिकि चुका िै वि हकसी अवहि के उस कारावास
के अहतररि, हजससे हक वि इस अध्याय की हकसी अ� िारा के अिीि दण्डिीय िो,
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा।
346. गुप्त स्थाि में सदोष परररोि -
जो कोई हकसी व्यखि का सदोष परररोि इस प्रकार करेगा हजससे यि आिय प्रतीत
िोता िो हक ऐसे परर�द्ध व्यखि से हितबद्ध हकसी व्यखि को या हकसी िोक सेवक
को ऐसे व्यखि के परररोि की जािकारी ि िोिे पाए या एतखिि् पूवत वहणतत हकसी
ऐसे व्यखि या िोक सेवक को, ऐसे परररोि के स्थाि की जािकारी ि िोिे पाए या
उसका पता वि ि चिा पाए, वि उस दण्ड के अहतररि हजसके हिए वि ऐसे सदोष

परररोि के हिए दण्डिीय िो, दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
दो वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा।
347. संपहत्त उद्दाहपत करिे के हिए या अवैि कायत करिे के हिए मजबूर करिे के
हिए सदोष परररोि -
जो कोई हकसी व्यखि का सदोष परररोि इस प्रयोजि से करेगा, हक उस परर�द्ध
व्यखि से, या उससे हितबद्ध हकसी व्यखि से, कोई संपहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत उद्दाहपत
की जाए, अथवा उस परर�द्ध व्यखि को या उससे हितबद्ध हकसी व्यखि को कोई ऐसी
अवैि बात करिे के हिए, या कोई ऐसी जािकारी देिे के हिए हजससे अपराि का
हकया जािा सुकर िो जाए, मजबूर हकया जाए, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी, दण्डिीय िोगा।
348. संस्वीकृ हत उद्दाहपत करिे के हिए या हववि करके संपहत्त का प्रत्यावतति करिे
के हिए सदोष परररोि -
जो कोई हकसी व्यखि का सदोष परररोि इस प्रयोजि से करेगा, हक उस परर�द्ध
व्यखि से, या उससे हितबद्ध हकसी व्यखि से, कोई संस्वीकृ हत या कोई जािकारी, हजससे
हकसी अपराि या अवचार का पता चि सके, उद्दाहपत की जाए, या वि परर�द्ध व्यखि
या उससे हितबद्ध कोई व्यखि मजबूर हकया जाए हक वि हकसी संपहत्त या हकसी
मूल्यवाि प्रहतभूहत को प्रत्यावहततत करे या करवाए या हकसी दावे या मांग की तुहष्ट करे
या कोई ऐसी जािकारी दे हजससे हकसी संपहत्त या हकसी मूल्यवाि प्रहतभूहत का
प्रत्यावतति कराया जा सके, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
तीि वषत तक की िो सकेगी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
आपराहिक बि और िमिे के हवषय में
349. बि -
कोई व्यखि हकसी अ� व्यखि पर बि प्रयोग करता िै, यि किा जाता िै, यहद वि
उस अ� व्यखि में गहत, गहत-पररवतति या गहतिीिता काररत कर देता िै या यहद वि
हकसी पदाथत में ऐसी गहत, गहत पररवतति या गहतिीिता काररत कर देता िै, हजससे उस
पदाथत का स्पित उस अ� व्यखि के िरीर के हकसी भाग से या हकसी ऐसी चीज से,
हजसे वि अ� व्यखि पििे हुए िै या िे जा रिा िै, या हकसी ऐसी चीज से, जो इस
प्रकार खस्थत िै हक ऐसे संस्पित से उस अ� व्यखि की संवेदि िखि पर प्रभाव पड़ता
िै, िो जाता िै :
परन्तु यि तब जबहक गहतमाि, गहत-पररवतति या गहतिीि करिे वािा व्यखि उस पर
गहत, गहत-पररवतति या गहतिीिता को एतखिि् पश्चात् वहणतत तीि तरीकों में से हकसी
एक द्वारा काररत करता िै, अथातत् :
पििा -- अपिी हिजी िारीररक िखि द्वारा।

दू सरा -- हकसी पदाथत के इस प्रकार व्ययि द्वारा हक उसके अपिे या हकसी अ�
व्यखि द्वारा कोई अ� कायत के हकए जािे के हबिा िी गहत या गहत पररवतति या
गहतिीिता घहटत िोती िै।
तीसरा - हकसी जीव जन्तु को गहतमाि िोिे, गहत-पररवतति करिे या गहतिीि िोिे के
हिए उत्प्रेरण द्वारा।
350. आपराहिक बि -
जो कोई हकसी व्यखि पर उस व्यखि की स�हत के हबिा बि का प्रयोग हकसी
अपराि को करिे के हिए या उस व्यखि को, हजस पर बि का प्रयोग हकया जाता िै,
क्षहत, भय या क्षोभ, ऐसे बि के प्रयोग से काररत करिे के आिय से, या ऐसे बि के
प्रयोग से संभाव्यतः काररत करेगा यि जािते हुए सािय करता िै, वि उस अ� व्यखि
पर आपराहिक बि का प्रयोग करता िै, यि किा जाता िै।
दृष्टांत -
(क) य िदी के हकिारे रस्सी से बंिी हुई िाव पर बैठा िै। क रखस्सयों को उबंहित
करता िै और उस प्रकार िाव को िार में सािय बिा देता िै। विां क, य को सािय
गहतमाि करता िै, और वि ऐसा उि पदाथों को ऐसी रीहत से व्ययहित करके करता
िै हक हकसी व्यखि की ओर से कोई अ� कायत हकए हबिा िी गहत उत्पन्न िो जाती
िै। अतएव, क िे य पर बि का प्रयोग सािय हकया िै, और यहद उसिे य की स�हत
के हबिा यि कायत कोई अपराि करिे के हिए, या यि आिय रिते हुए या यि संभाव्य
जािते हुए हकया िै हक ऐसे बि के प्रयोग से वि य को क्षहत, भय या क्षोभ काररत
करे, तो क िे य पर आपराहिक बि का प्रयोग हकया िै।
(ि) य एक रथ में सवार िोकर चि रिा िै। क, य के घोड़ों को चाबुक मारता िै,
और उसके द्वारा उिकी चाि को तेज कर देता िै। यिां क िे जीवजन्तुओं को उिकी
अपिी गहत पररवहततत करिे के हिए उत्प्रेररत करके य का गहत पररवतति कर हदया िै।
अतएव, क िे य पर बि का प्रयोग हकया िै, और यहद क िे य की स�हत के हबिा
यि कायत यि आिय रिते हुए या यि संभाव्य जािते हुए हकया िै हक वि उससे य
को क्षहत, भय या क्षोभ उत्पन्न करे तो क िे य पर आपराहिक बि का प्रयोग हकया
िै।
(ग) य एक पािकी में सवार िोकर चि रिा िै। य को िूटिे का आिय रिते हुए
क पािकी का डंडा पकड़ िेता िै, और पािकी को रोक देता िै। यिां, क िे य को
गहतिीि हकया िै, और यि उसिे अपिी िारीररक िखि द्वारा हकया िै। अतएव क िे
य पर बि का प्रयोग हकया िै, और क िे य की स�हत के हबिा यि कायत अपराि
करिे के हिए सािय हकया िै, इसहिए क िे य पर आपराहिक बि का प्रयोग हकया
िै।
(घ) क सड़क पर सािय य को िक्का देता िै। यिां क िे अपिी हिजी िारीररक
िखि द्वारा अपिे िरीर को इस प्रकार गहत दी िै हक वि य के संस्पित में आए अतएव
उसिे सािय य पर बि का प्रयोग हकया िै, और यहद उसिे य की स�हत के हबिा

यि कायत यि आिय रिते हुए या यि संभाव्य जािते हुए हकया िै हक वि उससे य
को क्षहत, भय या क्षोभ उत्पन्न करे, तो उसिे य पर आपराहिक बि का प्रयोग हकया
िै।
(ङ) क यि आिय रिते हुए या यि बात संभाव्य जािते हुए एक पत्थर िें कता िै
हक वि पत्थर इस प्रकार य, या य के वस्त्र के या य द्वारा िे जाई जािे वािी हकसी
वस्तु के संस्पित में आएगा या हक वि पािी में हगरेगा और उछिकर पािी य के
कपड़ों पर या य द्वारा िे जाई जािे वािी हकसी वस्तु पर जा पड़ेगा। यिां, यहद पत्थर
के िें के जािे से यि पररणाम उत्पन्न िो जाए हक कोई पदाथत य, या य के वस्त्रों के
संस्पित में आ जाए तो क िे य पर बि का प्रयोग हकया िै; और यहद उसिे य की
स�हत के हबिा यि कायत उसके द्वारा य को क्षहत, भय या क्षोभ उत्पन्न करिे का
आिय रिते हुए हकया िै, तो उसिे य पर आपराहिक बि का प्रयोग हकया िै।
(च) क हकसी स्त्री का घूंघट सािय िटा देता िै। यिां क िे उस पर सािय बि का
प्रयोग हकया िै, और यहद उसिे उस स्त्री की स�हत के हबिा यि कायत यि आिय
रिते हुए या यि संभाव्य जािते हुए हकया िै हक उससे उसको क्षहत, भय या क्षोभ
उत्पन्न िो, तो उसिे उस पर आपराहिक बि का प्रयोग हकया िै।
(छ) य स्नाि कर रिा िै। क स्नाि करिे के टब में ऐसा जि डाि देता िै हजसे वि
जािता िै हक वि उबि रिा िै। यिां, क उबिते हुए जि में ऐसी गहत को अपिी
िारीररक िखि द्वारा सािय उत्पन्न करता िै हक उस जि का संस्पित य से िोता िै
या अ� जि से िोता िै, जो इस प्रकार खस्थत िै हक ऐसे संस्पित से य की संवेदि
िखि प्रभाहवत िोती िै; इसहिए क िे य पर सािय बि का प्रयोग हकया िै, और यहद
उसिे य की स�हत के हबिा यि कायत यि आिय रिते हुए या यि संभाव्य जािते
हुए हकया िै हक वि उससे य को क्षहत, भय या क्षोभ उत्पन्न करे, तो क िे आपराहिक
बि का प्रयोग हकया िै।
(ज) क, य की स�हत के हबिा, एक कु त्ते को य पर झपटिे के हिए भड़काता िै।
यिााँ यहद क का आिय य को क्षहत, भय या क्षोभ काररत करिे का िै, तो उसिे य पर
आपराहिक बि का प्रयोग हकया िै।
351. िमिा -
जो कोई, कोई अंगहवक्षेप या कोई तैयारी इस आिय से करता िै, या यि संभाव्य जािते
हुए करता िै हक ऐसे अंगहवक्षेप या ऐसी तैयारी करिे से हकसी उपखस्थत व्यखि को
यि आिंका िो जाएगी हक जो वैसा अंगहवक्षेप या तैयारी करता िै, वि उस व्यखि पर
आपराहिक बि का प्रयोग करिे िी वािा िै, वि िमिा करता िै, यि किा जाता िै।
स्पष्टीकरण - के वि ि� िमिे की कोहट में ििीं आते, हकन्तु जो ि� कोई व्यखि
प्रयोग करता िै, वे उसके अंगहवक्षेप या तैयाररयों को ऐसा अथत दे सकते िैं हजससे वे
अंगहवक्षेप या तैयाररयां िमिे की कोहट में आ जाएं ।
दृष्टांत -

(क) य पर अपिा मुक्का क इस आिय से या यि संभाव्य जािते हुए हििाता िै हक
उसके द्वारा य को यि हवश्वास िो जाए हक क, य को मारिे वािा िी िै। क िे िमिा
हकया िै।
(ि) क एक हिंसक कु त्ते की मुिबंििी इस आिय से या यि संभाव्य जािते हुए
िोििा आरंभ करता िै हक उसके द्वारा य को यि हवश्वास िो जाए हक वि य पर
कु त्ते से आक्रमण करािे वािा िै। क िे य पर िमिा हकया िै।
(ग) य से यि किते हुए हक “मैं तुम्हें पीटूंगा” क एक छड़ी उठा िेता िै। यिां य�हप
क द्वारा प्रयोग में िाए गए ि� हकसी अवस्था में िमिे की कोहट में ििीं आते और
य�हप के वि अंग-हवक्षेप बिािा हजसके साथ अ� पररखस्थहतयों का अभाव िै, िमिे
की कोहट में ि भी आए तथाहप ि�ों द्वारा स्पष्टीकृ त वि अंगहवक्षेप िमिे की कोहट में
आ सकता िै।
352. गंभीर प्रकोपि िोिे से अ�था िमिा करिे या आपराहिक बि का प्रयोग करिे
के हिए दण्ड -
जो कोई हकसी व्यखि पर िमिा या आपराहिक बि का प्रयोग उस व्यखि द्वारा गंभीर
और अचािक प्रकोपि हदए जािे पर करिे से अ�था करेगा, वि दोिों में से हकसी
भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो
पााँच सौ �पये तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा
स्पष्टीकरण - इस िारा के अिीि हकसी अपराि के दण्ड में कमी गंभीर और अचािक
प्रकोपि के कारण ि िोगी, यहद वि प्रकोपि अपराि करिे के हिए प्रहतिेतु के �प
में अपरािी द्वारा ईखित या स्वे�या प्रकोहपत हकया गया िो, अथवा
यहद वि प्रकोपि हकसी ऐसी बात द्वारा हदया गया िो जो हवहि के पािि में, या हकसी
िोक सेवक द्वारा ऐसे िोक सेवक की िखि के हवहिपूणत प्रयोग में, की गई िो, अथवा
यहद वि प्रकोपि हकसी ऐसी बात द्वारा हदया गया िो जो प्राइवेट प्रहतरक्षा के अहिकार
के हवहिपूणत प्रयोग में की गई िो।
प्रकोपि अपराि को कम करिे के हिए पयातप्त गंभीर और अचािक था या ििीं, यि
तथ्य का प्रश्न िै ।
353. िोक सेवक को अपिे कततव्य के हिवतिि से भयोपरत करिे के हिए िमिा या आपराहिक
बि का प्रयोग -
जो कोई हकसी ऐसे व्यखि पर ,जो िोक सेवक िो, उस समय जब वैसे िोक सेवक के िाते वि
उसके अपिे कततव्य का हिष्पादि कर रिा िो, या इस आिय से हक उस व्यखि को वैसे िोक
सेवक के िाते अपिे कततव्य के हिवतिि से हिवाररत करे या भयोपरत करे या ऐसे िोक सेवक के
िाते उसके अपिे कततव्य के हवहिपूणत हिवतिि में की गई या की जािे के हिए प्रयहतत हकसी बात
के पररणामस्व�प िमिा करेगा या आपराहिक बि का प्रयोग करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत

के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत
हकया जाएगा।
354. स्त्री की ििा भंग करिे के आिय से उस पर िमिा या आपराहिक बि का प्रयोग -
जो कोई हकसी स्त्री की ििा भंग करिे के आिय से यि संभाव्य जािते हुए हक तद्द्वारा वि
उसकी ििा भंग करेगा, उस स्त्री पर िमिा करेगा या आपराहिक बि का प्रयोग करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो
पााँच वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
छत्तीसगढ़ - िारा 354 में हिम्नहिखित परन्तुक अंतःस्थाहपत हकया जाए, अथातत् :-
“परन्तु यि हक जिां इस िारा के अंतगतत अपराि हकसी ररश्तेदार, अहभभावक या हिक्षक या
हकसी ऐसे व्यखि द्वारा काररत हकया जाता िै हजसका पीहड़त व्यखि से हवश्वास आहश्रत या
प्राहिकारवाि संबंि िों, तो वि दोिों में से हकसी भी भांहत के कारावास हजसकी अवहि दो वषत
से कम ििीं िोगी हकन्तु सात वषत तक की िो सके गी एवं जुमहि से भी दंहडत हकया जाएगा।
[देिें दण्ड हवहि (छ.ग. संिोिि) अहिहियम, 2013 (क्र. 25 सि् 2015), िारा 3 (हदिांक
21-7-2015 से प्रभाविीि) । छ.ग. राजपत्र (असािारण) हदिांक 21-7-2015 पृष्ठ 777-
778 (9) पर प्रकाहित ।]
मध्यप्रदेि - िारा 354 के पश्चात् हिम्नहिखित िई िारा अंत:स्थाहपत की जाए, अथातत् :-
354-क. हकसी स्त्री के कपड़े उतारिे के आिय से उस पर िमिा या आपराहिक बि प्रयोग -
जो कोई हकसी स्त्री की ििा भंग करिे के आिय से या यि संभाव्य जािते हुए हक
ऐसे िमिे द्वारा वि हकसी सावतजहिक स्थाि पर उसके कपड़े उतारकर या उसे िि िोिे
के हिए हववि करके, उसकी ििा भंग करेगा या करवाएगा , उस स्त्री पर िमिा या
आपराहिक बि प्रयोग करेगा या स्त्री पर िमिा करिे के हिए दुष्प्रेरण या षड्यंत्र
करेगा या ऐसा आपराहिक बि प्रयोग करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से,हजसकी अवहि एक वषत से कम की ििीं िोगी, हकन्तु हजसकी अवहि दस वषत तक
की िो सके गी दखण्डत हकया जाएगा और जुमहि का भी दायी िोगा।
[देिें म.प्र. अहिहियम सं. 14 सि् 2004 की िारा 3 (2-12-2004 से प्रभाविीि) |
म्र.प्र. राजपत्र (असािारण) हदिांक 2-12-2004 पेज 1037-1038 पर प्रकाहित |]
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354 क. िैंहगक उत्पीड़ि और िैंहगक उत्पीड़ि के हिये दण्ड -
(1) ऐसा कोई हिम्नहिखित कायत, अथातत्: -

(i) िारीररक संपकत और अग्रहक्रयाएं करिे, हजिमें अवांछिीय और िैंहगक संबंि बिािे
संबंिी स्पष्ट प्रस्ताव अंतवतहित िों; या
(ii) िैंहगक स्वीकृ हत के हिए कोई मांग या अिुरोि करिे; या
(i) हकसी स्त्री की इ�ा के हव�द्ध बिात् अश्लीि साहित्य हदिािे; या
(iv) िैंहगक आभासी हटप्पहणयां करिे, वािा पु�ष िैंहगक उत्पीडि के अपराि का दोषी
िोगा।
(2) ऐसा कोई पु�ष, जो उपिारा (1) के िण्ड (i) या िण्ड (ii) या िण्ड (iii) में
हवहिहदतष्ट अपराि करेगा, वि कठोर कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो
सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दंहडत हकया जाएगा।
(3) ऐसा कोई पु�ष, जो उपिारा (1) के िण्ड (iv) में हवहिहदतष्ट अपराि करेगा, वि दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या
जुमातिे से, या दोिों से, दंहडत हकया जाएगा।
354 ि. हववस्त्र करिे के आिय से स्त्री पर िमिा या आपराहिक बि का प्रयोग -
ऐसा कोई पु�ष, जो हकसी स्त्री को हववस्त्र करिे या हिवतस्त्र िोिे के हिए बाध्य करिे
के आिय से उस पर िमिा करेगा या उसके प्रहत आपराहिक बि का प्रयोग करेगा
या ऐसे कृ त्य का दुष्प्रेरण करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि तीि वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो सात वषत तक की िो सके गी, दंहडत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
354 ग. दृ�रहतकता -
ऐसा कोई पु�ष, जो कोई ऐसी हकसी स्त्री को, जो उि पररखस्थहतयों के अिीि, हजिमें
वि यि प्रत्यािा करती िै हक उसे अपराि करिे वािा या अपराि करिे वािे के
कििे पर कोई अ� व्यखि देि ििीं रिा िोगा, हकसी प्राइवेट कृ त्य में िगी हकसी
स्त्री को एकटक देिेगा या उसका हचत्र िींचेगा अथवा उस हचत्र को प्रसाररत करेगा,
प्रथम दोषहसखद्ध पर दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत
से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो तीि वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दंहडत हकया जाएगा और हद्वतीय अथवा पश्चात्वती हकसी दोषहसखद्ध पर
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत से कम की ििीं
िोगी हकन्तु जो सात वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण 1- इस िारा के प्रयोजिों के हिये, “प्राइवेट कृ त्य" के अंतगतत ऐसे हकसी
स्थाि में देििे का कायत हकया जाता िै, हजसके संबंि में, पररखस्थहतयों के अिीि,
युखियुि �प से यि प्रत्यािा की जाती िै हक विां एकांतता िोगी और जिां हक
पीहड़ता के जििांगों, हितंबों या वक्षस्थिों को अहभदहितत हकया जाता िै या के वि
अिोवस्त्र से ढंका जाता िै अथवा जिां पीहड़ता हकसी िौचघर का प्रयोग कर रिी िै;

या जिां पीहड़ता ऐसा कोई िैंहगक कृ त्य कर रिी िै जो ऐसे प्रकार का ििीं िै जो
सािारणतया सावतजहिक तौर पर हकया जाता िै।
स्पष्टीकरण 2- जिां पीहड़ता हचत्रों या हकसी अहभिय के हचत्र को िींचिे के हिए स�हत
देती िै हकन्तु अ� व्यखियों को उन्ें प्रसाररत करिे की स�हत ििीं देती िै और जिां
उस हचत्र या कृ त्य का प्रसारण हकया जाता िै विां ऐसे प्रसारण को इस िारा की
अिीि अपराि मािा जाएगा।
354 घ. पीछा करिा -
(1) ऐसा कोई पु�ष, जो -
(i) हकसी स्त्री का उससे व्यखिगत अ�ो� हक्रया को आगे बढ़ािे के हिए, उस स्त्री
द्वारा स्पष्ट �प से अहि�ा उपदहितत हकए जािे के बावजूद, बारंबार पीछा करता िै और
संपकत करता िै या संपकत करिे का प्रयत्न करता िै; अथवा
(ii) जो कोई हकसी स्त्री द्वारा इंटरिेट, ई-मेि या हकसी अ� प्र�प की इिैक्टराहिक
संसूचिा का प्रयोग हकए जािे को मािीटर करता िै,
वि पीछा करिे का अपराि करता िै।
परन्तु ऐसा आचरण पीछा करिे की कोहट में ििीं आएगा, यहद वि पु�ष, जो ऐसा
करता िै, यि साहबत कर देता िै हक
(i) ऐसा कायत अपराि के हिवारण या पता िगािे के प्रयोजि के हिए हकया गया था
और पीछा करिे के अहभयुि पु�ष को राज्य द्वारा उस अपराि के हिवारण और पता
िगािे का उत्तरदाहयत्व सौंपा गया था; या
(ii) ऐसा हकसी हवहि के अिीि या हकसी हवहि के अिीि हकसी व्यखि द्वारा अहिरोहपत
हकसी ितत या अपेक्षा का पािि करिे के हिए हकया गया था; या
(iii) हवहिष्ट पररखस्थहतयों में ऐसा आचरण कायत युखियुि और �ायोहचत था।
(2) जो कोई पीछा करिे का अपराि करता िै, वि प्रथम दोषहसखद्ध पर दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा; और हद्वतीय तथा पश्चात्वती हकसी दोषहसखद्ध
पर दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत तक की िो
सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
छत्तीसगढ़ - िारा 354 घ के पश्चात् हिम्नहिखित अंतः स्थाहपत हकया जाए, अथातत् :-

“354 ङ. िारा 354, 354क, 354, 3547, 354घ के अंतगतत अपराि काररत िोिे से रोकिे
में हविि रििे वािे व्यखि का दाहयत्व - जो कोई, िारा 354, िारा 354क, िारा 354ि,
िारा 354ग या िारा 354घ का अपराि काररत िोते समय उपखस्थत रिता िै और ऐसे
अपराि को काररत िोिे से रोकिे की खस्थहत में िोते हुए भी ऐसे अपराि को काररत
िोिे से रोकिे में हविि रिता िै या यहद वि अपराि को काररत िोिे से रोकिे की
खस्थहत में ििीं िै तो अपरािी को वैि दण्ड से बचािे के आिय से ऐसे हकसी अपराि
के काररत िोिे की सूचिा हकसी भी तरीके से हिकटस्थ महजस्ट्रेट या पुहिस अहिकारी
को देिे में हविि रिता िै तो वि ऐसे अपराि के दुष्प्रेरण के हिए दायी िोते हुए
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी या
जुमहि से या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा ।”
[देिे दण्ड हवहि (छ.ग. संिोिि) अहिहियम, 2013 (क्र. 25 सि् 2015), िारा 4
(हदिांक 21-7-26015 से प्रभाविीि) । छ.ग. राजपत्र (असािारण) हदिांक 21-7-2015
पृष्ठ 777-778(9) पर प्रकाहित ।]
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355. गंभीर प्रकोपि िोिे से अ�था हकसी व्यखि का अिादर करिे के आिय से
उस पर िमिा या आपराहिक बि का प्रयोग -
जो कोई हकसी व्यखि पर िमिा या आपराहिक बि का प्रयोग उस व्यखि द्वारा गंभीर
और अचािक प्रकोपि हदए जािे पर करिे से अ�था, इस आिय से करेगा हक तद्द्वारा
उसका अिादर हकया जाए, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि
दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
356. हकसी व्यखि द्वारा िे जाई जािे वािीसम्पहत्त की चोरी के प्रयत्नों में िमिा या
आपराहिक बि का प्रयोग -
जो कोई हकसी व्यखि पर िमिा या आपराहिक बि का प्रयोग हकसी ऐसी सम्पहत्त
की चोरी करिे के प्रयत्न में करेगा, हजसे वि व्यखि उस समय पििे हुए िो, या हिए
आ रिा िो, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
357. हकसी व्यखि का सदोष परररोि करिे के प्रयत्नों में िमिा या आपराहिक बि
का प्रयोग -
जो कोई हकसी व्यखि पर िमिा या आपराहिक बि का प्रयोग उस व्यखि का सदोष
परररोि करिे का प्रयत्न करिे में करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से,
हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पए तक
का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
358. गंभीर प्रकोपि हमििे पर िमिा या आपराहिक बि का प्रयोग -

जो कोई हकसी व्यखि पर िमिा या आपराहिक बि का प्रयोग उस व्यखि द्वारा हदए
गए गंभीर और अचािक प्रकोपि पर करेगा, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि एक
मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो दो सौ �पए तक का िो सके गा, या दोिों
से, दखण्डत हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण - अंहतम िारा उसी स्पष्टीकरण के अध्यिीि िै हजसके अध्यिीि िारा 352
िै।
359. व्यपिरण -
व्यपिरण दो हकि का िोता िै; भारत में से व्यपिरण और हवहिपूणत संरक्षकता में से
व्यपिरण।
360. भारत में से व्यपिरण -
जो कोई हकसी व्यखि का, उस व्यखि की, या उस व्यखि की ओर से स�हत देिे के
हिए वैि �प से प्राहिकृ त हकसी व्यखि की स�हत के हबिा, भारत की सीमाओं से
परे प्रविण कर देता िै, वि भारत में से उस व्यखि का व्यपिरण करता िै, यि किा
जाता िै।
361. हवहिपूणत संरक्षकता में से व्यपिरण -
जो कोई हकसी अप्राप्तवय को, यहद वि िर िो, तो सोिि वषत से कम आयु वािे को,
या यहद वि िारी िो तो, अठारि वषत से कम आयु वािी को या हकसी हवकृ तहचत्त
व्यखि को ऐसे अप्राप्तवय या हवकृ तहचत्त व्यखि के हवहिपूणत संरक्षकता में से ऐसे
संरक्षक की स�हत के हबिा िे जाता िै या बिका िे जाता िै, वि ऐसे अप्राप्तवय या
ऐसे व्यखि का हवहिपूणत संरक्षकता में से व्यपिरण करता िै, यि किा जाता िै।
स्पष्टीकरण - इस िारा में “हवहिपूणत संरक्षक” ि�ों के अन्तगतत ऐसा व्यखि आता िै
हजस पर ऐसे अप्राप्तवय या अ� व्यखि की देिरेि या अहभरक्षा का भार हवहिपूवतक
�स्त हकया गया िै।
अपवाद - इस िारा का हवस्तार हकसी ऐसे व्यखि के कायत पर ििीं िै, हजसे सद्भावपूवतक
यि हवश्वास िै हक वि हकसी अिमतज हििु का हपता िै, या हजसे सद्भावपूवतक यि
हवश्वास िै हक वि ऐसे हििु की हवहिपूणत अहभरक्षा का िकदार िै, जब तक हक ऐसा
कायत दुराचाररक या हवहिहव�द्ध प्रयोजि के हिए ि हकया जाए।
362. अपिरण -
जो कोई हकसी व्यखि को हकसी स्थाि से जािे के हिए बि द्वारा हववि करता िै, या
हकन्ीं प्रवंचिापूणत उपायों द्वारा उत्प्रेररत करता िै, वि उस व्यखि का अपिरण करता
िै, यि किा जाता िै।
363. व्यपिरण के हिए दण्ड -

