Real Numbers Made Easy for Students of CBSE Class 10
Hitsongatharv
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Sep 18, 2025
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About This Presentation
Real Numbers for Class 10 CBSE - Comprehensive Study Guide
Unlock the secrets of Real Numbers with this meticulously crafted study guide, tailored specifically for Class 10 CBSE students! This engaging and easy-to-understand resource, available on SlideShare, is your ultimate companion for masterin...
Real Numbers for Class 10 CBSE - Comprehensive Study Guide
Unlock the secrets of Real Numbers with this meticulously crafted study guide, tailored specifically for Class 10 CBSE students! This engaging and easy-to-understand resource, available on SlideShare, is your ultimate companion for mastering Chapter 1: Real Numbers from the NCERT curriculum. Perfect for students aiming to ace their 2025-26 board exams, this guide offers a clear and concise breakdown of key concepts, making complex topics accessible and fun.
What’s Inside?
In-Depth Explanations: Dive into the world of real numbers, including rational and irrational numbers, with clear definitions and relatable examples.
Key Concepts Covered: Master Euclid’s Division Lemma, the Fundamental Theorem of Arithmetic, and methods to find HCF and LCM with step-by-step guidance.
Visual Learning Aids: Vibrant diagrams, including the Venn Diagram of the Real Number System, to help you visualize natural numbers, whole numbers, integers, and more.
Practice Questions & Solutions: Tackle a variety of CBSE-aligned questions, from MCQs to long-answer problems, with detailed solutions to boost your confidence.
Exam-Focused Content: Focus on high-weightage topics like proofs of irrationality (e.g., √2, √3) and decimal expansions, ensuring you’re ready for the 5-6 mark questions in the board exam.
Historical Insights: Learn fascinating facts about mathematicians like Euclid, Archimedes, and Aryabhatta, adding context to your studies.
Why Choose This Guide?
CBSE Syllabus Aligned: Fully updated for the 2025-26 CBSE exam pattern, covering all exercises (1.1, 1.2, 1.3, and 1.4) from the NCERT textbook.
Perfect for Revision: Concise notes and summaries for quick revision, ideal for last-minute exam prep.
Interactive & Engaging: Designed to keep you hooked with clear explanations, practical examples, and downloadable PPTX/PDF formats for offline study.
Boost Problem-Solving Skills: Learn tips and tricks to solve complex problems efficiently, from prime factorization to divisibility proofs.
Who Is This For?
Class 10 CBSE Students: Build a strong foundation in real numbers for board exams and future math studies.
Teachers & Tutors: Use this as a ready-to-go teaching resource for classroom or online sessions.
Parents: Support your child’s learning with an easy-to-follow guide that simplifies tough concepts.
Why SlideShare?
Download this guide instantly on SlideShare and access it anytime, anywhere—perfect for on-the-go learning! Whether you’re revising at home or preparing in the classroom, this resource is designed to help you excel.
Get your copy now and take the first step toward mastering Real Numbers for your CBSE Class 10 Maths exam! Boost your confidence, clarify doubts, and score high with this essential study guide.
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Size: 19.18 MB
Language: none
Added: Sep 18, 2025
Slides: 59 pages
Slide Content
प्रश्न "किस प्रकार के बहुपद को शून्य के बराबर करने पर एक द्विघात समीकरण बनता है?"
Dr Salil Kumar Tiwari
प्रश्न "किस प्रकार के बहुपद को शून्य के बराबर करने पर एक द्विघात समीकरण बनता है?"
उत्तर "$ax^2 + bx + c, a \ne 0$ के रूप का एक द्विघात बहुपद"
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरण (Quadratic Equation) कैसे बनता है?
जब हम किसी द्विघात बहुपद को शून्य के बराबर करते हैं,
तो हमें एक द्विघात समीकरण प्राप्त होता है।
मानक रूप: एक द्विघात समीकरण का मानक रूप
(standard form) $ax^2 + bx + c = 0$ है, जहाँ
$a, b, c$ वास्तविक संख्याएँ हैं और $a \ne 0$।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300 = 0$ एक द्विघात
समीकरण है। इसे $p(x) = 0$ के रूप में भी समझा जा
सकता है, जहाँ $p(x)$ घात 2 का एक बहुपद है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरण (Quadratic Equation) कैसे बनता है?
जब हम किसी द्विघात बहुपद को शून्य के बराबर करते हैं,
तो हमें एक द्विघात समीकरण प्राप्त होता है।
मानक रूप: एक द्विघात समीकरण का मानक रूप
(standard form) $ax^2 + bx + c = 0$ है, जहाँ
$a, b, c$ वास्तविक संख्याएँ हैं और $a \ne 0$।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300 = 0$ एक द्विघात
समीकरण है। इसे $p(x) = 0$ के रूप में भी समझा जा
सकता है, जहाँ $p(x)$ घात 2 का एक बहुपद है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरण (Quadratic Equation) कैसे बनता है?
जब हम किसी द्विघात बहुपद को शून्य के बराबर करते हैं,
तो हमें एक द्विघात समीकरण प्राप्त होता है।
मानक रूप: एक द्विघात समीकरण का मानक रूप
(standard form) $ax^2 + bx + c = 0$ है, जहाँ
$a, b, c$ वास्तविक संख्याएँ हैं और $a \ne 0$।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300 = 0$ एक द्विघात
समीकरण है। इसे $p(x) = 0$ के रूप में भी समझा जा
सकता है, जहाँ $p(x)$ घात 2 का एक बहुपद है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरण (Quadratic Equation) कैसे बनता है?
जब हम किसी द्विघात बहुपद को शून्य के बराबर करते हैं,
तो हमें एक द्विघात समीकरण प्राप्त होता है।
मानक रूप: एक द्विघात समीकरण का मानक रूप
(standard form) $ax^2 + bx + c = 0$ है, जहाँ
$a, b, c$ वास्तविक संख्याएँ हैं और $a \ne 0$।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300 = 0$ एक द्विघात
समीकरण है। इसे $p(x) = 0$ के रूप में भी समझा जा
सकता है, जहाँ $p(x)$ घात 2 का एक बहुपद है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari
द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
Dr Salil Kumar Tiwari
मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
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मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
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मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
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मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
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मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari
मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari
मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari
मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari
मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari
मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
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कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari
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