Real Numbers Made Easy for Students of CBSE Class 10

Hitsongatharv 2 views 59 slides Sep 18, 2025
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About This Presentation

Real Numbers for Class 10 CBSE - Comprehensive Study Guide

Unlock the secrets of Real Numbers with this meticulously crafted study guide, tailored specifically for Class 10 CBSE students! This engaging and easy-to-understand resource, available on SlideShare, is your ultimate companion for masterin...


Slide Content

प्रश्न "किस प्रकार के बहुपद को शून्य के बराबर करने पर एक द्विघात समीकरण बनता है?"
Dr Salil Kumar Tiwari

प्रश्न "किस प्रकार के बहुपद को शून्य के बराबर करने पर एक द्विघात समीकरण बनता है?"
उत्तर "$ax^2 + bx + c, a \ne 0$ के रूप का एक द्विघात बहुपद"
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomial) क्या है?
परिभाषा: एक द्विघात बहुपद उस प्रकार का बहुपद होता है जिसे
$ax^2 + bx + c$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $a,
b, c$ वास्तविक संख्याएँ (real numbers) हैं और $a$ शून्य के
बराबर नहीं होना चाहिए ($a \ne 0$)। यदि $a=0$ हो जाता है,
तो यह $bx+c$ बन जाएगा, जो एक रैखिक बहुपद (linear
polynomial) होगा, द्विघात नहीं।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300$, $2x^2 - 3x + 1$, $4x -
3x^2 + 2$, $1 - x^2 + 300$ सभी द्विघात बहुपद के उदाहरण
हैं।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरण (Quadratic Equation) कैसे बनता है?
जब हम किसी द्विघात बहुपद को शून्य के बराबर करते हैं,
तो हमें एक द्विघात समीकरण प्राप्त होता है।
मानक रूप: एक द्विघात समीकरण का मानक रूप
(standard form) $ax^2 + bx + c = 0$ है, जहाँ
$a, b, c$ वास्तविक संख्याएँ हैं और $a \ne 0$।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300 = 0$ एक द्विघात
समीकरण है। इसे $p(x) = 0$ के रूप में भी समझा जा
सकता है, जहाँ $p(x)$ घात 2 का एक बहुपद है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरण (Quadratic Equation) कैसे बनता है?
जब हम किसी द्विघात बहुपद को शून्य के बराबर करते हैं,
तो हमें एक द्विघात समीकरण प्राप्त होता है।
मानक रूप: एक द्विघात समीकरण का मानक रूप
(standard form) $ax^2 + bx + c = 0$ है, जहाँ
$a, b, c$ वास्तविक संख्याएँ हैं और $a \ne 0$।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300 = 0$ एक द्विघात
समीकरण है। इसे $p(x) = 0$ के रूप में भी समझा जा
सकता है, जहाँ $p(x)$ घात 2 का एक बहुपद है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरण (Quadratic Equation) कैसे बनता है?
जब हम किसी द्विघात बहुपद को शून्य के बराबर करते हैं,
तो हमें एक द्विघात समीकरण प्राप्त होता है।
मानक रूप: एक द्विघात समीकरण का मानक रूप
(standard form) $ax^2 + bx + c = 0$ है, जहाँ
$a, b, c$ वास्तविक संख्याएँ हैं और $a \ne 0$।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300 = 0$ एक द्विघात
समीकरण है। इसे $p(x) = 0$ के रूप में भी समझा जा
सकता है, जहाँ $p(x)$ घात 2 का एक बहुपद है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरण (Quadratic Equation) कैसे बनता है?
जब हम किसी द्विघात बहुपद को शून्य के बराबर करते हैं,
तो हमें एक द्विघात समीकरण प्राप्त होता है।
मानक रूप: एक द्विघात समीकरण का मानक रूप
(standard form) $ax^2 + bx + c = 0$ है, जहाँ
$a, b, c$ वास्तविक संख्याएँ हैं और $a \ne 0$।
उदाहरण: $2x^2 + x - 300 = 0$ एक द्विघात
समीकरण है। इसे $p(x) = 0$ के रूप में भी समझा जा
सकता है, जहाँ $p(x)$ घात 2 का एक बहुपद है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में
सामने आते हैं।
उदाहरण:
एक प्रार्थना कक्ष का कालीन क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर
है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दोगुने से एक
मीटर अधिक है। यदि चौड़ाई $x$ मीटर है, तो लंबाई
$(2x+1)$ मीटर होगी। क्षेत्रफल को $(2x+1)x =
2x^2 + x$ के रूप में दर्शाया जाता है। इसे 300 के
बराबर करने पर, $2x^2 + x = 300$ या $2x^2
+ x - 300 = 0$ एक द्विघात समीकरण बनता है,
जिसका हल हमें कक्ष की चौड़ाई देगा। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: जॉन और जिवंती के पास कुल
45 कंचे थे। प्रत्येक ने 5 कंचे खो दिए, और
उनके पास अब जो कंचे बचे हैं, उनका
गुणनफल 124 है। यदि जॉन के पास $x$
कंचे थे, तो यह स्थिति $x^2 - 45x +
324 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरणों का महत्व और अनुप्रयोग:
द्विघात समीकरण कई वास्तविक जीवन की
स्थितियों में सामने आते हैं।
उदाहरण: एक कुटीर उद्योग एक दिन में
कुछ खिलौने बनाता है। प्रत्येक खिलौने के
उत्पादन की लागत (रुपये में) उस दिन
उत्पादित खिलौनों की संख्या में से 55 कम
पाई गई। यदि उस दिन उत्पादन की कुल
लागत ₹750 थी, तो यह स्थिति $x^2 -
55x + 750 = 0$ के रूप में एक द्विघात
समीकरण बनाती है। Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context):
कई लोग मानते हैं कि बेबीलोनियाई लोग द्विघात समीकरणों को हल
करने वाले पहले व्यक्ति थे।
यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामितीय दृष्टिकोण विकसित किया,
जिसके समाधान द्विघात समीकरणों के समाधान के बराबर थे।
सामान्य रूप में द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय अक्सर प्राचीन
भारतीय गणितज्ञों को दिया जाता है। ब्रह्मगुप्त (C.E. 598–665) ने
$ax^2 + bx = c$ के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने के लिए
एक स्पष्ट सूत्र दिया। बाद में, श्रीधराचार्य (C.E. 1025) ने "वर्ग पूरा करने
की विधि" (completing the square) द्वारा द्विघात समीकरण को
हल करने के लिए एक सूत्र निकाला, जिसे अब द्विघात सूत्र (quadratic
formula) के रूप में जाना जाता है।
Dr Salil Kumar Tiwari