जो कोई भारत में से या हवहिपूणत संरक्षकता में से हकसी व्यखि का व्यपिरण करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो
सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 363 के अिीि अपराि "सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 41 म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
उत्तरप्रदेि - िारा 363 के अिीि अपराि अजमाितीय िै।
[देिें उत्तरप्रदेि अहिहियम संख्ांक 1 सि् 1984, िारा 12 (हदिांक 1-5-1984 से
प्रभाविीि)]
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363 क. भीि मांगिे के प्रयोजिों के हिए अप्राप्तवय का व्यपिरण या हवकिांगीकरण
-
(1) जो कोई हकसी अप्राप्तवय का इसहिए व्यपिरण करेगा या अप्राप्तवय का हवहिपूणत
संरक्षक स्वयं ि िोते हुए अप्राप्तवय की अहभरक्षा इसहिए अहभप्राप्त करेगा हक ऐसा
अप्राप्तवय भीि मांगिे के प्रयोजिों के हिए हियोहजत या प्रयुि हकया जाए, वि दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दण्डिीय
िोगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
(2) जो कोई हकसी अप्राप्तवय को हवकिांग इसहिए करेगा हक ऐसा अप्राप्तवय भीि
मांगिे के प्रयोजिों के हिए हियोहजत या प्रयुि हकया जाए, वि आजीवि कारावास से
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
(3) जिां हक कोई व्यखि जो अप्राप्तवय का हवहिपूणत संरक्षक ििीं िै, उस अप्राप्तवय
को भीि मांगिे के प्रयोजिों के हिए हियोहजत या प्रयुि करेगा विां जब तक हक
तत्प्रहतकू ि साहबत ि कर हदया जाए, यि उपिारणा की जायेगी हक उसिे इस उद्दे�
से उस अप्राप्तवय का व्यपिरण हकया था या अ�था उसकी अहभरक्षा अहभप्राप्त की
थी हक वि अप्राप्तवय भीि मांगिे के प्रयोजिों के हिए हियोहजत या प्रयुि हकया
जाए।
(4) इस िारा में, - (क) “भीि मांगिे” से अहभप्रेत िै -
(i) िोक स्थाि में हभक्षा की याचिा या प्राखप्त चािे गािे, िाचिे, भाग्य बतािे, करतब
हदिािे या चीजें बेचिे के बिािे अथवा अ�था करिा,

(ii) हभक्षा की याचिा या प्राखप्त करिे के प्रयोजि से हकसी प्राइवेट पररसर में प्रवेि
करिा,
(iii) हभक्षा अहभप्राप्त या उद्दाहपत करिे के उद्दे� से अपिा या हकसी अ� व्यखि
का या जीवजन्तु का कोई व्रण, घाव, क्षहत, हव�पता या रोग अहभदहितत या प्रदहितत
करिा,
(iv) हभक्षा की याचिा या प्राखप्त के प्रयोजि से अप्राप्तवय का प्रदहितत के �प में
प्रयोग करिा,
(ि) अप्राप्तवय से वि व्यखि अहभप्रेत िै जो -
(i) यहद िर िै, तो सोिि वषत से कम आयु का िै; तथा
(ii) यहद िारी िै, तो अठारि वषत से कम आयु की िै।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 363 क के अिीि अपराि “'सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 41 म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 1457-158 पर प्रकाहित ।]
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364. ित्या करिे के हिए व्यपिरण या अपिरण -
जो कोई इसहिए हकसी व्यखि का व्यपिरण या अपिरण करेगा हक ऐसे व्यखि की
ित्या की जाए या उसको ऐसे व्ययहित हकया जाए हक वि अपिी ित्या िोिे के ितरे
में पड़ जाए, वि आजीवि कारावास से या कहठि कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
दृष्टांत -
(क) क इस आिय से या यि संभाव्य जािते हुए हक हकसी देव मूहतत पर य की बहि
चढ़ाई जाए भारत में से य का व्यपिरण करता िै। क िे इस िारा में पररभाहषत
अपराि हकया िै।
(ि) ि को उसके गृि से क इसहिए बिपूवतक या बिकाकर िे जाता िै हक ि की
ित्या की जाए। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
364 क. मुखि-िि आहद के हिए व्यपिरण -

जो कोई हकसी व्यखि का व्यपिरण या अपिरण करेगा या ऐसे व्यपिरण या अपिरण
के पश्चात् ऐसे व्यखि को हिरोि में रिेगा और ऐसे व्यखि को मृत्यु काररत करिे या
उपिहत करिे के हिए िमकी देगा या अपिे इस आचरण से ऐसी युखियुि आिंका
पैदा करेगा हक ऐसे व्यखि की मृत्यु िो सकती िै या उपिहत की जा सकती िै या
कोई कायत करिे या कोई कायत करिे से प्रहवरत रििे के हिए या मुखि िि देिे के
हिए सरकार या हकसी हवदेिी राज्य या अन्तर राष्टरीय अन्तर सरकारी संगठि या हकसी
अ� व्यखि को हववि करिे के हिए ऐसे व्यखि को उपिहत करेगा या मृत्यु काररत
करेगा, वि मृत्यु से या आजीवि कारावास से दंहडत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा।
365. हकसी व्यखि का गुप्त रीहत से और सदोष परररोि करिे के आिय से
व्यपिरण या अपिरण -
जो कोई इस आिय से हकसी व्यखि का व्यपिरण या अपिरण करेगा हक उसका
गुप्त रीहत से और सदोष परररोि हकया जाए, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 365 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 41 म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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366. हववाि आहद के करिे को हववि करिे के हिए हकसी स्त्री को व्यपहृत करिा,
अपहृत करिा या उत्प्रेररत करिा -
जो कोई हकसी स्त्री का व्यपिरण या अपिरण उसकी इ�ा के हव�द्ध हकसी व्यखि
से हववाि करिे के हिए उस स्त्री को हववि करिे के आिय से या वि हववि की
जाएगी, यि संभाव्य जािते हुए अथवा अयुि संभोग करिे के हिए उस स्त्री को हववि
या हविु� करिे के हिए या वि स्त्री अयुि संभोग करिे के हिए हववि या हविु�
की जाएगी, यि सम्भाव्य जािते हुए करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा, और जो कोई हकसी स्त्री को हकसी अ� व्यखि से अयुि संभोग
करिे के हिए हववि या हविु� करिे के आिय से या वि हववि या हविु� की
जाएगी, यि संभाव्य जािते हुए इस संहिता में यथा पररभाहषत आपराहिक अहभत्रास
द्वारा अथवा प्राहिकार के दु�पयोग या हववि करिे के अ� सािि द्वारा उस स्त्री को
हकसी स्थाि से जािे को उत्प्रेररत करेगा, वि भी पूवोि प्रकार से दखण्डत हकया जाएगा।
366 क. अप्राप्तवय िड़की का उपापि -

जो कोई अठारि वषत से कम आयु की अप्राप्तवय िड़की को अ� व्यखि से अयुि
संभोग करिे के हिए हववि या हविु� करिे के आिय से या तद्द्वारा हववि या
हविु� हकया जाएगा यि संभाव्य जािते हुए ऐसी िड़की को हकसी स्थाि से जािे को
या कोई कायत करिे को हकसी भी सािि द्वारा उत्प्रेररत करेगा, वि कारावास से हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
366 ि. हवदेि से िड़की का आयात करिा -
जो कोई इक्कीस वषत से कम आयु की हकसी िड़की को भारत के बािर के हकसी
देि से या ज�ू-क�ीर राज्य से आयात, उसे हकसी अ� व्यखि से अयुि संभोग
करिे के हिए हववि या हविु� करिे के आिय से या एतद्द्वारा वि हववि या हविु�
की जाएगी यि संभाव्य जािते हुए करेगा, वि कारावास से हजसकी अवहि दस वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
367. व्यखि को घोर उपिहत, दासत्व, आहद का हवषय बिािे के उद्दे� से व्यपिरण
या अपिरण -
जो कोई हकसी व्यखि का व्यपिरण या अपिरण इसहिए करेगा हक उसे घोर उपिहत
या दासत्व का या हकसी व्यखि की प्रकृ हत हव�द्ध काम-वासिा का हवषय बिाया जाए
या बिाए जािे के ितरे में वि जैसे पड़ सकता िै वैसे उसे व्ययहित हकया जाए, या
सम्भाव्य जािते हुए करेगा हक ऐसे व्यखि को उपयुति बातों का हवषय बिाया जाएगा
या उपयुति �प से व्ययहित हकया जाएगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा।
368. व्यपहृत या अपहृत व्यखि को सदोष हछपािा या परररोि में रििा -
जो कोई यि जािते हुए हक कोई व्यखि व्यपहृत या अपहृत हकया गया िै, ऐसे व्यखि
को सदोष हछपाएगा या परररोि में रिेगा, वि उसी प्रकार दखण्डत हकया जाएगा मािो
उसिे उसी आिय या ज्ञाि या प्रयोजि से ऐसे व्यखि का व्यपिरण या अपिरण हकया
िो हजससे उसिे ऐसे व्यखि को हछपाया या परररोि में हि�द्ध रिा िै।
369. दस वषत से कम आयु के हििु के िरीर पर से चोरी करिे के आिय से
उसका व्यपिरण या अपिरण -
जो कोई दस वषत से कम आयु के हकसी हििु का इस आिय से व्यपिरण या अपिरण
करेगा हक ऐसे हििु के िरीर पर से कोई जंगम सम्पहत्त बेईमािी से िे िे, वि दोिों
में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
370. व्यखि का दुव्यातपार -
(1) जो कोई, िोषण के प्रयोजि के हिये, -

पििा - िमहकयों का प्रयोग करके; या
दू सरा - बि या हकसी भी अ� प्रकार के प्रपीड़ि का प्रयोग करके; या
तीसरा - अपिरण द्वारा; या
चौथा - कपट का प्रयोग करके या प्रवंचिा द्वारा; या
पांचवां - िखि का दु�पयोग करके; या
छठवां - उत्प्रेरणा द्वारा, हजसके अंतगतत ऐसे हकसी व्यखि की, जो भती हकए गए, पररविित,
संहश्रत, स्थािांतररत या गृिीत व्यखि पर हियंत्रण रिता िै, स�हत प्राप्त करिे के हिए
भुगताि या िायदे देिा या प्राप्त करिा भी आता िै,
हकसी व्यखि या हकन्ीं व्यखियों को भती करता िै, पररविित करता िै, संश्रय देता
िै, स्थािांतररत करता िै, या गृिीत करता िै, वि दुव्यातपार का अपराि करता िै।
स्पष्टीकरण 1- “िोषण" पद के अंतगतत िारीररक िोषण का कोई कृ त्य या हकसी प्रकार
का िैंहगक िोषण, दासता या दासता, अहिसेहवता के समाि व्यविार या अंगों का बिात्
अपसारण भी िै।
स्पष्टीकरण 2 - दुव्यातपार के अपराि के अविारण में पीहड़त की स�हत मित्विीि िै।
(2) जो कोई दुव्यातपार का अपराि करेगा वि कठोर कारावास से, हजसकी अवहि सात
वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
(3) जिां अपराि में एक से अहिक व्यखियों का दुव्यातपार अंतवतहित िै, विां वि कठोर
कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो आजीवि
कारावास तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
(4) जिां अपराि में हकसी अवयस्क का दुव्यातपार अंतवतहित िै, विां वि कठोर कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो आजीवि कारावास तक
की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
(5) जिां अपराि में एक से अहिक अवयस्कों का दुव्यातपार अंतवतहित िै, विां वि कठोर
कारावास से, हजसकी अवहि चौदि वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो आजीवि
कारावास तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
(6) यहद हकसी व्यखि को अवयस्क का एक से अहिक अवसरों पर दुव्यातपार हकए जािे
के अपराि के हिए हसद्ध दोष ठिराया जाता िै तो ऐसा व्यखि आजीवि कारावास
से, हजससे उस व्यखि के िेष प्राकृ त जीविकाि के हिए कारावास अहभप्रेत िोगा,
दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।

(7) जिां कोई िोक सेवक या कोई पुहिस अहिकारी हकसी व्यखि के दुव्यातपार में
अंतवतहित िै, विां ऐसा िोक सेवक या पुहिस अहिकारी आजीवि कारावास से, हजससे
उस व्यखि के िेष प्राकृ त जीविकाि के हिए कारावास अहभप्रेत िोगा, दंहडत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
370 क. ऐसे व्यखि का, हजसका दुव्यातपार हकया गया िै, िोषण -
(1) जो कोई यि जािते हुए या इस बात का हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक
हकसी अवयस्क का दुव्यातपार हकया गया िै, ऐसे अवयस्क को हकसी भी रीहत में िैंहगक
िोषण के हिए रिेगा वि कठोर कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत से कम की
ििीं िोगी हकन्तु जो सात वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दंडिीय िोगा।
(2) जो कोई यि जािते हुए या इस बात का हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक
हकसी व्यखि का दुव्यातपार हकया गया िै, ऐसे व्यखि को हकसी भी रीहत में िैंहगक
िोषण के हिए रिेगा, वि कठोर कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत से कम की
ििीं िोगी हकन्तु जो पांच वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दंडिीय िोगा।
371. दासों का अभ्याहसक व्यौिार करिा -
जो कोई अभ्यासतः दासों को आयात करेगा, हियातत करेगा, अपसाररत करेगा, िरीदेगा,
बेचेगा या उिका दुव्यातपार या व्यौिार करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से
हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत से अहिक ि िोगी, दखण्डत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
372. वे�ावृहत्त आहद के प्रयोजि के हिए अप्राप्तवय को बेचिा -
जो कोई अठारि वषत से कम आयु के हकसी व्यखि को इस आिय से हक ऐसा व्यखि
हकसी आयु में भी वे�ावृहत्त या हकसी व्यखि से अयुि संभोग करिे के हिए या
हकसी हवहिहव�द्ध और दुराचाररक प्रयोजि के हिए काम में िाया या उपयोग हकया
जाए या यि संभाव्य जािते हुए की ऐसा व्यखि, हकसी आयु में भी ऐसे हकसी प्रयोजि
के हिए काम में िाया जायेगा या उपयोग हकया जाएगा, बेचेगा, भाड़े पर देगा या अ�था
व्ययहित करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण 1 - जबहक अठारि वषत से कम आयु की िारी हकसी वे�ा को या हकसी
अ� व्यखि को, जो वे�ागृि चिाता िो या उसका प्रबन्ध करता िो, बेची जाए, भाड़े
पर दी जाए या अ�था व्ययहित की जाए, तब इस प्रकार ऐसी िारी को व्ययहित करिे
वािे व्यखि के बारे में, जब तक हक तत्प्रहतकू ि साहबत ि कर हदया जाए, यि उपिारणा
की जाएगी हक उसिे उसको इस आिय से व्ययहित हकया िै हक वि वे�ावृहत्त के
हिए उपयोग में िाई जाएगी।

स्पष्टीकरण 2 - “अयुि संभोग” से इस िारा के प्रयोजिों के हिए ऐसे व्यखियों में मैथुि
अहभप्रेत िै जो हववाि से संयुि ििीं िैं, या ऐसे हकसी संयोग या बंिि से संयुि ििीं
िैं जो य�हप हववाि की कोहट में तो ििीं आता तथाहप उस समुदाय की, हजसके वे िैं
या यहद वे हभन्न समुदायों के िैं तो ऐसे दोिों समुदायों की, स्वीय हवहि या �हढ़ द्वारा
उिके बीच में हववाि-सदृि सम्बन्ध अहभज्ञात हकया जाता िो।
373. वे�ावृहत्त, आहद के प्रयोजि के हिए अप्राप्तवय का िरीदिा -
जो कोई अठारि वषत से कम आयु के हकसी व्यखि को इस आिय से हक ऐसा व्यखि
हकसी आयु में भी वे�ावृहत्त या हकसी व्यखि से अयुि संभोग करिे के हिए या
हकसी हवहिहव�द्ध दुराचाररक प्रयोजि के हिए काम में िाया या उपयोग हकया जाए,
या यि संभाव्य जािते हुए हक ऐसा व्यखि हकसी आयु में भी ऐसे हकसी प्रयोजि के
हिए काम में िाया जाएगा या उपयोग हकया जाएगा, िरीदेगा, भाड़े पर िेगा, या अ�था
उसका कब्जा अहभप्राप्त करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
स्पष्टीकरण 1 - अठारि वषत से कम आयु की िारी को िरीदिे वािी, भाड़े पर िेिे वािी
या अ�था उसका कब्जा अहभप्राप्त करिे वािी हकसी वे�ा के या वे�ागृि चिािे
या उसका प्रबंि करिे वािे हकसी व्यखि के बारे में, जब तक हक तत्प्रहतकू ि साहबत
ि कर हदया जाए, यि उपिारणा की जाएगी हक ऐसी िारी का कब्जा उसिे इस आिय
से अहभप्राप्त हकया िै हक वि वे�ावृहत्त के प्रयोजिों के हिए उपयोग में िाई जाएगी।
स्पष्टीकरण 2 - “अयुि संभोग” का विी अथत िै, जो िारा 372 में िै।
374. हवहिहव�द्ध अहिवायत श्रम -
जो कोई हकसी व्यखि को उस व्यखि की इ�ा के हव�द्ध श्रम करिे के हिए
हवहिहव�द्ध तौर पर हववि करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी
अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
यौि अपराि
375. बिात्संग -
पु�ष “बिात्संग” करता िै, यहद वि -
(क) हकसी स्त्री की योहि, उसके मुंि, मूत्रमागत या गुदा में अपिा हिंग हकसी भी सीमा
तक प्रवेि करता िै। या उससे ऐसा अपिे या हकसी अ� व्यखि के साथ कराता िै;
या
(ि) हकसी स्त्री की योहि, मूत्रमागत या गुदा में ऐसी कोई वस्तु या िरीर का कोई भाग,
जो हिंग ि िो, हकसी भी सीमा तक अिुप्रहवष्ट करता िै या उससे ऐसा अपिे या हकसी
अ� व्यखि के साथ कराता िै; या

(ग) हकसी स्त्री के िरीर के हकसी भाग का इस प्रकार िस्त सािि करता िै हजससे
हक उस स्त्री की योहि, गुदा, मूत्रमागत या िरीर के हकसी भाग में प्रवेिि काररत हकया
जा सके या उससे ऐसा अपिे या हकसी अ� व्यखि के साथ कराता िै; या
(घ) हकसी स्त्री की योहि, गुदा, मूत्रमागत पर अपिा मुंि िगाता िै या उससे ऐसा अपिे
या हकसी अ� व्यखि के साथ कराता िै,
तो उसके बारे में यि किा जाएगा हक उसिे बिात्संग हकया िै, जिां ऐसा हिम्नहिखित
सात भांहत की पररखस्थहतयों में से हकसी के अिीि हकया जाता िै : -
पििा - उस स्त्री की इ�ा के हव�द्ध ।
दुसरा - उस स्त्री की स�हत के हबिा।
तीसरा - उस स्त्री की स�हत से, जब उसकी स�हत उसे या ऐसे हकसी व्यखि को,
हजससे वि हितबद्ध िै, मृत्यु या उपिहत के भय में डािकर अहभप्राप्त की गई िै।
चौथा - उस स्त्री की स�हत से, जब हक वि पु�ष यि जािता िै हक वि उसका पहत
ििीं िै और उसिे स�हत इस कारण दी िै हक वि यि हवश्वास करती िै हक वि ऐसा
अ� पु�ष िै हजससे वि हवहिपूवतक हववाहित िै या हववाहित िोिे का हवश्वास करती
िै।
पांचवां - उस स्त्री की स�हत से, जब ऐसी स�हत देिे के समय, वि हवकृ तहचत्तता या
मत्तता के कारण या उस पु�ष द्वारा व्यखिगत �प से या हकसी अ� के माध्यम से
कोई संज्ञािू�कारी या अस्वास्थ्यकर पदाथत हदए जािे के कारण, उस बात की, हजसके
बारे में वि स�हत देती िै, प्रकृ हत और पररणामों को समझिे में असमथत िै।
छठवां - उस स्त्री की स�हत से या उसके हबिा, जब वि अठारि वषत से कम आयु
की िै।
सातवां - जब वि स्त्री स�हत संसूहचत करिे में असमथत िै।
स्पष्टीकरण 1 - इस िारा के प्रयोजिों के हिए, “योहि'' के अंतगतत वृित् भगौष्ठ भी िै।
स्पष्टीकरण 2 - स�हत से कोई स्पष्ट स्वैख�क सिमहत अहभप्रेत िै, जब स्त्री ि�ों, संके तों
या हकसी प्रकार की मौखिक या अमौखिक संसूचिा द्वारा हवहिहदतष्ट िैंहगक कृ त्य में
िाहमि िोिे की इ�ा व्यि करती िै :
परन्तु ऐसी स्त्री के बारे में, जो प्रवेिि के कृ त्य का भौहतक �प से हवरोि ििीं करती
िै, मात्र इस तथ्य के कारण यि ििीं समझा जाएगा हक उसिे हवहिहदतष्ट िैंहगक
हक्रयाकिाप के प्रहत सिमहत प्रदाि की िै।
अपवाद 1 - हकसी हचहकत्सीय प्रहक्रया या अंत: प्रवेिि से बिात्संग गहठत ििीं िोगा।

अपवाद 2 - हकसी पु�ष का अपिी स्वयं की पत्नी के साथ मैथुि या िैंहगक कृ त्य, यहद
पत्नी पंद्रि वषत से कम आयु की ि िो, बिात्संग ििीं िै।
376. बिात्संग के हिए दण्ड -
(1) जो कोई, उपिारा (2) में उपबंहित मामिों के हसवाय, बिात्संग करेगा, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कठोर कारावास से, "हजसकी अवहि दस वषत से कम की ििीं िोगी
हकन्तु जो आजीवि कारावास तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दंडिीय िोगा"। [हक्रहमिि िॉ (संिोिि) अहिहियम, 2018, हदिांक – 11 अगस्त
2018 द्वारा प्रहतस्थाहपत]
(2) जो कोई -
(क) पुहिस अहिकारी िोते हुए -
(i) उस पुहिस थािे की, हजसमें ऐसा पुहिस अहिकारी हियुि िै, सीमाओं के भीतर; या
(ii) हकसी भी थािे के पररसर में; या
(ii) ऐसे पुहिस अहिकारी की अहभरक्षा में या ऐसे पुहिस अहिकारी के अिीिस्थ हकसी
पुहिस अहिकारी की अहभरक्षा में, हकसी स्त्री से बिात्संग करेगा; या
(ि) िोक सेवक िोते हुए, ऐसे िोक सेवक की अहभरक्षा में या ऐसे िोक सेवक के
अिीिस्थ हकसी िोक सेवक की अहभरक्षा में की हकसी स्त्री से बिात्संग करेगा; या
(ग) के न्द्रीय या हकसी राज्य सरकार द्वारा हकसी क्षेत्र में अहभहियोहजत सिस्त्र बिों
का कोई सदस्य िोते हुए, उस क्षेत्र में बिात्संग करेगा; या
(घ) तत् समय प्रवृत्त हकसी हवहि द्वारा या उसके अिीि स्थाहपत हकसी जेि, प्रहतप्रेषण
गृि या अहभरक्षा के अ� स्थाि के या खस्त्रयों या बािकों की हकसी संस्था के प्रबंितंत्र
या कमतचाररवृन्द में िोते हुए, ऐसी जेि, प्रहतप्रेषण गृि, स्थाि या संस्था के हकसी हिवासी
से बिात्संग करेगा; या
(ङ) हकसी अस्पताि के प्रबंितंत्र या कमतचाररवृन्द में िोते हुए, उस अस्पताि में हकसी
स्त्री से बिात्संग करेगा; या
(च) स्त्री का िातेदार, संरक्षक या अध्यापक अथवा उसके प्रहत �ास या प्राहिकारी की
िैहसयत में का कोई व्यखि िोते हुए, उस स्त्री से बिात्संग करेगा; या
(छ) सांप्रदाहयक या पंथीय हिंसा के दौराि बिात्संग करेगा; या
(ज) हकसी स्त्री से यि जािते हुए हक वि गभतवती िै बिात्संग करेगा; या
(झ) "हविोहपत" [हक्रहमिि िॉ (संिोिि) अहिहियम, 2018, हदिांक – 11 अगस्त 2018
द्वारा]

(ञ) उस स्त्री से, जो स�हत देिे में असमथत िै, बिात्संग करेगा; या
(ट) हकसी स्त्री पर हियंत्रण या प्रभाव रििे की खस्थहत में िोते हुए, उस स्त्री से
बिात्संग करेगा; या
(ठ) मािहसक या िारीररक हि:ििता से ग्रहसत हकसी स्त्री से बिात्संग करेगा; या
(ड) बिात्संग करते समय हकसी स्त्री को गंभीर िारीररक अपिाहि काररत करेगा या
हवकिांग बिाएगा या हवद्रूहपत करेगा या उसके जीवि को संकटापन्न करेगा; या
(ढ) उस स्त्री से बारबार बिात्संग करेगा,
वि कठोर कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत से कम की ििीं िोगी, हकन्तु जो
आजीवि कारावास तक की िो सके गी, हजससे उस व्यखि के िेष प्राकृ त जीविकाि
के हिए कारावास अहभप्रेत िोगा, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
"(3) जो कोई सोिि वषत की कम आयु की हकसी स्त्री से बिात्संग करेगा, वि कहठि
कारावास से, हजसकी अवहि बीस वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो आजीवि
कारावास, हजसका अहभप्राय उस व्यखि के िेष प्राकृ त जीविकाि के हिए कारावास
िोगा, तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा :
परंतु ऐसा जुमातिा पीहड़त की हचहकत्सा व्ययों और पुिवातस की पूहतत करिे के हिए
�ायोहचत और युक्‍खियुकत िोगा :
परंतु यि और हक इस उपिारा के अिीि अहिरोहपत हकसी भी जुमातिे का संदाय
पीहड़त को हकया जाएगा ।" [हक्रहमिि िॉ (संिोिि) अहिहियम, 2018, हदिांक – 11
अगस्त 2018 द्वारा प्रहतस्थाहपत]
स्पष्टीकरण - इस उपिारा के प्रयोजिों के हिए,
(क) “सिस्त्र बि" से िौसैहिक, सैहिक और वायु सैहिक अहभप्रेत िै और इसके अंतगतत
तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहि के अिीि गहठत सिस्त्र बिों का, हजसमें ऐसे अितसैहिक बि
और कोई सिायक बि भी िैं, जो के न्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के हियंत्रणािीि िैं,
कोई सदस्य भी िै;
(ि) “अस्पताि" से अस्पताि का अिाता अहभप्रेत िै और इसके अन्तगतत हकसी ऐसी संस्था
का अिाता भी िै, जो स्वास्थ्य िाभ कर रिे व्यखियों को या हचहकत्सीय देिरेि या पुिवातस
की अपेक्षा रििे वािे व्यखियों के प्रवेि और उपचार करिे के हिए िै;
(ग) “पुहिस अहिकारी" का विी अथत िोगा जो पुहिस अहिहियम, 1861 (1861 का 5)
के अिीि पुहिस पद में उसका िै;
(घ) “खस्त्रयों या बािकों की संस्था" से खस्त्रयों और बािकों को ग्रिण करिे और
उिकी देिभाि करिे के हिए स्थाहपत और अिुरहक्षत कोई संस्था अहभप्रेत िै चािे
उसका िाम अिाथािय िो या उपेहक्षत खस्त्रयों या बािकों के हिए गृि िो या हविवाओं
के हिए गृि या हकसी अ� िाम से ज्ञात कोई संस्था िो ।

