Uee universalisation of elementary education in hindi

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prarmbhik shiksha ka sarvavyapikaran


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Universalisation of Elementary Education(UEE) प्रारम्भिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण 2/22/2015 1

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परिचय – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 45(86वां संसोधन, 2002 से पूर्व) में कहा गया है कि “राज्य 14 वर्ष की समाप्ति तक हर बच्चे को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा दिलाने का प्रयास करेगा” | अन्य शब्दों में हम सर्वव्यापी, निःशुल्क व् अनिवार्य प्रारम्भिक शिक्षा के लिए बचनबद्ध हैं | प्रारम्भिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण का अर्थ है- 1 से 8 कक्षा में 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को शिक्षा सुलभ कराना | शिक्षा के ये अवसर औपचारिक अथवा अनौपचारिक माध्यमों से प्रदान किए जा सकते हैं | 2/22/2015 3

(UEE ) की संकल्पना सर्वव्यापीकरण कि संकल्पना इस बात का प्रतीक है कि शिक्षा सभी के लिए है,केवल कुछ विशेष के लिए नहीं | इसका यह भी अर्थ है कि शिक्षा प्रत्येक बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है | अतः राज्य को जाति, लिंग, धर्म, सामाजिक-आर्थिक स्तर और जन्मस्थान के पक्षपात के बिना प्रत्येक बच्चे को प्रारम्भिक शिक्षा सुलभ कराने के लिए प्रयास करने चाहिए | 2/22/2015 4

प्रारम्भिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण के चरण सर्वव्यापी प्रावधान ( Universal Provision ) सर्वव्यापी नामांकन (Universal Enrolment) सर्वव्यापी धारणशीलता (Universal Retention) प्रारम्भिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण तीन चरणों से होकर गुजरता है - 2/22/2015 5

सर्वव्यापीकरण प्रावधान U niversal provision इसका अर्थ यह है कि प्रारम्भिक स्कूल प्रत्येक बच्चे के घर से 1 कि.मी. की पैदल दूरी पर होना चाहिये ताकि 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को स्कूल की सुविधा प्रदान की जा सके | 2/22/2015 6

सर्वव्यापी नामांकन U niversal Enrolment इसका यह अर्थ है कि 6 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे का पंजीकरण प्राथमिक स्कूल की कक्षा 1 में किया जायेगा| इसका यह भी अर्थ है कि प्राथमिक स्कूल में 6 वर्ष की आयु के हर बच्चे का नामांकन अनिवार्य होगा | 2/22/2015 7

सर्वव्यापी धारणशीलता U niversal Retention इसका अर्थ है कि कक्षा 1 में दाखिल प्रत्येक छात्र आठवीं कक्षा तक पढाई पूरी कर सकेगा| यह आवश्यक है कि बच्चों को उचित ढंग से समझा जाये और उनका दिशानिर्देशन किया जाये ताकि वे आठवीं कक्षा पूरी होने से पूर्व पढाई अधूरी न छोड़ें | 2/22/2015 8

प्रारम्भिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण दो प्रक्रियाओं को दर्शाता है – अभिवृद्धि (Access ) समृद्धि (Success ) 2/22/2015 9

अभिवृद्धि (Access )- इसका तात्पर्य यह है कि 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए प्राथमिक स्कूलों और सर्वव्यापी नामांकन का सर्वव्यापी प्रावधान | 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए प्राथमिक स्कूलों में प्रवेश का द्वार खुला है | उनके साथ लिंग, धर्म, जाति, स्थान या सामजिक-आर्थिक स्तर के आधार पर कोई पक्षपात नहीं होना चाहिये | 2/22/2015 10

समृद्धि(Success)- स्कूलों में प्रवेश के साथ-साथ हमें स्कूलों में पर्याप्त प्रावधान भी करने होंगे ताकि बच्चे प्राथमिक शिक्षा पाकर सफलता का अनुभव प्राप्त कर सकें | प्राथमिक शिक्षा के सफल संपादन के लिए प्रत्येक स्कूल में पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित शिक्षकों, गुणात्मक अध्यापन एवं अध्ययन सामग्री, सुविधाओं एवं साधनों, कक्षाओं आदि कि आवश्यकता है | संवृद्धि से यहाँ अभिप्राय अधिगम के न्यूनतम स्तर (MLL ) को हासिल करने से है जिसका अर्थ है कि अधिकांश छात्र अधिक से अधिक सुयोग्यता अर्जित कर सकेंगे | 2/22/2015 11

2/22/2015 12 प्रारम्भिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण का महत्व – निर्धनता का उन्मूलन आर्थिक प्रगति को बढ़ावा जनसंख्या वृद्धि दर का प्रबंधन एक स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण का निर्माण प्रारम्भिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण के इसी महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार बिल- 2009(RTE) पारित किया और इसे 1 अप्रैल, 2010 को पूरे भारत में लागू कर दिया है |

2/22/2015 13 प्रारम्भिक शिक्षा के सर्वव्यापीकरण की समस्याएं/मुद्दे सामाजिक समस्याएं आर्थिक समस्याएं राजनीतिक समस्याएं शैक्षणिक समस्याएं भौगोलिक समस्याएं प्रशासनिक समस्याएं

2/22/2015 14 सामाजिक समस्याएं – अभिभावकों की उदासीनता सह-शिक्षा के प्रति अभिभावकों का रूढ़िवादी दृष्टिकोण अत्यधिक आबादी कन्याओं का अल्पायु में विवाह

2/22/2015 15 आर्थिक समस्याएं – अभिभावकों की निर्धनता बच्चों का अल्पपोषण बजट में अपर्याप्त वित्तीय प्रावधान

2/22/2015 16 राजनीतिक समस्याएं – प्राथमिक शिक्षा के प्रति निम्न प्राथमिकता स्थानीय निकायों की आपसी कलह स्थानीय राजनीतिज्ञों के निहित स्वार्थ

2/22/2015 17 शैक्षणिक समस्याएं – अनुसूचित जाति, जनजाति और समाज की अन्य पिछड़ी जातियों का निम्न नामांकन कन्याओं का निम्नतम नामांकन अशक्त बच्चों का निम्न नामांकन गतिहीनता की उच्च दर त्रुटिपूर्ण पाठ्यक्रम शिक्षण की गैर- प्रेरक पद्धतियाँ सुयोग्य शिक्षकों का अभाव

2/22/2015 18 भौगोलिक समस्याएं – दुर्गम क्षेत्र छोटे और छितरे हुए क्षेत्र विशेषकर जनजातीय और पहाड़ी क्षेत्र

2/22/2015 19 प्रशासनिक समस्याएं – शैक्षणिक अवसरों की असमानता महिला शिक्षकों का अभाव अनिवार्य शिक्षा को लागू करने में नाकामयाबी उपयुक्त प्रवेश नीति का अभाव अपर्याप्त एवं अनाकर्षक स्कूली इमारते बड़ी संख्या में अपूर्ण प्राइमरी विद्यालयों की मौजूदगी

2/22/2015 20 शशि कान्त पाण्डेय डी.एन.एस.देवास धन्यवाद