द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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द्विघात समीकरण के मूल/हल (Roots/Solutions):
एक वास्तविक संख्या $\alpha$ को द्विघात समीकरण $ax^2
+ bx + c = 0$ का मूल कहा जाता है, यदि $a\alpha^2 +
b\alpha + c = 0$ हो।
इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि $x = \alpha$ द्विघात
समीकरण का एक हल है, य $\alpha$ द्विघात समीकरण को
संतुष्ट करता है।
द्विघात बहुपद $ax^2 + bx + c$ के शून्यक (zeroes) और
द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल समान होते हैं।
एक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं, इसलिए
किसी भी द्विघात समीकरण के अधिकतम दो मूल हो सकते हैं।
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मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
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मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
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मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
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मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
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मूल ज्ञात करने के तरीके (Methods to Find Roots):
गुणनखंडन विधि (Factorisation Method): यदि
हम $ax^2 + bx + c$ को दो रैखिक गुणनखंडों में
विभाजित कर सकते हैं, तो द्विघात समीकरण $ax^2 +
bx + c = 0$ के मूल प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के
बराबर करके ज्ञात किए जा सकते हैं।
द्विघात सूत्र (Quadratic Formula): द्विघात
समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के मूल सूत्र $x =
\frac{-b \pm \sqrt{b^2 - 4ac}}{2a}$ द्वारा
दिए जाते हैं, बशर्ते $b^2 - 4ac \ge 0$ हो।
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मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari

मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari

मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari

मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari

मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari

मूलों की प्रकृति (Nature of Roots):
पद $b^2 - 4ac$ यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण
$ax^2 + bx + c = 0$ के वास्तविक मूल हैं या नहीं, इसलिए इसे
द्विघात समीकरण का विविक्तकर (discriminant) कहा जाता है।
एक द्विघात समीकरण $ax^2 + bx + c = 0$ के:
दो भिन्न वास्तविक मूल (two distinct real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac > 0$।
दो समान वास्तविक मूल (two equal real roots) होते हैं,
यदि $b^2 - 4ac = 0$।
कोई वास्तविक मूल नहीं (no real roots) होता है, यदि
$b^2 - 4ac < 0$। Dr Salil Kumar Tiwari

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