376 क. पीहड़ता की मृत्यु या िगातार हवकृ तिीि दिा काररत करिे के हिए दंड -
जो कोई, िारा 376 की उपिारा (1) या उपिारा (2) के अिीि दण्डिीय कोई अपराि
करता िै और ऐसे अपराि के दौराि ऐसी कोई क्षहत पहुंचाता िै हजससे स्त्री की मृत्यु
काररत िो जाती िै या हजसके कारण उस स्त्री की दिा िगातार हवकृ तिीि िो जाती
िै, वि ऐसी अवहि के कठोर कारावास से, हजसकी अवहि बीस वषत से कम की ििीं
िोगी हकन्तु जो आजीवि कारावास तक की िो सके गी, हजससे उस व्यखि के िेष
प्राकृ त जीविकाि के हिए कारावास अहभप्रेत िोगा, या मृत्युदंड से दंहडत हकया जाएगा।
376 कि. बारि वषत से कम आयु की स्त्री से बिात्संग के हिए दंड
"जो कोई बारि वषत से कम आयु की हकसी स्त्री से बिात्संग करेगा, वि कहठि
कारावास से, हजसकी अवहि बीस वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो आजीवि,
कारावास, हजसका अहभप्राय उस व्यखि के िेष प्राकृ त जीविकाि के हिए कारावास
िोगा, तक की िो सके गी और जुमातिे से, अथवा मृत्यु से दंहडत हकया जाएगा;
परंतु ऐसा जुमातिा पीहड़त की हचहकत्सा व्ययों और पुिवातस की पूहतत करिे के हिए
�ायोहचत और युक्‍खियुकत िोगा :
परंतु यि और हक इस उपिारा के अिीि अहिरोहपत हकसी भी जुमातिे का संदाय
पीहड़त को हकया जायेगा" | [हक्रहमिि िॉ (संिोिि) अहिहियम, 2018, हदिांक – 11
अगस्त 2018 द्वारा अन्तः स्थाहपत]
376 ि. पहत द्वारा अपिी पत्नी के साथ पृथक्करण के दौराि मैथुि -
जो कोई, अपिी पत्नी के साथ, जो पृथक्करण की हडक्री के अिीि या अ�था, पृथक
रि रिी िै, उसकी स�हत के हबिा मैथुि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से हजसकी अवहि दो वषत से कम की ििीं िोगी हकन्तु जो सात वषत तक
की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दंडिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - इस िारा में, “मैथुि' से िारा 375 के िंड (क) से िंड (घ) में वहणतत
कोई कृ त्य अहभप्रेत िै।
376 ग. प्राहिकार में हकसी व्यखि द्वारा मैथुि -
जो कोई, -
(क) प्राहिकार की हकसी खस्थहत या वैश्वाहसक संबंि रिते हुए; या
(ि) कोई िोक सेवक िोते हुए; या
(ग) तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहि द्वारा या उसके अिीि स्थाहपत हकसी जेि, प्रहतप्रेषण-
गृि या अहभरक्षा के अ� स्थाि का या खस्त्रयों या बािकों की हकसी संस्था का अिीक्षक
या प्रबंिक िोते हुए; या

(घ) अस्पताि के प्रबंितंत्र या हकसी अस्पताि का कमतचाररवृन्द िोते हुए,
ऐसी हकसी स्त्री को, जो उसकी अहभरक्षा में िै या उसके भारसािि के अिीि िै या
पररसर में उपखस्थत िै, अपिे साथ मैथुि करिे िेतु, जो बिात्संग के अपराि की कोहट
में ििीं आता िै, उत्प्रेररत या हविु� करिे के हिए ऐसी खस्थहत या वैश्वाहसक संबंि का
दु�पयोग करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, जो पांच वषत से कम का
ििीं िोगा हकन्तु जो दस वषत तक का िो सके गा, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दंडिीय िोगा।
स्पष्टीकरण 1 - इस िारा में, “मैथुि' से िारा 375 के िण्ड (क) से िण्ड (घ) में वहणतत
कोई कृ त्य अहभप्रेत िोगा।
स्पष्टीकरण 2 - इस िारा के प्रयोजिों के हिए, िारा 375 का स्पष्टीकरण 1 भी िागू िोगा।
स्पष्टीकरण 3 - हकसी जेि, प्रहतप्रेषण-गृि या अहभरक्षा के अ� स्थाि या खस्त्रयों या
बािकों की हकसी संस्था के संबंि में, “अिीक्षक' के अन्तगतत कोई ऐसा व्यखि िै, जो
जेि, प्रहतप्रेषण-गृि, स्थाि या संस्था में ऐसा कोई पद िारण करता िै हजसके आिार
पर वि उसके हिवाहसयों पर हकसी प्राहिकार या हियंत्रण का प्रयोग कर सकता िै।
स्पष्टीकरण 4 - “अस्पताि’ और ‘खस्त्रयों या बािकों की संस्था' पदों का क्रमिः विी अथत
िोगा जो िारा 376 को उपिारा (2) के स्पष्टीकरण में उिका िै।
376 घ. सामूहिक बिात्संग -
जिां हकसी स्त्री से, एक या अहिक व्यखियों द्वारा, एक समूि गहठत करके या सामा�
आिय को अग्रसर करिे में कायत करते हुए बिात्संग हकया जाता िै, विां उि व्यखियों
में से प्रत्येक के बारे में यि समझा जाएगा हक उसिे बिात्संग का अपराि हकया िै
और वि ऐसी अवहि के कठोर कारावास से, हजसकी अवहि बीस वषत से कम की ििीं
िोगी हकन्तु जो आजीवि कारावास तक की िो सके गी, हजससे उस व्यखि के िेष
प्राकृ त जीविकाि के हिए कारावास अहभप्रेत िोगा, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दंडिीय िोगा:
परंतु ऐसा जुमातिा पीहड़ता के हचहकत्सकीय िचे को पूरा करिे और पुिवातस के हिए
�ायोहचत और युखियुि िोगा:
परंतु यि और हक इस िारा के अिीि अहिरोहपत कोई जुमातिा पीहड़ता को संदत्त
हकया जाएगा।
376 घक. सोिि वषत से कम आयु की स्त्री से सामूहिक बिात्संग के हिए दंड
"जिां व्यखियों के समूि में से एक या अहिक व्यखियों द्वारा सब के सामा� आिय
को अग्रसर करिे में सोिि वषत से कम आयु की हकसी स्त्री से बिात्संग हकया जाता
िै, विां ऐसे व्यखियों में से िर व्यखि के बारे में यि समझा जाएगा हक उसिे बिात्संग

हकया िै और वि आजीवि कारावास से, हजसका अहभप्राय उस व्यखि के िेष प्राकृ त
जीविकाि के हिए कारावास िोगा और जुमातिे से दंहडत हकया जाएगा ;
परंतु ऐसा जुमातिा पीहड़त की हचहकत्सा व्ययों और पुिवातस की पूहतत करिे के हिए
�ायोहचत और युखियुि िोगा :
परंतु यि और हक इस उपिारा के अिीि अहिरोहपत हकसी भी जुमातिे का संदाय
पीहड़त को हकया जाएगा ।" [हक्रहमिि िॉ (संिोिि) अहिहियम, 2018, हदिांक – 11
अगस्त 2018 द्वारा अन्तः स्थाहपत]
376 घि. बारि वषत से कम आयु की स्त्री से सामूहिक बिात्संग के हिए दंड
"जिां व्यखियों के समूि में से एक या अहिक व्यखियों द्वारा सब के सामा� आिय
को अग्रसर करिे में बारि वषत से कम आयु की हकसी स्त्री से बिात्संग हकया जाता
िै, विां ऐसे व्यखियों में से िर व्यखि के बारे में यि समझा जाएगा हक उसिे बिात्संग
हकया िै और वि आजीवि कारावास से, हजसका अहभप्राय उस व्यखि के िेष प्राकृ त
जीविकाि के हिए कारावास िोगा और जुमातिे से अथवा मृत्यु से दंहडत हकया जाएगा
:
परंतु ऐसा जुमातिा पीहड़त की हचहकत्सा व्ययों और पुिवातस की पूहतत करिे के
हिए �ायोहचत और युखियुि िोगा :
परंतु यि और हक इस उपिारा के अिीि अहिरोहपत हकसी भी जुमातिे का संदाय
पीहड़त को हकया जाएगा ।" [हक्रहमिि िॉ (संिोिि) अहिहियम, 2018, हदिांक – 11
अगस्त 2018 द्वारा अन्तः स्थाहपत]
376 ङ, पुिरावृहत्तकतात अपराहियों के हिए दंड -
जो कोई, िारा 376 या िारा 376 क या "िारा 376 कि या िारा 376 घ या िारा 376
घक या िारा 376 घि" [हक्रहमिि िॉ (संिोिि) अहिहियम, 2018, हदिांक – 11 अगस्त
2018 द्वारा प्रहतस्थाहपत] के अिीि दण्डिीय हकसी अपराि के हिये पूवत में दंहडत हकया
गया िै और तत्पश्चात उि िाराओं में से हकसी के अिीि दंडिीय हकसी अपराि के
हिए हसद्धदोष ठिराया जाता िै, आजीवि कारावास से, हजससे उस व्यखि के िेष
प्राकृ त जीविकाि के हिए कारावास अहभप्रेत िोगा, या मृत्युदंड से दंहडत हकया जाएगा।
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राज्य संिोिि
छत्तीसगढ़ - िारा 376ङ के पश्चात् हिम्नहिखित अंतःस्थाहपत हकया जाए, अथातत् :-
“376 च. कायतस्थि के भारसािक व्यखि एवं अ� का अपराि की सूचिा देिे का
दाहयत्व - जो कोई, हकसी कायतस्थि का भारसािक व्यखि िोते हुए या ऐसे स्थि में
उपखस्थत कोई अ� व्यखि, हजसे यि ज्ञाि िो हक िारा 376 या िारा 376घ के अिीि
कोई अपराि ऐसे स्थि पर काररत िो रिा िै तथा ऐसे हकसी अपराि को काररत िोिे

से रोकिे की खस्थहत में िोते हुए ऐसे हकसी अपराि को काररत िोिे से रोकिे में
अथवा अपरािी को वैि दण्ड से बचािे के आिय से ऐसे हकसी अपराि के काररत
िोिे की सूचिा हकसी भी तरीके से हकसी भी महजस्ट्रेट या पुहिस अहिकारी को देिे
में हविि रिता िै, वि ऐसे अपराि के दुष्प्रेरण के हिए दायी िोते हुए दोिों में से
हकसी भी भांहत के कारावास हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी एवं जुमातिे
के हिए दायी िोगा और ऐसे व्यखि का, ऐसी सूचिा देिे पर, कोई दाहयत्व उपगत ििीं
िोगा।
स्पष्टीकरण - कायतस्थि में सख�हित िै, स्त्री हजसके प्रहत ऐसा अपराि काररत हुआ िै,
को कायतस्थि से उसके हिवास एवं हिवास से कायतस्थि तक आवागमि के हिए
कायतस्थि के भारसािक व्यखि के स्वाहमत्व का, हकराये पर या अ�था संिि पररविि
का कोई सािि"।
[देिे दण्ड हवहि (छ.ग. संिोिि) अहिहियम, 2013 (क्र. 25 सि् 2015), िारा 5 (हदिांक
21-7-2015 से प्रभाविीि) | छ.ग., राजपत्र (असािारण) हदिांक 21-7-2015 पृष्ठ 777-778
(9) पर प्रकाहित ।]
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377. प्रकृ हत हव�द्ध अपराि -
जो कोई हकसी पु�ष, स्त्री या जीवजन्तु के साथ प्रकृ हत की व्यवस्था के हव�द्ध स्वे�या
इखन्द्रयभोग करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - इस िारा में वहणतत अपराि के हिए आव�क इखन्द्रयभोग गहठत करिे
के हिए प्रवेिि पयातप्त िै।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 377 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 41 म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित |]
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अध्याय 17 : सम्पहत्त के हव�द्ध अपरािों के हवषय में चोरी के हवषय में
378. चोरी -

जो कोई हकसी व्यखि के कब्जे में से, उस व्यखि की स�हत के हबिा कोई जंगम
संपहत्त बेईमािी से िे िेिे का आिय रिते हुए, वि संपहत्त ऐसे िेिे के हिए िटाता
िै, वि चोरी करता िै, यि किा जाता िै।
स्पष्टीकरण 1 - जब तक कोई वस्तु भूबद्ध रिती िै, जंगम संपहत्त ि िोिे से चोरी का
हवषय ििीं िोती; हकन्तु ज्यों िी वि भूहम से पृथक की जाती िै, वि चोरी का हवषय
िोिे योग्य िो जाती िै।
स्पष्टीकरण 2 - िटािा, जो उसी कायत द्वारा हकया गया िै हजससे पृथक्करण हकया गया
िै, चोरी िो सके गा।
स्पष्टीकरण 3 - कोई व्यखि हकसी चीज का िटािा काररत करता िै, यि किा जाता िै
जब वि उस बािा को िटाता िै जो उस चीज को िटािे से रोके हुए िो या जब वि
उस चीज को हकसी दू सरी चीज से पृथक करता िै तथा जब वि वास्तव में उसे िटाता
िै।
स्पष्टीकरण 4 - वि व्यखि जो हकसी सािि द्वारा हकसी जीवजन्तु का िटािा काररत
करता िै, उस जीवजन्तु को िटाता िै, यि किा जाता िै; और यि किा जाता िै हक वि
ऐसी िर एक चीज को िटाता िै जो इस प्रकार उत्पन्न की गई गहत के पररणामस्व�प
उस जीवजन्तु द्वारा िटाई जाती िै।
स्पष्टीकरण 5 - पररभाषा में वहणतत स�हत अहभव्यि या हववहक्षत िो सकती िै, और वि
या तो कब्जा रििे वािे व्यखि द्वारा, या हकसी ऐसे व्यखि द्वारा, जो उस प्रयोजि के
हिए अहभव्यि या हववहक्षत प्राहिकार रिता िै, दी जा सकती िै।
दृष्टांत -
(क) य की स�हत के हबिा य के कब्जे में से एक वृक्ष बेईमािी से िेिे के आिय
से य की भूहम पर िगे हुए उस वृक्ष को क काट डािता िै। यिां, ज्योंिी क िे इस
प्रकार िेिे के हिए उस वृक्ष को पृथक हकया, उसिे चोरी की
(ि) क अपिी जेब में कु त्तों के हिए ििचािे वािी वस्तु रिता िै, और इस प्रकार य
के कु त्तों को अपिे पीछे चििे के हिए उत्प्रेररत करता िै। यिां, यहद क का आिय य
की स�हत के हबिा य के कब्जे में से उस कु त्ते को बेईमािी से िेिा िो, तो ज्यों िी
य के कु त्ते िे क के पीछे चििा आरंभ हकया, क िे चोरी की
(ग) मूल्यवाि वस्तुओं की पेटी िे जाते हुए एक बैि क को हमिता िै। वि उस बैि
को इसहिए एक िास हदिा में िांकता िै हक वे मूल्यवाि वस्तुएं बेईमािी से िे सके
ज्यों िी उस बैि िे गहतमाि िोिा प्रारंभ हकया, क िे मूल्यवाि वस्तुएं चोरी की।
(घ) क, जो य का सेवक िै और हजसे य िे अपिी प्लेट की देिरेि �स्त कर दी
िै, य की स�हत के हबिा प्लेट को िेकर बेईमािी से भाग गया। क िे चोरी की।

(ङ) य यात्रा को जाते समय अपिी प्लेट िौटकर आिे तक, क को, जो एक भाण्डागाररक
िै, �स्त कर देता िै क उस प्लेट को एक सुिार के पास िे जाता िै और वि प्लेट
बेच देता िै। यिां वि प्लेट य के कब्जे में ििीं थी, इसहिए वि य के कब्जे में से ििीं
िी जा सकती थी और क िे चोरी ििीं की िै, चािे उसिे आपराहिक �ासभंग हकया
िो।
(च) हजस गृि पर य का अहिभोग िै उसके मेज पर य की अंगूठी क को हमिती िै।
यिां, वि अंगूठी य के कब्जे में िै, और यहद क उसको बेईमािी से िटाता िै, तो वि
चोरी करता िै।
(छ) क, को राजमागत पर पड़ी हुई अंगूठी हमिती िै, जो हकसी व्यखि के कब्जे में ििीं
िै। क िे उसके िे िेिे से चोरी ििीं की िै, भिे िी उसिे संपहत्त का आपराहिक
दुहवतहियोग हकया िो।
(ज) य के घर में मेज पर पड़ी हुई य की अंगूठी क देिता िै। तिािी और पता
िगिे के भय से उस अंगूठी का तुरन्त दुहवतहियोग करिे का सािस ि करते हुए क
उस अंगूठी को ऐसे स्थाि पर, जिां से उसका य को कभी भी हमििा अहत
अिहिसम्भाव्य िै, इस आिय से हछपा देता िै हक हछपािे के स्थाि से उस समय िे
िे और बेच दे जबहक उसका िोया जािा याद ि रिे यिां क िे, उस अंगूठी को प्रथम
बार िटाते समय चोरी की िै।
(झ) य को, जो एक जौिरी िै, क अपिी घड़ी समय ठीक करिे के हिए पररदत्त करता
िै। य उसको अपिी दुकाि पर िे जाता िै। क, हजस पर उस जौिरी का कोई ऐसा
ऋण ििीं िै, हजसके हिए हक वि जौिरी उस घड़ी को प्रहतभूहत के �प में हवहिपूवतक
रोक सके, िुिे तौर पर उस दुकाि में घुसता िै, य के िाथ से अपिी घड़ी बिपूवतक िे
िेता िै, और उसको िे जाता िै। यिां क िे भिे िी आपराहिक अहतचार और िमिा
हकया िो, उसिे चोरी ििीं की िै, क्ोंहक जो कु छ भी उसिे हकया बेईमािी से ििीं
हकया।
(ञ) यहद उस घड़ी की मर�त के संबंि में य को क से िि िोध्य िै, और यहद य
उस घड़ी को उस ऋण की प्रहतभूहत के �प में हवहिपूवतक रिे रिता िै और उस
घड़ी को य के कब्जे में से इस आिय से िे िेता िै हक य को उसके ऋण की
प्रहतभूहत �प उस सम्पहत्त से वंहचत कर दे तो उसिे चोरी की िै क्ोंहक वि
उसे बेईमािी से िेता िै।
(ट) और यहद क अपिी घड़ी य के पास पणयम करिे के बाद घड़ी के बदिे हिए
गए ऋण को चुकाए हबिा उसे य के कब्जे में से य की स�हत्त के हबिा िे िेता िै,
तो उसिे चोरी की िै, य�हप वि घड़ी उसकी अपिी िी संपहत्त िै, क्ोंहक वि उसे
बेईमािी से िेता िै।
(ठ) क एक वस्तु को उस समय तक रि िेिे के आिय से जब तक हक उसके
प्रत्यावतति के हिए पुरस्कार के �प में उसे य से िि अहभप्राप्त ि िो जाए, य की
स�हत के हबिा य के कब्जे में से िेता िै। यिां क बेईमािी से िेता िै, इसहिए क िे
चोरी की।

(ड) क, जो य का हमत्र िै, य की अिुपखस्थहत में य के पुस्तकािय में जाता िै और य
की अहभव्यि स�हत के हबिा एक पुस्तक के वि पढ़िे के हिए और वापस करिे के
आिय से िे जाता िै। यिां, यि अहि संभाव्य िै हक क िे यि हवचार हकया िो हक
पुस्तक उपयोग में िािे के हिए उसको य की हववहक्षत स�हत प्राप्त िै। यहद क का
यि हवचार था, तो क िे चोरी ििीं की िै।
(ढ) य की पत्नी से क िैरात मांगता िै। वि क को िि, भोजि और कपड़े देती िै,
हजिको क जािता िै हक वे उसके पहत य के िैं। यिां, यि अहि संभाव्य िै हक क
का यि हवचार िो हक य की पत्नी को हभक्षा देिे का प्राहिकार िै। यहद क का यि
हवचार था, तो क िे चोरी ििीं की िै।
(ण) क, य की पत्नी का जार िै। वि क को एक मूल्यवाि सम्पहत्त देती िै, हजसके
संबंि में क यि जािता िै। हक वि उसके पहत य की िै, और वि ऐसी संपहत्त िै,
हजसको देिे का प्राहिकार उसे य से प्राप्त ििीं िै। यहद क उस संपहत्त को बेईमािी
से िेता िै, तो वि चोरी करता िै।
(त) य की सम्पहत्त की अपिी स्वयं की सम्पहत्त िोिे का सद्भावपूवतक हवश्वास करते हुए
ि के कब्जे में से उस संपहत्त को क िे िेता िै। यिां, क बेईमािी से ििीं िेता, इसहिए
वि चोरी ििीं करता।
379. चोरी के हिए दण्ड -
जो कोई चोरी करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि
वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
380. हिवास-गृि, आहद में चोरी -
जो कोई ऐसे हकसी हिमातण, तम्बू या जियाि में चोरी करेगा, जो हिमातण, तम्बू या
जियाि मािव हिवास के �प में, या संपहत्त की अहभरक्षा के हिए, उपयोग में आता
िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो
सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
381. हिहपक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे की सम्पहत्त की चोरी -
जो कोई हिहपक या सेवक िोते हुए, या हिहपक या सेवक की िैहसयत में हियोहजत
िोते हुए, अपिे माहिक या हियोिा के कब्जे की हकसी संपहत्त की चोरी करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
382. चोरी करिे के हिए मृत्यु, उपिहत या अवरोि काररत करिे की तैयारी के पश्चात्
चोरी -
जो कोई चोरी करिे के हिए, या चोरी करिे के पश्चात् हिकि भागिे के हिए, या चोरी
द्वारा िी गई संपहत्त को रििे के हिए, हकसी व्यखि की मृत्यु, या उसे उपिहत या

उसका अवरोि काररत करिे की, या मृत्यु का, उपिहत का या अवरोि का भय काररत
करिे की तैयारी करके चोरी करेगा, वि कहठि कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
दृष्टांत -
(क) य के कब्जे में की संपहत्त पर क चोरी करता िै और वि चोरी करते समय अपिे
पास अपिे वस्त्रों के भीतर एक भरी हुई हपस्तौि रिता िै, हजसे उसिे य द्वारा प्रहतरोि
हकए जािे की दिा में य को उपिहत करिे के हिए अपिे पास रिा था। क िे इस
िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
(ि) क, य की जेब काटता िै, और ऐसा करिे के हिए अपिे कई साहथयों को अपिे
पास इसहिए हियुि करता िै, हक यहद य यि समझ जाए हक क्ा िो रिा िै और
प्रहतरोि करे या क को पकड़िे का प्रयत्न करे, तो वे य का अवरोि करें | क िे इस
िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
383. उद्दापि -
जो कोई हकसी व्यखि को स्वयं उस व्यखि को या हकसी अ� व्यखि को कोई क्षहत
करिे के भय में सािय डािता िै, और एतद्द्वारा इस प्रकार भय में डािे गए व्यखि
को, कोई सम्पहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत या िस्ताक्षररत या मुद्रांहकत कोई चीज, हजसे
मूल्यवाि प्रहतभूहत में पररवहततत हकया जा सके, हकसी व्यखि को पररदत्त करिे के हिए
बेईमािी से उत्प्रेररत करता िै, वि “उद्दापि” करता िै।
दृष्टांत -
(क) क यि िमकी देता िै हक यहद य िे उसको िि ििीं हदया, तो वि य के बारे
में माििाहिकारक अपमाि िेि प्रकाहित करेगा। अपिे को िि देिे के हिए वि इस
प्रकार य को उत्प्रेररत करता िै। क िे उद्दापि हकया िै।
(ि) क, य को यि िमकी देता िै हक यहद वि क को कु छ िि देिे के संबंि में
अपिे आपको आबद्ध करिे वािा एक वचिपत्र िस्ताक्षररत करके क को पररदत्त ििीं
कर देता, तो वि य के हििु को सदोष परररोि में रिेगा य वचिपत्र िस्ताक्षररत करके
पररदत्त कर देता िै। क िे उद्दापि हकया िै।
(ग) क यि िमकी देता िै हक यहद य, ि को कु छ उपज पररदत्त करािे के हिए
िाखस्तयुि बन्धपत्र िस्ताक्षररत ििीं करेगा और ि को ि देगा, तो वि य के िेत को
जोत डाििे के हिए िठै त भेज देगा और एतद्द्वारा य को वि बंिपत्र िस्ताक्षररत करिे
के हिए और पररदत्त करिे के हिए उत्प्रेररत करता िै। क िे उद्दापि हकया िै।
(घ) क, य को घोर उपिहत करिे के भय में डािकर बेईमािी से य को उत्प्रेररत करता
िै हक वि एक कोरे कागज पर िस्ताक्षर कर दे या अपिी मुद्रा िगा दे और उसे क
को पररदत्त कर दे य उस कागज पर िस्ताक्षर करके उसे क को पररदत्त कर देता िै।

यिां, इस प्रकार िस्ताक्षररत कागज मूल्यवाि प्रहतभूहत में पररवहततत हकया जा सकता िै,
इसहिए क िे उद्दापि हकया िै।
384. उद्दापि के हिए दण्ड -
जो कोई उद्दापि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसके अवहि
तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
385. उद्दापि करिे के हिए हकसी व्यखि को क्षहत के भय में डाििा -
जो कोई उद्दापि करिे के हिए हकसी व्यखि को हकसी क्षहत के पहुंचािे के भय में
डािेगा या भय में डाििे का प्रयत्न करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दखण्डत हकया
जाएगा।
386. हकसी व्यखि को मृत्यु या घोर उपिहत के भय में डािकर उद्दापि -
जो कोई हकसी व्यखि को स्वयं उसकी या हकसी अ� व्यखि की मृत्यु या घोर उपिहत
के भय में डािकर उद्दापि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
387. उद्दापि करिे के हिए हकसी व्यखि को मृत्यु या घोर उपिहत के भय में डाििा
-
जो कोई उद्दापि करिे के हिए हकसी व्यखि के स्वयं उसकी या हकसी अ� व्यखि
की मृत्यु या घोर उपिहत के भय में डािेगा या भय में डाििे का प्रयत्न करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
388. मृत्यु या आजीवि कारावास, आहद से दण्डिीय अपराि का अहभयोग िगािे की
िमकी देकर उद्दापि -
जो कोई हकसी व्यखि को स्वयं उसके हव�द्ध या हकसी अ� व्यखि के हव�द्ध यि
अहभयोग िगािे के भय में डािकर हक उसिे कोई ऐसा अपराि हकया िै, या करिे
का प्रयत्न हकया िै, जो मृत्यु से या आजीवि कारावास से या ऐसे कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दण्डिीय िै, अथवा यि हक उसिे हकसी अ� व्यखि
को ऐसा अपराि करिे के हिए उत्प्रेररत करिे का प्रयत्न हकया िै, उद्दापि करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा, तथा यहद वि अपराि ऐसा िो
जो इस संहिता की िारा 377 के अिीि दण्डिीय िै, तो वि आजीवि कारावास से
दखण्डत हकया जा सके गा।
389. उद्दापि करिे के हिए हकसी व्यखि को अपराि का अहभयोग िगािे के भय में
डाििा -

जो कोई उद्दापि करिे के हिए हकसी व्यखि को, स्वयं उसके हव�द्ध या हकसी अ�
व्यखि के हव�द्ध यि अहभयोग िगािे का भय हदििाएगा या यि भय हदििािे का
प्रयत्न करेगा हक उसिे ऐसा अपराि हकया िै या करिे का प्रयत्न हकया िै, जो मृत्यु से
या आजीवि कारावास से या दस वषत तक के कारावास से दण्डिीय िै, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा, तथा यहद वि अपराि ऐसा िो जो इस
संहिता की िारा 377 के अिीि दण्डिीय िै, तो वि आजीवि कारावास से दखण्डत
हकया जा सके गा।
िूट ओर डकै ती के हवषय में
390. िूट -
सब प्रकार की िूट में या तो चोरी या उद्दापि िोता िै।
चोरी कब िूट िै - चोरी “िूट" िै, यहद उस चोरी को करिे के हिए, या उस चोरी के
करिे में या उस चोरी द्वारा अहभप्राप्त सम्पहत्त को िे जािे या िे जािे का प्रयत्न करिे
में, अपरािी उस उद्दे� से स्वे�या हकसी व्यखि की मृत्यु या उपिहत या उसको सदोष
अवरोि या तत्काि मृत्यु का, या तत्काि उपिहत का, या तत्काि सदोष अवरोि का भय
काररत करता िै या काररत करिे का प्रयत्न करता िै।
उद्दापि कब िूट िै - उद्दापि “िूट" िै, यहद अपरािी वि उद्दापि करते समय भय में
डािे गए व्यखि की उपखस्थहत में िै, और उस व्यखि को स्वयं उसकी या हकसी अ�
व्यखि की तत्काि मृत्यु या तत्काि उपिहत या तत्काि सदोष अवरोि के भय में
डािकर वि उद्दापि करता िै और इस प्रकार भय में डािकर इस प्रकार भय में डािे
गए व्यखि को उद्दापि की जािे वािी चीज उसी समय और विां िी पररदत्त करिे के
हिए उत्प्रेररत करता िै।
स्पष्टीकरण - अपरािी का उपखस्थत िोिा किा जाता िै, यहद वि उस अ� व्यखि को
तत्काि मृत्यु के, तत्काि उपिहत के, या तत्काि सदोष अवरोि के भय में डाििे के
हिए पयातप्त �प से हिकट िो।
दृष्टांत -
(क) क, य को दबोच िेता िै, और य के कपड़े में से य का िि और आभूषण य की
स�हत के हबिा कपट पूवतक हिकाि िेता िै, यिां क िे चोरी की िै, और वि चोरी
करिे के हिए स्वे�या य का सदोष अवरोि काररत करता िै। इसहिए क िे िूट की
िै।
(ि) क, य को राजमागत पर हमिता िै, एक हपस्तौि हदििाता िै और य की थैिी
मांगता िै। पररणामस्व�प य अपिी थैिी दे देता िै। यिां, क िे य को तत्काि उपिहत
का भय हदििाकर थैिी उद्दाहपत की िै और उद्दापि करते समय वि उसकी उपखस्थहत
में िै। अतः क िे िूट की िै।

(ग़) क राजमागत पर य और य के हििु से हमिता िै। क उस हििु को पकड़ िेता
िै और यि िमकी देता िै हक यहद य उसको अपिी थैिी ििीं पररदत्त कर देता, तो
वि उस हििु को कगार से िीचे िें क देगा पररणामस्व�प य अपिी थैिी पररदत्त कर
देता िै। यिां, क िे य को यि भय काररत करके हक वि हििु को, जो विां उपखस्थत
िै, तत्काि उपिहत करेगा, य से उसकी थैिी उद्दाहपत की िै। इसहिए क िे य को िूटा
िै।
(घ) क, य से यि किकर, सम्पहत्त अहभप्राप्त करता िै हक तुम्हारा हििु मेरी टोिी के
िाथों में िै, यहद तुम िमारे पास दस िजार �पये ििीं भेज दोगे, तो वि मार डािा
जाएगा। यि उद्दापि िै, और इसी �प में दण्डिीय िैं; हकन्तु यि िूट ििीं िै जब तक
हक य को उसके हििु की तत्काि मृत्यु के भय में ि डािा जाए।
391. डकै ती -
जब हक पांच या अहिक व्यखि संयुि िोकर िूट करते िैं या करिे का प्रयत्न करते
िैं या जिां हक वे व्यखि, जो संयुि िोकर िूट करते िैं, या करिे का प्रयत्न करते िैं,
और वे व्यखि जो उपखस्थत िैं और ऐसे िूट के हकए जािे या ऐसे प्रयत्न में मदद
करते िैं, कु ि हमिाकर पांच या अहिक िैं, तब िर व्यखि जो इस प्रकार िूट करता
िै, या उसका प्रयत्न करता िै या उसमें मदद करता िै, किा जाता िै हक वि “डकै ती”
करता िै।
392. िूट के हिए दण्ड -
जो कोई िूट करेगा, वि कहठि कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो
सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा, और यहद िूट राजमागत
पर सूयातस्त और सूयोदय के बीच की जाए तो कारावास चौदि वषत तक का िो सके गा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 392 के अिीि अपराि "सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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393. िूट करिे का प्रयत्न -
जो कोई िूट करिे का प्रयत्न करेगा, वि कहठि कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत
तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 393 के अिीि अपराि "सत्र �ायािय'' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिे म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
--------------------------------------------------------------
394. िुट करिे में स्वे�या उपिहत काररत करिा -
यहद कोई व्यखि िूट करिे में या िूट का प्रयत्न करिे में स्वे�या उपिहत काररत
करेगा, तो ऐसा व्यखि और जो कोई अ� व्यखि ऐसी िूट करिे में, या िूट का प्रयत्न
करिे में संयुि तौर पर संपृि िोगा वि आजीवि कारावास से या कहठि कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 394 के अिीि अपराि "सत्र �ायािय'' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 117-158 पर प्रकाहित ।]
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395. डकै ती के हिए दण्ड -
जो कोई डकै ती करेगा, वि आजीवि कारावास से, या कहठि कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
396. ित्या सहित डकै ती -
यहद ऐसे पांच या अहिक व्यखियों में से, जो संयुि िोकर डकै ती कर रिे िों, कोई
एक व्यखि इस प्रकार डकै ती करिे में ित्या कर देगा, तो उि व्यखियों में से िर
व्यखि मृत्यु से, या आजीवि कारावास से, या कहठि कारावास से, हजसकी अवहि दस
वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
397. मृत्यु या घोर उपिहत काररत करिे के प्रयत्न के साथ िूट या डकै ती -
यहद िूट या डकै ती करते समय अपरािी हकसी घातक आयुि का उपयोग करेगा, या
हकसी व्यखि को घोर उपिहत काररत करेगा, या हकसी व्यखि की मृत्यु काररत करिे

या उसे घोर उपिहत काररत करिे का प्रयत्न करेगा, तो वि कारावास, हजससे ऐसा
अपरािी दखण्डत हकया जाएगा, सात वषत से कम का ििीं िोगा।
398. घातक आयुि से सखित िोकर िूट या डकै ती करिे का प्रयत्न -
यहद िूट या डकै ती करिे का प्रयत्न करते समय, अपरािी हकसी घातक आयुि से
सखित िोगा, तो वि कारावास, हजससे ऐसा अपरािी दखण्डत हकया जाएगा, सात वषत से
कम का ििीं िोगा
399. डकै ती करिे के हिए तैयारी करिा -
जो कोई डकै ती करिे के हिए कोई तैयारी करेगा, वि कहठि कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
400. डाकु ओं की टोिी का िोिे के हिए दण्ड -
जो कोई इस अहिहियम के पाररत िोिे के पश्चात् हकसी भी समय ऐसे व्यखियों की
टोिी का िोगा, जो अभ्यासतः डकै ती करिे के प्रयोजि से सियुि िों, वि आजीवि
कारावास से, या कहठि कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
401. चोरों की टोिी का िोिे के हिए दण्ड -
जो कोई इस अहिहियम के पाररत िोिे के पश्चात् हकसी भी समय ऐसे व्यखियों की
हकसी घूमती-हिरती या अ� टोिी का िोगा जो, अभ्यासतः चोरी या िूट करिे के
प्रयोजि से सियुि िों और वि टोिी ठगों या डाकु ओं की टोिी ि िो, वि कहठि
कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
402. डकै ती करिे के प्रयोजि से एकहत्रत िोिा -
जो कोई इस अहिहियम के पाररत िोिे के पश्चात् हकसी भी समय डकै ती करिे के
प्रयोजि से एकहत्रत पांच या अहिक व्यखियों में से एक िोगा, वि कहठि कारावास से,
हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा।
संपहत्त के आपराहिक दुहवतहियोग के हवषय में
403. संपहत्त का बेईमािी से दुहवतहियोग -
जो कोई बेईमािी से हकसी जंगम संपहत्त का दुहवतहियोग करेगा या उसको अपिे उपयोग
के हिए संपररवहततत कर िेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।

दृष्टांत -
(क) क, य की संपहत्त को उस समय जबहक क उस संपहत्त को िेता िै, यि हवश्वास
रिते हुए हक वि संपहत्त उसी की िै, य के कब्जे में से सद्भावपूवतक िेता िै। क, चोरी
का दोषी ििीं िै। हकन्तु यहद क अपिी भूि मािूम िोिे के पश्चात् उस संपहत्त का
बेईमािी से अपिे हिए हवहियोग कर िेता िै, तो वि इस िारा के अिीि अपराि का
दोषी िै।
(ि) क, जो य का हमत्र िै, य की अिुपखस्थहत में य के पुस्तकािय में जाता िै और य
की अहभव्यि स�हत के हबिा एक पुस्तक िे जाता िै। यिां, यहद क का यि हवचार
था हक पढ़िे के प्रयोजि के हिए पुस्तक िेिे की उसको य की हववहक्षत स�हत प्राप्त
िै, तो क िे चोरी ििीं की िै। हकन्तु यहद क बाद में उस पुस्तक को अपिे िायदे के
हिए बेच देता िै, तो वि इस िारा के अिीि अपराि का दोषी िै।
(ग) क और ि एक घोड़े के संयुि स्वामी िैं। क उस घोड़े को उपयोग में िािे के
आिय से ि के कब्जे में से उसे िे जाता िै। यिां, क को उस घोडे को उपयोग में
िािे का अहिकार िै, इसहिए वि उसका बेईमािी से दुहवतहियोग ििीं िै। हकन्तु यहद
क उस घोड़े को बेच देता िै, और संपूणत आगम का अपिे हिए हवहियोग कर िेता िै,
तो वि इस िारा के अिीि अपराि का दोषी िै।
स्पष्टीकरण 1 - के वि कु छ समय के हिए बेईमािी से दुहवतहियोग करिा इस िारा के
अथत के अन्तगतत दुहवतहियोग िै।
दृष्टांत -
क को य का एक सरकारी वचि पत्र हमिता िै, हजस पर हिरंक पृष्ठांकि िै। क, यि
जािते हुए हक वि वचिपत्र य का िै; उसे ऋण के हिए प्रहतभूहत के �प में बैंकार के
पास इस आिय से हगरवी रि देता िै हक वि भहवष्य में उसे य को प्रत्यावहततत कर
देगा। क िे इस िारा के अिीि अपराि हकया िै।
स्पष्टीकरण 2 - हजस व्यखि को ऐसी संपहत्त पड़ी हमि जाती िै, जो हकसी अ� व्यखि
के कब्जे में ििीं िै। और वि उसके स्वामी के हिए उसको संरहक्षत रििे या उसके
स्वामी को उसे प्रत्यावहततत करिे के प्रयोजि से ऐसी संपहत्त को िेता िै, वि ि तो
बेईमािी से उसे िेता िै और ि बेईमािी से उसका दुहवतहियोग करता िै, और हकसी
अपराि का दोषी ििीं िै, हकन्तु वि ऊपर पररभाहषत अपराि का दोषी िै, यहद वि
उसके स्वामी को जािते हुए या िोज हिकाििे के सािि रिते हुए अथवा उसके
स्वामी को िोज हिकाििे और सूचिा देिे के युखियुि सािि उपयोग में िािे और
उसके स्वामी को उसकी मांग करिे को समथत करिे के हिए उस संपहत्त को युखियुि
समय तक रिे रििे के पूवत उसको अपिे हिए हवहियोहजत कर िेता िै।
ऐसी दिा में युखियुि सािि क्ा िै, या युखियुि समय क्ा िै, यि तथ्य का प्रश्न
िै।

यि आव�क ििीं िै हक पािे वािा यि जािता िो हक संपहत्त का स्वामी कौि िै या
यि हक कोई हवहिष्ट व्यखि उसका स्वामी िै। यि पयातप्त िै हक उसको हवहियोहजत
करते समय उसे यि हवश्वास ििीं िै हक वि उसकी अपिी संपहत्त िै, या सद्भावपूवतक
यि हवश्वास िै हक उसका असिी स्वामी ििीं हमि सकता।
दृष्टांत -
(क) क को राजमागत पर एक �पया पड़ा हमिता िै। यि ि जािते हुए हक वि �पया
हकसका िै क उस �पए को उठा िेता िै। यिां क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि
ििीं हकया िै।
(ि) क को सड़क पर एक हचट्ठी पड़ी हमिती िै, हजसमें एक बैंक िोट िै। उस हचट्ठी
में हदए हुए हिदेि और हवषयवस्तु से उसे ज्ञात िो जाता िै हक वि िोट हकसका िै।
वि उस िोट का हवहियोग कर िेता िै। वि इस िारा के अिीि अपराि का दोषी िै।
(ग) वािक-देय एक चेक क को पड़ा हमिता िै। वि उस व्यखि के संबंि में हजसका
चेक िोया िै, कोई अिुमाि ििीं िगा सकता, हकन्तु उस चेक पर उस व्यखि का िाम
हििा िै, हजसिे वि चेक हििा िै। क यि जािता िै हक वि व्यखि क को उस व्यखि
का पता बता सकता िै हजसके पक्ष में वि चेक हििा गया था, क उसके स्वामी को
िोजिे का प्रयत्न हकए हबिा उस चेक का हवहियोग कर िेता िै। वि इस िारा के
अिीि अपराि का दोषी िै। |
(घ) क देिता िै हक य की थैिी, हजसमें िि िै, य से हगर गई िै। क वि थैिी य
को प्रत्यावहततत करिे के आिय से उठा िेता िै। हकन्तु तत्पश्चात उसे अपिे उपयोग के
हिए हवहियोहजत कर िेता िै। क िे इस िारा के अिीि अपराि हकया िै।
(ङ) क को एक थैिी, हजसमें िि िै, पड़ी हमिती िै। वि ििीं जािता िै हक वि
हकसकी िै। उसके पश्चात् उसे यि पता चि जाता िै हक वि य की िै, और वि उसे
अपिे उपयोग के हिए हवहियुि कर िेता िै। क इस िारा के अिीि अपराि का दोषी
िै।
(च) क को एक मूल्यवाि अंगूठी पड़ी हमिती िै। वि ििीं जािता िै हक वि हकसकी
िै। क उसके स्वामी को िोज हिकाििे का प्रयत्न हकए हबिा उसे तुरन्त बेच देता िै।
क इस िारा के अिीि अपराि का दोषी िै।
404. ऐसी सम्पहत्त का बेईमािी से दुहवतहियोग जो मृत व्यखि की मृत्यु के समय
उसके कब्जे में थी -
जो कोई हकसी सम्पहत्त को, यि जािते हुए हक ऐसी संपहत्त हकसी व्यखि की मृत्यु के
समय उस मृत व्यखि के कब्जे में थी, और तब से हकसी व्यखि के कब्जे में ििीं रिी
िै, जो ऐसे कब्जे का वैि �प से िकदार िै, बेईमािी से दुहवतहियोहजत करेगा या अपिे
उपयोग में संपररवहततत कर िेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय

िोगा, और यहद वि अपरािी, ऐसे व्यखि की मृत्यु के समय हिहपक या सेवक के �प
में उसके द्वारा हियोहजत था, तो कारावास सात वषत तक का िो सके गा।
दृष्टांत -
य के कब्जे में ििीचर और िि था। वि मर जाता िै। उसका सेवक क, उस िि के
हकसी ऐसे व्यखि के कब्जे में आिे से पूवत, जो ऐसे कब्जे का िकदार िै, बेईमािी से
उसका दुहवतहियोग करता िै। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
आपराहयक �ासभंग के हवषय में
405. आपराहिक �ासभंग -
जो कोई संपहत्त या संपहत्त पर कोई अखख्तयार हकसी प्रकार अपिे को �स्त हकए जािे
पर उस संपहत्त का बेईमािी से दुहवतहियोग कर िेता िै या उसे अपिे उपयोग में
संपररवहततत कर िेता िै या हजस प्रकार ऐसा �ास हिवतिि हकया जािा िै, उसको
हवहित करिे वािी हवहि के हकसी हिदेि का, या ऐसे �ास के हिवतिि के बारे में
उसके द्वारा की गई हकसी अहभव्यि या हववहक्षत वैि संहवदा का अहतक्रमण करके
बेईमािी से उस संपहत्त का उपयोग या व्ययि करता िै, या जािबूझकर हकसी अ�
व्यखि का ऐसा करिा सिि करता िै, वि “आपराहिक �ासभंग" करता िै |
स्पष्टीकरण 1 - जो व्यखि हकसी स्थापि का हियोजक िोते हुए, चािे वि स्थापि कमतचारी
भहवष्य हिहि और प्रकीणत उपबंि अहिहियम, 1952 (1952 का 19) की िारा 17 के अिीि
छू ट प्राप्त िै या ििीं, तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहि द्वारा स्थाहपत भहवष्य हिहि या कु टुंब
पेंिि-हिहि में जमा करिे के हिए कमतचारी-अहभदाय की कटौती कमतचारी को संदेय
मजदू री में से करता िै उसके बारे में यि समझा जाएगा हक उसके द्वारा इस प्रकार
कटौती हकए गए अहभदाय की रकम उसे �स्त कर दी गई िै और यहद वि उि
हिहि में ऐसे अहभदाय का संदाय करिे में, उि हवहि का अहतक्रमण करके व्यहतक्रम
करेगा तो उसके बारे में यि समझा जाएगा हक उसिे यथापूवोि हवहि के हकसी
हिदेि का अहतक्रमण करके उि अहभदाय की रकम का बेईमािी से उपयोग हकया
िै।
स्पष्टीकरण 2 - जो व्यखि, हियोजक िोते हुए, कमतचारी राज्य बीमा अहिहियम, 1948 (1948
का 34) के अिीि स्थाहपत कमतचारी राज्य बीमा हिगम द्वारा िाररत और िाहसत कमतचारी
राज्य बीमा हिगम हिहि में जमा करिे के हिए कमतचारी को संदेय मजदू री में से
कमतचारी-अहभदाय की कटौती करता िै, उसके बारे में यि समझा जाएगा हक उसे
अहभदाय की वि रकम �स्त कर दी गई िै, हजसकी उसिे इस प्रकार कटौती की िै
और यहद वि उि हिहि में ऐसे अहभदाय के संदाय करिे में, उि अहिहियम का
अहतक्रमण करके, व्यहतक्रम करता िै, तो उसके बारे में यि समझा जाएगा हक उसिे
यथापूवोि हवहि के हकसी हिदेि का अहतक्रमण करके उि अहभदाय की रकम का
बेईमािी से उपयोग हकया िै।
दृष्टांत -

(क) क एक मृत व्यखि की हवि का हिष्पादक िोते हुए उस हवहि की, जो चीजबस्त
को हवि के अिुसार हवभाहजत करिे के हिए उसको हिदेि देती िै, बेईमािी से अवज्ञा
करता िै, और उस चीजबस्त को अपिे उपयोग के हिए हवहियुि कर िेता िै। क िे
आपराहिक �ासभंग हकया िै।
(ि) क भांडागाररक िै। य यात्रा को जाते हुए अपिा ििीचर क के पास उस संहवदा
के अिीि �स्त कर जाता िै हक वि भांडागार के कमरे के हिए ठिराई गई राहि के
दे हदए जािे पर िौटा हदया जाएगा। क उस माि को बेईमािी से बेच देता िै। क िे
आपराहिक �ासभंग हकया िै।
(ग) क, जो किकत्ता में हिवास करता िै, य का, जो हदली में हिवास करता िै, अहभकतात
िै क और य के बीच यि अहभव्यि या हववहक्षत संहवदा िै हक य द्वारा क को प्रेहषत
सब राहियां क द्वारा य के हिदेि के अिुसार हवहिहित की जाएं गी। य, क को इि
हिदेिों के साथ एक िाि �पये भेजता िै हक उसको कं पिी पत्रों में हवहिहित हकया
जाए क उि हिदेिों की बेईमािी से अवज्ञा करता िै और उस िि को अपिे कारोबार
के उपयोग में िे आता िै। क िे आपराहिक �ासभंग हकया िै।
(घ) हकन्तु यहद हपछिे दृष्टांत में क बेईमािी से ििीं प्रत्युत सद्भावपूवतक यि हवश्वास
करते हुए हक बैंक ऑि बंगाि में अंि िारण करिा य के हिए अहिक िायदाप्रद
िोगा, य के हिदेिों की अवज्ञा करता िै, और कं पिी पत्र िरीदिे के बजाय य के हिए
बैंक ऑि बंगाि के अंि िरीदता िै, तो य�हप य को िाहि िो जाए, और उस िाहि
के कारण, वि क के हव�द्ध हसहवि कायतवािी करिे का िकदार िो, तथाहप यतः क िे,
बेईमािी से कायत ििीं हकया िै, उसिे आपराहिक �ासभंग ििीं हकया िै।
(ङ) एक राजस्व ऑहिसर, क के पास िोक िि �स्त हकया गया िै और वि उस
सब िि को, जो उसके पास �स्त हकया गया िै, एक हिहश्चत िजािे में जमा कर देिे
के हिए या तो हवहि द्वारा हिदेहित िै या सरकार के साथ अहभव्यि या हववहक्षत
संहवदा द्वारा आबद्ध िै। क उस िि को बेईमािी से हवहियोहजत कर िेता िै। क िे
आपराहिक �ासभंग हकया िै।
(च) भूहम से या जि से िे जािे के हिए य िे क के पास, जो एक वािक िै, संपहत्त
�स्त की िै, क उस संपहत्त का बेईमािी से दुहवतहियोग कर िेता िै। क िे आपराहिक
�ासभंग हकया िै।
406. आपराहिक �ासभंग के हिए दण्ड -
जो कोई आपराहिक �ासभंग करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
407. वािक, आहद द्वारा आपराहिक �ासभंग -
जो कोई वािक, घाटवाि या भाण्डागाररक के �प में अपिे पास संपहत्त �स्त हकए
जािे पर ऐसी संपहत्त के हवषय में आपराहिक �ासभंग करेगा, वि दोिों में से हकसी

भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
408. हिहपक या सेवक द्वारा आपराहिक �ासभंग -
जो कोई हिहपक या सेवक िोते हुए, या हिहपक या सेवक के �प में हियोहजत िोते
हुए, और इस िाते हकसी प्रकार संपहत्त, या संपहत्त पर कोई भी अखख्तयार अपिे में
�स्त िोते हुए, उस संपहत्त के हवषय में आपराहिक �ासभंग करेगा, वि दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
409. िोक-सेवक द्वारा या बैंकार, व्यापारी या अहभकतात द्वारा आपराहिक �ासभंग -
जो कोई िोक-सेवक के िाते अथवा बैंकार, व्यापारी, िै क्टर, दिाि, अटिी या अहभकतात
के �प में अपिे कारबार के अिुक्रम में हकसी प्रकार संपहत्त, या संपहत्त पर कोई भी
अख्तयार अपिे को �स्त िोते हुए उस संपहत्त के हवषय में आपराहिक �ासभंग करेगा,
वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 409 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय'' द्वारा हवचारणीय िै ।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4 | म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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चुराई हुईं संपहत्त प्राप्त करिे के हवषय में
410. चुराई हुई संपहत्त -
वि संपहत्त, हजसका कब्जा चोरी द्वारा या उद्दापि द्वारा या िूट द्वारा अन्तररत हकया
गया िै, और वि संपहत्त, हजसका आपराहिक दुहवतहियोग हकया गया िै, या हजसके बारे
में आपराहिक �ासभंग हकया गया िै, “चुराई हुई संपहत्त' कििाती िै, चािे वि अन्तरण
या वि दुहवतहियोग या �ासभंग भारत के भीतर हकया गया िो या बािर हकन्तु यहद
ऐसी संपहत्त तत्पश्चात ऐसे व्यखि के कब्जे में पहुंच जाती िै, जो उसके कब्जे के हिए
वैि �प से िकदार िै, तो वि चुराई हुई संपहत्त ििीं रि जाती ।
411. चुराई हुई संपहत्त को बेईमािी से प्राप्त करिा -
जो कोई हकसी चुराई हुई संपहत्त को, यि जािते हुए या हवश्वास करिे का कारण रिते
हुए हक वि चुराई हुई संपहत्त िै, बेईमािी से प्राप्त करेगा या रिेगा, वि दोिों में से

हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से दखण्डत हकया जाएगा ।
412. ऐसी संपहत्त को बेईमािी से प्राप्त करिा जो डकै ती करिे में चुराई गई िै -
जो कोई ऐसी चुराई हुई संपहत्त को बेईमािी से प्राप्त करेगा या रिे रिेगा, हजसके
कब्जे के हवषय में वि यि जािता िै या हवश्वास करिे का कारण रिता िै हक वि
डकै ती द्वारा अन्तररत की गई िै, अथवा हकसी ऐसे व्यखि से, हजसके संबंि में वि यि
जािता िै या हवश्वास करिे का कारण रिता िै हक वि डाकु ओं की टोिी का िै या
रिा िै, ऐसी संपहत्त, हजसके हवषय में वि यि जािता िै या हवश्वास करिे का कारण
रिता िै हक वि चुराई हुई िै, बेईमािी से प्राप्त करेगा, वि आजीवि कारावास से, या
कहठि कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा,
और जुमातिे से भी, दण्डिीय िोगा।
413. चुराई हुई संपहत्त का अभ्यासत: व्यापार करिा -
जो कोई ऐसी संपहत्त, हजसके संबंि में, वि यि जािता िै, या हवश्वास करिे का कारण
रिता िै हक वि चुराई हुई संपहत्त िै, अभ्यासतः प्राप्त करेगा, या अभ्यासतः उसमें
व्यविार करेगा, वि,आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा ।
414. चुराई हुई संपहत्त हछपािे में सिायता करिा -
जो कोई संपहत्त को हछपािे में, या व्ययहित करिे में, या इिर-उिर करिे में स्वे�या
सिायता करेगा, हजसके हवषय में वि यि जािता िै या हवश्वास करिे का कारण रिता
िै हक वि चुराई हुई संपहत्त िै, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
छि के हवषय में
415. छि -
जो कोई हकसी व्यखि से प्रवंचिा कर उस व्यखि को, हजसे इस प्रकार प्रवंहचत हकया
गया िै, कपटपूवतक या बेईमािी से उत्प्रेररत करता िै हक वि कोई संपहत्त हकसी व्यखि
को पररदत्त कर दे, या यि स�हत दे दे हक कोई व्यखि हकसी संपहत्त को रि रिे
या सािय उस व्यखि को, हजसे इस प्रकार प्रवंहचत हकया गया िै, उत्प्रेररत करता िै
हक वि ऐसा कोई कायत करे, या करिे का िोप करे हजसे वि यहद उसे इस प्रकार
प्रवंहचत ि हकया गया िोता तो, ि करता, या करिे का िोप ि करता, और हजस कायत
या िोप से उस व्यखि को िारीररक, मािहसक, ख्ाहत संबंिी या सांपहत्तक िुकसाि या
अपिाहि काररत िोती िै, या काररत िोिी संभाव्य िै, वि “छि” करता िै, यि किा
जाता िै।
स्पष्टीकरण - तथ्यों का बेईमािी से हछपािा इस िारा के अथत के अन्तगतत प्रवंचिा िै।

दृष्टांत -
(क) क हसहवि सेवा में िोिे का हमथ्या अपदेि करके सािय य से प्रवंचिा करता िै,
और इस प्रकार बेईमािी से य को उत्प्रेररत करता िै हक वि उसे उिार पर माि िे
िेिे दे, हजसका मूल्य चुकािे का उसका इरादा ििीं िै। क छि करता िै।
(ि) क एक वस्तु पर कू टकृ त हचन् बिाकर य से सािय प्रवंचिा करके उसे यि
हवश्वास कराता िै हक वि वस्तु हकसी प्रहसद्ध हवहिमातता द्वारा बिाई गई िै, और इस
प्रकार उस वस्तु, का क्रय करिे और उसका मूल्य चुकािे के हिए य को बेईमािी से
उत्प्रेररत करता िै। क छि करता िै।
(ग) क, य को हकसी वस्तु का िकिी सेंपि हदििाकर य से सािय प्रवंचिा करके,
उसे यि हवश्वास कराता िै हक वि वस्तु उस सेंपि के अिु�प िै, और तद्द्वारा उस
वस्तु को िरीदिे और उसका मूल्य चुकािे के हिए य को बेईमािी से उत्प्रेररत करता
िै। क छि करता िै।
(घ) क हकसी वस्तु का मूल्य देिे में ऐसी कोठी पर हुंडी करके, जिां क का कोई िि
जमा ििीं िै, और हजसके द्वारा क को हुंडी का अिादर हकए जािे की प्रत्यािा िै,
आिय से य की प्रवंचिा करता िै, और एतद्द्वारा बेईमािी से य को उत्प्रेररत करता िै
हक वि वस्तु पररदत्त कर दे हजसका मूल्य चुकािे का उसका आिय ििीं िै। क छि
करता िै।
(ङ) क ऐसे िगों को हजिको वि जािता िै हक वे िीरे ििीं िैं, िीरों के �प में हगरवी
रि कर य से सािय प्रवंचिा करता िै, और एतद्द्वारा िि उिार देिे के हिए य को
बेईमािी से उत्प्रेररत करता िै। क छि करता िै।
(च) क सािय प्रवंचिा करके य को यि हवश्वास कराता िै हक क को जो िि य
उिार देगा उसे वि चुका देगा, और तद्द्वारा बेईमािी से य को उत्प्रेररत करता िै हक
वि उसे िि उिार दे दे, जबहक क का आिय उस िि को चुकािे का ििीं िै। क
छि करता िै।
(छ) क, य से सािय प्रवंचिा करके यि हवश्वास हदिाता िै हक क का इरादा य को
िीि के पौिों का एक हिहश्चत पररमाण पररदत्त करिे का िै, हजसको पररदत्त करिे का
उसका आिय ििीं िै, और तद्द्वारा ऐसे पररदाि के हवश्वास पर अहग्रम िि देिे के हिए
य को बेईमािी से उत्प्रेररत करता िै। क छि करता िै। यहद क िि अहभप्राप्त करते
समय िीि पररदत्त करिे का आिय रिता िो, और उसके पश्चात् अपिी संहवदा भंग
कर दे और वि उसे पररदत्त ि करे, तो वि छि ििीं करता िै, हकन्तु संहवदा भंग
करिे के हिए के वि हसहवि कायतवािी के दाहयत्व के अिीि िै।
(ज) क सािय प्रवंचिा करके य को यि हवश्वास हदिाता िै हक क िे य के साथ की
गई संहवदा के अपिे भाग का पािि कर हदया िै, जबहक उसका पािि उसिे ििीं
हकया िै, और तद्द्वारा य को बेईमािी से उत्प्रेररत करता िै हक वि िि दे | क छि
करता िै।

(झ) क, ि को एक संपदा बेचता और िस्तांतररत करता िै। क यि जािते हुए हक
ऐसे हवक्रय के पररणामस्व�प उस संपहत्त पर उसका कोई अहिकार ििीं िै, ि को
हकये गए पूवत हवक्रय और िस्तांतरण के तथ्य को प्रकट ि करते हुए उसे य के िाथ
बेच देता िै या बंिक रि देता िै, और य से हवक्रय या बंिक िि प्राप्त कर िेता िै।
क छि करता िै।
416. प्रहत�पण द्वारा छि -
कोई व्यखि “प्रहत�पण" द्वारा छि करता िै, यि तब किा जाता िै, जब वि यि
अपदेि करके हक वि कोई अ� व्यखि िै, या एक व्यखि को हकसी अ� व्यखि के
�प में जािते हुए प्रहतस्थाहपत करके, या यि व्यपहदष्ट करके हक वि या कोई अ�
व्यखि, कोई ऐसा व्यखि िै, जो वस्तुतः उससे या अ� व्यखि से हभन्न िै, छि करता
िै।
स्पष्टीकरण - यि अपराि िो जाता िै चािे वि व्यखि हजसका प्रहत�पण हकया गया
िै, वास्तहवक व्यखि िो या काल्पहिक।
दृष्टांत -
(क) क, उसी िाम का अमुक ििवाि बैंकर िै इस अपदेि द्वारा छि करता िै। क
प्रहत�पण द्वारा छि करता िै।
(ि) ि, हजसकी मृत्यु िो चुकी िै, िोिे का अपदेि करिे द्वारा क छि करता िै। क
प्रहत�पण द्वारा छि करता िै।
417. छि के हिए दण्ड -
जो कोई छि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक
वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दंहडत हकया जाएगा।
418. इस ज्ञाि के साथ छि करिा हक उस व्यखि को सदोष िाहि िो सकती िै
हजसका हित संरहक्षत रििे के हिए अपरािी आबद्ध िै -
जो कोई इस ज्ञाि के साथ छि करेगा हक यि संभाव्य िै हक वि तद्द्वारा उस व्यखि
को सदोष िाहि पहुंचाए, हजसका हित उस संव्यविार में हजससे वि छि संबंहित िै,
संरहक्षत रििे के हिए वि या तो हवहि द्वारा, या वैि संहवदा द्वारा आबद्ध था, वि दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या
जुमातिे से, या दोिों से, दंहडत हकया जाएगा।
419. प्रहत�पण द्वारा छि के हिए दण्ड -
जो कोई प्रहत�पण द्वारा छि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।

420. छि करिा और संपहत्त पररदत्त करिे के हिए बेईमािी से उत्प्रेररत करिा -
जो कोई छि करेगा, और तद्द्वारा उस व्यखि को, हजसे प्रवंहचत हकया गया िै, बेईमािी
से उत्प्रेररत करेगा हक वि कोई संपहत्त हकसी व्यखि को पररदत्त कर दे, या हकसी भी
मूल्यवाि प्रहतभूहत को या हकसी चीज को, जो िस्ताक्षररत या मुद्रांहकत िै, और जो
मूल्यवाि प्रहतभूहत में संपररवहततत हकए जािे योग्य िै, पूणततः या अंितः रच दे, पररवहततत
कर दे, या िष्ट कर दे, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
सात वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
कपटपूणत हविेिों और संपहत्त व्ययिों के हवषय में
421. िेिदारों में हवतरण हिवाररत करिे के हिए सम्पहत्त का बेईमािी से या
कपटपूवतक अपसारण या हछपािा -
जो कोई हकसी सम्पहत्त का अपिे िेिदारों या हकसी अ� व्यखि के िेिदारों के बीच
हवहि के अिुसार हवतररत हकया जािा तद्द्वारा हिवाररत करिे के आिय से, या तद्द्वारा
संभाव्यतः हिवाररत करेगा यि जािते हुए उस संपहत्त को बेईमािी से या कपटपूवतक
अपसाररत करेगा या हछपाएगा या हकसी व्यखि को पररदत्त करेगा या पयातप्त प्रहतिि
के हबिा हकसी व्यखि को अन्तररत करेगा या कराएगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दंहडत हकया जाएगा।
422. ऋण को िेिदारों के हिए उपि� िोिे से बेईमािी से या कपटपूवतक हिवाररत
करिा -
जो कोई हकसी ऋण का या मांग का, जो स्वयं उसको या हकसी अ� व्यखि को िोध्य
िो, अपिे या ऐसे अ� व्यखि के ऋणों को चुकािे के हिए हवहि के अिुसार उपि�
िोिा कपटपूवतक या बेईमािी से हिवाररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दंहडत हकया जाएगा।
423. अन्तरण के ऐसे हविेि का, हजसमें प्रहतिि के संबंि में हमथ्या कथि अन्तहवतष्ट
िै, बेईमािी से या कपटपूवतक हिष्पादि -
जो कोई बेईमािी से या कपटपूवतक हकसी ऐसे हविेि को िस्ताक्षररत करेगा, हिष्पाहदत
करेगा, या उसका पक्षकार बिेगा, हजससे हकसी संपहत्त का, या उसमें के हकसी हित का,
अन्तररत हकया जािा, या हकसी भार के अिीि हकया जािा, तात्पहयतत िै, और हजसमें
ऐसे अन्तरण या भार के प्रहतिि से संबंहित या उस व्यखि या उि व्यखियों से
संबंहित, हजसके या हजिके उपयोग या िायदे के हिए उसका प्रवहततत िोिा वास्तव में
आिहयत िै, कोई हमथ्या कथि अन्तहवतष्ट िै, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दंहडत हकया
जाएगा।
424. संपहत्त का बेईमािी से या कपटपूवतक अपसारण या हछपाया जािा -

जो कोई बेईमािी से या कपटपूवतक अपिी या हकसी अ� व्यखि की हकसी संपहत्त को
हछपाएगा या अपसाररत करेगा, या उसके हछपाए जािे में या अपसाररत हकए जािे में
बेईमािी से या कपटपूवतक सिायता करेगा, या बेईमािी से हकसी ऐसी मांग या दावे
को, हजसका वि िकदार िै, छोड़ देगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
ररहष्ट के हवषय में
425. ररहष्ट -
जो कोई इस आिय से, या यि संभाव्य जािते हुए हक, वि िोक को या हकसी व्यखि
को सदोष िाहि या िुकसाि काररत करे, हकसी संपहत्त का िाि या हकसी संपहत्त में
या उसकी खस्थहत में ऐसी त�ीिी काररत करता िै, हजससे उसका मूल्य या उपयोहगता
िष्ट या कम िो जाती िै या उस पर क्षहतकारक प्रभाव पड़ता िै, वि "ररहष्ट" करता
िै।
स्पष्टीकरण 1 - ररहष्ट के अपराि के हिए यि आव�क ििीं िै हक अपरािी क्षहतग्रस्त
या िष्ट संपहत्त के स्वामी को िाहि, या िुकसाि काररत करिे का आिय रिे। यि
पयातप्त िै हक उसका यि आिय िै या यि वि संभाव्य जािता िै हक वि हकसी संपहत्त
को क्षहत करके हकसी व्यखि को, चािे वि संपहत्त उस व्यखि की िो या ििीं सदोष
िाहि या िुकसाि काररत करे।
स्पष्टीकरण 2 - ऐसी संपहत्त पर प्रभाव डाििे वािे कायत द्वारा, जो उस कायत को करिे
वािे व्यखि की िो, या संयुि �प से उस व्यखि की और अ� व्यखियों की िो,
ररहष्ट की जा सके गी।
दृष्टांत -
(क) य की सदोष िाहि काररत करिे के आिय से य की मूल्यवाि प्रहतभूहतयों को क
स्वे�या जिा देता िै। क िे ररहष्ट की िै।
(ि) य की सदोष िाहि करिे के आिय से, उसके बित-घर में क पािी छोड़ देता िै,
और इस प्रकार बित को गिा देता िै। क िे ररहष्ट की िै।
(ग) क इस आिय से य की अंगूठी िदी में स्वे�या िें क देता िै हक य को तद्द्वारा
सदोष िाहि काररत करे। क िे ररहष्ट की िै।
(घ) क यि जािते हुए हक उसकी चीजबस्त उस ऋण की तुहष्ट के हिए, जो य को
उस द्वारा िोध्य िै, हिष्पादि में िी जािे वािी िै, उस चीजबस्त को इस आिय से िष्ट
कर देता िै हक ऐसा करके ऋण की तुहष्ट अहभप्राप्त करिे में य को हिवाररत कर दे
और इस प्रकार य को िुकसाि काररत करे। क िे ररहष्ट की िै।

(ङ) क एक पोत का बीमा करािे के पश्चात् उसे इस आिय से हक बीमा करिे वािों
को िुकसाि काररत करे, उसको स्वे�या संत्यि करा देता िै। क िे ररहष्ट की िै।
(च) य को, हजसिे बाटमरी पर िि उिार हदया िै, िुकसाि काररत करिे के आिय
से क उस पोत को संत्यि करा देता िै। क िे ररहष्ट की िै।
(छ) य के साथ एक घोड़े में संयुि संपहत्त रिते हुए य को सदोष िाहि काररत करिे
के आिय से क उस घोड़े को गोिी मार देता िै। क िे ररहष्ट की िै।
(ज) क इस आिय से और यि संभाव्य जािते हुए हक वि य की िसि को िुकसाि
काररत करे य के िेत में ढोरों का प्रवेि काररत कर देता िै। क िे ररहष्ट की िै।
426. ररहष्ट के हिए दण्ड -
जो कोई ररहष्ट करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि
मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
427. ररहष्ट हजससे पचास �पए का िुकसाि िोता िै -
जो कोई ररहष्ट करेगा और तद्द्वारा पचास �पए या उससे अहिक ररहष्ट की िाहि या
िुकसाि काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो
वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दंहडत हकया जाएगा।
428. दस �पए के मूल्य के जीवजन्तु को वि करिे या उसे हवकिांग करिे द्वारा
ररहष्ट -
जो कोई दस �पए या उससे अहिक के मूल्य के हकसी जीवजन्तु या जीवजन्तुओं को
वि करिे, हवष देिे, हवकिांग करिे या हि�पयोगी बिािे द्वारा ररहष्ट करेगा, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से, दंहडत हकया जाएगा।
429. हकसी मूल्य के ढोर, आहद की या पचास �पए के मूल्य के हकसी जीवजन्तु को
वि करिे या उसे हवकिांग करिे द्वारा ररहष्ट -
जो कोई हकसी िाथी, ऊं ट, घोड़े, ि�र, भैंस, सांड, गाय या बैि को, चािे उसका कु छ
भी मूल्य िो, या पचास �पए या उससे अहिक मूल्य के हकसी भी अ� जीवजन्तु को
वि करिे, हवष देिे, हवकिांग करिे या हि�पयोगी बिािे द्वारा ररहष्ट करेगा, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से, दंहडत हकया जाएगा।
430. हसंचि संकमत को क्षहत करिे या जि को दोषपूवतक मोड़िे द्वारा ररहष्ट -
जो कोई हकसी ऐसे कायत के करिे द्वारा ररहष्ट करेगा, हजससे कृ हषक प्रयोजिों के हिए,
या मािव प्राहणयों के या उि जीवजन्तुओं के, जो संपहत्त िैं, िािे या पीिे के, या सिाई

के या हकसी हवहिमातण को चिािे के जिप्रदाय में कमी काररत िोती िो, या कमी
काररत िोिा वि संभाव्य जािता िो वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि पांच वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
431. िोक सड़क, पुि, िदी या जिसरणी को क्षहत पहुंचाकर ररहष्ट -
जो कोई हकसी ऐसे कायत के करिे द्वारा ररहष्ट करेगा, हजससे हकसी िोक सड़क, पुि,
िाव्य िदी या प्राकृ हतक या कृ हत्रम िाव्य जिसरणी को यात्रा या संपहत्त प्रविि के हिए
अग� या कम हिरापद बिा हदया जाए या बिा हदया जािा वि संभाव्य जािता िो,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत तक की िो
सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
432. िोक जि हिकास में िुकसािप्रद जिप्लावि या बािा काररत करिे द्वारा ररहष्ट
-
जो कोई हकसी ऐसे कायत के करिे द्वारा ररहष्ट करेगा, हजससे हकसी िोक जिहिकास
में क्षहतप्रद या िुकसािप्रद जिप्लावि या बािा काररत िो जाए, या िोिा वि संभाव्य
जािता िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत तक
की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
433. हकसी दीपगृि या समुद्री हचन् को िष्ट करके, िटाकर या कम उपयोगी बिाकर
ररहष्ट -
जो कोई हकसी दीपगृि को, या समुद्री हचन् के �प में उपयोग में आिे वािे अ�
प्रकाि के, या हकसी समुद्री हचन् या बोया या अ� चीज के, जो िौ-चािकों के हिये
मागत प्रदिति करिे के हिए रिी गई िो, िष्ट करिे या, िटािे द्वारा अथवा कोई ऐसा
कायत करिे द्वारा, हजससे कोई ऐसा दीपगृि, समुद्री हचन्, बोया या पूवोि जैसी अ�
चीज िौ-चािकों के हिए मागत-प्रदितक के �प में कम उपयोगी बि जाए, ररहष्ट करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो
सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
434. िोक प्राहिकारी द्वारा िगाए गए भूहम हचन् को िष्ट करिे या िटािे आहद द्वारा
ररहष्ट -
जो कोई िोक-सेवक के प्राहिकार द्वारा िगाए गए हकसी भूहम हचन् के िष्ट करिे या
िटािे द्वारा अथवा कोई ऐसा कायत करिे द्वारा, हजससे ऐसा भूहम हचन्, ऐसे भूहम हचन्
के �प में कम उपयोगी बि जाए, ररहष्ट करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
435. सौ �पए का या (कृ हष उपज की दिा में) दस �पए का िुकसाि काररत
करिे के आिय से अहि या हवस्फोटक पदाथत द्वारा ररहष्ट -

जो कोई हकसी संपहत्त को, एक सौ �पए या उससे अहिक का या (जिां हक संपहत्त
कृ हष उपज िो, विां) दस �पए या उससे अहिक का िुकसाि काररत करिे के आिय
से, या यि संभाव्य जािते हुए हक वि तद्द्वारा ऐसा िुकसाि काररत करेगा, अहि या
हकसी हवस्फोटक पदाथत द्वारा ररहष्ट करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी
दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 435 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय”' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4। म. प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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436. गृि आहद को िष्ट करिे के आिय से अहि या हवस्फोटक पदाथत द्वारा ररहष्ट -
जो कोई हकसी ऐसे हिमातण का, जो मामूिी तौर पर उपासिा स्थाि के �प में या
मािव हिवास के �प में या संपहत्त की अहभरक्षा के स्थाि के �प में उपयोग में आता
िो, िाि काररत करिे के आिय से, या यि संभाव्य जािते हुए हक वि तद्द्वारा उसका
िाि काररत करेगा, अहि या हकसी हवस्फोटक पदाथत द्वारा ररहष्ट करेगा, वि आजीवि
कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक
की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
437. तलायुि या बीस टि बोझ वािे जियाि को िष्ट करिे या सापद बिािे के
आिय से ररहष्ट -
जो कोई हकसी तलायुि जियाि या बीस टि या उससे अहिक बोझ वािे जियाि
को िष्ट करिे या सापद बिा देिे के आिय से, या यि संभाव्य जािते हुए हक वि
तद्द्वारा उसे िष्ट करेगा, या सापद बिा देगा उस जियाि की ररहष्ट करेगा, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
438. िारा 437 में वहणतत अहि या हवस्फोटक पदाथत द्वारा की गई ररहष्ट के हिए दण्ड
-
जो कोई अहि या हकसी हवस्फोटक पदाथत द्वारा ऐसी ररहष्ट करेगा या करिे का प्रयत्न
करेगा, जैसी अखन्तम पूवतवती िारा में वहणतत िै, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।

439. चोरी, आहद करिे के आिय से जियाि को सािय भूहम या हकिारे पर चढ़ा
देिे के हिए दण्ड -
जो कोई हकसी जियाि को यि आिय रिते हुए हक वि उसमें अन्तहवतष्ट हकसी संपहत्त
की चोरी करे या बेईमािी से ऐसी हकसी संपहत्त का दुहवतहियोग करे, या इस आिय से
हक ऐसी चोरी या संपहत्त का दुहवतहियोग हकया जाए, सािय भूहम पर चढ़ा देगा या
हकिारे से िगा देगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस
वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
440. मृत्यु या उपिहत काररत करिे की तैयारी के पश्चात् की गई ररहष्ट -
जो कोई हकसी व्यखि को मृत्यु या उसे उपिहत या उसका सदोष अवरोि काररत करिे
की, अथवा मृत्यु का, या उपिहत का, या सदोष अवरोि का भय काररत करिे की तैयारी
करके ररहष्ट करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि पांच
वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
आपराहिक अहतचार के हवषय में
441. आपराहिक अहतचार -
जो कोई हकसी ऐसी संपहत्त में या ऐसी संपहत्त पर, जो हकसी दू सरे के कब्जे में िै, इस
आिय से प्रवेि करता िै, हक वि कोई अपराि करे या हकसी व्यखि को, हजसके कब्जे
में ऐसी संपहत्त िै, अहभत्रस्त, अपमाहित या क्षु� करे, अथवा ऐसी संपहत्त में या ऐसी
संपहत्त पर, हवहिपूवतक प्रवेि करके विां हवहिहव�द्ध �प में इस आिय में बिा रिता
िै हक तद्द्वारा वि हकसी ऐसे व्यखि को अहभत्रस्त, अपमाहित या क्षु� करे या इस
आिय से बिा रिता िै, वि कोई अपराि करे, वि "आपराहिक अहतचार" करता िै,
यि किा जाता िै।
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राज्य संिोिि
उत्तरप्रदेि -- िारा 441 के स्थाि पर अग्र हिखित को प्रहतस्थाहपत करें, अथातत् :-
441. आपराहिक अहतचार - जो कोई संपहत्त में या ऐसी संपहत्त पर जो हकसी दू सरे के
कब्जे में िै, इस आिय से प्रवेि करता िै हक वि कोई अपराि करे, हजसके कब्जे में
ऐसी संपहत्त िै, उसे अहभत्रस्त, अपमाहित या क्षु� करे अथवा ऐसी संपहत्त में या ऐसी
संपहत्त पर हवहिपूवतक प्रवेि करके वि हवहिहव�द्ध �प से इस आिय में बिा रिता
िै हक एतद्द्वारा वि हकसी ऐसे व्यखि को अहभत्रस्त, अपमाहित या क्षु� करे या इस
आिय से बिा रिता िै हक कोई अपराि करे, अथवा आपराहिक कािूि (यू.पी.
संिोिि) अहिहियम 1981 के पूवत या प्रभाव में आिे के बाद ऐसी संपहत्त में या ऐसी
संपहत्त पर अिहिकृ त कब्जा प्राप्त करिे या ऐसी संपहत्त का अिहिकृ त उपयोग करिे
के आिय से संपहत्त में या संपहत्त पर प्रवेि कर चुका िै। दू सरे व्यखि द्वारा हिखित
में सूचिा पत्र द्वारा जो स�क् �प से उस पर तामीि िो चुका िै, किे जािे पर

सूचिा पत्र में दी गई हतहथ तक ऐसी संपहत्त से िटिे या उसका कब्जा या उपयोग
करिा छोड़िे में असिि रिता िै, तब वि आपराहिक अहतचार करता िै, यि किा
जाता िै।
[देिें उत्तरप्रदेि अहिहियम संख्ांक 31 सि् 1961, िारा 2, (हदिांक 13-11-1961 से
प्रभाविीि)]
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442. गृि-अहतचार -
जो कोई हकसी हिमातण, तम्बू या जियाि में, जो मािव हिवास के �प में उपयोग में
आता िै, या हकसी हिमातण में, जो उपासिा-स्थाि के �प में, या हकसी संपहत्त की
अहभरक्षा के स्थाि के �प में उपयोग में आता िै, प्रवेि करके या उसमें बिा रिकर,
आपराहिक अहतचार करता िै, वि “गृि-अहतचार" करता िै, यि किा जाता िै।
स्पष्टीकरण - आपराहिक अहतचार करिे वािे व्यखि के िरीर के हकसी भाग का प्रवेि
गृि-अहतचार गहठत करिे के हिए पयातप्त प्रवेि िै।
443. प्र�न्न गृि-अहतचार -
जो कोई यि पूवातविािी बरतिे के पश्चात् गृि अहतचार करता िै हक ऐसे गृि-अहतचार
को हकसी ऐसे व्यखि से हछपाया जाए हजसे उस हिमातण, तम्बू या जियाि में से, जो
अहतचार का हवषय िै, अहतचारी को अपवहजतत करिे या बािर कर देिे का अहिकार
िै, वि “प्र�न्न गृि-अहतचार" करता िै, यि किा जाता िै।
444. रात्रौ प्र�न्न गृि-अहतचार -
जो कोई सूयातस्त के पश्चात् और सूयोदय से पूवत प्र�न्न गृि अहतचार करता िै, वि
“रात्रौ प्र�न्न गृि-अहतचार" करता िै, यि किा जाता िै।
445. गृि-भेदि -
जो व्यखि गृि-अहतचार करता िै, वि “गृि-भेदि" करता िै, यि किा जाता िै, यहद
वि उस गृि में या उसके हकसी भाग में एतखिि् पश्चात् वहणतत छि तरीकों में से
हकसी तरीके से प्रवेि करता िै। अथवा यहद वि उस गृि में या उसके हकसी भाग में
अपराि करिे के प्रयोजि से िोते हुए, या विां अपराि कर चुकिे पर, उस गृि से या
उसके हकसी भाग से ऐसे छि तरीकों में से हकसी तरीके से बािर हिकिता िै, अथातत्
:-
पििा - यहद वि ऐसे रास्ते में प्रवेि करता िै या बािर हिकिता िै जो स्वयं उसिे
या उस गृि-अहतचार के हकसी दुष्प्रेरक िे वि गृि-अहतचार करिे के हिए बिाया िै;
दू सरा - यहद वि हकसी ऐसे रास्ते से, जो उससे या उस अपराि के दुष्प्रेरक से हभन्न
हकसी व्यखि द्वारा मािव प्रवेि के हिए आिहयत ििीं िै, या हकसी ऐसे रास्ते से, हजस

तक हक वि हकसी दीवार या हिमातण पर सीढ़ी द्वारा या अ�था चढ़कर पहुंचा िै, प्रवेि
करता या बािर हिकिता िै;
तीसरा - यहद वि हकसी ऐसे रास्ते से प्रवेि करता िै या बािर हिकिता िै हजसको
उसिे या उस गृि अहतचार के हकसी दुष्प्रेरक िे वि गृि-अहतचार करिे के हिए हकसी
ऐसे सािि द्वारा िोिा िै, हजसके द्वारा उस रास्ते को िोिा जािा उस गृि के अहिभोगी
द्वारा आिहयत ििीं था;
चौथा - यहद उस गृि-अहतचार को करिे के हिए, या गृि-अहतचार के पश्चात् उस गृि
से हिकि जािे के हिए वि हकसी तािे को िोिकर प्रवेि करता या बािर हिकिता
िै:
पााँचवााँ - यहद वि आपराहिक बि के प्रयोग या िमिे या हकसी व्यखि पर िमिा
करिे की िमकी द्वारा अपिा प्रवेि करता िै या प्रस्थाि करता िै;
छठा - यहद वि हकसी ऐसे रास्ते से प्रवेि करता िै या बािर हिकिता िै हजसके बारे
में वि जािता िै हक वि ऐसे प्रवेि या प्रस्थाि को रोकिे के हिए बंद हकया हुआ िै
और अपिे द्वारा या उस गृि अहतचार के दुष्प्रेरक द्वारा िोिा गया िै।
स्पष्टीकरण - कोई उपगृि या हिमातण जो हकसी गृि के साथ-साथ अहिभोग में िै, और
हजसके और ऐसे गृि के बीच आिे-जािे का अव्यवहित भीतरी रास्ता िै, इस िारा के
अथत के अन्तगतत उस गृि का भाग िै।
दृष्टांत -
(क) य के गृि की दीवार में छे द करके और उस छे द में से अपिा िाथ डािकर क
गृि-अहतचार करता िै। यि गृि-भेदि िै।
(ि) क तलों के बीच की बारी में से रेंगकर एक पोत में प्रवेि करिे द्वारा गृि
अहतचार करता िै। यि गृि भेदि िै।
(ग) य के गृि में एक खिड़की से प्रवेि करिे द्वारा क गृि-अहतचार करता िै। यि
गृि-भेदि िै।
(घ) एक बंद द्वार को िोिकर य के गृि में उस द्वार से प्रवेि करिे द्वारा क गृि-
अहतचार करता िै। यि गृिभेदि िै।
(ङ) य के गृि में द्वार के छे द में से तार डािकर हसटकिी को ऊपर उठाकर उस
द्वार में प्रवेि करिे द्वारा क गृि अहतचार करता िै। यि गृि-भेदि िै।
(च) क को य के गृि के द्वार की चाबी हमि जाती िै, जो य से िो गई थी, और वि
उस चाबी से द्वार िोिकर य के गृि में प्रवेि करिे द्वारा गृि-अहतचार करता िै। यि
गृि-भेदि िै।

(छ) य अपिी ड्योढ़ी में िड़ा िै। य को िक्के से हगराकर के उस गृि में बिात्
प्रवेि करिे द्वारा गृि अहतचार करता िै। यि गृि-भेदि िै।
(ज) य, जो म का दरबाि िै, म की ड्योढ़ी में िड़ा िै। य को मारिे की िमकी देकर
क उसको हवरोि करिे से भयोपरत करके उस गृि में प्रवेि करिे द्वारा गृि-अहतचार
करता िै। यि गृि-भेदि िै।
446. रात्रौ गृि-भेदि -
जो कोई सूयातस्त के पश्चात् और सूयोदय के पूवत-गृि भेदि करता िै वि “रात्रौ गृि
भेदि" करता िै, यि किा जाता िै।
447. आपराहिक अहतचार के हिये दण्ड -
जो कोई आपराहिक अहतचार करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि तीि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो पांच सौ �पए तक का
िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
448. गृि-अहतचार के हिए दण्ड -
जो कोई गृि-अहतचार करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी
अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो एक िजार �पये तक का िो
सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
449. मृत्यु से दण्डिीय अपराि को करिे के हिए गृि-अहतचार -
जो कोई मृत्यु से दण्डिीय अपराि करिे के हिए गृि-अहतचार करेगा वि आजीवि
कारावास से, या कहठि कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत से अहिक ििीं िोगी,
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
450. आजीवि कारावास से दण्डिीय अपराि को करिे के हिए गृि-अहतचार -
जो कोई आजीवि कारावास से दण्डिीय कोई अपराि करिे के हिए गृि-अहतचार
करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत से अहिक
ििीं िोगी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
451. कारावास से दण्डिीय अपराि को करिे के हिए गृि-अहतचार -
जो कोई कारावास से दण्डिीय कोई अपराि करिे के हिए गृि-अहतचार करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी,
दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा, तथा यहद वि अपराि, हजसका
हकया जािा आिहयत िो, चोरी िो, तो कारावास की अवहि सात वषत तक की िो
सके गी।

452. उपिहत, िमिा या सदोष अवरोि की तैयारी के पश्चात् गृि-अहतचार -
जो कोई हकसी व्यखि को उपिहत काररत करिे की, या हकसी व्यखि पर िमिा करिे
की, या हकसी व्यखि का सदोष अवरोि करिे की अथवा हकसी व्यखि को उपिहत के,
या िमिे के, या सदोष अवरोि के भय में डाििे की तैयारी करके गृि-अहतचार करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो
सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
453. प्र�न्न गृि-अहतचार या गृि-भेदि के हिए दण्ड -
जो कोई प्र�न्न गृि-अहतचार या गृिभेदि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे
से भी दण्डिीय िोगा।
454. कारावास से दण्डिीय अपराि करिे के हिए प्र�न्न गृि-अहतचार या गृि-भेदि
-
जो कोई कारावास से दण्डिीय अपराि करिे के हिए प्र�न्न गृि-अहतचार या गृि-
भेदि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक
की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा, तथा यहद वि
अपराि, हजसका हकया जािा आिहयत िो, चोरी िो, तो कारावास की अवहि दस वषत
तक की िो सके गी।
455. उपिहत, िमिे या सदोष अवरोि की तैयारी के पश्चात् प्र�न्न गृि-अहतचार या
गृिभेदि -
जो कोई हकसी व्यखि को उपिहत काररत करिे की या हकसी व्यखि पर िमिा करिे
की या हकसी व्यखि का सदोष अवरोि करिे की अथवा हकसी व्यखि को उपिहत के,
या िमिे के, या सदोष अवरोि करिे के भय में डाििे की तैयारी करके, प्र�न्न गृि-
अहतचार या गृि-भेदि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
456. रात्रौ प्र�न्न गृि-अहतचार या रात्रौ गृि-भेदि के हिए दण्ड -
जो कोई रात्रौ प्र�न्न गृिअहतचार या रात्रौ गृि-भेदि करेगा, वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
457. कारावास से दण्डिीय अपराि करिे के हिए रात्रौ प्र�न्न गृि-अहतचार या रात्रौ
गृिभेदि -
जो कोई कारावास से दण्डिीय कोई अपराि करिे के हिए रात्रौ प्र�न्न गृि-अहतचार
या रात्रौ गृि-भेदि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि

पांच वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा,
तथा यहद वि अपराि हजसका हकया जािा आिहयत िो, चोरी िो, तो कारावास की
अवहि चौदि वषत तक की िो सके गी.
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राज्य संिोिि
उत्तरप्रदेि - िारा 457 को उसकी उपिारा (1) के �प में पुि:संख्ांहकत हकया जाए
और इस प्रकार पुि:संख्ांहकत उपिारा (1) के पश्चात् हिम्नहिखित उपिारा जोड़ी जाए,
अथातत् :-
(2) जो कोई हकसी इमारत में जो पूजा स्थि के �प में उपयोग की जाती िै। ऐसी
इमारत से कोई मूहतत या प्रहतमा चुरािे का अपराि करिे के हिए रात्रौ गृि प्र�न्न
अहतचार या रात्रौ गृि- भेदि करता िै, वि उपिारा (1) में हकसी बात के िोते हुए भी
कठोर कारावास से, जो 3 वषत से कम ििीं िोगा, हकन्तु हजसकी अवहि 14 वषत तक की
िो सके गी और जुमहि से, जो पांच िजार �पए से कम का ििीं िोगा, दखण्डत हकया
जाएगा |
परन्तु यि हक पयातप्त और हविेष कारणों से हजिका उलेि हिणतय में हकया जाएगा।
�ायािय 3 वषत से कम कारावास का दण्डादेि अहिरोहपत कर सके गा।
[देिें उत्तरप्रदेि अहिहियम संख्ांक 24 सि् 1995, िारा 11]
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458. उपिहत, िमिा या सदोष अवरोि की तैयारी के पश्चात् रात्रौ प्र�न्न गृि-अहतचार
या रात्रौ गृि-भेदि -
जो कोई हकसी व्यखि को उपिहत काररत करिे की या हकसी व्यखि पर िमिा करिे
की या हकसी व्यखि का सदोष अवरोि करिे की अथवा हकसी व्यखि को उपिहत के,
या िमिे के, या सदोष अवरोि के, भय में डाििे की तैयारी करके रात्रौ प्र�न्न गृि-
अहतचार या रात्रौ गृि-भेदि करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि चौदि वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
459. प्र�न्न गृि-अहतचार या गृि-भेदि करते समय घोर उपिहत काररत िो -
जो कोई प्र�न्न गृि-अहतचार या गृि-भेदि करते समय हकसी व्यखि को घोर उपिहत
काररत करेगा या हकसी व्यखि की मृत्यु या घोर उपिहत काररत करिे का प्रयत्न करेगा,
वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
दस वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।

460. रात्रौ प्र�न्न गृि-अहतचार या रात्रौ गृिभेदि में संयुितः सम्पृि समस्त व्यखि
दण्डिीय िैं, जबहक उसमें से एक द्वारा मृत्यु या घोर उपिहत काररत की िो -
यहद रात्रौ प्र�न्न गृि-अहतचार या रात्रौ गृि-भेदि करते समय ऐसे अपराि का दोषी
कोई व्यखि स्वे�या हकसी व्यखि की मृत्यु या घोर उपिहत काररत करेगा या मृत्यु या
घोर उपिहत काररत करिे का प्रयत्न करेगा, तो ऐसे रात्रौ प्र�न्न गृि-अहतचार या रात्रौ
गृि-भेदि करिे में संयुितः संपृि िर व्यखि, आजीवि कारावास से, या दोिों में
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दंहडत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
461. ऐसे पात्र को, हजसमें संपहत्त िै, बेईमािी से तोड़कर िोििा -
जो कोई ऐसे बंद पात्र को, हजसमें संपहत्त िो या हजसमें संपहत्त िोिे का उसे हवश्वास
िो, बेईमािी से या ररहष्ट करिे के आिय से तोड़कर िोिेगा या उद्बंहित करेगा, वि
दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी,
या जुमातिे से, या दोिों से दंहडत हकया जाएगा।
462. उसी अपराि के हिए दण्ड, जबहक वि ऐसे व्यखि द्वारा हकया गया िै हजसे
अहभरक्षा �स्त की गई िै -
जो कोई ऐसा बंद पात्र, हजसमें संपहत्त िो, या हजसमें संपहत्त िोिे का उसे हवश्वास िो,
अपिे पास �स्त हकए जािे पर उसको िोििे का प्राहिकार ि रिते हुए, बेईमािी से
या ररहष्ट करिे के आिय से, उस पात्र को, तोड़कर िोिेगा या उद्बंहित करेगा, वि दोिों
में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो । सके गी, या
जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
अध्याय 18 : दस्तावेजों और संपहत्त हचन्ों संबंिी अपरािों के हवषय में
463. कू टरचिा -
जो कोई हकसी हमथ्या दस्तावेज या हमथ्या इिेक्टराहिक अहभिेि अथवा दस्तावेज या
इिेक्टराहिक अहभिेि के हकसी भाग को इस आिय से रचता िै हक िोक को या
हकसी व्यखि को िुकसाि या क्षहत काररत की जाए, या हकसी दावे या िक का समथति
हकया जाए, या यि काररत हकया जाए हक कोई व्यखि संपहत्त अिग करे या कोई
अहभव्यि या हववहक्षत संहवदा करे या इस आिय से रचता िै हक कपट करे, या कपट
हकया जा सके, वि कू टरचिा करता िै।
464. हमथ्या दस्तावेज रचिा -
उस व्यखि के बारे में यि किा जाता िै हक वि व्यखि हमथ्या दस्तावेज या हमथ्या
इिेक्टराहिक अहभिेि रचता िै -
पििा - जो बेईमािी से या कपटपूवतक इस आिय से -

(क) हकसी दस्तावेज को या दस्तावेज के भाग को रहचत, िस्ताक्षररत, मुद्रांहकत या
हिष्पाहदत करता िै;
(ि) हकसी इिेक्टराहिक अहभिेि को या इिेक्टराहिक अहभिेि के भाग को रहचत या
सम्प्रेहषत करता िै;
(ग) हकसी इिेक्टराहिक अहभिेि पर कोई इिेक्टराहिक हचह्नक करता िै;
(घ) हकसी दस्तावेज का हिष्पादि या इिेक्टराहिक हचह्नक की प्रमाहणकता �ोति करिे
वािा कोई हचन् िगाता िै, हक यि हवश्वास हकया जाए हक ऐसी दस्तावेज या दस्तावेज
के भाग, इिेक्टराहिक अहभिेि या इिेक्टरॉहिक हचह्नक की रचिा, िस्ताक्षरण, मुद्रांकि,
हिष्पादि, सम्प्रेषण या संयोजि ऐसे व्यखि द्वारा या ऐसे व्यखि के प्राहिकार द्वारा हकया
गया था, हजसके द्वारा या हजसके प्राहिकार द्वारा उसकी रचिा, िस्ताक्षरण, मुद्रांकि या
हिष्पादि, सम्प्रेषण या संयोजि ि िोिे की बात वि जािता िै; अथवा
दू सरा - जो हकसी दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि के हकसी ताखत्वक भाग में
पररवतति, उसके द्वारा या हकसी अ� व्यखि द्वारा, चािे ऐसा व्यखि ऐसे पररवतति के
समय जीहवत िो या ििीं, उस दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि के रहचत, हिष्पाहदत
या इिेक्टराहिक हचह्नक से संयोहजत हकये जािे के पश्चात् उसे रद्द करिे द्वारा या अ�था,
हवहिपूवतक प्राहिकार के हबिा बेईमािी से या कपटपूवतक करता िै; अथवा
तीसरा - जो हकसी व्यखि द्वारा, यि जािते हुए हक ऐसा व्यखि दस्तावेज या इिेक्टराहिक
अहभिेि की हवषय वस्तु को पररवतति के �प को, हचत्तहवकृ हत या मत्तता की िाित में
िोिे के कारण जाि ििीं सकता या उस प्रवंचिा के कारण, जो उससे की गई िै,
जािता ििीं िै, उस दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि को बेईमािी से, या कपटपूवतक
िस्ताक्षररत, मुद्रांहकत, हिष्पाहदत या पररवहततत हकया जािा या इिेक्टराहिक अहभिेि पर
अपिे इिेक्टराहिक हचह्नक हकया जािा काररत करता िै;
दृष्टांत -
(क) क के पास य द्वारा ि पर हििा हुआ 10,000 �पए का एक प्रत्ययपत्र िै। ि
से कपट करिे के हिए के 10,000 �पए में एक िू� बढ़ा देता िै और उस राहि को
1,00,000 �. इस आिय से बिा देता िै हक ि यि हवश्वास कर िे हक य िे वि पत्र
ऐसा िी हििा था क िे कू टरचिा की िै।
(ि) क, इस आिय से हक वि य की सम्पदा ि को बेच दे और उसके द्वारा ि से
क्रय िि अहभप्राप्त कर िे य के प्राहिकार के हबिा य की मुद्रा एक ऐसी दस्तावेज पर
िगाता िै, जो हक य की ओर से क की सम्पदा का िस्तांतरण-पत्र िोिा तात्पहयतत िै।
क िे कू टरचिा की िै।
(ग) एक बैंकार पर हििे हुए और वािक को देय चैक को क उठा िेता िै। चैक ि
द्वारा िस्ताक्षररत िै, हकन्तु उस चैक में कोई राहि अंहकत ििीं िै। क दस िजार �पए
की राहि अंहकत करके चैक को कपटपूवतक भर िेता िै। क कू टरचिा करता िै।

(घ) क अपिे अहभकतात ि के पास एक बैंकार पर हििा हुआ, क द्वारा िस्ताक्षररत
चैक, देय ििराहि अंहकत हकए हबिा छोड़ देता िै। ि को क इस बात के हिए प्राहिकृ त
कर देता िै हक वि कु छ संदाय करिे के हिए चैक में ऐसी ििराहि, जो दस िजार
�पए से अहिक ि िो, अंहकत करके चैक भर िे। ि कपटपूवतक चैक में बीस िजार
�पए अंहकत करके उसे भर िेता िै। ि कू टरचिा करता िै।
(ङ) क, ि के प्राहिकार के हबिा ि के िाम में अपिे ऊपर एक हवहिमयपत्र इस
आिय से हििता िै हक वि एक बैंकार से िकदी हवहिमयपत्र की भांहत बट्टा देकर
उसे भुिा िे, और उस हवहिमयपत्र को उसकी पररपक्वता पर िे िे। यिां क इस आिय
से उस हवहिमयपत्र को हििता िै हक प्रवंचिा करके बैंकार को यि अिुमाि करा दे
हक उसे ि की प्रहतभूहत प्राप्त िै, और इसहिए वि उस हवहिमयपत्र को बट्टा िेकर
भुिा दे। क कू टरचिा का दोषी िै।
(च) य की हवि में ये ि� अन्तहवतष्ट िैं हक “मैं हिदेि देता हं हक मेरी समस्त िेष
संपहत्त क, ि और ग में बराबर बांट दी जाए। क बेईमािी से ि का िाम इस आिय
से िुरच डािता िै हक यि हवश्वास कर हिया जाए हक समस्त संपहत्त उसके स्वयं के
हिए और ग के हिए िी छोड़ी गई थी। क िे कू ट रचिा की िै।
(छ) क एक सरकारी वचिपत्र को, पृष्ठांहकत करता िै और उस पर ि� “य को
उसके आदेिािुसार दे दो” हििकर और पृष्ठांकि पर िस्ताक्षर करके उसे य को या
उसके आदेिािुसार देय कर देता िै। ि बेईमािी से “य को या उसके आदेिािुसार
दे दो” इि ि�ों को छीिकर हमटा डािता िै, और इस प्रकार उस हविेष पृष्ठांकि को
एक हिरंक पृष्ठांकि में पररवहततत कर देता िै। ि कू टरचिा करता िै।
(ज) क एक सम्पदा य को बेच देता िै और उसका िस्तांतर पत्र हिि देता िै। उसके
पश्चात् क, य को कपट करके संपदा से वंहचत करिे के हिए उसी सम्पदा का एक
िस्तांतर पत्र, हजस पर य के िस्तांतर-पत्र की तारीि से छि मास पूवत की तारीि पड़ी
हुई िै, ि के िाम इस आिय से हिष्पाहदत कर देता िै हक यि हक उसिे अपिी संपदा
य को िस्तांतररत करिे से पूवत ि को िस्तांतररत कर दी। थी। क िे कू टरचिा की
िै।
(झ) य अपिी हवि क से हििवाता िै। क सािय एक ऐसे वसीयतदार का िाम हिि
देता िै जो हक उस वसीयतदार से हभन्न िै, हजसका िाम य िे किा िै, और य को यि
व्यपहदष्ट करके हक उसिे हवि उसके अिुदेिों के अिुसार िी तैयार की िै, य को हवि
पर िस्ताक्षर करिे के हिए उत्प्रेररत करता िै। क िे कू टरचिा की िै।
(ञ) क एक पत्र हििता िै और ि के प्राहिकार के हबिा, इस आिय से हक उस
पत्र के द्वारा य से और अ� व्यखियों से हभक्षा अहभप्राप्त करे, ि के िाम से िस्ताक्षर
यि प्रमाहणत करते हुए कर देता िै हक क अ�े िीि का व्यखि िै और अिवेहक्षत
दुभातग्य के कारण दीि अवस्था में िै। यिां क िे य को संपहत्त अिग करिे के हिए
उत्प्रेररत करिे की हमथ्या दस्तावेज रची िै, इसहिए क िे कू टरचिा की िै।
(ट) ि के प्राहिकार के हबिा क इस आिय से हक उसके द्वारा य के अिीि िौकरी
अहभप्राप्त करे, क के िीि को प्रमाहणत करते हुए एक पत्र हििता िै, और उसे ि के

िाम से िस्ताक्षररत करता िै। क िे कू ट रचिा की िै क्ोंहक उसका आिय कूटरहचत
प्रमाण-पत्र द्वारा य को प्रवंहचत करिे का और ऐसा करके य को सेवा की अहभव्यि
या हववहक्षत संहवदा में प्रहवष्ट िोिे के हिए उत्प्रेररत करिे का था।
स्पष्टीकरण 1 - हकसी व्यखि का स्वयं अपिे िाम का िस्ताक्षर करिा कू टरचिा की
कोहट में आ सके गा।
दृष्टांत -
(क) क एक हवहिमयपत्र पर अपिे िस्ताक्षर इस आिय से करता िै हक यि हवश्वास
कर हिया जाए हक वि हवहिमयपत्र उसी िाम के हकसी अ� व्यखि द्वारा हििा गया
था। क िे कू टरचिा की िै।
(ि) क एक कागज के टुकड़े पर ि� “प्रहतगृिीत हकया” हििता िै और उस पर
य के िाम के िस्ताक्षर इसहिए करता िै हक ि बाद में इस कागज पर एक हवहियमपत्र,
जो ि िे य के ऊपर हकया िै, हििे और उस हवहिमयपत्र का इस प्रकार परक्रामण
करे, मािो वि य के द्वारा प्रहतगृिीत कर हिया गया था। क कू टरचिा का दोषी िै, तथा
यहद ि इस तथ्य को जािते हुए क के आिय के अिुसरण में, उस कागज पर हवहिमयपत्र
हिि देता िै, तो ि भी कू टरचिा का दोषी िै।
(ग) क अपिे िाम के हकसी अ� व्यखि के आदेिािुसार देय हवहिमयपत्र पड़ा पाता
िै। क उसे उठा िेता िै और यि हवश्वास करािे के आिय से स्वयं अपिे िाम पृष्ठांहकत
करता िै हक इस हवहिमयपत्र पर पृष्ठांकि उसी व्यखि द्वारा हििा गया था हजसके
आदेिािुसार वि देय िै। यिां क िे कू टरचिा की िै।
(घ) क, ि के हव�द्ध एक हडक्री के हिष्पादि में बेची गई संपदा को िरीदता िै। ि
संपदा के अहभगृिीत हकए जािे के पश्चात् य के साथ दुस्संहि करके क को कपट वंहचत
करिे और यि हवश्वास करािे के आिय से हक वि पट्टा अहभग्रिण से पूवत हिष्पाहदत
हकया गया था, िाममात्र के िाटक पर और एक िंबी कािावहि के हिए य के िाम उस
संपदा का पट्टा कर देता िै और पट्टे पर अहभग्रिण से छि मास पूवत की तारीि डाि
देता िै। ि य�हप पट्टे का हिष्पादि स्वयं अपिे िाम से करता िै, तथाहप उस पर पूवत
की तारीि डािकर वि कू टरचिा करता िै।
(ङ) क एक व्यापारी अपिे हदवािे का पूवातिुमाि करके अपिी चीजवस्तु ि के पास
क के िायदे के हिए और अपिे िेिदारों को कपट से वंहचत करिे के आिय से रि
देता िै और प्राप्त मूल्य के बदिे में, ि को एक ििराहि देिे के हिए अपिे को
आबद्ध करते हुए, एक वचिपत्र उस संव्यविार की स�ाई की रंगत देिे के हिए हिि
देता िै, और इस आिय से हक यि हवश्वास कर हिया जाए हक यि वचिपत्र उसिे
उस समय से पूवत िी हििा था जब उसका हदवािा हिकििे वािा था, उस पर पििे
की तारीि डाि देता िै। क िे पररभाषा के प्रथम िीषतक के अिीि कू टरचिा की िै।
स्पष्टीकरण 2 - कोई हमथ्या दस्तावेज हकसी कखल्पत व्यखि के िाम से इस आिय से
रचिा हक यि हवश्वास कर हिया जाए हक वि दस्तावेज एक वास्तहवक व्यखि द्वारा
रची गई थी, या हकसी मृत व्यखि के िाम से इस आिय से रचिा हक यि हवश्वास

कर हिया जाए हक वि दस्तावेज उस व्यखि द्वारा उसके जीविकाि में रची गई थी,
कू टरचिा की कोहट में आ सके गा।
दृष्टांत -
क एक कखल्पत व्यखि के िाम कोई हवहिमयपत्र हििता िै, और उसका परक्रामण
करिे के आिय से उस हवहिमयपत्र को ऐसे कखल्पत व्यखि के िाम से कपटपूवतक
प्रहतगृिीत कर िेता िै। क कू टरचिा करता िै।
स्पष्टीकरण 3 - इस िारा के प्रयोजिों के हिए इिेक्टराहिक हचह्नक करिा अहभव्यखि का
विी अथत िोगा जो उसे सूचिा प्रौ�ोहगकी अहिहियम, 2000 (2000 का 21) की िारा 2
की उपिारा (1) के िण्ड (घ) में समिुदेहित िै।
465. कू टरचिा के हिए दण्ड -
जो कोई कू टरचिा करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
466. �ायािय के अहभिेि की या िोक रहजस्ट्र आहद की कू टरचिा -
जो कोई ऐसी दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि की, हजसका हक हकसी �ायािय का
या �ायािय में अहभिेि या कायतवािी िोिा, या ज�, बखप्तसमा, हववाि या अन्त्येहष्ट का
रहजस्ट्र, या िोक-सेवक द्वारा िोक-सेवक के िाते रिा गया रहजस्ट्र िोिा तात्पयतत
िो, अथवा हकसी प्रमाणपत्र की या ऐसी दस्तावेज की हजसके बारे में यि तात्पयतत िो
हक वि हकसी िोक-सेवक द्वारा उसकी पदीय िैहसयत में रची गई िै, या जो हकसी
वाद को संखस्थत करिे या वाद में प्रहतरक्षा करिे का, उसमें कोई कायतवािी करिे का,
या दावा संस्वीकृ त कर िेिे का, प्राहिकार िो या कोई मुख्तारिामा िो, कू टरचिा करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से हजसकी अवहि सात वषत तक की िो
सके गी, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - इस िारा के प्रयोजिों के हिए, रहजस्ट्र में कोई सूची, आंकड़ा या हकसी
प्रहवहष्ट का अहभिेि िाहमि िै जो इिेक्टराहिक �प में रिा गया िै जैसा हक सूचिा
प्रौ�ोहगकी अहिहियम, 2000 (2000 का 21) की िारा 2 की उपिारा (1) के िण्ड (द)
में िै।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 466 के अिीि अपराि “'सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 1457-158 पर प्रकाहित |]
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467. मूल्यवाि प्रहतभूहत, हवि, इत्याहद की कू टरचिा -
जो कोई हकसी ऐसी दस्तावेज की, हजसका कोई मूल्यवाि प्रहतभूहत या हवि या पुत्र के
दत्तकग्रिण का प्राहिकार िोिा तात्पहयतत िो, अथवा हजसका हकसी मूल्यवाि प्रहतभूहत
की रचिा या अन्तरण का, या उस पर के मूििि, ब्याज या िाभांि को प्राप्त करिे
का, या हकसी िि, जंगम संपहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत को प्राप्त करिे या पररदत्त करिे
का प्राहिकार िोिा तात्पयतत िो, अथवा हकसी दस्तावेज को हजसका िि हदए जािे की
अहभस्वीकृ हत करिे वािा, हिस्तारणपत्र या रसीद िोिा, या हकसी जंगम संपहत्त या
मूल्यवाि प्रहतभूहत के पररदाि के हिए हिस्तारणपत्र या रसीद िोिा तात्पहयतत िो,
कू टरचिा करेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 467 के अिीि अपराि "सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 41 म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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468. छि के प्रयोजि से कू टरचिा -
जो कोई कू टरचिा इस आिा से करेगा हक वि दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि
हजसकी कू टरचिा की जाती िै छि के प्रयोजि से उपयोग में िाई जाएगी, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 468 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय '' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 41 म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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469. ख्ाहत को अपिाहि पहुंचािे के आिय से कू टरचिा -

जो कोई कू टरचिा इस आिय से करेगा हक वि दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि
हजसकी कू टरचिा की जाती िै, हकसी पक्षकार की ख्ाहत की अपिाहि करेगी, या यि
संभाव्य जािते हुए करेगा हक इस प्रयोजि से उसका उपयोग हकया जाए, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दंहडत
हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
470. कू टरहचत दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि -
वि हमथ्या दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि, जो पूणतत: या भागत: कू टरचिा द्वारा
रची गई िै, कू टरहचत दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि कििाती िै।
471. कू टरहचत दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि का असिी के �प में उपयोग में
िािा -
जो कोई हकसी ऐसी दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि को, हजसके बारे में वि यि
जािता या हवश्वास करिे का कारण रिता िो हक वि कू टरहचत दस्तावेज या इिेक्टराहिक
अहभिेि िै, कपटपूवतक या बेईमािी से असिी के �प में उपयोग में िाएगा, वि उसी
प्रकार दखण्डत हकया जाएगा, मािो उसिे ऐसी दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि की
कू टरचिा की िो।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 471 के अिीि अपराि “'सत्र �ायािय'' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म. प्र. राजपत्र (असािारण
) हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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472. िारा 467 के अिीि दण्डिीय कू टरचिा करिे के आिय से कू टकृ त मुद्रा आहद
को बिािा या कब्जे में रििा -
जो कोई हकसी मुद्रा, पट्टी या छाप िगािे के अ� उपकरण को इस आिय से बिाएगा
या उसकी कू टकृ हत तैयार करेगा हक उसे कोई ऐसी कू टरचिा करिे के प्रयोजि के
हिए उपयोग में िाया जाए, जो इस संहिता की िारा 467 के अिीि दण्डिीय िै, या
इस आिय से, हकसी ऐसी मुद्रा, पट्टी या अ� उपकरण को, उसे कू टकृ त जािते हुए
अपिे कब्जे में रिेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि

मध्यप्रदेि - िारा 472 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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473. अ�था दण्डिीय कू टरचिा करिे के आिय से कू टकृ त मुद्रा, आहद का बिािा
या कब्जे में रििा -
जो कोई हकसी मुद्रा, पट्टी या छाप िगािे के अ� उपकरण को इस आिय से बिाएगा,
या उसकी कू टकृ हत करेगा, हक उसे कोई ऐसी कू टरचिा करिे के प्रयोजि के हिए
उपयोग में िाया जाए, जो िारा 467 से हभन्न इस अध्याय की हकसी िारा के अिीि
दण्डिीय िै, या इस आिय से हकसी ऐसी मुद्रा, पट्टी या अ� उपकरण को, उसे कू टकृ त
जािते हुए अपिे कब्जे में रिेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 473 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय '' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित । ]
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474. िारा 466 या 467 में वहणतत दस्तावेज को, उसे कू टरहचत जािते हुए और उसे
असिी के �प में उपयोग में िािे का आिय रिते हुए, कब्जे में रििा -
जो कोई हकसी दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि को, उसे कू टरहचत जािते हुए और
यि आिय रिते हुए हक वि कपटपूवतक या बेईमािी से असिी के �प में उपयोग में
िायी जाएगी, अपिे कब्जे में रिेगा, यहद वि दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि इस
संहिता की िारा 466 में वहणतत भांहत का िो, तो वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा, तथा यहद वि दस्तावेज िारा 467 में वहणतत भांहत की िो
तो वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
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राज्य संिोिि

मध्यप्रदेि - िारा 474 के अिीि अपराि “'सत्र �ायािय"' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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475. िारा 467 में वहणतत दस्तावेजों के अहिप्रमाणीकरण के हिए उपयोग में िाई जािे
वािी अहभिक्षणा या हचन् की कू टकृ हत बिािा या कू टकृ त हचन्युि पदाथत को
कब्जे में रििा -
जो कोई हकसी पदाथत के ऊपर, या उसके उपादाि में, हकसी ऐसी अहभिक्षणा या हचन्ों
को, हजसे इस संहिता की िारा 467 में वहणतत हकसी दस्तावेज के अहिप्रमाणीकरण के
प्रयोजि के हिए उपयोग में िाया जाता िो, कू टकृ हत यि आिय रिते हुए बिाएगा हक
ऐसी अहभिक्षणा या ऐसे हचन् को, ऐसे पदाथत पर उस समय कू टरहचत की जा रिी िो
या उसके पश्चात् कू टरहचत की जािे वािी हकसी दस्तावेज को अहिप्रमाणीकृ त का
आभास प्रदाि करिे के प्रयोजि से उपयोग में िाया जाएगा या जो ऐसे आिय से
कोई ऐसा पदाथत अपिे कब्जे में रिेगा, हजस पर या हजसके उपादाि में ऐसी अहभिक्षणा
को या ऐसे हचन् की कू टकृ हत बिाई गई िो, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत
हकया जाएगा, और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 475 के अिीि अपराि "सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 117-158 पर प्रकाहित]
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476. िारा 467 में वहणतत दस्तावेजों से हभन्न दस्तावेजों के अहिप्रमाणीकरण के हिए
उपयोग में िाई जािे वािी अहभिक्षणा या हचन् को कू टकृ हत बिािा या कू टकृ त
हचन्युि पदाथत को कब्जे में रििा -
जो कोई हकसी पदाथत के ऊपर, या उसके उपादाि में, हकसी ऐसी अहभिक्षणा या हचन्
की, हजसे इस संहिता की िारा 467 में वहणतत दस्तावेजों से हभन्न हकसी दस्तावेज या
इिेक्टराहिक अहभिेि के अहिप्रमाणीकरण के प्रयोजि के हिए उपयोग में िाया जाता
िो, कू टकृ हत यि आिय रिते हुए बिाएगा हक वि ऐसी अहभिक्षणा या ऐसे हचन् को,
ऐसे पदाथत पर उस समय कू टरहचत की जा रिी िो या उसके पश्चात कू टरहचत की
जािे वािी हकसी दस्तावेज या इिेक्टराहिक अहभिेि को अहिप्रमाणीकृ त का आभास
प्रदाि करिे के प्रयोजि से उपयोग में िाया जाएगा या जो ऐसे आिय से कोई ऐसा
पदाथत अपिे कब्जे में रिेगा हजस पर या हजसके उपादाि में ऐसी अहभिक्षणा या ऐसे

हचन् की कू टकृ हत बिाई गई िो, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी
अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय
िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 476 के अिीि अपराि “सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 14:7-158 पर प्रकाहित ।]
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477. हवि, दत्तकग्रिण, प्राहिकार-पत्र या मूल्यवाि प्रहतभूहत को कपटपूवतक रद्द, िष्ट,
आहद करिा -
जो कोई कपटपूवतक या बेईमािी से, या िोक को या हकसी व्यखि को िुकसाि या
क्षहत काररत करिे के आिय से, हकसी ऐसी दस्तावेज को, जो हवि या पुत्र के दत्तक
ग्रिण करिे का प्राहिकार-पत्र या कोई मूल्यवाि प्रहतभूहत िो, या िोिा तात्पयतत िो, रद्द,
िष्ट या हव�हपत करेगा या रद्द, िष्ट या हव�हपत करिे का प्रयत्न करेगा, या हछपाएगा
या हछपािे का प्रयत्न करेगा या ऐसी दस्तावेज के हवषय में ररहष्ट करेगा, वि आजीवि
कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक
की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 477 के अिीि अपराि ''सत्र �ायािय '' द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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477 क. िेिा का हमथ्याकरण -
जो कोई, हिहपक, ऑहिसर या सेवक िोते हुए, या हिहपक, ऑहिसर या सेवक के िाते
हियोहजत िोते हुए या कायत करते हुए, हकसी ऐसी पुस्तक, इिेक्टराहिक अहभिेि, कागज,
िेि, मूल्यवाि प्रहतभूहत या िेिा को, जो उसके हियोजक का िो या उसके हियोजक
के कब्जे में िो, या हजसे उसके हियोजक के हिए या उसकी ओर से प्राप्त हकया िो,
जािबूझकर और कपट करिे के आिय से िष्ट, पररवहततत, हवकृ त या हमथ्याकृ त करेगा
अथवा हकसी ऐसी पुस्तक, इिेक्टराहिक अहभिेि, कागज, िेि, मूल्यवाि प्रहतभूहत या िेिा

में जािबूझकर और कपट करिे के आिय से कोई हमथ्या प्रहवहष्ट करेगा या करिे के
हिए दुष्प्रेरण करेगा, या उसमें से या उसमें हकसी ताखत्वक हवहिष्ट का िोप या पररवतति
करेगा या करिे का दुष्प्रेरण करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से,
हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
स्पष्टीकरण - इस िारा के अिीि हकसी आरोप में, हकसी हवहिष्ट व्यखि का, हजससे
कपट करिा आिहयत था, िाम बताए हबिा या हकसी हवहिष्ट ििराहि का हजसके
हवषय में कपट हकया जािा आिहयत था या हकसी हवहिष्ट हदि का, हजस हदि अपराि
हकया गया था, हवहिदेि हकए हबिा, कपट करिे के सािारण आिय का अहभकथि
पयातप्त िोगा।
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राज्य संिोिि
मध्यप्रदेि - िारा 477क के अिीि अपराि "सत्र �ायािय" द्वारा हवचारणीय िै।
[देिें म.प्र. अहिहियम क्रमांक 2 सि् 2008 की िारा 4. म.प्र. राजपत्र (असािारण)
हदिांक 22-2-2608 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाहित ।]
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सम्पहत्त हचन्ों और अ� हचन्ों के हवषय में
478. व्यापार हचन् -
व्यापार और पण्य हचन् अहिहियम, 1958 (1958 का 43) की िारा 135 और अिुसूची
द्वारा (25 िवंबर, 1959 से) हिरहसत ।
479. सम्पहत्त हचन् -
वि हचन् जो यि �ोति करिे के हिए उपयोग में िाया जाता िै हक जंगम संपहत्त
हकसी हवहिष्ट व्यखि की िै, संपहत्त हचन् किा जाता िै।
480. हमथ्या व्यापार हचन् का प्रयोग हकया जािा -
व्यापार और पण्य हचन् अहिहियम, 1958 (1958 का 43) की िारा 135 और अिुसूची
द्वारा (25 िवंबर, 1959 से) हिरहसत.
481. हमथ्या संपहत्त हचन् को उपयोग में िािा -
जो कोई हकसी जंगम संपहत्त या माि को या हकसी पेटी, पैकेज या अ� पात्र को,
हजसमें जंगम संपहत्त या माि रिा िै, ऐसी रीहत से हचहह्नत करता िै या हकसी पेटी,
पैके ज या अ� पात्र को, हजस पर कोई हचन् िै, ऐसी रीहत से उपयोग में िाता िै, जो

इसहिए युखियुि �प से प्रकखल्पत िै हक उसे यि हवश्वास काररत िो जाए हक इस
प्रकार हचहह्नत संपहत्त या माि, या इस प्रकार हचहह्नत हकसी ऐसे पात्र में रिी हुई कोई
संपहत्त या माि, ऐसे व्यखि का िै, हजसका वि ििीं िै, वि हमथ्या संपहत्त हचन् का
उपयोग करता िै, यि किा जाता िै।
482. हमथ्या संपहत्त हचन् का उपयोग करिे के हिए दण्ड -
जो कोई हकसी हमथ्या संपहत्त हचन् का उपयोग करेगा, जब तक हक यि साहबत ि कर
दे हक उसिे कपट करिे के आिय के हबिा कायत हकया िै, वि दोिों में से हकसी
भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या
दोिों से दखण्डत हकया जाएगा।
483. अ� व्यखि द्वारा उपयोग में िाए गए संपहत्त हचन् का कू टकरण -
जो कोई हकसी सम्पहत्त हचन् का, जो हकसी अ� व्यखि द्वारा उपयोग में िाया जाता
िो, कू टकरण करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो
वषत तक िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
484. िोक-सेवक द्वारा उपयोग में िाए गए हचन् का कू टकरण -
जो कोई हकसी संपहत्त हचन् का, जो िोक-सेवक द्वारा उपयोग में िाया जाता िो, या
हकसी ऐसे हचन् का, जो िोक-सेवक द्वारा यि �ोति करिे के हिए उपयोग में िाया
जाता िो हक कोई संपहत्त हकसी हवहिष्ट व्यखि द्वारा या हकसी हवहिष्ट समय या स्थाि
पर हवहिहमतत की गई िै, या यि हक वि सम्पहत्त हकसी हवहिष्ट क्वाहिटी की िै या हकसी
हवहिष्ट कायातिय में से पाररत िो चुकी िै, या यि हक वि हकसी छू ट की िकदार िै,
कू टकरण करेगा, या हकसी ऐसे हचन् को उसे कू टकृ त जािते हुए असिी के �प में
उपयोग में िाएगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि
वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
485. संपहत्त हचन् के कू टकरण के हिए कोई उपकरण बिािा या उस पर कब्जा -
जो कोई संपहत्त हचन् के कू टकरण के प्रयोजि से कोई डाई, पट्टी या अ� उपकरण
बिाएगा या अपिे कब्जे में रिेगा, अथवा यि �ोति करिे के प्रयोजि से हक कोई
माि ऐसे व्यखि का िै, हजसका वि ििीं िै, हकसी संपहत्त हचन् को अपिे कब्जे में
रिेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की
िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से दंहडत हकया जाएगा।
486. कू टकृ त संपहत्त हचन् से हचखन्त माि का हवक्रय -
जो कोई हकसी माि या चीजों को स्वयं उि पर या हकसी ऐसी पेटी, पैके ज या अ�
पात्र पर, हजसमें ऐसा माि रिा िो, कोई कू टकृ त संपहत्त हचन् िगा हुआ या छपा हुआ
िोते हुए बेचेगा या बेचिे के हिए अहभदहितत करेगा या अपिे कब्जे में रिेगा जब तक
हक वि यि साहबत ि कर दे हक -

(क) इस िारा के हव�द्ध अपराि ि करिे को सब युखियुि पूवातविािी बरतते हुए,
हचन् के असिीपि के संबंि में संदेि करिे के हिए उसके पास कोई कारण अहभकहथत
अपराि करते समय ििीं था, तथा
(ि) अहभयोजक द्वारा या उसकी ओर से मांग हकए जािे पर, उसिे उि व्यखियों के
हवषय में, हजससे उसिे ऐसा माि या चीजें अहभप्राप्त की थी, वि सब जािकारी दे दी
थी, जो उसकी िखि में थी, अथवा
(ग) अ�था उसिे हिदेहषतापूवतक कायत हकया था, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा।
487. हकसी ऐसे पात्र के ऊपर हमथ्या हचन् बिािा हजसमें माि रिा िै -
जो कोई हकसी पेटी, पैके ज या अ� पात्र के ऊपर, हजसमें माि रिा हुआ िो, ऐसी
रीहत से कोई ऐसा हमथ्या हचन् बिाएगा, जो इसहिए युखियुि �प से प्रकखल्पत िै
हक उससे हकसी िोक-सेवक को या अ� हकसी व्यखि को यि हवश्वास काररत िो
जाए हक ऐसे पात्र में ऐसा माि िै, जो उसमें ििीं िै, या यि हक उसमें ऐसा माि ििीं
िै जो उसमें िै, या यि हक ऐसे पात्र में रिा हुआ माि ऐसी प्रकृ हत या क्वाहिटी का
िै, जो उसकी वास्तहवक प्रकृ हत या क्वाहिटी से हभन्न िै, जब तक हक वि यि साहबत
ि कर दे हक उसिे वि कायत कपट करिे के आिय के हबिा हकया िै, वि दोिों में
से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे
से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
488. हकसी ऐसे हमथ्या हचन् को उपयोग में िािे के हिए दण्ड -
जो कोई अंहतम पूवतगामी िारा द्वारा प्रहतहषद्ध हकसी प्रकार से हकसी ऐसे हमथ्या हचन्
का उपयोग करेगा, जब तक हक वि यि साहबत ि कर दे हक उसिे वि कायत कपट
करिे के आिय के हबिा हकया िै, वि उसी प्रकार दखण्डत हकया जाएगा, मािो उसिे
उस िारा के हव�द्ध अपराि हकया िो।
489. क्षहत काररत करिे के आिय से संपहत्त हचन् को हबगाड़िा -
जो कोई हकसी संपहत्त हचन् को, यि आिय रिते हुए, या यि संभाव्य जािते हुए हक
वि तद्द्वारा हकसी व्यखि को क्षहत करे, हकसी संपहत्त हचन् को अपसाररत करेगा, िष्ट
करेगा, हव�हपत करेगा या उसमें कु छ जोड़ेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
करेन्सी िोटों और बैंक िोटों के हवषय में
489 क. करेन्सी िोटों या बैंक िोटों का कू टकरण -

जो कोई हकसी करेन्सी िोट या बैंक िोट का कू टकरण करेगा, या जािते हुए करेन्सी
िोट या बैंक िोट के कू टकरण की प्रहक्रया के हकसी भाग को संपाहदत करेगा, वि
आजीवि कारावास से, या दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस
वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा
स्पष्टीकरण - इस िारा के और िारा 489ि, 489ग, 489घ और 489ङ के प्रयोजिों के
हिए, “बैंकिोट” पद से उसके वािक की मांग पर िि देिे के हिए ऐसा वचिपत्र या
वचिबंि अहभप्रेत िै, जो संसार के हकसी भी भाग में बैंककारी करिे वािे हकसी व्यखि
द्वारा प्रचाहित हकया गया िो, या हकसी राज्य या संपूणत प्रभुत्वसंपन्न िखि द्वारा या
उसके प्राहिकार के अिीि प्रचाहित हकया गया िो, और जो िि के समतुल्य या
स्थािापन्न के �प में उपयोग में िाए जािे के हिए आिहयत िो।
489 ि. कू टरहचत या कू टकृ त करेंसी िोटों या बैंक िोटों को असिी के �प में
उपयोग में िािा -
जो कोई हकसी कू टरहचत या कू टकृ त करेंसी िोट या बैंक िोट को, यि जािते हुए, या
हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक वि कू टरहचत या कू टकृ त िै, हकसी अ� व्यखि
को बेचेगा या उससे िरीदेगा या प्राप्त करेगा या अ�था उसका दुव्यातपार करेगा या
असिी के �प में उसे उपयोग में िाएगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से
हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
489 ग. कू टरहचत या कू टकृ त करेंसी िोटों या बैंक िोटों को कब्जे में रििा -
जो कोई हकसी कू टरहचत या कू टकृ त करेंसी िोट या बैंक िोट को यि जािते हुए या
हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक वि कू टरहचत या कू टकृ त िै और यि आिय
रिते हुए हक उसे असिी के �प में उपयोग में िाए या वि असिी के �प में
उपयोग में िाई जा सके, अपिे कब्जे में रिेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया
जाएगा।
489 घ. करेंसी िोटों या बैंक िोटों की कू टरचिा या कू टकरण के हिए उपकरण या
सामग्री बिािा या कब्जे में रििा -
जो कोई हकसी मिीिरी, उपकरण या सामग्री को हकसी करेंसी िोट या बैंक िोट की
कू टरचिा या कू टकरण के हिए उपयोग में िाए जािे के प्रयोजि से, या यि जािते हुए
या हवश्वास करिे का कारण रिते हुए हक वि हकसी करेंसी िोट या बैंक िोट की
कू टरचिा या कू टकरण के हिए उपयोग में िाए जािे के हिए आिहयत िै, बिाएगा या
बिािे की प्रहक्रया के हकसी भाग का संपादि करेगा या िरीदेगा, या बेचेगा, या व्ययहित
करेगा, या अपिे कब्जे में रिेगा, वि आजीवि कारावास से, या दोिों में से, हकसी भांहत
के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और
जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।

489 ङ. करेन्सी िोटों या बैंक िोटों से सदृि रििे वािी दस्तावेजों की रचिा या
उपयोग -
(1) जो कोई हकसी दस्तावेज को, जो करेंसी िोट या बैंक िोट िोिा तात्पयतत िो या
करेंसी िोट या बैंक िोट के हकसी भी प्रकार सदृि िो या इतिे हिकटतः सदृि िो
हक प्रवंचिा िो जािा प्रकखल्पत िो, रचेगा या रचवाएगा या हकसी भी प्रयोजि के हिए
उपयोग में िाएगा या हकसी व्यखि को पररदत्त करेगा, वि जुमातिे से, जो एक सौ �पए
तक का िो सके गा, दखण्डत हकया जाएगा।
(2) यहद कोई व्यखि हजसका िाम ऐसी दस्तावेज पर िो हजसकी रचिा उपिारा (1)
के अिीि अपराि िै, हकसी पुहिस ऑहिसर को या उस व्यखि का िाम और पता
हजसके द्वारा वि मुहद्रत की गई थी या अ�था रची गई थी, बतािे के हिए अपेहक्षत
हकए जािे पर उसे हवहिपूणत प्रहत िेतु के हबिा बतािे से इंकार करेगा, वि जुमातिे से,
जो दो सौ �पए तक का िो सके गा, दखण्डत हकया जाएगा।
(3) जिां हक हकसी ऐसी दस्तावेज पर हजसके बारे में हकसी व्यखि पर उपिारा (1) के
अिीि अपराि का आरोप िगाया गया िो, या हकसी अ� दस्तावेज पर, जो उस
दस्तावेज के संबंि में उपयोग में िाई गई िो, या हवतररत की गई िो, हकसी व्यखि का
िाम िो, विां जब तक तत्प्रहतकू ि साहबत ि कर हदया जाए, यि उपिारणा की जा
सके गी हक उसी व्यखि िे वि दस्तावे़ि रचवाई िै |
अध्याय 19 : सेवा संहवदाओं के आपराहिक भंग के हवषय में
490. समुद्र यात्रा या यात्रा के दौराि सेवा भंग -
कमतकार संहवदा भंग (हिरसि) अहिहियम, 1925 (1925 का 3) की िारा 2 और अिुसूची
द्वारा हिरहसत |
491. असिाय व्यखि की पररचयात करिे की और उसकी आव�कताओं की पूहतत
करिे की संहवदा का भंग -
जो कोई हकसी ऐसे व्यखि की, जो हकिोरावस्था या हचत्तहवकृ हत या रोग या िारीररक
दुबतिता के कारण असिाय िै, या अपिे हिजी क्षेम की व्यवस्था या अपिी हिजी
आव�कताओं की पूहतत करिे के हिए असमथत िै, पररचयात करिे के हिए या उसकी
आव�कताओं की पूहतत करिे के हिए हवहिपूणत संहवदा द्वारा आबद्ध िोते हुए, स्वे�या
ऐसा करिे का िोप करेगा वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि
तीि मास तक की िो सके गी, या जुमातिे से, जो दो सौ �पए तक का िो सके गा, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
492. दू र वािे स्थाि पर सेवा करिे का संहवदा भंग जिां सेवक को माहिक के िचे
पर िे जाया जाता िै -
कमतकार संहवदा भंग (हिरसि) अहिहियम, 1925 (1925 का 3) की िारा 2 और अिुसूची
द्वारा हिरहसत ।

अध्याय 20 : हववाि संबंिी अपरािों के हवषय में
493. हवहिपूणत हववाि का प्रवंचिा से हवश्वास उत्प्रेररत करिे वािे पु�ष द्वारा काररत
सिवास -
िर पु�ष, जो हकसी स्त्री को, जो हवहिपूवतक उससे हववाहित ि िो, प्रवंचिा से यि हवश्वास
काररत करेगा हक वि हवहिपूवतक उससे हववाहित िै और इस हवश्वास में उस स्त्री का
अपिे साथ सिवास या मैथुि काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास
से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से
भी दण्डिीय िोगा।
494, पहत या पत्नी के जीविकाि में पुिः हववाि करिा -
जो कोई पहत या पत्नी के जीहवत िोते हुए हकसी ऐसी दिा में हववाि करेगा हजसमें
ऐसा हववाि इस कारण िू� िै हक वि ऐसी पहत या पत्नी के जीविकाि में िोता िै,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो
सके गी, दखण्डत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
अपवाद - इस िारा का हवस्तार हकसी ऐसे व्यखि पर ििीं िै, हजसका ऐसे पहत या
पत्नी के साथ हववाि सक्षम अहिकाररता के �ायािय द्वारा िू� घोहषत कर हदया गया
िो,
और ि हकसी ऐसे व्यखि पर िै, जो पूवत पहत या पत्नी के जीविकाि में हववाि कर
िेता िै, यहद ऐसा पहत या पत्नी उस पश्चातवती पश्चात्वती हववाि के समय ऐसे व्यखि
से सात वषत तक हिरंतर अिुपखस्थत रिा िो, और उस काि के भीतर ऐसे व्यखि िे
यि ििीं सुिा िो हक वि जीहवत िै, परन्तु यि तब जबहक ऐसा पश्चात्वती हववाि करिे
वािा व्यखि उस हववाि के िोिे से पूवत उस व्यखि को, हजसके साथ ऐसा हववाि िोता
िै, तथ्यों की वास्तहवक खस्थहत की जािकारी, जिां तक हक उिका ज्ञाि उसको िो, दे
दे।
495. विी अपराि पूवतवती हववाि को उस व्यखि को हछपाकर हजसके साथ पश्चात्वती
हववाि हकया जाता िै -
जो कोई पूवतवती अंहतम िारा में पररभाहषत अपराि अपिे पूवत हववाि की बात उस
व्यखि से हछपाकर करेगा, हजससे पश्चात्वती हववाि हकया जाए, वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दस वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
496. हवहिपूणत हववाि के हबिा कपटपूवतक हववाि कमत पूरा कर िेिा -
जो कोई बेईमािी से या कपटपूणत आिय से हववाहित िोिे का कमत यि जािते हुए
पूरा करेगा हक तद्द्वारा वि हवहिपूवतक हववाहित ििीं हुआ िै, वि दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया जाएगा
और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।

497. जारकमत -
जो कोई ऐसे व्यखि के साथ, जो हक हकसी अ� पु�ष की पत्नी िै, और हजसका हकसी
अ� पु�ष की पत्नी िोिा वि जािता िै या हवश्वास करिे का कारण रिता िै, उस
पु�ष की स�हत या मौिािुकू िता के हबिा ऐसा मैथुि करेगा जो बिात्संग के अपराि
की कोहट में ििीं आता, वि जारकमत के अपराि का दोषी िोगा, और दोिों में से हकसी
भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि पांच वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा। ऐसे मामिे में पत्नी दुष्प्रेरक के �प में दण्डिीय ििीं
िोगी।
498. हववाहिता स्त्री को आपराहिक आिय से िु सिाकर िे जािा, या िे जािा या
हि�द्ध रििा -
जो कोई हकसी स्त्री को, जो हकसी अ� पु�ष की पत्नी िै, और हजसका अ� पु�ष
की पत्नी िोिा वि जािता िै, या हवश्वास करिे का कारण रिता िै, उस पु�ष के पास
से, या हकसी ऐसे व्यखि के पास से, जो उस पु�ष की ओर से उसकी देि-रेि करता
िै, इस आिय से िे जाएगा, या िु सिाकर िे जाएगा हक वि हकसी व्यखि के साथ
अयुि संभोग करे या इस आिय से ऐसी हकसी स्त्री को हछपाएगा या हि�द्ध करेगा,
वि दोिों में से हकसी भांहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी,
या जुमातिे से, या दोिों में से, दखण्डत हकया जाएगा।
अध्याय 20 क : पहत या पहत के िातेदारों द्वारा क्रू रता के हवषय में
498 क. हकसी स्त्री के पहत या पहत के िातेदार द्वारा उसके प्रहत क्रू रता करिा -
जो कोई, हकसी स्त्री का पहत या पहत का िातेदार िोते हुए, ऐसी स्त्री के प्रहत क्रू रता
करेगा, वि कारावास से, हजसकी अवहि तीि वषत तक की िो सके गी, दखण्डत हकया
जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा।
स्पष्टीकरण - इस िारा के प्रयोजिों के हिए, “क्रू रता" से हिम्नहिखित अहभप्रेत िै:-
(क) जािबूझकर हकया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकृ हत का िै हजससे उस स्त्री को
आत्मित्या करिे के हिए प्रेररत करिे की या उस स्त्री के जीवि, अंग या स्वास्थ्य को
(जो चािे मािहसक िो या िारीररक) गंभीर क्षहत या ितरा काररत करिे की संभाविा
िै; या
(ि) हकसी स्त्री को इस दृहष्ट से तंग करिा हक उसको या उसके हकसी िातेदार को
हकसी संपहत्त या मूल्यवाि प्रहतभूहत की कोई मांग पूरी करिे के हिए प्रपीहड़त हकया
जाए या हकसी स्त्री को इस कारण तंग करिा हक उसका कोई िातेदार ऐसी मांग पूरी
करिे में असिि रिा िै।
499. माििाहि -

जो कोई बोिे गए या पढ़े जािे के हिए आिहयत ि�ों द्वारा या संके तों द्वारा या दृ�
�पणों द्वारा हकसी व्यखि के बारे में कोई िांछि इस आिय से िगाता या प्रकाहित
करता िै हक ऐसे िांछि से ऐसे व्यखि की ख्ाहत की अपिाहि की जाए, या यि
जािते हुए या हवश्वास करिे का कारण रिते हुए िगाता या प्रकाहित करता िै। हक
ऐसे िांछि से ऐसे व्यखि की ख्ाहत की अपिाहि िोगी, एतखिि् पश्चात् अपवाहदत
दिाओं के हसवाय उसके बारे में किा जाता िै हक वि उस व्यखि की माििाहि करता
िै।
स्पष्टीकरण 1 - हकसी मृत व्यखि को कोई िांछि िगािा माििाहि की कोहट में आ
सके गा यहद वि िांछि उस व्यखि की ख्ाहत की, यहद वि जीहवत िोता, अपिाहि
करता, और उसके पररवार या अ� हिकट संबंहियों की भाविाओं को उपित करिे के
हिए आिहयत िो।
स्पष्टीकरण 2 - हकसी कं पिी या संगम या व्यखियों के समूि के संबंि में उसकी वैसी
िैहसयत में कोई िांछि िगािा माििाहि की कोहट में आ सके गा।
स्पष्टीकरण 3 - अिुकल्प के �प में, या व्यंगोखि के �प में अहभव्यि िांछि माििाहि
की कोहट में आ सके गा।
स्पष्टीकरण 4 - कोई िांछि हकसी व्यखि की ख्ाहत की अपिाहि करिे वािा ििीं किा
जाता जब तक हक वि िांछि दू सरों की दृहष्ट में प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उस व्यखि
के सदाचाररक या बौखद्धक स्व�प को िेय ि करे या उस व्यखि की जाहत के या
उसकी आजीहवका के संबंि में उसके िीि को िेय ि करे या उस व्यखि की साि
को िीचे ि हगराए या यि हवश्वास ि कराए हक उस व्यखि का िरीर घृणोत्पादक दिा
में िै या ऐसी दिा में िै जो सािारण �प से हिकृ ष्ट समझी जाती िै।
दृष्टांत -
(क) क यि हवश्वास करािे के आिय से हक य िे ि की घड़ी अव� चुराई िै, किता
िै, “य एक ईमािदार व्यखि िैं, उसिे ि की घड़ी कभी ििीं चुराई िै, जब तक हक
यि अपवादों में से हकसी अंतगतत ि आता िो, यि माििाहि िै।
(ि ) क से पूछा जाता िै हक ि की घड़ी हकसिे चुराई िै। क यि हवश्वास करािे
के आिय से हक य िे ि की घड़ी चुराई िै, य की ओर संके त करता िै। जब तक
हक यि अपवादों में से हकसी के अन्तगतत ि आता िो, यि माििाहि िै।
(ग) क यि हवश्वास करािे के आिय से हक य िे ि की घड़ी चुराई िै, य का एक
हचत्र िींचता िै हजसमें वि ि की घड़ी िेकर भाग रिा िै। जब तक हक यि अपवादों
में से हकसी के अन्तगतत ि आता िो, यि माििाहि िै।
पििा अपवाद - सत्य बात का िांछि हजसका िगाया जािा या प्रकाहित हकया जािा
िोक कल्याण के हिए अपेहक्षत िै - हकसी ऐसी बात को िांछि िगािा, जो हकसी
व्यखि के संबंि में सत्य िो, माििाहि ििीं िै, यहद यि िोक कल्याण के हिए िो हक

वि िांछि िगाया जाए या प्रकाहित हकया जाए। वि िोक कल्याण के हिए िै या
ििीं यि तथ्य का प्रश्न िै।
दू सरा अपवाद - िोक-सेवकों का िोकाचरण - उसके िोक कृ त्यों के हिवतिि में िोक-
सेवक के आचरण के हवषय में या उसके िीि के हवषय में, जिां तक उसका िीि
उस आचरण से प्रकट िोता िै, ि हक उससे आगे, कोई राय, चािे वि कु छ भी िो,
सद्भावपूवतक अहभव्यि करिा माििाहि ििीं िै।
तीसरा अपवाद - हकसी िोक प्रश्न के संबंि में हकसी व्यखि का आचरण - हकसी िोक
प्रश्न के संबंि में हकसी व्यखि के आचरण के हवषय में, और उसके िीि के हवषय में,
जिां तक हक उसका िीि उस आचरण से प्रकट िोता िो, ि हक उससे आगे, कोई
राय, चािे वि कु छ भी िो, सद्भावपूवतक अहभव्यि करिा माििाहि ििीं िै।
दृष्टांत -
हकसी िोक प्रश्न पर सरकार को अजी देिे में, हकसी िोक प्रश्न के हिए सभा बुिािे के
अपेक्षण पर िस्ताक्षर करिे में, ऐसी सभा का सभापहतत्व करिे में या उसमें िाहजर
िोिे में, हकसी ऐसी सहमहत का गठि करिे में या उसमें सख�हित िोिे में, जो िोक
समथति आमंहत्रत करती िै, हकसी ऐसे पद के हकसी हवहिष्ट अभ्यथी के हिए मत देिे
में या उसके पक्ष में प्रचार करिे में, हजसके कततव्यों के दक्षतापूणत हिवतिि से िोक
हितबद्ध िै, य के आचरण के हवषय में क द्वारा कोई राय, चािे वि कु छ भी िो,
सद्भावपूवतक अहभव्यि करिा माििाहि ििीं िै।
चौथा अपवाद - �ायाियों की कायतवाहियों की ररपोटों का प्रकािि - हकसी �ायािय
की कायतवाहियों की या हकन्ीं ऐसी कायतवाहियों के पररणाम की सारतः सिी ररपोटत
को प्रकाहित करिा माििाहि ििीं िै।
स्पष्टीकरण - कोई जखस्ट्स ऑि हद पीस या अ� ऑहिसर, जो हकसी �ायािय में
हवचारण से पूवत की प्रारंहभक जांच िुिे �ायािय में कर रिा िो, उपरोि िारा के
अथत के अन्तगतत �ायािय िै।
पााँचवााँ अपवाद - �ायािय में हवहिहश्चत मामिे के गुणागुण या साहक्षयों तथा संपृि
अ� व्यखियों का आचरण - हकसी ऐसे मामिे के गुणागुण के हवषय में, चािे वि
हसहवि िो या दाखण्डक, जो हकसी �ायािय द्वारा हवहिहश्चत िो चुका िो, या हकसी ऐसे
मामिे के पक्षकार, साक्षी या अहभकतात के �प में हकसी व्यखि के आचरण के हवषय
में या ऐसे व्यखि के िीि के हवषय में, जिां तक हक उसका िीि उस आचरण से
प्रकट िोता िो, ि हक उससे आगे, कोई राय, चािे वि कु छ भी िो, सद्भावपूवतक अहभव्यि
करिा माििाहि ििीं िै।
दृष्टांत -
(क) क किता िै “मैं समझता हं हक उस हवचारण में य का साक्ष्य ऐसा परस्पर
हवरोिी िै हक वि अव� िी मूित या बेईमाि िोिा चाहिए। यहद क ऐसा सद्भावपूवतक
किता िै तो वि इस अपवाद के अन्तगतत आ जाता िै, क्ोंहक जो राय वि य के िीि

के संबंि में अहभव्यि करता िै, वि ऐसी िै जैसी हक साक्षी के �प में य के आचरण
से, ि हक उसके आगे प्रकट िोती िै।
(ि) हकन्तु यहद क किता िै जो कु छ य िे उस हवचारण में दृढ़तापूवतक किा िै, मैं
उस पर हवश्वास ििीं करता, क्ोंहक मैं जािता हं हक वि सत्यवाहदता से रहित व्यखि
िै तो क इस अपवाद के अन्तगतत ििीं आता िै, क्ोंहक वि राय जो वि य के िीि
के संबंि में अहभव्यि करता िै, ऐसी राय िै, जो साक्षी के �प में ये के आचरण पर
आिाररत ििीं िै।
छठा अपवाद - िोक कृ हत के गुणागुण - हकसी ऐसी कृ हत के गुणागुण के हवषय में,
हजसको उसके कतात िे िोक के हिणतय के हिए रिा िो, या उसके कतात के िीि के
हवषय में, जिां तक हक उसका िीि ऐसी कृ हत में प्रकट िोता िो, ि हक उसके आगे,
कोई राय सद्भावपूवतक अहभव्यि करिा माििाहि ििीं िै।
स्पष्टीकरण - कोई कृ हत िोक के हिणतय के हिए अहभव्यि �प से या कतात की ओर
से हकए गए ऐसे कायों द्वारा, हजिसे िोक के हिणतय के हिए ऐसा रिा जािा हववहक्षत
िो, रिी जा सकती िै।
दृष्टांत -
(क) जो व्यखि पुस्तक प्रकाहित करता िै, वि उस पुस्तक को िोक के हिणतय के
हिए रिता िै।
(ि) वि व्यखि जो िोक के समक्ष भाषण देता िै, उस भाषण को िोक के हिणतय के
हिए रिता िै।
(ग) वि अहभिेता या गायक, जो हकसी िोकरंगमंच पर आता िै, अपिे अहभिय या
गायि को िोक के हिणतय के हिए रिता िै।
(घ) क, य द्वारा प्रकाहित एक पुस्तक के संबंि में किता िै य की पुस्तक मुिततापूणत
िै, य अव� कोई दुबति पु�ष िोिा चाहिए। य की पुस्तक अहिष्टतापणत िै, य अव� िी
अपहवत्र हवचारों का व्यखि िोिा चाहिए। यहद क ऐसा सद्भावपूवतक किता िै, तो वि
इस अपवाद के अन्तगतत आता िै क्ोंहक वि राय जो वि, य के हवषय में अहभव्यि
करता िै, य के िीि से विीं तक, ि हक उससे आगे, संबंि रिती िै जिां तक हक य
का िीि उसकी पुस्तक से प्रकट िोता िै।
(ङ) हकन्तु यहद क किता िै मुझे इस बात का आश्चयत ििीं िै हक य की पुस्तक
मूिततापूणत तथा अहिष्टतापूणत िै। क्ोंहक वि एक दुबति और िम्पट व्यखि िै। क इस
अपवाद के अन्तगतत ििीं आता क्ोंहक वि राय, जो हक वि य के िीि के हवषय में
अहभव्यि करता िै, ऐसी राय िै जो य की पुस्तक पर आिाररत ििीं िै।
सातवााँ अपवाद - हकसी अ� व्यखि के ऊपर हवहिपूणत प्राहिकार रििे वािे व्यखि
द्वारा सद्भावपूवतक की गई पररहिन्दा - हकसी ऐसे व्यखि द्वारा, जो हकसी अ� व्यखि
के ऊपर कोई ऐसा प्राहिकार रिता िो, जो या तो हवहि द्वारा प्रदत्त िो या उस अ�

व्यखि के साथ की गई हकसी हवहिपूणत संहवदा से उद् िृत िो, ऐसे हवषयों में, हजिसे हक
ऐसा हवहिपूणत प्राहिकार संबंहित िो, उस अ� व्यखि के आचरण की सद्भावपूवतक की
गई कोई पररहिन्दा माििाहि ििीं िै।
दृष्टांत -
हकसी साक्षी के आचरण की या �ायािय के हकसी ऑहिसर के आचरण की
सद्भावपूवतक पररहिन्दा करिे वािा कोई �ायािीि, उि व्यखियों को, जो उसके आदेिों
के अिीि िैं, सद्भावपूवतक पररहिन्दा करिे वािा कोई हवभागाध्यक्ष, अ� हििुओं की
उपखस्थहत में हकसी हििु की सद्भावपूवतक पररहिन्दा करिे वािा हपता या माता, अ�
हव�ाहथतयों की उपखस्थहत में हकसी हव�ाथी की सद्भावपूवतक पररहिन्दा करिे वािा हिक्षक,
हजसे हव�ाथी के माता-हपता से प्राहिकार प्राप्त िै, सेवा में हिहथिता के हिए सेवक
की सद्भावपूवतक पररहिन्दा करिे वािा स्वामी, अपिे बैंक के रोकहड़ए के �प में ऐसे
रोकहड़ए के आचरण के हिए सद्भावपूवतक पररहिन्दा करिे वािा कोई बैंकर इस अपवाद
के अन्तगतत आते िैं।
आठवााँ अपवाद - प्राहिकृ त व्यखि के समक्ष सद्भावपूवतक अहभयोग िगािा - हकसी
व्यखि के हव�द्ध कोई अहभयोग ऐसे व्यखियों में से हकसी व्यखि के समक्ष सद्भावपूवतक
िगािा, जो उस व्यखि के ऊपर अहभयोग की हवषय वस्तु के संबंि में हवहिपूणत
प्राहिकार रिते िों, माििाहि ििीं िै।
दृष्टांत -
यहद क एक महजस्ट्रेट के समक्ष य पर सद्भावपूवतक अहभयोग िगाता िै, यहद क एक
सेवक य के आचरण के संबंि में य के माहिक से सद्भावपूवतक हिकायत करता िै,
यहद क एक हििु य के संबंि में य के हपता से सद्भावपूवतक हिकायत करता िै; तो
क इस अपवाद के अन्तगतत आता िै।
िौवााँ अपवाद - अपिे या अ� के हितों की संरक्षा के हिए हकसी व्यखि द्वारा
सद्भावपूवतक िगाया गया िांछि - हकसी अ� के िीि पर िांछि िगािा माििाहि
ििीं िै परन्तु यि तब जब हक उसे िगािे वािे व्यखि के या हकसी अ� व्यखि के
हित की संरक्षा के हिए, या िोक कल्याण के हिए, वि िांछि सद्भावपूवतक िगाया गया
िो।
दृष्टांत -
(क) क एक दुकािदार िै। वि ि से, जो उसके कारबार का प्रबंि करता िै, किता
िै, य को कु छ मत बेचिा जब तक हक वि तुम्हें िकद िि ि दे दे, क्ोंहक उसकी
ईमािदारी के बारे में मेरी राय अ�ी ििीं िै। यहद उसिे य पर यि िांछि अपिे
हितों की संरक्षा के हिए सद्भावपूवतक िगाया िै, तो क इस अपवाद के अन्तगतत आता
िै।

(ि) क, एक महजस्ट्रेट अपिे वररष्ठ ऑहिसर को ररपोटत देते हुए, य के िीि पर िांछि
िगाता िै। विां, यहद वि िांछि सद्भावपूवतक और िोक कल्याण के हिए िगाया गया
िै, तो क इस अपवाद के अन्तगतत आता िै।
दसवााँ अपवाद - साविािी, जो उस व्यखि की भिाई के हिए, हजसे हक वि दी गई िै
या िोक कल्याण के हिए आिहयत िै - एक व्यखि को दू सरे व्यखि के हव�द्ध
सद्भावपूवतक साविाि करिा माििाहि ििीं िै, परन्तु यि तब जब हक ऐसी साविािी
उस व्यखि की भिाई के हिए, हजसे वि दी गई िो, या हकसी ऐसे व्यखि की भिाई
के हिए, हजससे वि व्यखि हितबद्ध िो, या िोक कल्याण के हिए आिहयत िो।
500, माििाहि के हिए दण्ड -
जो कोई हकसी अ� व्यखि की माििाहि करेगा, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि
दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
501. माििाहिकारक जािी हुई बात को मुहद्रत या उत्कीणत करिा -
जो कोई हकसी बात को यि जािते हुए, या हवश्वास करिे का अ�ा कारण रिते हुए
हक ऐसी बात हकसी व्यखि के हिए माििाहिकारक िै, मुहद्रत करेगा, या उत्कीणत करेगा,
वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
502. माििाहिकारक हवषय रििे वािे मुहद्रत या उत्कीणत पदाथत का बेचिा -
जो कोई हकसी मुहद्रत या उत्कीणत पदाथत को, हजसमें माििाहिकारक हवषय अंतहवतष्ट िै,
यि जािते हुए हक उसमें ऐसा हवषय अंतहवतष्ट िै, बेचेगा, या बेचिे की प्रस्थापिा करेगा,
वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी या जुमातिे से, या
दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा।
अध्याय 22 : आपराहिक अहभत्रास, अपमाि और क्षोभ के हवषय में
503. आपराहिक अहभत्रास -
जो कोई हकसी अ� व्यखि के िरीर, ख्ाहत या सम्पहत्त को, या हकसी ऐसे व्यखि के
िरीर या ख्ाहत को, हजससे हक वि व्यखि हितबद्ध िो कोई क्षहत करिे की िमकी
उस अ� व्यखि को इस आिय से देता िै हक उसे संत्रास काररत हकया जाए, या
उससे ऐसे िमकी के हिष्पादि का पररवजति करिे के सािि स्व�प कोई ऐसा कायत
कराया जाए, हजसे करिे के हिए वि वैि �प से आबद्ध ि िो, या हकसी ऐसे कायत
को करिे का िोप कराया जाए, हजसे करिे के हिए वि वैि �प से िकदार िो, वि
आपराहिक अहभत्रास करता िै।
स्पष्टीकरण - हकसी ऐसे मृत व्यखि की ख्ाहत को क्षहत करिे की िमकी हजससे वि
व्यखि, हजसे िमकी दी गई िै, हितबद्ध िो इस िारा के अन्तगतत आता िै।

दृष्टांत -
हसहवि वाद चिािे से प्रहतहवरत रििे के हिए ि को उत्प्रेररत करिे के प्रयोजि से ि
के घर को जिािे की िमकी क देता िै। क आपराहिक अहभत्रास का दोषी िै।
504. िोकिांहत भंग करािे को प्रकोहपत करिे के आिय से सािय अपमाि -
जो कोई हकसी व्यखि को सािय अपमाहित करेगा और तद्द्वारा उस व्यखि को इस
आिय से, या यि सम्भाव्य जािते हुए, प्रकोहपत करेगा हक ऐसे प्रकोपि से वि िोक
िाखन्त भंग या कोई अ� अपराि काररत करेगा, वि दोिों में से हकसी भांहत के
कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा |
505. िोक ररहष्टकारक विव्य -
(1) जो कोई हकसी कथि, जिश्रुहत या ररपोटत की -
(क) इस आिय से हक, या हजससे यि सम्भाव्य िो हक, भारत की सेिा, िौसेिा या
वायुसेिा का कोई आहिसर, सैहिक, िाहवक या वायुसैहिक हवद्रोि करे या अ�था वि
अपिे उस िाते, अपिे कततव्य की अविेििा करे या उसके पािि में असिि रिे, अथवा
(ि) इस आिय से हक, या हजससे यि सम्भाव्य िो हक, िोक या िोक के हकसी भाग
को ऐसा भय या संत्रास काररत िो हजससे कोई व्यखि राज्य के हव�द्ध या िोक-
प्रिाखन्त के हव�द्ध अपराि करिे के हिए उत्प्रेररत िो, अथवा
(ग) इस आिय से हक, या हजससे यि सम्भाव्य िो हक, उससे व्यखियों का कोई वगत
या समुदाय हकसी दू सरे वगत या समुदाय के हव�द्ध अपराि करिे के हिए उद्दीप्त हकया
जाए, रचेगा, प्रकाहित करेगा या पररचाहित करेगा, वि कारावास से, जो तीि वषत तक
का िो सके गा, या जुमातिे से, या दोिों से, दखण्डत हकया जाएगा |
(2) हवहभन््‍ि वगों में ित्रुता, घृणा या वैमिस्य पैदा या सम्प्रवहततत करिे वािे कथि -
जो कोई जिश्रुहत या संत्रासकारी समाचार अन्तहवतष्ट करिे वािे हकसी कथि या ररपोटत
को, इस आिय से हक, या हजससे यि संभाव्य िो हक, हवहभन््‍ि िाहमतक, मूिवंिीय, भाषायी
या प्रादेहिक समूिों या जाहतयों या समुदायों के बीच ित्रुता, घृणा या वैमिस्य की
भाविाएं, िमत, मूिवंि, स्थाि, हिवास-स्थाि, भाषा, जाहत या समुदाय के आिारों पर या
अ� हकसी भी आिार पर पैदा या संप्रवहततत िो, रचेगा, प्रकाहित करेगा या पररचाहित
करेगा, वि कारावास से, जो तीि वषत तक का िो सके गा, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जाएगा |
(3) पूजा के स्थाि आहद में हकया गया उपिारा (2) के अिीि अपराि -
जो कोई उपिारा (2) में हवहिहदतष्ट अपराि हकसी पूजा के स्थाि में या हकसी जमाव
में, जो िाहमतक पूजा या िाहमतक कमत करिे में िगा हुआ िो, करेगा, वि कारावास से,

जो पांच वषत तक का िो सके गा, दंहडत हकया जाएगा और जुमातिे से भी दण्डिीय िोगा
|
अपवाद - ऐसा कोई कथि, जिश्रुहत या ररपोटत इस िारा के अथत के अन्तगतत अपराि
की कोहट में ििीं आती,जब उसे रचिे वािे, प्रकाहित करिे वािे या पररचाहित करिे
वािे व्यखि के पास इस हवश्वास के हिए युखियुि आिार िो हक ऐसा कथि, जिश्रुहत
या ररपोटत सत्य िै और वि उसे सद्भावपूवतक तथा पूवोि जैसे हकसी आिय के हबिा
रचता िै, प्रकाहित करता िै या पररचाहित करता िै |
506. आपराहिक अहभत्रास के हिए दण्ड -
जो कोई आपराहिक अहभत्रास का अपराि करेगा, वि दोिों में से हकसी भााँहत के
कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक की िो सके गी, या जुमातिे से, या दोिों से,
दखण्डत हकया जायेगा।
यहद िमकी मृत्यु या घोर उपिहत इत्याहद काररत करिे की िो - तथा यहद िमकी मृत्यु
या घोर उपिहत काररत करिे की, या अहि द्वारा हकसी सम्पहत्त का िाि काररत करिे
की या मृत्यु दण्ड से या आजीवि कारावास से, या सात वषत की अवहि तक के
कारावास से दण्डिीय अपराि काररत करिे की, या हकसी स्त्री के असहतत्व पर िांछि
िगािे की िो, तो वि दोिों में से हकसी भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि सात
वषत तक की िो सके गी, या जुमहि से, या दोिों से, दखण्डत हकया जायेगा।
507. अिाम संसूचिा द्वारा आपराहिक अहभत्रास -
जो कोई अिाम संसूचिा द्वारा या उस व्यखि का, हजसिे िमकी दी िो, िाम या हिवास
स्थाि हछपािे की पूवातविािी करके आपराहिक अहभत्रास का अपराि करेगा, वि पूवतवती
अखन्तम िारा द्वारा उस अपराि के हिये उपबखन्धत दण्ड के अहतररि, दोिों में से हकसी
भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि दो वषत तक िो सके गी, दखण्डत हकया जायेगा।
508. व्यखि को यि हवश्वास करिे के हिए उत्प्रेररत करके हक वि दैवी अप्रसाद का
भाजि िोगा कराया गया कायत -
जो कोई हकसी व्यखि को यि हवश्वास करिे के हिये उत्प्रेररत करके या उत्प्रेररत करिे
का प्रयत्न करके, हक यहद वि उस बात को ि करेगा, हजसे उससे करािा अपरािी का
उद्दे� िो, या यहद वि उस बात को करेगा, हजसका उससे िोप करािा अपरािी
का उद्दे� िो, तो वि या कोई व्यखि, हजससे वि हितबद्ध िै, अपरािी के हकसी कायत
से दैवी अप्रसाद का भाजि िो जाएगा या बिा हदया जाएगा, स्वे�या उस व्यखि से
कोई ऐसी बात करवायेगा या करवािे का प्रयत्न करेगा, हजसे करिे के हिये वि वैि
�प से आबद्ध ि िो या हकसी ऐसी बात के करिे का िोप करवायेगा या करवािे
का प्रयत्न करेगा, हजसे करिे के हिए वि वैि �प से िकदार िो, वि दोिों में से हकसी
भााँहत के कारावास से, हजसकी अवहि एक वषत तक की िो सके गी या जुमातिे से, या
दोिों से, दखण्डत हकया जायेगा।
दृष्टान्त -

(क) क, यि हवश्वास करािे के आिय से व के द्वार पर िरिा देता िे हक इस प्रकार
िरिा देिे से वि य को दैवी अप्रसाद का भाजि बिा रिा िै। क िे उस िारा में
पररभाहषत अपराि हकया िै।
(ि) क, य को िमकी देता िै, हक यहद व अमुक कायत ििीं करेगा, तो क अपिे ब�ों
में से हकसी एक का वि ऐसी पररखस्थहतयों में कर डािेगा, हजससे ऐसे वि करिे के
पररणामस्व�प यि हवश्वास हकया जाये, हक य दैवी अप्रसाद का भाजि बिा हदया गया
िै। क िे इस िारा में पररभाहषत अपराि हकया िै।
509. ि�, अंगहवक्षेप या कायत जो हकसी स्त्री की ििा का अिादर करिे के हिए
आिहयत िै -
जो कोई हकसी स्त्री की ििा का अिादर करिे के आिय से कोई ि� किेगा, कोई
ध्वहि या अंगहवक्षेप करेगा, या कोई वस्तु प्रदहितत करेगा, इस आिय से हक ऐसी स्त्री
द्वारा ऐसा ि� या ध्वहि सुिी जाये या ऐसा अंगहवक्षेप या वस्तु देिी जाये अथवा ऐसी
स्त्री की एकान्तता का अहतक्रमण करेगा वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि एक
वषत तक की िो सके गी, या ़िुमहि से, या दोिों से, दखण्डत हकया जायेगा।
510. मत्त व्यखि द्वारा िोक स्थाि में अवचार -
जो कोई मत्तता की िाित में हकसी िोक स्थाि में, या हकसी ऐसे स्थाि में, हजसमें
उसका प्रवेि करिा अहतचार िो, आएगा और विााँ इस प्रकार का आचरण करेगा हजससे
हकसी व्यखि को क्षोभ िो, वि सादा कारावास से, हजसकी अवहि चौबीस घण्टे तक की
िो सके गी, या जुमातिे से, जो दस �पये तक का िो सके गा, या दोिों से, दखण्डत हकया
जायेगा।
अध्याय 23
अपरािों को करिे के प्रयत्नों के हवषय में
511. आजीवि कारावास या अ� कारावास से दण्डिीय अपरािों को करिे के प्रयत्न
करिे के हिए दण्ड -
जो कोई इस संहिता द्वारा आजीवि कारावास से या कारावास से दण्डिीय अपराि
करिे का, या ऐसा अपराि काररत हकये जािे का प्रयत्न करेगा, और ऐसे प्रयत्न में
अपराि करिे की हदिा में कोई कायत करेगा, जिााँ हक ऐसे प्रयत्न के दण्ड के हिये
कोई अहभव्यि उपबन्ध इस संहिता द्वारा ििीं हकया गया िै, विााँ वि उस अपराि के
हिये उपबखन्धत हकसी भााँहत के कारावास से उस अवहि के हिए, जो यथाखस्थहत, आजीवि
कारावास से आिे तक की या उस अपराि के हिये उपबखन्धत दीघततम अवहि के आिे
तक की िो सके गी या ऐसे जुमातिे से, जो उस अपराि के हिये उपबखन्धत िै, या दोिों
से, दखण्डत हकया जायेगा।
दृष्टान्त

(क) क, एक सन्दू क तोड़कर िोिता िै और उसमें से कु छ आभूषण चुरािे का प्रयत्न
करता िै। सन्दू क इस प्रकार िोििे के पश्चात् उसे ज्ञात िोता िै हक उसमें कोई
आभूषण ििीं िै। उसिे चोरी करिे की हदिा में कायत हकया िै, और इसहिए, वि इस
िारा के अिीि दोषी िै।
(ि) क, य की जेब में िाथ डािकर य की जेब से चुरािे का प्रयत्न करता िै। य की
जेब में कु छ ि िोिे के पररणामस्व�प क अपिे प्रयत्न में असिि रिता िै। क इस
िारा के अिीि दोषी िै।